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पिछले 4 वर्षों में भारत में एफडीआई प्रवाह 1,000 बिलियन अमेरिकी डॉलर के पार
Posted Date : 09-Dec-2024 8:53:00 pm

पिछले 4 वर्षों में भारत में एफडीआई प्रवाह 1,000 बिलियन अमेरिकी डॉलर के पार

नई दिल्ली। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 के बीच भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह बढक़र 1,033.40 बिलियन डॉलर हो गया है, जो देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में बढ़ते निवेश के अवसरों को दर्शाता है।
एफडीआई से लाभान्वित होने वाले अर्थव्यवस्था के मुख्य क्षेत्रों में ऑटोमोबाइल, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, आईटी हार्डवेयर, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन और सेवाएं शामिल हैं।
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि उभरते गैर-पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र में एफडीआई प्रवाह में बड़ी उछाल दर्ज की गई है।
एफडीआई प्रवाह से अर्थव्यवस्था में अधिक निवेश और रोजगार सृजन होता है और अत्याधुनिक तकनीक आती है जो उत्पादकता के स्तर को बढ़ाती है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने व्यापार करने में आसानी को सुगम बनाया है और पीएलआई योजना जैसे विभिन्न प्रोत्साहन लागू किए गए हैं, जिससे देश में एफडीआई के प्रवाह में तेजी लाने में मदद मिली है।
डीपीआईआईटी के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष में एफडीआई में उछाल जारी रहा है और अप्रैल-सितंबर में यह 45 प्रतिशत बढक़र 29,790 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि 2023-24 के दौरान इसी अवधि में यह 20,488 मिलियन अमरीकी डॉलर था।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान सेवाओं में एफडीआई बढक़र 5.69 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 3.85 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। चालू वित्त वर्ष के दौरान जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए एफडीआई प्रवाह 43 प्रतिशत बढक़र 13.6 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2023-24 समान अवधि में यह 9.52 अरब डॉलर था।
राज्यवार आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल-सितंबर 2024-25 के दौरान महाराष्ट्र में सबसे अधिक 13.55 बिलियन डॉलर का प्रवाह हुआ।
कर्नाटक में 3.54 बिलियन डॉलर, गुजरात में 3.94 बिलियन डॉलर, दिल्ली में 3.20 बिलियन डॉलर, तमिलनाडु में 1.62 बिलियन डॉलर, हरियाणा में 1.31 बिलियन डॉलर, तेलंगाना में 1.54 बिलियन डॉलर का प्रवाह रहा।
चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-सितंबर के दौरान मॉरीशस से 5.34 बिलियन डॉलर, सिंगापुर से 7.53 बिलियन डॉलर, अमेरिका से 2.57 बिलियन डॉलर, नीदरलैंड से 3.58 बिलियन डॉलर, जापान से 1.19 बिलियन डॉलर, यूके से 188 मिलियन डॉलर, यूएई से 3.47 बिलियन डॉलर, केमैन आइलैंड्स 235 मिलियन डॉलर, साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर और जर्मनी से 249 मिलियन डॉलर एफडीआई इक्विटी प्रवाह हुआ।

 

भारत में शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर में 2030 तक निवेश होंगे 143 लाख करोड़ रुपये
Posted Date : 09-Dec-2024 8:52:34 pm

भारत में शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर में 2030 तक निवेश होंगे 143 लाख करोड़ रुपये

