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भारत की रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी में 14.2 प्रतिशत की शानदार वृद्धि
Posted Date : 12-Dec-2024 6:03:53 pm

भारत की रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी में 14.2 प्रतिशत की शानदार वृद्धि

0-बढक़र हुई 213.7 गीगावाट

नई दिल्ली। सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नवंबर में भारत की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 213.70 गीगावाट तक पहुंच गई, जो पिछले साल इसी महीने के 187.05 गीगावाट से 14.2 प्रतिशत की शानदार वृद्धि को दर्शाती है।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने नवंबर 2023 से नवंबर 2024 तक भारत के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में शानदार प्रगति की जानकारी दी, जो पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप अपने क्लीन एनर्जी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए देश की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
इस बीच, कुल गैर-जीवाश्म ईंधन कैपेसिटी, जिसमें इंस्टॉल्ड और पाइपलाइन दोनों परियोजनाएं शामिल हैं, बढक़र 472.90 गीगावाट हो गई, जो पिछले वर्ष के 368.15 गीगावाट से 28.5 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान, नवंबर 2024 तक कुल 14.94 गीगावाट नई रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी जोड़ी गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 में इसी अवधि के दौरान जोड़ी गई 7.54 गीगावाट क्षमता से लगभग दोगुनी है।
अकेले नवंबर 2024 में, 2.3 गीगावाट नई कैपेसिटी जोड़ी गई, जो नवंबर 2023 में जोड़ी गई 566.06 मेगावाट कैपेसिटी से चार गुना अधिक है। भारत के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में सभी प्रमुख कैटेगरी में शानदार वृद्धि देखी गई है।
सोलर पावर ने बाजी मारी है। जिसकी इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 2023 में 72.31 गीगावाट से बढक़र 2024 में 94.17 गीगावाट हो गई है, जो 30.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि है।
पाइपलाइन परियोजनाओं सहित, कुल सोलर कैपेसिटी में 52.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 2024 में 261.15 गीगावाट तक पहुंच गई, जबकि 2023 में यह 171.10 गीगावाट थी।
विंड पावर की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 2023 में 44.56 गीगावाट से बढक़र 2024 में 47.96 गीगावाट हो गई, जो 7.6 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
मंत्रालय के अनुसार, पाइपलाइन परियोजनाओं सहित कुल विंड कैपेसिटी में 17.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 2023 में 63.41 गीगावाट से बढक़र 2024 में 74.44 गीगावाट हो गई।
बायोएनर्जी और हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाओं ने भी रिन्यूएबल एनर्जी मिश्रण में लगातार योगदान दिया।
बायोएनर्जी कैपेसिटी 2023 में 10.84 गीगावाट से बढक़र 2024 में 11.34 गीगावाट हो गई, जो 4.6 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है।
छोटी हाइड्रो परियोजनाओं में मामूली वृद्धि देखी गई, जो 2023 में 4.99 गीगावाट से बढक़र 2024 में 5.08 गीगावाट हो गई, जबकि पाइपलाइन परियोजनाओं सहित कुल कैपेसिटी 5.54 गीगावाट तक पहुंच गई।
बड़ी हाइड्रो परियोजनाओं में इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 2023 में 46.88 गीगावाट से बढक़र 2024 में 46.97 गीगावाट हो गई, और पाइपलाइन परियोजनाओं सहित कुल कैपेसिटी पिछले वर्ष के 64.85 गीगावाट से बढक़र 67.02 गीगावाट हो गई।
न्यूक्लियर एनर्जी में, इंस्टॉल्ड न्यूक्लियर कैपेसिटी 2023 में 7.48 गीगावाट से बढक़र 2024 में 8.18 गीगावाट हो गई, जबकि पाइपलाइन परियोजनाओं सहित कुल कैपेसिटी 22.48 गीगावाट पर स्थिर रही।

अदाणी समूह श्रीलंका पोर्ट प्रोजेक्ट को स्वयं करेगा फाइनेंस
Posted Date : 11-Dec-2024 9:53:45 pm

