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भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती के कारण एफआईआई की लगातार बिकवाली का दौर थमा
Posted Date : 08-Dec-2024 6:58:58 am

भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती के कारण एफआईआई की लगातार बिकवाली का दौर थमा

नई दिल्ली। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने अपनी रणनीति में स्पष्ट बदलाव करते हुए खरीदार का रुख अपनाया है। बाजार पर नजर रखने वालों ने शनिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बावजूद मजबूती बनी हुई है, जिससे एफआईआई की लगातार बिकवाली का दौर खत्म हो गया है।
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार, इस महीने (6 दिसंबर तक) एफआईआई ने 24,453 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसमें विभिन्न एक्सचेंज से इक्विटी में 17,921 करोड़ रुपये और प्राथमिक बाजार के जरिए शेष निवेश शामिल है।
बाजार के जानकारों ने कहा कि दिसंबर की शुरुआत में एफआईआई के खरीदार बनने से बाजार की धारणा बदल गई है। पिछले दो महीनों के दौरान एफआईआई ने लगातार बिकवाली की रणनीति को पूरी तरह से पलट दिया है।
अक्टूबर में विभिन्न एक्सचेंज के जरिए एफआईआई ने 1,13,858 करोड़ रुपये की कुल बिकवाली की थी। नवंबर में यह राशि घटकर 39,315 करोड़ रुपये रह गई।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के सिद्धार्थ खेमका के अनुसार, एफआईआई ने दिसंबर की शुरुआत सकारात्मक तरीके से की है, जिससे बाजार की धारणा को काफी बढ़ावा मिला है।
उन्होंने कहा, अगले सप्ताह, हमें उम्मीद है कि निफ्टी में धीरे-धीरे तेजी जारी रहेगी, जो आरबीआई द्वारा सीआरआर में कटौती के बाद लिक्विडिटी में वृद्धि, सरकारी नीतियों के बारे में सकारात्मक समाचारों और एफआईआई प्रवाह की वापसी से प्रेरित है।
एफआईआई रणनीति में बदलाव स्टॉक प्राइस मूवमेंट विशेष रूप से बड़े-कैप बैंकिंग स्टॉक में नजर आ रहा है, जिनमें एफआईआई विक्रेता रहे हैं।
जानकारों ने कहा कि इस सेगमेंट में आगे बढऩे की गुंजाइश है क्योंकि यह उचित मूल्य पर है और उचित गति से बढ़ रहा है।
एफआईआई ने धीमी वापसी का संकेत दिया है। अक्टूबर और नवंबर में देखे गए लगातार बिकवाली के दबाव के बाद यह एक बड़ी राहत है। भारी एफआईआई बिकवाली के बावजूद, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) के प्रवाह ने पिछले दो महीनों में बाजार को बचाए रखा।
इस बीच, आठ सप्ताह में पहली बार भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में मामूली 1.51 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई और 29 नवंबर को (आखिरी सप्ताह) ये 658.091 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, 29 नवंबर को समाप्त सप्ताह के लिए, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 2.061 बिलियन डॉलर से बढक़र 568.852 बिलियन डॉलर हो गई।

भारत ने 10 वर्षों में हासिल की कुल निर्यात में 67 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि
Posted Date : 08-Dec-2024 6:58:42 am

भारत ने 10 वर्षों में हासिल की कुल निर्यात में 67 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि

नई दिल्ली। वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की मांग में वृद्धि के कारण देश का कुल निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 778 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में यह 466 बिलियन डॉलर था, जो कि 67 प्रतिशत की शानदारी वृद्धि को दर्शाता है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि विश्व वस्तु निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 1.66 प्रतिशत से बढक़र 1.81 प्रतिशत हो गई है और देश 20वें स्थान से 17वें स्थान पर पहुंच गया है।
यह उपलब्धि सरकार द्वारा निर्यात वृद्धि को बनाए रखने और निर्यात को तेज करने के लिए कई पहलों को लागू करने के कारण हासिल हुई है।
नीति आयोग ट्रेड वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान देश के व्यापार प्रदर्शन ने स्थिरता और मध्यम वृद्धि प्रदर्शित की।
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की पहली छमाही में भारत का कुल व्यापार 2023 की तुलना में 5.45 प्रतिशत बढक़र 576 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
माल के आयात में लगातार वृद्धि देखी गई, वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में निर्यात 5.95 प्रतिशत बढक़र 110 बिलियन डॉलर और आयात 8.40 प्रतिशत बढक़र 173 बिलियन डॉलर हो गया, जिससे व्यापार असंतुलन बढ़ रहा है।
वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में, भारतीय लोहा और इस्पात निर्यात में 33 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई, जिसका मुख्य कारण कमजोर घरेलू मांग और चीन में अतिरिक्त क्षमता थी, जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक बाजारों में इस्पात की अधिक आपूर्ति हुई।
वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के दौरान, एफटीए भागीदारों को निर्यात वृद्धि 12 प्रतिशत रही, जबकि इन भागीदारों से आयात वृद्धि 10.29 प्रतिशत रही।
भारत के निर्यात में उत्तरी अमेरिका का योगदान 21 प्रतिशत रहा, जिसके बाद यूरोपीय संघ का योगदान 18.61 प्रतिशत रहा। आयात मुख्य रूप से पूर्वोत्तर एशिया, पश्चिम एशिया (जीसीसी) और आसियान से हुआ, जो कुल आयात का 51 प्रतिशत था।
इस बीच, भारत ने कई प्रमुख उत्पाद श्रेणियों के निर्यात में तेज वृद्धि दर्ज की है, जिसके साथ देश ने शीर्ष 10 वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में अपनी रैंक को बनाए रखा है और सुधार किया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर पर देश के रणनीतिक फोकस ने प्रभावशाली परिणाम दिए हैं।