मुंबई। भारत में आने वाले वर्षों में गुणवत्तापूर्ण शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर की मांग में इजाफा होगा। इस कारण से भारत 2030 तक इन्फ्रास्ट्रक्चर में 143 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश कर सकता है। यह जानकारी सोमवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
कोलियर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से हो रहा इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास देश भर में सैटेलाइट टाउनशिप के विकास को बढ़ावा दे रहा है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 2030 तक होने वाले इस व्यय का अधिकांश भाग शहरी क्लस्टर्स की ओर निर्देशित किया जाना है, जिससे शहरी क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के नेतृत्व वाला विकास हो सके। विचाराधीन परियोजनाओं में हवाई अड्डे, इंटर-सिटी मेट्रो कनेक्टिविटी, एयरोसिटी, हाइवे, हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर, आईटी + आईटीईएस जोन, बड़े डेटासेंटर कंसंट्रेशन जोन और अन्य शामिल हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि यह ट्रेंड मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन में देखा जा रहा है। मुंबई और उसके आसपास के लोकेशन की योजनाबद्ध तरीके से भीड़भाड़ कम करने का काम किया जा रहा है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन (एमएमआर) का विकास विभिन्न इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से प्रेरित है, जिसमें मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक (एमटीएचएल), नवी मुंबई एयरपोर्ट इन्फ्लुएंस नोटिफाइड एरिया (एनएएएनए), विरार-अलीबाग मल्टीमॉडल कॉरिडोर, मुंबई-पुणे मिसिंग लिंक और जेएनपीटी एक्सटेंशन प्रोजेक्ट शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के चालू होने से उत्तरी बैंगलोर के विस्तार में एक नया आयाम जुड़ गया है।
नए प्रोजेक्टों की घोषणाओं ने 2020 से 2024 की अवधि में भूमि की कीमत में लगभग 2.5 गुना वृद्धि की है, जो 1,800 रुपये से बढक़र 4,500 रुपये प्रति वर्ग फीट हो गई है। यह वृद्धि सबसे अधिक उत्तरी बेंगलुरु के छोटे बाजारों जैसे देवनहल्ली, चिक्काबल्लापुर, हेब्बल और येलहंका के आसपास सबसे अधिक हुई है।
आगामी नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मल्टी-मॉडल परिवहन कनेक्टिविटी वाला भारत का पहला हवाई अड्डा बनने जा रहा है। इस नए हवाई अड्डे की क्षमता सालाना 9 करोड़ यात्रियों की होगी और इस परियोजना के माध्यम से आसपास की 90,000 एकड़ भूमि के विकास को बढ़ावा देगा।
इसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में रियल एस्टेट की वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, खोपोली और पेन जैसे छोटे बाजारों में अगले पांच वर्षों में भूमि की कीमतें 4,200 रुपये से बढक़र 16,200 रुपये प्रति वर्ग फीट (2024-2030) तक लगभग 3.9 गुना बढ़ जाएंगी।
उत्तर प्रदेश में आगामी जेवर हवाई अड्डा से प्रदेश में शहरीकरण को बढ़ावा मिलेगा। अंतरराष्ट्रीय फिल्म सिटी और मेट्रो लाइन विस्तार जैसी सरकारी पहलों ने एक टाउनशिप के रूप में जेवर के विकास को और गति प्रदान की है। इन पहलों ने पिछले 5 वर्षों में भूमि की कीमत में वृद्धि की है, जो 5,000 रुपये से बढक़र 7,000 रुपये प्रति वर्ग फीट हो गई है।
चेन्नई पेरिफेरल रिंग रोड परियोजना एक बार पूरी हो जाने पर श्रीपेरंबदूर, सिंगापुरमलकोइल और अन्य जैसे सैटेलाइट शहरों के विकास को बढ़ावा देने की उम्मीद है।
इन इलाकों में पिछले पांच सालों में जमीन की कीमत 2,500 रुपये प्रति वर्ग फीट से बढक़र 3,800 रुपये प्रति वर्ग फीट हो गई है।
कोलियर्स की रिपोर्ट में कहा गया है, हमें उम्मीद है कि आने वाले सालों में फिनटेक सिटी और परांडुर में प्रस्तावित चेन्नई ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट जैसी आगामी परियोजनाओं के कारण इन इलाकों में विकास जारी रहेगा।

 

भारतीय कॉरपोरेट्स में अदाणी ग्रुप सबसे आकर्षक कारोबारी समूह: नोमुरा
Posted Date : 09-Dec-2024 8:51:49 pm