अदाणी समूह श्रीलंका पोर्ट प्रोजेक्ट को स्वयं करेगा फाइनेंस

  • 0-यूएस डीएफसी से फंडिंग का आवेदन वापस लिया

मुंबई। अदाणी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स (एपीएसईजेड) लिमिटेड ने कहा है कि वह अपने वित्तीय साधनों का उपयोग कर श्रीलंका पोर्ट प्रोजेक्ट को पूरा करेगा और इसके लिए उसे अमेरिकी फंडिंग की आवश्यकता नहीं है।
अदाणी पोर्ट्स द्वारा स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कहा गया कि श्रीलंका पोर्ट प्रोजेक्ट समयबद्ध तरीके से चल रहा है और अगले साल पूरा हो जाएगा।
कंपनी ने आगे कहा, श्रीलंका में कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (सीडब्ल्यूआईटी) प्रोजेक्ट प्रगति कर रही है और अगले साल की शुरुआत में चालू होने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
इसके अतिरिक्त कंपनी ने कहा, प्रोजेक्ट को कंपनी के आंतरिक संसाधनों और पूंजी प्रबंधन योजना के माध्यम से फाइनेंस किया जाएगा। हमने यूएस डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी) से फाइनेंस के लिए अपना अनुरोध वापस ले लिया है।
पिछले साल नवंबर में यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन ने श्रीलंका में कोलंबो बंदरगाह पर सीडब्ल्यूआईटी के विकास, निर्माण और संचालन का समर्थन करने के लिए 553 मिलियन डॉलर का ऋण प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की थी।
सीडब्ल्यूआईटी को अदाणी पोर्ट्स, श्रीलंकाई कारोबारी समूह जॉन कील्स होल्डिंग्स पीएलसी और श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (एसएलपीए) के एक कंसोर्टियम द्वारा विकसित किया जा रहा है।
सीडब्ल्यूआईटी प्रोजेक्ट सितंबर 2021 में शुरू हुआ था। इसके लिए अदाणी पोर्ट्स ने श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी और श्रीलंकाई कारोबारी समूह जॉन कील्स होल्डिंग्स के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कोलंबो पोर्ट की क्षमताओं का विस्तार करने के लिए 700 मिलियन डॉलर से अधिक के निवेश का वादा किया गया था।
सीडब्ल्यूआईटी श्रीलंका का सबसे बड़ा और सबसे गहरा कंटेनर टर्मिनल होगा, जिसकी लंबाई 1,400 मीटर और गहराई 20 मीटर होगी।
कोलंबो पोर्ट हिंद महासागर में सबसे बड़ा और सबसे व्यस्त ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट है और यह 2021 से 90 प्रतिशत से अधिक क्षमता पर काम कर रहा है, जो अतिरिक्त क्षमता की आवश्यकता को दर्शाता है। इस नए टर्मिनल की वार्षिक कार्गो हैंडलिंग क्षमता 3.2 मिलियन से अधिक होने की संभावना है।

 

भारत में रजिस्टर्ड इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की संख्या 28 लाख के पार
Posted Date : 11-Dec-2024 9:53:23 pm

भारत में रजिस्टर्ड इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की संख्या 28 लाख के पार

