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खेत से लेकर किसानों की जेब तक दिखने लगा कृषि क्षेत्र में सुधार के उपायों का असर
Posted Date : 04-Aug-2017 6:18:15 pm

खेत से लेकर किसानों की जेब तक दिखने लगा कृषि क्षेत्र में सुधार के उपायों का असर

नई दिल्ली,(आरएनएस)। कृषि क्षेत्र में सुधार के उपायों का असर खेतों से लेकर किसानों की जेब तक होने लगा है। खेती की लागत में कटौती करने की सरकार की मंशा सिरे चढऩे लगी है। फसल की अधिक उपज लेने की चाहत में फर्टिलाइजर के अंधाधुंध प्रयोग पर अंकुश दिखना शुरू हो गया है। जबकि रासायनिक खाद के संतुलित प्रयोग से उपज की पैदावार में बढ़त दर्ज की गई है। मिट्टी की सेहत जांचने की सरकार की योजना के सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं। खेती की लागत में कमी लाने और पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार ने दोहरी योजना बनाई। इसके तहत लागत घटाने के कई उपाय किए गए, जिसमें मिट्टी की जांच को उच्च प्राथमिकता दी गई। कुल 12 करोड़ किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड देने का लक्ष्य तय किया गया। दो वर्ष के भीतर अब तक नौ करोड़ लोगों को यह कार्ड वितरित भी कर दिया गया है। मिट्टी की जांच होने के चलते बेहिसाब रासायनिक खादों के प्रयोग पर रोक लगी। उर्वरक की खपत में 10 फीसद तक की कमी आई है। कम खाद के इस्तेमाल के बावजूद 12 फीसद तक पैदावार में वृद्धि दर्ज की गई है। खेती की लागत घटाने में सफलता मिली है। संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने यह रिपोर्ट पेश की। 1समिति के सदस्यों ने स्वायल हेल्थ कार्ड के बारे में विस्तार से जानकारी मांगते हुए इसके फौरी नतीजे बताने को कहा। सिंह ने स्वायल हेल्थ कार्ड से किसानों में आई जागरूकता के बारे में बताया। कृषि मंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने के अन्य उपायों के संबंध में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि खेती के साथ अन्य उद्यम पर जोर दिया जा रहा है। पशुपालन, मुर्गीपालन, बकरीपालन, मत्स्यपालन, मधुमक्खीपालन के साथ कृषि वानिकी जैसी योजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। स्वायल हेल्थ कार्ड बनाने के मामले में 16 राज्यों ने पूर्ण लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। जबकि नौ राज्यों में इसी महीने के आखिर तक लक्ष्य पूरा हो जाएगा। लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब, असम, जम्मू-कश्मीर और मणिपुर जैसे सात राज्यों में स्वायल हेल्थ कार्ड बनाने की गति बहुत धीमी है।

 

सरकार को नीतिगत ब्याज दर में कटौती की उम्मीद
Posted Date : 04-Aug-2017 6:17:34 pm

