नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने 34,615 करोड़ रुपये के दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) ऋण धोखाधड़ी मामले में कंपनी के पूर्व निदेशकों कपिल और धीरज वधावन को दी गई डिफॉल्ट जमानत को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, प्रतिवादी-अभियुक्त आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 (2) के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत के वैधानिक अधिकारों का दावा इस आधार पर नहीं कर सकते कि अन्य आरोपियों की जांच लंबित है।
पीठ ने कहा कि अगर वधावन बंधुओं को डिफॉल्ट जमानत देने वाले आदेश के अनुसार रिहा कर दिया गया है तो उन्हें हिरासत में ले लिया जाएगा। शीर्ष अदालत ने सीबीआई द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि विशेष अदालत और उच्च न्यायालय दोनों ने कानून संबंधी गंभीर गलतियां की हैं। अपने मई 2023 के आदेश में दिल्ली उच्च न्यायालय ने राउज़ एवेन्यू के विशेष न्यायाधीश द्वारा सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत देने के आदेश को बरकरार रखा था।
विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने दिसंबर 2022 में वधावन बंधुओं को यह कहते हुए वैधानिक जमानत दे दी कि निर्धारित समय के भीतर दायर आरोप पत्र अधूरा है और इसलिए वे कानून के अनुसार अनिवार्य जमानत के हकदार थे।
डीएचएफएल, इसके पूर्व सीएमडी कपिल वधावन, एमडी धीरज वधावन और सरकारी अधिकारियों समेत अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी के साथ पठित 409, 420, 477-ए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) के साथ धारा 13(1)(डी) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। उन पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व में 17 बैंकों के कंसोर्टियम को 42,871.42 करोड़ रुपये के भारी ऋण स्वीकृत करने के लिए प्रेरित करने का आरोप था।
आरोपी ने कथित तौर पर डीएचएफएल की खाताबही में हेराफेरी करके उक्त धनराशि के एक महत्वपूर्ण हिस्से का गबन और दुरुपयोग किया और वैध बकाया के पुनर्भुगतान में बेईमानी से चूक की, जिससे कंसोर्टियम ऋणदाताओं को 34,615 करोड़ रुपये का गलत नुकसान हुआ।
नई दिल्ली । माइक्रोसॉफ्ट ने नए टूल की घोषणा की है, जो यूजर्स को टीम मीटिंग के दौरान ऑडियो और वीडियो सेटिंग्स को तुरंत कंट्रोल करने की अनुमति देगा। नए टूल माइक्रोसॉफ्ट टीम्स पब्लिक प्रीव्यू के लिए उपलब्ध अपडेट का हिस्सा हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने मंगलवार को एक ब्लॉगपोस्ट में कहा, माइक्रोसॉफ्ट टीम्स पब्लिक प्रीव्यू यूजर्स अब टीम्स मीटिंग के दौरान ऑडियो और वीडियो सेटिंग्स को तुरंत एडजस्ट कर सकते हैं। इसमें कहा गया है, मीटिंग के दौरान ऑडियो और वीडियो सेटिंग मैनेज करना मुश्किल और ध्यान भटकाने वाला हो सकता है। अब, आप सेटिंग्स की कई लेयर्स के जरिए नेविगेट किए बिना, उन सेटिंग्स तक आसानी से पहुंच सकते हैं और प्रमुख ऑडियो और वीडियो फीचर्स को कंट्रोल कर सकते हैं।
इसके अलावा, कंपनी ने कहा कि यूजर्स मीटिंग टूलबार से सिंगल टच के साथ की एवी फीचर्स तक तुरंत एक्सेस कर सकते हैं, या सीधे तरीके से साइड पैनल पर अतिरिक्त ऑप्शन तक पहुंच सकते हैं। इन फीचर्स का उपयोग करने के लिए, यूजर्स को मीटिंग के दौरान मीटिंग टूलबार पर ‘कैमरा’ बटन या ‘माइक’ बटन के नीचे की ओर एरो पर क्लिक करना होगा, और फिर साइड पैनल खोलने के लिए मेनू के नीचे या तो मोर वीडियो ऑप्शन लिंक या मोर ऑडियो ऑप्शन लिंक पर क्लिक करें।
कंपनी ने बताया कि यूजर्स मीटिंग टूलबार पर ज्यादा एक्शन बटन पर क्लिक करके और फिर ऑडियो सेटिंग्स या वीडियो इफेक्ट्स और सेटिंग्स का चयन करके भी उन सेटिंग्स तक पहुंच सकते हैं। नए फीचर्स आने वाले महीनों में सभी टीम्स यूजर्स के लिए शुरू किए जाएंगे। इस बीच, माइक्रोसॉफ्ट ने अपने एआई-पावर्ड टूल ‘रीडिंग कोच’ को स्टैंडअलोन ऐप के रूप में लॉन्च करना शुरू कर दिया है। यह टूल उन सभी यूजर्स के लिए नि:शुल्क होगा, जिनके पास माइक्रोसॉफ्ट अकाउंट है।
