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अमृत 2.0 योजना के तहत शहरों को जल सुरक्षा देने 66,750 करोड़ हुए आवंटित
Posted Date : 03-Dec-2024 6:10:55 pm

अमृत 2.0 योजना के तहत शहरों को जल सुरक्षा देने 66,750 करोड़ हुए आवंटित

नई दिल्ली। शहरों को आत्मनिर्भर बनाने और जल सुरक्षा देने के लिए अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत) 2.0 योजना के तहत परियोजनाओं के लिए 66,750 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता आवंटित की गई है। यह जानकारी हाल ही में संसद को दी गई।
आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री तोखन साहू ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि इसमें से 63,976.77 करोड़ रुपये पहले ही राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को स्वीकृत किए जा चुके हैं और अब तक 11,756.13 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्रीय हिस्से के 6,539.45 करोड़ रुपये के उपयोग की सूचना दी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुल मिलाकर, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा रिपोर्ट किया गया कुल व्यय 17,089 करोड़ रुपये है और 23,016.30 करोड़ रुपये के कार्य फिजिकली पूरे हो चुके हैं।
अमृत 2.0 के लिए कुल इंडीकेटिव आउटले 2,99,000 करोड़ रुपये है, जिसमें पांच वर्षों के लिए 76,760 करोड़ रुपये की कुल केंद्रीय सहायता शामिल है।
अमृत 2.0 योजना 1 अक्टूबर, 2021 को शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य 500 अमृत शहरों में सीवरेज और सेप्टेज मैनेजमेंट की यूनिवर्सल कवरेज प्रदान करना है।
इसके अलावा, इस योजना के दूसरे मिशन में जल निकायों का पुनरुद्धार, हरित स्थानों और पार्कों का विकास और जल के क्षेत्र में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने के लिए टेक्नोलॉजी सब-मिशन शामिल है।
अमृत 2.0 पोर्टल पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 15 नवंबर, 2024 तक 1,15,872.91 करोड़ रुपये की 5,886 परियोजनाओं के लिए टेंडर जारी किए गए हैं, जिनमें से 85,114.01 करोड़ रुपये की 4,916 परियोजनाओं के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिए जा चुके हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बाकी परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
इस योजना के तहत शुरू की गई परियोजनाएं लंबी अवधि की निर्माण अवधि वाली बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं हैं।
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अमृत के तहत किए गए कार्यों के आकलन और निगरानी के लिए स्वतंत्र समीक्षा और निगरानी एजेंसियों (आईआरएमए) का प्रावधान है।
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा परियोजनाओं की प्रगति और निगरानी पर नजर रखने के लिए एक समर्पित अमृत 2.0 ऑनलाइन पोर्टल उपलब्ध है।

 

निजी पूंजीगत व्यय, कृषि वृद्धि, और बढ़ती खपत से जीडीपी में तेज उछाल की उम्मीद
Posted Date : 02-Dec-2024 6:54:29 pm

निजी पूंजीगत व्यय, कृषि वृद्धि, और बढ़ती खपत से जीडीपी में तेज उछाल की उम्मीद

नई दिल्ली। भारत की दूसरी तिमाही की जीडीपी वृद्धि में गिरावट को अस्थायी माना जा रहा है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, जीडीपी वृद्धि में यह गिरावट मौसमी मानसून के प्रभाव और चुनाव संबंधी कारकों की वजह से रही।
जानकारों का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 की जनवरी-मार्च अवधि तक इसमें सुधार आना शुरू हो जाना चाहिए। वहीं, इक्विटी बाजारों के लिए, इस डेटा का कोई खास प्रभाव पडऩे की संभावना नहीं देखी जा रही।
ओमनीसाइंस कैपिटल के सीईओ और मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. विकास गुप्ता ने कहा, मार्केट सेंटीमेंट में किसी भी तरह का शॉर्ट-टर्म डिप सरप्लस फंड वाले निवेशकों के लिए लॉन्ग-टर्म पॉजिशन बनाने का अवसर ला सकती है क्योंकि प्रमुख खपत और सेवा क्षेत्रों में मजबूती देखी जा रही है।
निजी खपत में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो जीडीपी वृद्धि दर और वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में दर्ज 2.6 प्रतिशत दोनों से काफी अधिक है। जिन्हें डेटा में सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
डॉ. विकास गुप्ता ने आगे कहा, निजी खपत में कमजोरी के बारे में हाल की चिंताएं दूर हो गई हैं। सरकारी खपत में पिछली तिमाही से सुधार हुआ है, लेकिन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में यह कम है, जो चुनावों से पहले खर्च को लेकर बरती गई सतर्कता को दिखाता है।
प्राथमिक सेक्टर ने मामूली जीवीए वृद्धि के साथ स्थिरता दिखाई, हालांकि खनन मानसून से प्रभावित हुआ।
द्वितीयक सेक्टर में, निर्माण क्षेत्र ने मजबूत प्रदर्शन जारी रखा।
सबसे खास बात तृतीयक क्षेत्र रहा, जिसने 7.1 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की, जो निजी और सरकारी खपत के लचीलेपन को दर्शाता है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री जाह्नवी प्रभाकर के अनुसार, नरमी के बावजूद, निजी खपत ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 6 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर्ज की, जो वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 2.6 प्रतिशत थी।
अनुकूल मानसून और उच्च खरीफ उत्पादन के समर्थन से, कृषि क्षेत्र ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 3.5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दिखाई, जबकि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 1.7 प्रतिशत थी।
प्रभाकर ने कहा, सरकारी और निजी पूंजीगत व्यय, मजबूत कृषि विकास और उपभोग मांग में उछाल के कारण वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में तेज उछाल की उम्मीद है, वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि 6.6-6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
रियल एस्टेट की मांग स्थिर बनी हुई है। रियल एस्टेट बाजार के प्रति खरीदार की रुचि और डेवलपर की भावना दोनों स्थिर बनी हुई है।