सरकार को नीतिगत ब्याज दर में कटौती की उम्मीद

नई दिल्ली,(आरएनएस)।  विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए सरकार इस बार भारतीय रिजर्व बैंक का पूरा साथ चाहती है। निचली ब्याज दरों को अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए अहम मान रही सरकार चाहती है कि रिजर्व बैंक की तरफ से आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कम से कम 50 अंकों यानी आधा फीसद की कमी की जाए। सरकार की राय है कि महंगाई की दर से लेकर अर्थव्यवस्था के बाकी संकेतक भी इसके पक्ष में हैं। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) आगामी सप्ताह में दो दिवसीय बैठक में अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करेगी और इस आधार पर ब्याज दर के संबंध में फैसला लेगी। सूत्र बताते हैं कि शुक्रवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक में उन्हें इस बात का स्पष्ट संकेत दे दिया गया है कि सरकार क्या चाहती है। बीते माह थोक और खुदरा महंगाई दोनों की दरें ऐतिहासिक तौर पर नीचे आ चुकी हैं और ये रिजर्व बैंक के चार फीसद के लक्ष्य से नीचे चल रही हैं। पिछली अर्ध तिमाही समीक्षा में भी सरकार रिजर्व बैंक से ब्याज दर में कटौती की उम्मीद लगाये थी। लेकिन रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को यथावत बनाये रखा था। इस पर वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने खुले तौर पर रिजर्व बैंक की आलोचना की थी। इस बार रिजर्व बैंक की मौद्रिक समिति की बैठक एक और दो अगस्त को मुंबई में होनी है। दो अगस्त को ही गवर्नर समिति के निर्णय की घोषणा करेंगे। वित्त मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक सरकार को लगता है कि ब्याज दरों में कटौती का यह मुफीद समय है। महंगाई की दरें कम हैं, कारखानों की रफ्तार धीमी है, अर्थव्यवस्था को आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहक निर्णय की आवश्यकता है। रिजर्व बैंक के सामने मौका है कि वह अर्थव्यवस्था की रफ्तार में सहायक बने। सूत्र बताते हैं कि वित्त मंत्रलय के अधिकारियों के साथ पटेल की बैठक में सरकार की इस राय से उन्हें अवगत भी करा दिया गया है। पिछले दिनों अर्थशास्त्रियों के बीच हुए सर्वे में भी दो तिहाई से अधिक ने ब्याज दरों में कटौती की संभावना जतायी है। जिन 56 अर्थशास्त्रियों को सर्वे में शामिल किया गया था उनमें से 40 का मानना है कि रिजर्व बैंक 25 बेसिस प्वाइंट यानी 0.25 फीसद कटौती कर सकता है। केवल दो अर्थशास्त्री मानते हैं कि यह कटौती 50 बेसिस प्वाइंट यानी आधा फीसद की हो सकती है। जबकि 14 अर्थशास्त्री ऐसे हैं जो यह मानते हैं कि दो अगस्त की समीक्षा में भी रिजर्व बैंक रेपो रेट की दरों को यथावत बनाये रख सकता है।

 

एटीएम के जरिए 15 लाख तक का इंस्टैंट पर्सनल लोन देगा आईसीआईसीआई बैंक
Posted Date : 21-Jul-2017 6:47:59 pm

एटीएम के जरिए 15 लाख तक का इंस्टैंट पर्सनल लोन देगा आईसीआईसीआई बैंक

नई दिल्ली,(आरएनएस)। देश के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक ने अपने पर्सनल लोन बिजनेस के विस्तार के लिए एक नई पेशकश की है। बैंक अपने एटीएम के जरिए 15 लाख रुपए तक का पर्सनल लोन देगा। जानकारी के लिए बता दें कि यह लोन चुनिंदा वेतनभोगी ग्राहकों को ही मिल सकता है, फिर चाहे इसके लिए उन्होंने पहले से कोई आवेदन न किया हो। आईसीआईसीआई बैंक पर्सनल लोन के लिए योग्य ग्राहकों को पहले ही सलेक्ट कर लेगा। इसके लिए वह क्रेडिट इंफोर्मेशन कंपनियों से प्राप्त डेटा का इस्तेमाल करेगा। इस प्रक्रिया के तहत चुने गए ग्राहकों को एटीएम में लेनदेन पूरा करने के बाद स्क्रीन पर एक मैसेज भेजा जाएगा। इसमें पर्सनल लोन के लिए उनकी योग्यता के बारे में बताया जाएगा। आईसीआईसीआई बैंक ने अपने एक बयान में बताया है कि अगर कोई ग्राहक पर्सनल लोन के विकल्प का चयन करता है, तो वह पांच साल की अवधि तक के लिए 15 लाख रुपए तक का पर्सनल लोन प्राप्त कर सकता है। ग्राहक के एकाउंट में लोन की राशि तुरंत जमा कर दी जाएगी और वह उसे अपने एटीएम के जरिये निकाल सकेगा। बैंक यह सेवा शुरू कर चुका है। लोन प्रक्रिया पूर्ण होने से पहले ग्राहकों को लोन की राशि चुनने के लिए कई अलग अलग विकल्प दिए जाएंगे। इसके बाद ग्राहकों से ब्याज दर, प्रोसेसिंग फीस और मंथली इंस्टॉलमेंट की जानकारी की मांग की जाएगी। आईसीआईसीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक अनूप बागची ने बताया कि यह ग्राहकों को सहुलियत से पैसा प्राप्त करने में मदद करेगी, अगर वह पर्सनल लोन के विकल्प का चयन करते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पेपरलेस होगी और ग्राहक एटीएम के जरिये धन राशि हासिल कर सकेंगे।