नई दिल्ली। देश में रजिस्टर्ड इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की संख्या अब 28,55,015 हो गई है, जबकि इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों की संख्या 4 दिसंबर तक 2,57,169 हो गई है। यह जानकारी हाल ही में संसद में दी गई।
भारी उद्योग और इस्पात राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने एक लिखित जवाब में लोकसभा को बताया कि सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के वाहन पोर्टल के अनुसार, ओडिशा में रजिस्टर्ड इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की कुल संख्या 1,45,479 है, जिसमें अडोप्शन रेट 1.24 प्रतिशत है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, फिलहाल, ओडिशा राज्य में ऑटो आरएंडडी क्लस्टर स्थापित करने के लिए भारी उद्योग मंत्रालय में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
ईवी के ग्राहकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाता है, जैसे भारत में फेम (फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) योजना
यह योजना 1 अप्रैल, 2019 से पांच साल की अवधि के लिए है, जिसमें कुल 11,500 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन है। इस योजना ने ई-2व्हीलर, ई-3 व्हीलर, ई-4व्हीलर, ई-बसों और ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों को प्रोत्साहित किया।
भारत में ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग (पीएलआई-ऑटो) के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का बजटीय परिव्यय 25,938 करोड़ रुपये है।
इस योजना में न्यूनतम 50 प्रतिशत डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन (डीवीए) के साथ एएटी उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और ऑटोमोटिव विनिर्माण मूल्य श्रृंखला में निवेश आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन का प्रस्ताव है।
एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) के लिए पीएलआई योजना को 18,100 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई।
सरकार के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य 50 गीगावॉट घंटे की एसीसी बैटरी के लिए प्रतिस्पर्धी घरेलू मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम स्थापित करना है।
पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना का परिव्यय 10,900 करोड़ रुपये है और इसे 29 सितंबर, 2024 को अधिसूचित किया गया था।
यह दो साल की योजना है जिसका उद्देश्य ई-2व्हीलर, ई-3 व्हीलर, ई-ट्रक, ई-बस, ई-एम्बुलेंस, ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन और परीक्षण एजेंसियों को अपग्रेड करने सहित इलेक्ट्रिक वाहनों का समर्थन करना है।
भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारत में स्कीम फोर प्रमोशन ऑफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार्स इन इंडिया (एसपीएमईपीसीआई) को 15 मार्च, 2024 को अधिसूचित किया गया था।
इसके लिए आवेदकों को न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा और तीसरे वर्ष के अंत में न्यूनतम 25 प्रतिशत और पांचवें वर्ष के अंत में 50 प्रतिशत का डीवीए हासिल करना होगा।
वित्त मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है।
सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने घोषणा की है कि बैटरी से चलने वाले वाहनों को ग्रीन लाइसेंस प्लेट दी जाएगी और उन्हें परमिट की आवश्यकताओं से छूट दी जाएगी।
सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर राज्यों को इलेक्ट्रिक वाहनों पर रोड टैक्स माफ करने की सलाह दी है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरुआती लागत कम करने में मदद मिलेगी।
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने भी मॉडल बिल्डिंग बाय-लॉज में संशोधन किया है, जिसके तहत निजी और व्यावसायिक इमारतों में चार्जिंग स्टेशन शामिल करना अनिवार्य कर दिया गया है।

बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विस्तार की वजह से भारत में कॉपर की मांग आया
Posted Date : 10-Dec-2024 8:29:40 am

बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विस्तार की वजह से भारत में कॉपर की मांग आया

नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय कॉपर एसोसिएशन इंडिया के ताजा आंकड़ों के अनुसार, बुनियादी ढांचे और निर्माण क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि के कारण भारत में कॉपर की मांग में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2023-24 में 1,700 किलोटन तक पहुंच गई।
अंतरराष्ट्रीय कॉपर एसोसिएशन इंडिया (आईसीएआई) ने एक बयान में कहा कि कॉपर की मांग में भवन निर्माण और बुनियादी ढांचे का योगदान 43 प्रतिशत है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 11 प्रतिशत है।
इस उछाल का श्रेय समग्र आर्थिक विस्तार को जाता है। उद्योग निकाय ने कहा कि कोविड महामारी के बाद, वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2024 के बीच औसत वार्षिक कॉपर की मांग में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
एसोसिएशन को उम्मीद है कि कॉपर की मांग में और वृद्धि दर्ज की जाएगी, क्योंकि बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं और भवन निर्माण क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं।
जीडीपी के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बुनियादी ढांचे और निर्माण क्षेत्र में क्रमश: 9.1 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
अंतर्राष्ट्रीय कॉपर एसोसिएशन इंडिया के प्रबंध निदेशक मयूर करमरकर ने कहा, ये रुझान कॉपर की मांग में मजबूत वृद्धि को दर्शाते हैं, जो भारत के जीडीपी विकास से जुड़े हैं।
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के निवेश, उच्च उपभोक्ता खर्च और भवन निर्माण, बुनियादी ढांचे, परिवहन, औद्योगिक और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रगति से यह वृद्धि हुई है, जिसमें कॉपर की मांग में दोहरे अंकों में वृद्धि हुई है।
इसी अवधि के दौरान कॉपर कैथोड का घरेलू उत्पादन 8 प्रतिशत बढ़ा और कॉपर के विभिन्न रूपों के शुद्ध आयात में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
करमरकर ने कहा, ये रुझान भारत में एक मजबूत कॉपर इकोसिस्टम विकसित करने की क्षमता को उजागर करते हैं। अदाणी के कॉपर स्मेल्टर के वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही से चालू होने और कॉपर कंसन्ट्रेट और ब्लिस्टर पर शुल्क छूट के साथ घरेलू उत्पादन का दृष्टिकोण आशाजनक है।
उन्होंने कहा, ये प्रगति, सस्टेन्ड मांग वृद्धि के साथ मिलकर कॉपर को भारत की तकनीकी और आर्थिक आकांक्षाओं के प्रमुख के रूप में स्थापित करती है।
आईसीएआई ने कहा कि भारत ने 4,68,000 टन एंड ऑफ लाइव और प्रोसेस कॉपर और एलॉय स्क्रैप का उत्पादन किया, जिसे वित्त वर्ष के दौरान अतिरिक्त 1,92,000 टन कॉपर और एलॉय स्क्रैप के शुद्ध आयात द्वारा और बढ़ाया गया। कुल सेकेंडरी स्क्रैप सप्लाई में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
वर्तमान में, भारत मुख्य रूप से स्क्रैप के पिघलने पर निर्भर करता है, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार के स्क्रैप के उपयोग के कारण कॉपर की शुद्धता में भिन्नता होती है।
आईसीएआई के प्रबंध निदेशक ने कहा कि कॉपर के उत्पादों के लिए क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (क्यूसीओ) के कार्यान्वयन से यह सुनिश्चित कर लंबे समय में क्वालिटी से जुड़े मुद्दों का समाधान होने की उम्मीद है कि भारत में उपयोग किया जाने वाला तांबा सख्त मानकों का पालन करता है।

 

भारतीय ईएसडीएम इंडस्ट्री का मूल्य वित्त वर्ष 2028 तक 9 लाख करोड़ के होगा पार
Posted Date : 10-Dec-2024 8:29:20 am

भारतीय ईएसडीएम इंडस्ट्री का मूल्य वित्त वर्ष 2028 तक 9 लाख करोड़ के होगा पार

नई दिल्ली। भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ईएसडीएम) इंडस्ट्री, जिसका मूल्य वित्त वर्ष 2023 में लगभग 2.09 लाख करोड़ रुपये था, वित्त वर्ष 28 तक 9.09 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। मंगलवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ईएसडीएम इंडस्ट्री 5 वर्षों में 34 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से आगे बढ़ेगी।
पीएल कैपिटल ग्रुप - प्रभुदास लीलाधर की रिपोर्ट के अनुसार, ओईएम द्वारा विशेष ईएसडीएम प्रोवाइडर्स को मैन्युफैक्चरिंग की आउटसोर्सिंग में वृद्धि, इलेक्ट्रॉनिक्स की बढ़ती मांग, एक बड़ा घरेलू बाजार, चीन +1 रणनीति और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और सेमीकंडक्टर विकास में निवेश जैसी विभिन्न सरकारी पहल इस विकास के कारक होंगे।
रिसर्स एनालिस्ट प्रवीण सहाय ने कहा, वित्त वर्ष 2023 में ईएसडीएम सेक्टर का योग्य बाजार 4.39 लाख करोड़ रुपये का था, जिसमें ओईएम धीरे-धीरे ईएसडीएम भागीदारों पर निर्भरता बढ़ा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, घरेलू मुद्रित सर्किट बोर्ड असेंबली (पीसीबीए) बाजार में 41.6 प्रतिशत की सीएजीआर दर्ज होने और वित्त वर्ष 2026 तक 6.55 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2023 में 2.31 लाख करोड़ रुपये था।
सहाय ने विकास के कारकों का भी जिक्र किया। उन्होंने विश्व स्तर पर हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स की बढ़ती मांग, मूल्य संवर्द्धन, हाई स्पीड असेंबली जैसे कारक अहम हैं।
इस अवसर का लाभ उठाने के लिए, भारत कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स को प्रोत्साहित कर रहा है और अपनी विनिर्माण क्षमताओं का विस्तार कर रहा है, जिससे पीसीबीए निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका बढ़ेगी और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के रूप में इसकी स्थिति मजबूत होगी।
ब्रोकरेज ने चार घरेलू ईएसडीएम कंपनियों एवलॉन टेक्नोलॉजीज, साइएंट, केनेस टेक्नोलॉजी और सिरमा एसजीएस टेक्नोलॉजी पर सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ कवरेज शुरू किया है।
सभी चार कंपनियां विकास के लिए अच्छी स्थिति में हैं, जिन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में मजबूत ऑर्डर बुक और रणनीतिक विस्तार योजनाओं का समर्थन प्राप्त है।