 

भारत में वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही में एआईएफ निवेश 4.49 लाख करोड़ रहा
Posted Date : 02-Dec-2024 6:54:10 pm

भारत में वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही में एआईएफ निवेश 4.49 लाख करोड़ रहा

मुंबई । भारत में वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) निवेश करीब 4.5 लाख करोड़ रुपये रहा है। इसकी वजह देश की अर्थव्यवस्था का तेजी से बढऩा है। यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
एनारॉक रिसर्च द्वारा संकलित ताजा सेबी डेटा से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही तक विभिन्न क्षेत्रों में किए गए कुल 4,49,384 करोड़ रुपये के एआईएफ निवेश में रियल एस्टेट की हिस्सेदारी सबसे अधिक 75,468 करोड़ रुपये या 17 प्रतिशत थी।
एनारॉक की रिपोर्ट में बताया गया कि समीक्षा अवधि में अन्य क्षेत्रों आईटी/आईटीईएस में 27,815 करोड़ रुपये, वित्तीय सेवाओं में 25,782 करोड़ रुपये , एनबीएफसी में 21,503 करोड़ रुपये, बैंकों में 18,242 करोड़ रुपये, फार्मा में 17,272 करोड़ रुपये, एफएमसीजी में 11,680 करोड़ रुपये, रिटेल में 11,389 करोड़ रुपये, रिन्यूएबल एनर्जी में 10,672 करोड़ रुपये और अन्य क्षेत्रों में 2,29,571 करोड़ रुपये का एआईएफ निवेश आया है।
भारत में एआईएफ में निवेश के लिए उपलब्ध फंडों की संख्या में बीते एक दशक में मजबूत वृद्धि देखी गई है। पिछले छह वर्षों में एआईएफ की समग्र प्रतिबद्धता में 340 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। यह वित्त वर्ष 2019 में 2,82,148 करोड़ रुपये से बढक़र वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में 12,43,083 करोड़ रुपये हो गई, जो अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड में निवेश के रुझान को दिखाती है।
वित्त वर्ष 2013 से लेकर वित्त वर्ष 2024 के बीच एफआईएफ में निवेश प्रतिबद्धता में 83.4 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़त देखने को मिली है, जो दर्शाता है कि व्यापक निवेश पारिदृश्य में इसका महत्व बढ़ता जा रहा है।
एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, एआईएफ के माध्यम से रियल एस्टेट क्षेत्र में कुल निवेश वित्त वर्ष 2024 के अंत तक 68,540 करोड़ रुपये से बढक़र 2025 की पहली छमाही में 75,468 करोड़ रुपये हो गया है। यह आधे वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि को दिखाता है।
पुरी ने आगे कहा कि जब आप डेटा को गहराई से देखेंगे तो एफआई गतिविधियों में बढ़त 2 एआईएफ कैटेगरी द्वारा संचालित हो रही है, जिसमें रियल एस्टेट फंड्स, प्राइवेट इक्विटी, डेट फंड और फंड ऑफ फंड्स आते हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि परंपरागत रूप से घरेलू निवेशक ही एआईएफ फंडिंग का प्राथमिक स्रोत रहे हैं। हालांकि, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भी विशेषकर कैटेगरी 2 एआईएफ में आगे आ रहे हैं। इस श्रेणी में अब घरेलू निवेशकों के साथ-साथ एफपीआई की भी लगभग बराबर की भागीदारी है।