भारतीय कॉरपोरेट्स में अदाणी ग्रुप सबसे आकर्षक कारोबारी समूह: नोमुरा

मुंबई। जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने कहा कि भारतीय कारोबारी समूहों में अदाणी ग्रुप सबसे आकर्षक स्थिति में है और समूह की कंपनियों के मुकाबले अन्य भारतीय कॉरपोरेट्स का वैल्यूएशन महंगा है।
रिपोर्ट में वैश्विक ब्रोकरेज ने कहा कि पोर्ट से पावर तक के सेक्टर में कारोबार करने वाला अदाणी समूह अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) द्वारा अभियोग में लगाए गए आरोपों के कारण हुई हालिया उथल-पुथल का सामना करने में भी सक्षम होगा।
अपने नोट में नोमुरा ने कहा, भारत में इन्वेस्टमेंट ग्रेड (आईजी) के कॉरपोरेट्स में अदाणी समूह सबसे आकर्षक है। इसके मुकाबले अन्य भारतीय कॉरपोर्ट्स महंगे स्तर पर है।
नोमुरा ने आगे कहा कि 2023 की शुरुआत में अदाणी-हिंडनबर्ग प्रकरण की तुलना में, अदाणी समूह की तरलता प्रबंधन जागरूकता में काफी सुधार हुआ है और इसे पर्याप्त अल्पकालिक तरलता स्थिति के साथ दिक्कतों का सामना करने में सक्षम होना चाहिए।
नोमुरा ने कहा कि कुल मिलाकर, अदाणी समूह में स्ट्रेस के कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं और इसके मूल सिद्धांत/संपत्ति की गुणवत्ता बरकरार है।
वित्तीय रिसर्च फर्म ने कहा, हमारा मानना है कि समूह को तूफान के इस दौर (यूएस आरोप पत्र) का सामना करने में सक्षम होना चाहिए।
नोमुरा ने कहा कि हालांकि, ग्लोबल बैंक द्वारा अदाणी ग्रुप को वित्तीय समर्थन रोकना चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन जैसे ही यह अमेरिकी आरोप समाप्त हो जाएंगे, यह चिंता भी समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा, जापान के तीन बैंक द्वारा अदाणी ग्रुप को समर्थन जारी है।
नोमुरा ने अदाणी मैनेजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) का अभियोग केवल एक आरोप है। आरोप में भ्रष्टाचार विरोधी अनुबंधों का उल्लंघन नहीं है। यदि दोषी पाया जाता है तो यह उल्लंघन का संकेत हो सकता है।
नोमुरा ने चेतावनी दी कि वैश्विक बैंक अल्पावधि में नए वित्तपोषण को रोक सकते हैं, लेकिन अदाणी-डीओजे मामले की धूल जमने के बाद उन्हें दीर्घावधि में यह धीरे-धीरे फिर से शुरू हो जाना चाहिए।
ब्रोकरेज फर्म ने आगे बताया कि तीन बड़े जापानी बैंक अदाणी समूह के साथ अपने संबंधों को जारी रखने की योजना बना रहे हैं। तीन बड़े जापानी बैंकों का मतलब एमयूएफजी, एसएमबीसी और मिजुहो हैं।
नोमुरा को अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड, अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड, अदाणी इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल, अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड, अदाणी टी-वन ट्रांसमिशन लिमिटेड और अदाणी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड के बॉन्ड की कीमतों में उछाल की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अदाणी ग्रीन एनर्जी के लिए कीमत 7 अंक तक बढ़ सकती हैं, जबकि अन्य के लिए 2-4 अंक तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

 

महंगाई, आईआईपी और वैश्विक आर्थिक आंकड़ों से अगले हफ्ते तय होगा बाजार का रुख
Posted Date : 08-Dec-2024 8:22:54 pm