 

गूगल मैप्स ने किए बड़े बदलाव, अब मुफ्त मिलेंगी यह सेवाएं
Posted Date : 10-Dec-2024 8:28:03 am

गूगल मैप्स ने किए बड़े बदलाव, अब मुफ्त मिलेंगी यह सेवाएं

नई दिल्ली। गूगल ने भारतीय डेवलपर्स को अपने मैप्स प्लेटफॉर्म से अधिक सुविधाएं प्रदान करने की घोषणा की है, जिसमें रूट्स, स्थान और एनवायरनमेंट एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट (एसडीके) तक निशुल्क पहुंच शामिल है।
1 मार्च, 2025 से डेवलपर्स को मासिक सीमा तक मैप्स, रूट्स, स्थान और एनवायरमेंट प्रोडक्ट्स तक मुफ्त पहुंच प्राप्त होगी, जिससे उन्हें बिना किसी अग्रिम लागत के निकटवर्ती स्थान और डायनामिक स्ट्रीट व्यू जैसे विभिन्न उत्पादों को आसानी से एकीकृत कर पाएंगे।
गूगल मैप्स प्लेटफॉर्म के प्रोडक्ट मैनेजमेंट के वरिष्ठ निदेशक टीना वेयंड ने कहा, भारत में इसका मतलब यह है कि आज हम जो 200 डॉलर का मासिक क्रेडिट प्रदान करते हैं, उसके स्थान पर डेवलपर्स जल्द ही हर महीने 6,800 डॉलर तक की वैल्यू की मुफ्त सेवाओं का उपयोग कर पाएंगे।
इससे डेवलपर्स को बेहतर समाधान बनाने और बिना किसी लागत के गूगल एपीआई और एसडीके के साथ प्रयोग करने की सुविधा मिलेगी। डेवलपर्स को केवल तभी भुगतान करना होगा जब वे फ्री उपयोग की सीमा पार कर लेंगे।
गूगल मैप्स प्लैटफॉर्म का भारत में उपयोग डिलीवरी से लेकर ट्रैवल ऐप बनाने में किया जाता है।
वेयंड ने कहा, भारत में हमारी कवरेज 70 लाख किलोमीटर से ज्यादा की सडक़ों, 30 करोड़ इमारतों और 3.5 करोड़ व्यवसायों और स्थानों तक फैली हुई है।
टेक दिग्गज की ओर से कहा गया कि गूगल मैप्स प्लेटफॉर्म ने हाल ही में भारत में विशिष्ट मूल्य निर्धारण की शुरुआत की है। इसमें अधिकांश एपीआई पर 70 प्रतिशत तक कम मूल्य निर्धारण और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) के साथ सहयोग शामिल है, जो डेवलपर्स को चुनिंदा गूगल मैप्स प्लेटफॉर्म एपीआई पर 90 प्रतिशत तक की छूट प्रदान करता है।
कंपनी ने कहा कि इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कई डेवलपर्स के बिलों में आधे से भी अधिक की कमी आई है और छोटे डेवलपर्स के बिलों में तो और भी बड़ी कमी आई है।