 

भारतीय एबीएफसी का एयूएम वित्त वर्ष 2025 से 2026 के बीच 17 प्रतिशत तक की दर से बढ़ेगा
Posted Date : 02-Dec-2024 6:53:43 pm

भारतीय एबीएफसी का एयूएम वित्त वर्ष 2025 से 2026 के बीच 17 प्रतिशत तक की दर से बढ़ेगा

नई दिल्ली। भारतीय नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) की एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) वृद्धि दर वित्त वर्ष 25 और वित्त वर्ष 26 में 15 से 17 प्रतिशत के बीच रह सकती है। यह जानकारी सोमवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई कि एयूएम वृद्धि दर वित्त वर्ष 14 से वित्त वर्ष 24 के बीच हुई औसत वृद्धि 14 प्रतिशत से ऊपर रहेगी।
एनबीएफसी के दो सबसे पारंपरिक सेगमेंट वाहन और होम लोन, जिनका कुल एयूएम में 45 प्रतिशत योगदान है, आगे भी एयूएम में वृद्धि में अहम भूमिका निभाएंगे।
रिपोर्ट में कहा गया कि होम लोन के 13-14 प्रतिशत के स्थिर सीएजीआर से बढऩे की उम्मीद है क्योंकि नीतिगत पहल जैसे कि ब्याज सब्सिडी योजना की पुन: शुरूआत से पूरे सेक्टर को फायदा होगा।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (एचएफसी), जिनका फोकस 25 लाख रुपये के लोन पर होता है। उनकी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 22 से लेकर 23 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद है। इस दौरान वाहन फाइनेंस सेगमेंट 15 से 16 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, नए वाहनों की यूनिट्स में बिक्री वृद्धि कम रहेगी, लेकिन उच्च वैल्यू वाले वाहनों के खरीदे जाने के कारण एयूएम वृद्धि दर को सहारा मिलेगा। इससे एनबीएफसी के वाहन लोन सेगमेंट में वृद्धि होगी।
क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर, अजीत वेलोनी ने कहा कि अधिकांश बड़ी एनबीएफसी ने पिछली तीन तिमाहियों में पूंजी बाजार उपकरण, विदेशी मुद्रा में उधार और प्रतिभूतिकरण जैसे वैकल्पिक फंडिंग स्रोतों का उपयोग किया है।
फंडिंग एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैक्टर है जो एनबीएफसी के विकास को प्रभावित करता है। एनबीएफसी को बैंक लोन, जो पिछले 5-6 वर्षों में काफी हद तक सहायक रहा है, नवंबर 2023 से 13-13.5 लाख करोड़ रुपये के दायरे में बना हुआ है।

 

एसबीआई में बंद पड़े खाते को फिर से शुरू करने का मौका, बैंक ने शुरू किया नया कैंपेन
Posted Date : 01-Dec-2024 7:53:27 pm

एसबीआई में बंद पड़े खाते को फिर से शुरू करने का मौका, बैंक ने शुरू किया नया कैंपेन

नईदिल्ली। एसबीआई में बंद पड़े सेविंग और करेंट अकाउंट को फिर से शुरू करने का अच्छा मौका है। दरअसल, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने निष्क्रिय खातों  को सक्रिय करने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है। बैंक ने कहा कि बचत या चालू खाते को तब निष्क्रिय माना जाता है, जब ग्राहक ने दो साल से अधिक समय तक खाते में कोई लेन-देन नहीं किया हो। एसबीआई ने एक बयान में कहा कि इन खातों को सक्रिय करने के लिए पुन: केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। 
खाते में नियमित लेन-देन की आवश्यकता और निष्क्रिय खातों की श्रेणी में आने से रोकना मुख्य संदेश है। एसबीआई के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने पीएमजेडीवाई (प्रधानमंत्री जनधन योजना) खातों को सक्रिय स्थिति में बनाए रखने और ग्राहकों को निर्बाध रूप से लेन-देन करने में सक्षम बनाने के लिए पुन: केवाईसी प्रक्रिया को अक्षरश: लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बैंक प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे इस अंतर को पाटने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करें तथा अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचें, जिससे ग्राहक अनुभव बेहतर हो। 
कैंपेन की शुरुआत से पहले, एसबीआई ने गुरुग्राम में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित किया, ताकि आम लोगों को निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके। कार्यशाला में पीएमजेडीवाई खातों के महत्व और निष्क्रिय खातों को फिर से सक्रिय करने के महत्व पर जोर दिया गया। इसके अतिरिक्त, कार्यशाला में ग्राहक सेवा बिंदुओं (सीएसपी) को उनके जोखिम प्रोफाइल के आधार पर वर्गीकृत करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) मॉडल के कार्यान्वयन को प्रदर्शित किया गया। प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर, एसबीआई बैंकिंग उद्योग में जोखिम प्रबंधन और परिचालन दक्षता के लिए एक नया मानक स्थापित कर रहा है, साथ ही नियामक अनुपालन में सुधार और बेहतर ग्राहक सेवा प्रदान कर रहा है। उद्योग की मांग से निपटने के लिए नई पहल शुरू करने और चैनल को अधिक लचीला, जोखिम कम करने वाला और ग्राहक उन्मुख बनाने में एसबीआई द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।