महंगाई, आईआईपी और वैश्विक आर्थिक आंकड़ों से अगले हफ्ते तय होगा बाजार का रुख

  • मार्केट आउटलुक

नई दिल्ली। आने वाले हफ्ते में भारतीय शेयर बाजार की चाल थोक और खुदरा महंगाई के आंकड़े, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी), कच्चे तेल की कीमत, डॉलर-रुपये में कारोबार और वैश्विक स्तर पर आने वाले आर्थिक डेटा पर निर्भर करेगी। यह जानकारी एक्सपर्ट्स द्वारा रविवार को दी गई।
बीता हफ्ता भारतीय शेयर बाजार के लिए काफी शानदार रहा। यह लगातार तीसरा हफ्ता था, जब शेयर बाजार तेजी के साथ बंद हुआ। निफ्टी 2.27 प्रतिशत या 546 अंक की बढ़त के साथ 24,677 और सेंसेक्स 2.39 प्रतिशत या 1,906 अंक की तेजी के साथ 81,709 पर बंद हुआ।
शेयर बाजार में तेजी की वजह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सकरात्मक कमेंट्री को माना जा रहा है। केंद्रीय बैंक ने दिसंबर की मौद्रिक नीति में कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) को 0.50 प्रतिशत घटाने का ऐलान किया है। इससे बैंकिंग सिस्टम में तरलता बढ़ेगी। इसके अलावा आरबीआई द्वारा मजबूत मांग और इंडस्ट्रियल ग्रोथ को लेकर भी भरोसा जताया गया।
इसके अतिरिक्त विदेशी निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में खरीदारी करना भी तेजी की एक बड़ी वजह है। पिछले हफ्ते विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा भारतीय बाजारों में करीब 12,000 करोड़ रुपये और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) द्वारा करीब 1,800 करोड़ रुपये की खरीदारी की गई है।
मास्टर ट्रस्ट ग्रुप में निदेशक पुनित सिंघानिया ने कहा कि निफ्टी लगातार 5 हफ्तों तक 21 दिनों के मूविंग एवरेज के नीचे कारोबार करने के बाद दोबारा से इसके ऊपर आ गया है, जो कि तेजी को दिखाता है। निफ्टी के लिए 24,250 एक मजबूत सपोर्ट है। 24,250 के स्टॉपलॉस के साथ 24,500 के करीब खरीदारी करना एक सही फैसला होगा।
आगे कहा कि ऊपरी स्तरों पर 25,000 एक अहम रुकावट का स्तर होगा। अगर निफ्टी में 24,250 का स्तर टूटता है तो 23,900 के स्तर भी आ सकते हैं।
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड में वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक, प्रवेश गौड़ ने कहा कि बैंक निफ्टी के लिए 53,800 से लेकर 54,000 एक रुकावट का स्तर है। अगर यह 54,000 के ऊपर निकलता है, तो अगला रुकावट का स्तर 54,500 से लेकर 55,000 होगा। गिरावट की स्थिति में 52,600 से लेकर 52,300 एक अहम स्पोर्ट जोन है।
आगे कहा कि डेरिवेटिव बाजार में एफआईआई इंडेक्स फ्यूचर्स में 55 प्रतिशत की शॉर्ट पोजीशन रखते हैं, जबकि पुट-कॉल अनुपात (पीसीआर) 1.03 है, जो शॉर्ट-कवरिंग रैली की संभावना को दर्शाता है। ऐतिहासिक रूप से, दिसंबर बाजार के लिए एक अनुकूल महीना रहा है, जो सकारात्मक चाल के लिए सहायक पृष्ठभूमि प्रदान कर सकता है।

 

यूपीआई की पहुंच बढऩे से पहली बार लोन लेने वाले लोगों की संख्या में हो रहा इजाफा
Posted Date : 08-Dec-2024 8:22:16 pm

यूपीआई की पहुंच बढऩे से पहली बार लोन लेने वाले लोगों की संख्या में हो रहा इजाफा

नई दिल्ली। देश में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की पहुंच बढऩे से पहली बार लोन लेने वाले लोंगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। यह जानकारी एक रिसर्च पेपर में दी गई।
आईआईएम और आईएसबी के प्रोफेसर्स द्वारा तैयार किए गए पेपर में कहा गया कि 2016 में लॉन्च हुए यूपीआई से देश के फाइनेंशियल सेक्टर में बड़ा बदलाव लाया है। पिछले साल अक्टूबर तक इससे 30 करोड़ से ज्यादा लोग और 5 करोड़ से ज्यादा मर्चेंट्स इससे जुड़े हुए थे। भारत में होने वाले कुल रिटेल डिजिटल लेनदेन में से 75 प्रतिशत यूपीआई के माध्यम से किए जा रहे हैं।
स्टडी में आगे कहा गया कि इस छोटी अवधि में यूपीआई ने देश के फाइनेंशियल सिस्टम पर बड़ा असर डाला है और इसका इस्तेमाल रेहड़ी-पटरी वालों से लेकर बड़े शॉपिंग मॉल में किया जा रहा है।
पेपर के मुताबिक, यूपीआई के जरिए वचिंत लोगों तक सेवाओं का विस्तार करने में मदद मिली है, जिसमें सबप्राइम और पहली बार औपचारिक लोन लेने वाले लोग भी शामिल है।
पेपर में कहा गया,जिन इलाकों में यूपीआई की पहुंच काफी ज्यादा है। वहां पहली बार लोन लेने वाले लोगों की संख्या 4 प्रतिशत और सबप्राइम उधारकर्ताओं की संख्या में 8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसके अतिरिक्त इन इलाकों में फिनटेक लोन का औसत साइज 27,778 रुपये है, जो कि ग्रामीण मासिक खर्च से करीब 7 गुणा ज्यादा है।
लेखकों ने कहा कि यूपीआई की पहुंच के कारण फिनटेक लोन कंपनियों ने तेजी से विस्तार किया, जिससे उनके लोन की वॉल्यूम में 77 गुना की बढ़ोतरी हुई है और छोटे, वंचित उधारकर्ताओं को लोन देने के मामले में वे पारंपरिक बैंकों से कहीं आगे हैं। साथ ही कहा कि देश में यूपीआई को तेजी से अपनाने के पीछे एक बड़ा कारण किफायती इंटरनेट का होना है।
लेखकों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यूपीआई अपनाने से लोन वृद्धि में काफी बढ़त मिली है। यूपीआई लेनदेन में 10 प्रतिशत की वृद्धि से लोन उपलब्धता में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो दिखाता है कि कैसे वित्तीय इतिहास ने लोन कंपनियों को उधारकर्ताओं का बेहतर मूल्यांकन करने में सक्षम बनाया है।
पेपर में इस बात भी जोर दिया गया कि लोन बढऩे के बावजूद भी डिफॉल्ट रेट में इजाफा नहीं हुआ है, जो दिखाता है कि यूपीआई लेनदेन से जुड़े डेटा ने फिनटेक कंपनियों को जिम्मेदारी के साथ विस्तार करने में मदद की है।

