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आईआरसीटीसी के पोर्टल को घुसपैठ से ऐसे बचाएगा रेलवे
Posted Date : 27-Jun-2017 8:32:39 pm

आईआरसीटीसी के पोर्टल को घुसपैठ से ऐसे बचाएगा रेलवे

नई दिल्ली(आरएनएस)। इन दिनों आईआरसीटीसी की वेबसाइट हैंग होने के मामले बढ़ गए हैं। इससे रेल टिकटों की बुकिंग, खासकर तत्काल बुकिंग में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई मर्तबा तो पीएनआर स्टेटस तक जानना मुश्किल हो जाता है। लेकिन सब कुछ जानते हुए भी रेलवे असमर्थ है। प्राइवेट वेबसाइटों ने रेलवे वेबसाइटों में सेंध लगाकर उनकी हालत पतली कर दी है और सब कुछ जानते हुए भी रेलवे उनके विरुद्ध कार्रवाई करने में असमर्थ है। सूत्रों के अनुसार रेल यात्रियों को सूचनाएं व सेवाएं देने के नाम पर इन दिनों दर्जनों ऐसी प्राइवेट वेबसाइटें फलफूल रही हैं, जिनका मूल स्रोत आइआरआरसीटी की वेबसाइट है। अपने अनोखे साफ्टवेयर और ऐप के बूते ये रेल ग्राहकों को आइ आर सी टी सी से भी बेहतर व त्वरित सूचनाएं व सेवाएं प्रदान कर रही हैं। लेकिन इनकी ये खूबी आइ आर सी टी सी की वेबसाइट के हैंग होने का कारण बन रही है। आखिर इस समस्या का स्थायी समाधान क्यों नहीं निकाला जा रहा, यह जानने के लिए जब हमने रेलवे बोर्ड में आईटी सेल के प्रमुख एडीशनल मेंबर संजय दास से बात की तो उन्होंने इस रहस्य से पर्दा उठा दिया। उन्होंने कहा कि क्षमता व कुशलता की दृष्टि से आईआरसीटीसी का पोर्टल विश्व का सबसे बड़ा व सुरक्षित पोर्टल है। लेकिन व्यक्तिगत ग्राहकों के अलावा प्राइवेट वेबसाइटों व टिकटिंग एजेंटों की अधिकृत व अनधिकृत घुसपैठ के कारण इसे कभी-कभी जाम का शिकार होना पड़ता है। ये साइटें मशीनों व साफ्टवेयर के जरिए एक ही वक्त पर हजारों लोगों की बुकिंग व सूचनाएं एक्सेस करने में सक्षम हैं। हमारी दिक्कत यह है कि एक तो ये वेबसाइटें रेलवे से भी बेहतर और तेज सेवाएं दे रही हैं जिससे लोग इन्हें पसंद करते हैं। जबकि दूसरे, भारत का कोई भी मौजूदा नियम या कानून इन्हें इस कार्य से रोकता नहीं है। यहां तक कि साइबर सुरक्षा कानून में भी इनकी इन गतिविधियों को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है। यही वजह है कि सब कुछ जानने के बावजूद हम इनके विरुद्ध कोई भी कार्रवाई करने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं। हमें यह बखूबी पता है कि कौन सी वेबसाइट क्या कर रही है और उससे हमारी साइट पर कब, कितना लोड बढ़ रहा है। लेकिन कर कुछ नहीं सकते। हम केवल अपनी क्षमता बढ़ा सकते हैं और नई सेवाएं शुरू कर सकते है। वह हम कर भी रहे हैं। हमारी वेबसाइटों पर लोगों को कम से कम परेशानी हो और वे केवल रेलवे की वास्तविक वेबसाइट का ही प्रयोग करें इसके लिए पूर्व में हमने अपने सर्वर की क्षमता को कई गुना बढ़ाया है। जबकि अब हम एक नया मोबाइल ऐप लॉन्च करने जा रहे हैं। आगामी 6 जुलाई को लांच होने वाले इस ऐप में प्राइवेट वेबसाइटों द्वारा दी जा रही तकरीबन सभी सेवाएं व सूचनाएं उपलब्ध होंगी।
जहां तक प्राइवेट वेबसाइटों पर नियंत्रण का सवाल है तो उसके लिए एक समिति का गठन किया गया है। यह समिति आईआरसीटीसी समेत रेलवे की तमाम वेबसाइटों का व्यावसायिक उपयोग करने के बारे में नियम व शर्ते तैयार करेगी। ताकि निजी साइटों से लाभ की हिस्सेदारी प्राप्त करने के अलावा अपनी वेबसाइटों पर विज्ञापन प्रसारित कर हम अपनी आमदनी बढ़ा सकें। यह समिति यह भी देखेगी कि निजी वेबसाइटों की कौन सी गतिविधियों को साइबर अपराध की श्रेणी में रखा जा ए ताकि वे अपने फायदे के लिए रेलवे का नुकसान न कर सकें। इसके आधार पर साइबर सुरक्षा कानून में संशोधन का प्रस्ताव लाया जा सकता है।