 

 

ई-श्रम पोर्टल पर 30.43 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिक हैं रजिस्टर्ड: केंद्र
Posted Date : 06-Dec-2024 6:59:26 pm

ई-श्रम पोर्टल पर 30.43 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिक हैं रजिस्टर्ड: केंद्र

नई दिल्ली। संसद को सूचित किया गया कि सरकार के ई-श्रम पोर्टल पर 1 दिसंबर तक 30.43 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिक रजिस्टर्ड हैं।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड ग्रामीण क्षेत्रों के अनौपचारिक श्रमिकों की संख्या 1 दिसबंर तक 27.22 करोड़ है।
मंत्रालय ने आधार से जुड़े असंगठित श्रमिकों (एनडीयूडब्ल्यू) का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए 26 अगस्त, 2021 को ई-श्रम पोर्टल लॉन्च किया था।
ई-श्रम पोर्टल का उद्देश्य असंगठित श्रमिकों को उनकी खुद की घोषणा के आधार पर एक यूनिवर्सल खाता संख्या (यूएएन) प्रदान कर उन्हें रजिस्टर और सपोर्ट करना है।
ई-श्रम पर रजिस्ट्रेशन के लिए श्रमिकों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
मंत्रालय के अनुसार, असंगठित श्रमिकों को रजिस्ट्रेशन में मदद करने के लिए राज्य सेवा केंद्रों (एसएसके) और कॉमन सर्विस सेंटर की सेवाओं को शामिल किया गया है।
श्रमिकों तक पहुंच बढ़ाने और उन्हें रजिस्ट्रेशन/अपडेट की सुविधा उनके मोबाइल फोन पर ही उपलब्ध करवाई जा रही है। उमंग ऐप पर ई-श्रम पोर्टल को शामिल किया गया है।
अब तक, विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की 12 योजनाओं को पहले ही ई-श्रम पोर्टल के साथ इंटीग्रेट या मैप किया जा चुका है।
केंद्रीय बजट 2024-25 के अनुसार, अन्य सरकारी वेबसाइटों के साथ ई-श्रम पोर्टल का इंटीग्रेशन ‘वन-स्टॉप-सॉल्यूशन’ की सुविधा प्रदान करेगा।
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने असंगठित श्रमिकों को जल्द से जल्द ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय , स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय आदि जैसे अन्य मंत्रालयों से भी संपर्क किया है।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने कहा, ई-श्रम-वन स्टॉप सॉल्यूशन असंगठित श्रमिकों तक विभिन्न सरकारी योजनाओं की निर्बाध पहुंच को लेकर सहायक होगा। इससे असंगठित श्रमिकों के लिए बनाई गई योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद मिलेगी, साथ ही छूटे हुए संभावित लाभार्थियों की पहचान करने में आसानी होगी।

 

आरबीआई ने रेपो रेट को लगातार 11वीं बार रखा स्थिर, सीआरआर में की कटौती
Posted Date : 06-Dec-2024 6:59:02 pm

आरबीआई ने रेपो रेट को लगातार 11वीं बार रखा स्थिर, सीआरआर में की कटौती

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी बैठक के नतीजों की शुक्रवार को घोषणा हो चुकी है। इस बार भी रेपो रेट में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, लगातार 11वीं बार रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है।
रेपो रेट में इस बार भी किसी तरह का बदलाव न होने को लेकर जानकार पहले से उम्मीद कर रहे थे।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हमारी कोशिश आरबीआई अधिनियम के फ्लेक्सिबल टारगेटिंग फ्रेमवर्क का पालन करना है। प्राइस स्टेबिलिटी हमारी अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। यह लोगों की क्रय शक्ति को प्रभावित करती है, इसलिए इसका महत्व व्यवसायों के लिए भी है। आरबीआई गवर्नर के अनुसार, सीआरआर में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का फैसला लिया गया है, जिसके बाद कैश रिजर्व रेश्यो को घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है।
सीआरआर किसी बैंक की कुल जमा का वह प्रतिशत होता है जिसे बैंक को लिक्विड कैश के रूप में केंद्रीय बैंक के पास रिजर्व के तौर पर रखना होता है।
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की घोषणाओं के अनुसार, कमेटी ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) को भी 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। बैंक रेट और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी को 6.75 प्रतिशत पर ही स्थिर रखा गया है। कमेटी का मानना है कि सस्टेनेबल प्राइस स्टेबिलिटी के साथ ही उच्च विकास की नींव को मजबूत रखा जा सकता है।
स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 8 अप्रैल, 2022 को एक मौद्रिक नीति उपकरण के रूप में पेश किया गया था। एमपीसी ने वित्त वर्ष 2025 के लिए महंगाई 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में महंगाई 5.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। वित्त वर्ष 2026 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए महंगाई क्रमश: 4.6 प्रतिशत और 4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।