 

आरबीआई एमपीसी, पीएमआई और वैश्विक आर्थिक आंकड़ों से अगले हफ्ते तय होगी शेयर बाजार की चाल
Posted Date : 01-Dec-2024 7:53:11 pm

आरबीआई एमपीसी, पीएमआई और वैश्विक आर्थिक आंकड़ों से अगले हफ्ते तय होगी शेयर बाजार की चाल

नई दिल्ली । शेयर बाजार का रुख अगले हफ्ते होने वाली भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति कमेटी (आरबीआई-एमपीसी) की बैठक, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज पीएमआई का डेटा और कई वैश्विक आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगा।
महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन महायुति की जीत से बीता हफ्ता शेयर बाजार के लिए शानदार रहा। इस दौरान निफ्टी 223 अंक या 0.94 प्रतिशत बढक़र 24,131 और सेंसेक्स 685 अंक या 0.87 प्रतिशत बढक़र 79,802 पर बंद हुआ।
हालांकि, वैश्विक अस्थिर के कारण बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। बैंकिंग शेयरों ने इस रैली में अहम भूमिका निभाई। बैंक निफ्टी 920 अंक या 1.80 प्रतिशत की तेजी के साथ 52,055 पर बंद हुआ। इस दौरान देश के सबसे बड़े निजी बैंक एचडीएफसी बैंक के शेयर ने नया 1,836 रुपये का नया ऑल-टाइम हाई बनाया।
पिछले हफ्ते साप्ताहिक आधार पर विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा की जाने वाली बिकवाली में कमी देखने को मिली है। 25 नवंबर से लेकर 29 नवंबर तक एफआईआई द्वारा कैश में 5,026 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई। इस दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 6,924 करोड़ रुपये की खरीदरी की गई।
जियोजित फाइनेंसियल सर्विसेज के रिसर्च प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि बाजार की चाल आने वाले आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगी। वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रही है। इसका बाजार का प्रभाव देखने को मिल सकता है, लेकिन निवेशकों की निगाहें आरबीआई एमपीसी पर होंगी। इस बार रेपो रेट यथावत रहने की संभावना है, लेकिन विकास दर कम रहने के कारण केंद्रीय बैंक फरवरी में ब्याज दरों में कटौती के संकेत दे सकता है।
आगे कहा कि अन्य आर्थिक संकेतक जैसे सर्विसेज और मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई डेटा, ऑटो बिक्री और अमेरिकी नौकरी डेटा से बाजार का रुख तय होगा।
मास्टर कैपिटल सर्विसेज के डायरेक्टर, पल्का अरोड़ा चोपड़ा का कहना है कि निफ्टी 23,800 के सपोर्ट के ऊपर बंद हुआ है। यह लगातार दूसरा हफ्ता था, जब निफ्टी सकारात्मक बंद हुआ है। 23,800 से लेकर 23,850 का जोन एक अहम सपोर्ट जोन है। अगर निफ्टी इसके नीचे फिसलता है, तो 23,400 तक जा सकता है। 24,800 के बाद एक रैली देखने को मिल सकती है।
उन्होंने आगे कहा कि बैंक निफ्टी में बीते हफ्ते मजबूती देखी गई और इसने 51,750 से लेकर 51,850 का अपना सपोर्ट जोन तोड़ा नहीं है। अगर बैंक निफ्टी यहां से फिसलता है तो 51,100 तक जा सकता है और 52,400 एक रुकावट का स्तर है। अगर यह इसे तोड़ता है तो 53,000 तक जा सकता है।