 

जीएसटी परिषद की अगली बैठक 30 जून को
Posted Date : 27-Jun-2017 8:30:44 pm

जीएसटी परिषद की अगली बैठक 30 जून को

नई दिल्ली(आरएनएस)। जी.एस.टी. काऊंसिल की 17वीं और काफी अहम बैठक खत्म हुई। सरकारी और निजी लॉटरी के लिए जीएसटी होगी अलग-अलग दरें। जीएसटी परिषद की अगली बैठक 30 जून को होगी। सूत्रों के मुताबिक आज बैठक में 50 से ज्यादा आइटम पर जी.एस.टी. के टैक्स दरों की समीक्षा की जा सकती है। इस दौरान संबंधित सेक्टर की तरफ से आए सुझावों और 5 मुद्दों पर बनाए गए कानून के मसौदे पर चर्चा होगी। इसके अलावा एंटी प्रॉफिटियरिंग, असेसमेंट एंड ऑडिट और एडवांस रूलिंग पर बनाए गए कानून के ड्राफ्ट पर चर्चा हो सकती है। सरकार एंटी प्रॉफिटियरिंग के तहत टैक्स में कमी के हिसाब से कीमतें कम करना सुनिश्चित करेगी। ई-वे बिल के नियमों पर भी चर्चा हो सकती है। ई-वे बिल के तहत एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान लाने ले जाने के नियम शामिल हैं। माना जा रहा है कि आज की बैठक में ई-वे बिल के नियमों को मंजूरी दी जा सकती है। 
एसोचौम ने की जीएसटी की तिथि बढ़ाने की मांग
प्रमुख उद्योग संगठन ऐसोचौम ने रिटर्न मॉड्यूल तथा अन्य तकनीकी तैयारियाँ पूरी नहीं होने का हवाला देते हुए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने की तिथि एक जुलाई से आगे बढ़ाने की माँग की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली को लिखे एक पत्र में एसोचौम ने कहा है कि जीएसटी नेटवर्क (जी एस टी एन) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नवीन कुमार के बयानों से स्पष्ट है कि एक जुलाई से जीएसटी पूरी तरह लागू नहीं हो पाएगा। उसने बताया कि कुमार स्वयं यह कह चुके हैं कि एक माह पहले बीटा टेस्ट के दौरान कुछ खामियों के कारण जीएसटी के रिटर्न फॉर्मेट को पूरी तरह बदल दिया गया है जिसके कारण इसके सॉफ्टवेयर में बड़े बदलाव करने पड़े हैं। नया रिटर्न मॉड्यूल जुलाई के अंत तक तैयार हो पायेगा। यदि जीएसटी 1 जुलाई से लागू होता है तो पहला रिटर्न अगस्त में भरना होगा। एसोचौम का कहना है कि उस स्थिति में जुलाई के अंत में मॉड्यूल तैयार होने से उसे परखने का समय नहीं मिल पाएगा, साथ ही जिस एक्सेल शीट पर करदाताओं को रोजाना बिक्री के आँकड़े भरने होंगे वह भी 25 जून से ही उपलब्ध होगा। इस तरह करदाताओं के पास इस परखने का भी समय नहीं होगा। उसने कहा है कि जी.एस.टी.एन. की तैयारी की यह स्थिति देखते हुये करदाताओं के लिए जी. एस. टी. को अपनाना मुश्किल होगा।
28 फीसदी कर दायरे वाली वस्तुओं की पुनर्समीक्षा जरूरी
जी.एस.टी. परिषद बैठक से एक दिन पहले छोटे व्यापारियों के संगठन कैट ने 28 प्रतिशत कर दायरे में रखी गई वस्तुओं की पुनर्समीक्षा की मांग की है और कहा है कि इसे सिर्फ विलासी वस्तुओं पर ही लगाया जाना चाहिए। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली पूर्ण अधिकार प्राप्त जी.एस.टी. परिषद की कल लॉटरी पर कर की दर और ई-वे से संबंधित नियम बनाने और मुनाफा वसूली रोधी कदम तय करने के लिए बैठक करेगी। इस परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं। कैट ने एक बयान में माल एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) के तहत 28 प्रतिशत की कर दायरे में रखी गई वस्तुओं के वर्गीकरण पर सवाल उठाया है। उसने जेतली से इन वस्तुओं की पुनर्समीक्षा की मांग की है। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि कर की यह दर व्यापारियों के बीच व्याकुलता का प्रमुख कारण बन गई है जो पिछले दो दिन से हड़ताल पर हैं और इन वस्तुओं को संबंधित निचली दरों के तहत रखने की मांग कर रहे हैं। कैट का कहना है कि इस कर दर को केवल विलासी वस्तुओं पर लगाया जाना चाहिए।