नई दिल्ली । विमानन निगरानी संस्था नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने एक एयरलाइन कर्मचारी द्वारा लंबी दूरी के महत्वपूर्ण मार्गों पर संचालित उड़ानों में सुरक्षा उल्लंघन का आरोप लगाने के बाद एयर इंडिया पर 1.10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। एक अधिकारी ने बुधवार को ये जानकारी दी।
विमानन नियामक के अनुसार, एक एयरलाइन कर्मचारी से सुरक्षा रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद, डीजीसीए ने कथित उल्लंघनों की जांच की। डीजीसीए ने कहा, चूंकि जांच में प्रथम दृष्टया एयरलाइन द्वारा गैर-अनुपालन का पता चला है, इसलिए एयर इंडिया लिमिटेड के जवाबदेह प्रबंधक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
इसमें कहा गया है, संबंधित वैधानिक प्रावधानों के तहत निर्धारित शर्तों और मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) द्वारा निर्धारित महत्वपूर्ण दस्तावेजों में निर्धारित प्रदर्शन सीमाओं के संबंध में कारण बताओ नोटिस की प्रतिक्रिया की विधिवत जांच की गई। डीजीसीए के महानिदेशक विक्रम देव दत्त ने कहा, चूंकि पट्टे पर दिए गए विमानों का संचालन नियामक/ओईएम प्रदर्शन सीमाओं के अनुरूप नहीं था, डीजीसीए ने प्रवर्तन कार्रवाई शुरू की और एयर इंडिया पर 1.10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया।
नई दिल्ली। गूगल क्रोम ब्राउजर में नई जेनरेटिव एआई फीचर्स पेश कर रहा है, जो आपके टैब को स्मार्ट तरीके से व्यवस्थित करेगा, एआई के साथ अपनी खुद की थीम बनाएगा और वेब पर चीजों को ड्राफ्ट करने में सहायता प्रदान करेगा।
क्रोम की लेटेस्ट रिलीज से शुरुआत करते हुए, कंपनी ने इसे ब्राउज करना और भी आसान और ज्यादा एफिशिएंट बनाने के लिए एक्सपेरिमेंटल जेनरेटिव एआई फीचर पेश किया है।
कंपनी ने कहा, आप अमेरिका में अगले कुछ दिनों में मैक और विंडोज पीसी पर क्रोम में इन नए फीचर्स को आजमा सकेंगे।
इन फीचर्स का उपयोग करने के लिए, क्रोम में साइन इन करें, 3 डॉट मेनू से ‘सेटिंग्स’ चुनें और ‘एक्सपेरिमेंटल एआई’ पेज पर नेविगेट करें।
चूंकि ये फीचर शुरुआती पब्लिक एक्सपेरिमेंट हैं, इसलिए गूगल ने कहा, अभी इन्हें एंटरप्राइज और एजुकेशनल अकाउंट्स के लिए डिसेबल कर दिया जाएगा।
टैब ऑर्गनाइजर के साथ, क्रोम ऑटोमैटिक रूप से आपके ओपन टैब के आधार पर टैब ग्रुप्स का सुझाव देगा और बनाएगा।
कंपनी के अनुसार, यह विशेष रूप से सहायक हो सकता है अगर आप एक ही समय में क्रोम में कई टास्क पर काम कर रहे हैं, जैसे ट्रिप की प्लानिंग करना, किसी टॉपिक पर रिसर्च करना और शॉपिंग करना।
पिछले साल, गूगल ने एंड्रॉयड 14 और पिक्सल 8 डिवाइस के साथ जेनेरिक एआई वॉलपेपर पेश किया था।
कंपनी ने कहा, अब हम वही टेक्स्ट-टू-इमेज डिफ्यूजन मॉडल क्रोम में ला रहे हैं ताकि आप अपने ब्राउजर को और भी ज्यादा पर्सनलाइज कर सकें। आप अपने द्वारा चुने गए सबजेक्ट, मूड, विजुअल स्टाइल और कलर के आधार पर कस्टम थीम तैयार करने में सक्षम होंगे।
अगले महीने के क्रोम रिलीज में, कंपनी यूजर्स को वेब पर ज्यादा आत्मविश्वास के साथ लिखने में मदद करने के लिए एक और एक्सपेरिमेंटल एआई-पावर्ड फीचर लॉन्च करेगा।
गूगल ने बताया, कुछ शब्द टाइप करें और हमारा एआई आपके लिए लिखने की प्रक्रिया शुरू कर देगा।
नोएडा। नोएडा अथॉरिटी में पहुंचकर 7 बिल्डरों ने अपने बकाया का 25 प्रतिशत 60 दिनों और बाकी के 75 प्रतिशत को ब्याज समेत किस्तों में जमा करने की सहमति दी है, जिससे 1,048 बायर्स की रजिस्ट्री का रास्ता साफ होता दिखाई दे रहा है। अमिताभ कांत की सिफारिश लागू होने के बाद मंगलवार को बिल्डर नोएडा अथॉरिटी के दफ्तर पहुंचे और अपनी सहमति जताई है। इससे करीब 35 करोड़ रुपए वापस आने की उम्मीद जगी है।