 

आरबीआई ने जीडीपी विकास दर अनुमान को घटाकर 6.6 प्रतिशत किया
Posted Date : 06-Dec-2024 6:58:21 pm

आरबीआई ने जीडीपी विकास दर अनुमान को घटाकर 6.6 प्रतिशत किया

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारत की जीडीपी विकास दर अनुमान को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया गया है। पहले यह 7.2 प्रतिशत था। यह जानकारी आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को दी।
उन्होंने बताया कि यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि इस वर्ष की दूसरी तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5.4 प्रतिशत की वृद्धि अनुमान से काफी कम रही।
दास ने आगे कहा कि भारत की ग्रोथ स्टोरी जारी है। हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर बता रहे हैं कि घेरलू आर्थिक गतिविधियों में आई सुस्ती चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में बॉटम आउट हो गई है। इसकी वजह त्योहारी सीजन के कारण मांग में सुधार होना और ग्रामीण गतिविधियों में तेजी आना है।
दास ने बताया कि विकास में गिरावट का कारण औद्योगिक वृद्धि दर में भारी गिरावट थी, जो पहली तिमाही में 7.4 प्रतिशत से घटकर दूसरी तिमाही में 2.1 प्रतिशत रह गई। इसका कारण विनिर्माण कंपनियों का कमजोर प्रदर्शन, खनन गतिविधियों में कमी और बिजली की कम मांग थी।
आगे कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में कमजोरी व्यापक नहीं थी, बल्कि पेट्रोलियम उत्पादों, लोहा और इस्पात तथा सीमेंट जैसे विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित थी। औद्योगिक गतिविधि सामान्य होने और पिछली तिमाही के निचले स्तर से उबरने की उम्मीद है।
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। वहीं, चौथी तिमाही के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.3 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है।
अक्टूबर की एमपीसी के बाद आरबीआई द्वारा भारत की जीडीपी विकास दर वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था, जो कि वित्त मंत्रालय के आर्थिक सर्वे के अनुमान 6.5 से लेकर 7 प्रतिशत से ज्यादा था।

 

बिटकॉइन की कीमत इतिहास में पहली बार 1 लाख डॉलर के पार पहुंची
Posted Date : 05-Dec-2024 8:19:27 pm

बिटकॉइन की कीमत इतिहास में पहली बार 1 लाख डॉलर के पार पहुंची

नईदिल्ली। बिटकॉइन की कीमत इतिहास में पहली बार 1 लाख डॉलर (लगभग 84.70 लाख रुपये) तक पहुंच गई, जो क्रिप्टो बाजार के लिए बड़ी उपलब्धि है। 5 दिसंबर को बिटकॉइन ने यह मील का पत्थर छुआ।इससे पहले 12 नवंबर को यह 90,000 डॉलर (लगभग 76.25 लाख रुपये) तक पहुंचा था। सिर्फ कुछ हफ्तों के भीतर इसने यह नया रिकॉर्ड बनाया है।पिछले एक साल में बिटकॉइन की कीमत में तेज वृद्धि हुई है।
इस साल अमेरिका में स्पॉट बिटकॉइन एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स में 2,600 अरब रुपये से अधिक निवेश हुआ और अप्रैल में बिटकॉइन की चौथी हाफिंग से आपूर्ति घटी।डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति चुनाव जीत, बिटकॉइन राष्ट्रीय रिजर्व की अटकलें और माइकल सैलर के नेतृत्व में कॉर्पोरेट स्तर पर बिटकॉइन को अपनाने से इसकी कीमत बढ़ी।ट्रंप ने क्रिप्टो समर्थक पॉल एटकिंस को एसईसी अध्यक्ष और स्कॉट बेसेंट व हॉवर्ड लुटनिक को उच्च पदों पर नामित कर क्रिप्टो के लिए सकारात्मक माहौल बनाया।
जनवरी से बिटकॉइन की कीमत में 126 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 44,000 डॉलर (लगभग 37.27 लाख रुपये) से बढक़र 1 लाख डॉलर तक पहुंची। इसके साथ ही बाजार पूंजीकरण पहली बार 2 लाख करोड़ डॉलर पार कर गया।हालांकि, 2017 में यह 1,900 प्रतिशत बढ़ा था, जब कीमत 1,000 डॉलर से 20,000 डॉलर तक पहुंची थी। मार्च 2020 में महामारी के दौरान कीमत 5,100 डॉलर थी, जो नवंबर 2021 में 1,250 प्रतिशत बढक़र 69,000 डॉलर हो गई।