भारत दलहन और तिलहन में होगा आत्मनिर्भर : राधा मोहन सिंह
Posted Date : 21-Jul-2017 6:45:29 pm

भारत दलहन और तिलहन में होगा आत्मनिर्भर : राधा मोहन सिंह

नई दिल्ली,(आरएनएस)। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने भरोसा जताया है कि आने वाले वर्षों में भारत दलहन और तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा। सरकार इनका उत्पादन बढ़ाने के लिए बेहतर गुणवत्ता के बीज और तकनीक के उपयोग को लेकर कदम उठा रही है। घरेलू मांग को पूरा करने के लिए देश में अभी 50 लाख टन दाल और 1.45 करोड़ टन वनस्पति तेल (खाद्य और अखाद्य दोनों) हर साल आयात किया जाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के 89वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे सिंह ने कहा कि सरकार न केवल उत्पादन बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है, बल्कि कृषि को आय-केंद्रित बनाने के लिए भी प्रयासरत है। यह 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य का हिस्सा है। सिंह ने आइसीएआर के वैज्ञानिकों से इस लक्ष्य को पाने की दिशा में काम करने का आह्वान किया। साथ ही फसल की उपज और कृषि आय बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में कौशल विकास पर जोर दिया। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि व संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी 18 फीसद है। कृषि मंत्री बोले कि हरित क्रांति ने भारत को गेहूं और चावल में आत्मनिर्भर बनाने में मदद की। लेकिन, देश अब भी घरेलू मां" को पूरा करने के लिए दलहन और तिलहन का आयात कर रहा है। इसमें भारी मात्र में विदेशी मुद्रा खर्च होती है। मंत्री के मुताबिक, फसल वर्ष 2016-17 में दालों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। इस वर्ष बुवाई क्षेत्र भी ज्यादा है। देश आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अगले दो से तीन सालों में हम दालों में आत्मनिर्भर हो जाएंगे। तिलहन पर वह बोले कि देशभर में 600 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के जरिये इनकी उत्पादकता और उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। देश में दालों का उत्पादन 2016-17 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में बढ़कर 2.24 करोड़ टन हो गया। पिछले फसल वर्ष में यह 16.15 करोड़ टन था। इसी प्रकार बीते साल के मुकाबले तिलहन का उत्पादन 29 फीसद बढ़कर 3.25 करोड़ टन पर पहुंच गया।

 

दिल्ली-एनसीआर में पहली छमाही में घरों की बिक्री 26 प्रतिशत घटी
Posted Date : 15-Jul-2017 5:42:08 pm