 

मान्यता प्राप्त स्टार्टअप ने 16.6 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर किए पैदा
Posted Date : 08-Dec-2024 6:59:25 am

मान्यता प्राप्त स्टार्टअप ने 16.6 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर किए पैदा

नई दिल्ली। हाल ही में संसद को दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में मान्यता प्राप्त स्टार्टअप ने 55 से अधिक विभिन्न उद्योगों में 16.6 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में बताया कि आईटी क्षेत्र में रोजगार की कुल संख्या 2,04,119 रही, जो कि सबसे अधिक थी। इसके बाद हेल्थ केयर एंड लाइफ साइंस में रोजगार की संख्या 1,47,639 रही। व्यावसायिक एवं वाणिज्यिक सेवाओं में कुल 94,060 रोजगार के अवसर पैदा हुए।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार, स्टार्टअप ने शिक्षा क्षेत्र में 90,414 रोजगार के अवसर पैदा किए। ह्यूमन रिसोर्स और निर्माण में रोजगार की संख्या क्रमश: 87,983 और 88,702 रही।
इसी तरह, खाद्य एवं पेय पदार्थ क्षेत्र में 88,468, कृषि क्षेत्र में 83,307 और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र में 23,918 रोजगार सृजित हुए।
भारत में वर्तमान में 1,46,000 से अधिक डीपीआईआईटी -मान्यता प्राप्त स्टार्टअप और 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत, सरकार स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास और वृद्धि तथा देश में रोजगार सृजन को बढ़ाने के लिए लगातार विभिन्न प्रयास करती है।
प्रमुख योजनाएं स्टार्टअप के लिए फंड ऑफ फंड्स (एफएफएस), स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) और स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (सीजीएसएस) हैं, जो अपने बिजनेस साइकल के अलग-अलग चरणों में स्टार्टअप का समर्थन करती हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग, राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार और इनोवेशन वीक सहित समय-समय पर अभ्यास और कार्यक्रम भी लागू किए हैं जो स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा, स्टार्टअप इंडिया हब पोर्टल और भारत स्टार्टअप नॉलेज एक्सेस रजिस्ट्री (बीएचएएसकेएआर) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म संसाधनों और स्टार्टअप इकोसिस्टम सहयोग तक आसान पहुंच को सक्षम बनाते हैं।
इन उपायों को नियामक सुधारों और अन्य इकोसिस्टम विकास कार्यक्रमों और कार्यक्रमों द्वारा पूरक बनाया जाता है।
सरकार ने भारत में उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र के हितधारकों के लिए एक साझा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ‘स्टार्टअप इंडिया’ पहल के तहत ‘स्टार्टअप इंडिया हब’ पोर्टल भी लॉन्च किया।
इसके अलावा, केंद्र ने उद्यमी पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर प्रमुख हितधारकों के बीच सहयोग को केंद्रीकृत, सुव्यवस्थित रखने के लिए बीएचएएसकेएआर लॉन्च किया है, जो गैर-मेट्रो शहरों और क्षेत्रों के स्टार्टअप और उद्यमियों को बड़े स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र से जुडऩे में सक्षम बना रहा है।