अमिताभ कांत समिति की रिपोर्ट में कुछ संशोधन कर पिछले महीने यूपी कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। इसके शासनादेश के तहत बिल्डरों को 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2022 तक जीरो पीरियड का लाभ दिया जाएगा। इससे उनका 20 से 24 प्रतिशत तक बकाया कम हो गया। जीरो पीरियड का फायदा लेने के लिए बिल्डरों को कुल बकाए में से 25 प्रतिशत राशि 60 दिन के अंदर और बाकी राशि अधिकतम तीन साल के अंदर देनी होगी।
जमा पैसों के अनुपात में नोएडा प्राधिकरण संबंधित बिल्डर की परियोजना में फ्लैट की रजिस्ट्री की अनुमति देगा। सरकार के इस निर्णय का फायदा बताने के लिए औद्योगिक विकास आयुक्त एवं नोएडा-ग्रेनो प्राधिकरण के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह ने 6 और 7 जनवरी को बिल्डरों के साथ बैठक की थी। चेयरमैन ने निर्देश दिए थे कि 8 और 9 जनवरी को प्राधिकरण के सीईओ के समक्ष इस पैकेज का लाभ उठाने के लिए सहमति पत्र दे दें। इसके बाद हाल ही में फिर बिल्डरों को प्राधिकरण में बुलाकर बकाया की जानकारी दी गई।
जिन बिल्डरों ने सहमति जताई है, उनमें सेक्टर-78 ग्रुप हाउसिंग प्लॉट नंबर 3 आईआईटीएल निबंस प्राइवेट लिमिटेड, सेक्टर-168 ई ग्रुप हाउसिंग 01 कैपिटल इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, सेक्टर-108 ग्रुप हाउसिंग 04 डिवाइन इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, सेक्टर-78 ग्रुप हाउसिंग 02 एचआर ओरेकल डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, सेक्टर-75 ग्रुप हाउसिंग 03 एम्स आरजी एंगल प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, सेक्टर-78 बी ग्रुप हाउसिंग 5 शनसाइन इंफ्रा वेल प्राइवेट लिमिटेड, सेक्टर-143 ग्रुप हाउसिंग 3ए गुलशन होम्स इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं।
नई दिल्ली । इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही इससे जुड़े खतरें भी बढ़ते जा रहे हैं। खासकर एआई के आने के बाद से साइबर अपराधियों को बेहतर टेक्नोलॉजी मिल गई है, जिससे वह लोगों का डेटा चुरा रहे हैं। हाल ही में एक बहुत बड़ी साइबर अटैक की खबर सामने आई है, जिसमें 2600 करोड़ रिकॉर्ड लीक हुए हैं। ये डेटाबेस इसलिए खतरनाक है क्योंकि इसमें कई बड़े प्लेटफॉर्म जैसे ट्विटर, ड्रॉपबॉक्स, लिंक्डइन, टेनसेंट, वीबो, एडोब, कैनवा और टेलीग्राम की संवेदनशील जानकारी शामिल है। इसमें लोगों के यूजरनेम और पासवर्ड कॉम्बिनेशन भी शामिल किए गए है। इन डेटा के बाहर आने से इन प्लेटफॉर्म के यूजर्स को पहचान की चोरी और फिशिंग के लिए संवेदनशील हो जाते हैं।
साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर्स ने हाल ही में एक बड़े डेटाबेस का जानकारी दी है , जिसमें 2600 करोड़ लीक हुए रिकार्ड शामिल है। रिपोर्ट में इसे सभी उल्लंघनों की जननी कहा जा रहा है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह अब तक का सबसे बड़ा ब्रीच है, जिसमें कई बड़े प्लेटफॉर्म के यूजर्स का डेटा शामिल है। रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है कि यह अब तक की सबसे बड़ी खोज है। इस डेटाबेस में ट्विटर, ड्रॉपबॉक्स और लिंक्डइन सहित कई साइटों की संवेदनशील जानकारी शामिल है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सिक्योरिटी डिस्कवरी और साइबरन्यूज के रिसर्चर्स ने इसकी जानकारी दी है और इसका आकार 12 टेराबाइट्स है। इतना ही नहीं इस डेटाबेस में चीनी मैसेजिंग दिग्गज टेनसेंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो के यूजर्स के रिकॉर्ड भी हैं।
इसके अलावा एडोब, कैनवा और टेलीग्राम के साथ साथ कुछ सरकारी संगठनों, जैसे चीनी प्लेटफार्मों के रिकॉर्ड भी शामिल है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि लीक हुए डेटा में कई यूजरनेम और पासवर्ड कॉम्बिनेशन भी शामिल हैं। ये एक बड़ा खतरा है क्योंकि इससे साइबर अपराधियों को करोड़ों लोगों की पहचान और उनकी संवेदनशील जानकारी मिल सकती है। इससे पहले भी कई हमले हुए है , जिसमें लाखों लोग प्रभावित हुए है। इसमें माइस्पेस (360 मिलियन), ट्विटर (281 मिलियन), लिंक्डइन (251 मिलियन) और एडल्टफ्रेंडफाइंडर (220 मिलियन) के डेटा ब्रीच शामिल है।