दिल्ली-एनसीआर में पहली छमाही में घरों की बिक्री 26 प्रतिशत घटी

नई दिल्ली,(आरएनएस)। दिल्ली-एनसीआर में 2017 की पहली छमाही में घरों की बिक्री 26 फीसदी गिरी है। नाइट फ्रैंक इंडिया के मुताबिक, नोटबंदी के बाद भी घरों की डिमांड सुस्त बनी हुई है। पिछले 18 महीनों में कीमतों में 20 फीसदी करेक्शन हुआ है, लेकिन घरों की डिमांड इसके बावजूद नहीं बढ़ी है। दिल्ली-एनसीआर के प्रॉपर्टी मार्केट में अनसोल्ड घरों का स्टॉक 1.8 लाख यूनिट्स पर बना हुआ है। यह देश में सबसे ज्यादा है। इसे बेचने में डिवेलपर्स को साढ़े चार साल तक का वक्त लग सकता है।
नाइट फ्रैंक इंडिया ने कहा है कि 2017 की पहली छमाही में 17,188 यूनिट्स की बिक्री हुई, जबकि एक साल पहले की इसी अवधि में 23,092 यूनिट्स की बिक्री हुई थी। इस तरह से इसमें 26 फीसदी की गिरावट दिखाई देती है। इससे पहले के छह महीनों के मुकाबले घरों की बिक्री में 2 फीसदी की मामूली बढ़त दिखाई दी है। नोटबंदी के बाद सबसे कम छमाही सेल्स का सामना इंडस्ट्री को करना पड़ा। नाइट फ्रैंक इंडिया के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर (एडवाइजरी, रिटेल एंड हॉस्पिटैलिटी) गुलाम जिया ने बताया, एनसीआर मार्केट लगातार गिरावट का शिकार हो रहा है। एनसीआर हाउसिंग मार्केट एक बुरे दौर से गुजर रहा है। नाइट फ्रैंक इंडिया ने जनवरी से जून 2017 के लिए इंडिया रियल एस्टेट- रेजिडेंशल ऐंड ऑफिस रिपोर्ट जारी की है। इसमें देश के टॉप शहरों को शुमार किया गया है। नए प्रॉजेक्ट लॉन्च के बारे में जिया ने कहा कि यह एक नए लो पर पहुंच गया है। इस साल के पहले छह महीने में नई लॉन्चिंग में 73 फीसदी की गिरावट आई है और यह 4,800 यूनिट्स पर पहुंच गई है। इसमें से 70 फीसदी 25 लाख रुपये से कम कीमत वाले घर हैं।

सितंबर तक ट्रेन टिकट पर नहीं लगेगा सर्विस चार्ज
Posted Date : 15-Jul-2017 5:41:17 pm

सितंबर तक ट्रेन टिकट पर नहीं लगेगा सर्विस चार्ज

नई दिल्ली,(आरएनएस)। सरकार ने रेल टिकट की ऑनलाइन बुकिंग पर सर्विस चार्ज की छूट सीमा को सितंबर महीने तक बढ़ा दिया है। जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने बीते वर्ष आठ नवंबर को नोटबंदी लागू होने के बाद ग्राहकों के बीच ऑनलाइन बुकिंग को प्रोत्साहित देने के लिए सर्विस चार्ज हटा दिया था। आईआरसीटीसी के माध्यम से रेल टिकट बुक करने पर 20 रुपये से 40 रुपये प्रति टिकट का सर्विस चार्ज लगता है। नोटबंदी के बाद सरकार ने 23 नवंबर, 2016 से 31 मार्च, 2017 के बीच टिकट बुकिंग पर सर्विस चार्ज से छूट दी थी। अब इसे बढ़ाकर 30 जून, 2017 तक कर दिया गया है। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अब सरकार ने इस समयसीमा को सितंबर के आखिर तक बढ़ा दिया है। यानी अब आप सितंबर तक सस्ते रेल सफर का लुत्फ उठा सकते हैं। रेलवे जल्द ही आम यात्रियों को सस्ते में एसी का सफर करवाने की योजना बना रहा है। अगर आप सोच रहे हैं कि रेलवे एसी कोच के किराए में कटौती करने की योजना बना रहा है तो आप गलत हैं। दरअसल अब रेलवे ट्रेन में नए एसी कोच को जोडऩे की तैयारी कर रहा है, जिन्हें इकोनॉमी एसी क्लास नाम दिया जाएगा। इन नए एसी कोचों का किराया अभी के थर्ड एसी कोच के किराए से भी कम होगा। यानी ट्रेन में टिकट बुकिंग के दौरान आपको इकोनॉमी एसी कोच में सफर का विकल्प दिया जाएगा। प्रस्तावित फुल एसी ट्रेन में फस्र्ट एसी, सेकंड एसी और थर्ड एसी के अलावा 'इकॉनमी एसी क्लासÓ के 3 टियर कोच होंगे। बता दें कि फिलहाल मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में स्लीपर के अलावा सिर्फ तीन कैटिगरी फस्र्ट एसी, सेकंड एसी और थर्ड एसी के एसी कोच ही होते हैं। वहीं, राजधानी, शताब्दी और हमसफर जैसी ट्रेनें फुल एसी होती हैं। 'इकॉनमी एसी क्लासÓ में पैसेंजर्स को कंबल की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि उसका टेंपरेचर 24-25 डिग्री सेल्सियस होगा।