नई दिल्ली ,21 जनवरी । अगर आप घर बैठे पैसे कमाना चाहते है तो आज हम आपको एक ऐसे बिजनेस के बारे में बताने जा रहा है जिसमें लागत भी कम आएगी और कमाई अच्छी खासी हो जाएगी। इसके लिए आपको जरुरत पड़ेगी छत या फिर खुले आंगन की। हम आपको बताने जा रहे है बिना मिट्टी के खेती के बारे में।
आजकल बिना मिट्टी के खेती ट्रेंड में है। आप इसे टेरेस फार्मिंग भी कह सकते है। इस तक्नीक में मिट्टी का इस्तेमाल तो बिल्कुल नहीं होता। पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्व पानी के सहारे सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है। इसे हाइड्रॉपनिक्स तकनीक कहा जाता है। पौधे एक मल्टीलेयर फ्रेम के सहारे पाइप में उगाए जाते हैं और उनकी जड़ें पाइप के अंदर पोषक तत्वों से भरे पानी में छोड़ दी जाती है जिससे उन्हें बड़े होने में सहायता मिलती है।
कई कंपनियां हाइड्रॉपनिक्स तकनीक के सेटअप के लिए काम करती हैं जो शौकिया गार्डन से लेकर कमर्शियल फार्म सेट करने में आपकी मदद करती है। इसमें लेटसेक्ट्रा एग्रीटेक बिटमाइंस इनोवेशंस, फ्यूचर फार्म्स, हमारी कृषि जैसे स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं। इन कंपनियों से हाइड्रॉपनिक्स सेटअपर को खरीदा जा सकता है। कमाई की बात करें तो आप महंगी फल और सब्जियां उगाकर सालाना 2 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते है।
नई दिल्ली ,21 जनवरी । भारत 2019 में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में ब्रिटेन को पीछे छोड़ सकता है। वैश्विक सलाहकार कंपनी पीडब्ल्यूसी की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक ही स्तर के विकास और कमोबेश समान आबादी की वजह से इस सूची में ब्रिटेन और फ्रांस आगे पीछे होते रहते हैं। लेकिन यदि भारत इस सूची में आगे निकलता है तो उसका स्थान स्थायी रहेगा।
पीडब्ल्यूसी की वैश्विक अर्थव्यवस्था निगरानी रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2019 में ब्रिटेन की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत, फ्रांस की 1.7 प्रतिशत तथा भारत की 7.6 प्रतिशत रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और फ्रांस 2019 में ब्रिटेन को पीछे छोड़ देंगे।
इससे वैश्विक रैंकिंग में ब्रिटेन पांचवें स्थान से फिसलकर सातवें पायदान पर पहुंच जाएगा। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 2017 में फ्रांस को पीछे छोडक़र भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। जल्द भारत के ब्रिटेन को पीछे छोडऩे की उम्मीद है जो पांचवें स्थान पर है।
पीडब्ल्यूसी वैश्विक अर्थव्यवस्था निगरानी रिपोर्ट एक लघु प्रकाशन है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के रुख और मुद्दे पर गौर करता है। साथ ही यह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर ताजा अनुमान प्रकाशित करता है। पीडब्ल्यूसी इंडिया के भागीदार एवं लीडर (लोक वित्त तथा अर्थशास्त्र) रानेन बनर्जी ने कहा कि यदि कोई बड़ी अड़चन नहीं आती है तो 2019-20 में भारत 7.6 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि की ओर लौटेगा।
पीडब्ल्यूसी के वरिष्ठ अर्थशास्त्री माइक जैकमैन ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। बड़ी आबादी, अनुकूल जनसांख्यिकीय तथा प्रति व्यक्ति जीडीपी के निचले स्तर की वजह से उसकी तेजी से पकडऩे की क्षमता भी अधिक है। पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि 2019 में सुस्त रहेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर ने 2016 के अंत तथा 2018 के शुरू में जो रफ्तार पकड़ी थी अब वह पूरी हो चुकी है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 2017 में भारत 2,590 अरब डॉलर के बराबर के जीडीपी के साथ दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था। उसके फ्रांस को पीछे छोड़ा था। फ्रांस का जीडीपी 2,580 अरब डॉलर था।
नई दिल्ली ,19 जनवरी । पेट्रोल और डीजल के भाव नए साल में फिर नित नई ऊंचाइयों को छूने लगे हैं। पेट्रोल की कीमतों में शनिवार को लगातार तीसरे दिन वृद्धि दर्ज की गई, जबकि डीजल के दाम में लगातार 10 दिनों से हो रही बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं को रोज महंगाई के झटके लग रहे हैं।
तेल विपणन कंपनियों ने शनिवार को दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में पेट्रोल के भाव में 17 पैसे जबकि चेन्नई में 18 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की। वहीं, डीजल के दाम दिल्ली और कोलकाता में 19 पैसे जबकि मुंबई में 22 पैसे और चेन्नई में 21 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दिए गए हैं। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल के दाम बढक़र क्रमश: 70.72 रुपये, 72.82 रुपये, 76.35 रुपये और 73.41 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं। चारों महानगरों में डीजल के दाम बढक़र क्रमश: 65.16 रुपये, 66.93 रुपये, 68.22 रुपये और 68.83 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं।
नई दिल्ली ,19 जनवरी । चालू रबी बुवाई सीजन में गेहूं और चना सहित अधिकांश दलहन, तिलहन और मोटे अनाज का रकबा पिछले रबी सीजन के मुकाबले घट गया है, हालांकि प्रमुख रबी तिलहन सरसों का बुवाई क्षेत्र पिछले साल से 2.84 फीसदी बढ़ गया है। कुल रबी फसलों का रकबा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4.82 फीसदी घटकर 588.09 लाख हेक्टेयर रह गया। पिछले साल अब तक 617.89 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई हो चुकी थी।
केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्रालय की ओर से इस सप्ताह जारी देशभर के रबी फसलों की बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले 2.57 फीसदी घटकर 296.05 लाख हेक्टेयर रह गया है। पिछले साल देशभर में 303.87 लाख हेक्टेयर में अब तक गेहूं की बुवाई हो चुकी थी। चना का रकबा पिछले साल के मुकाबले 9.96 फीसदी कम है।
फसल वर्ष 20118-19 (जुलाई-जून) के रबी बुवाई सीजन में दलहनों की बुआई अब तक 149.01 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल की समान अवधि के रकबे से 5.57 फीसदी कम है। पिछले साल अब तक 157.80 लाख हेक्टेयर में दलहनों की बुवाई हो चुकी थी। प्रमुख रबी दलहन चना का रकबा 95.40 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल के समान अवधि के रकबे 105.95 लाख हेक्टेयर से 9.96 फीसदी कम है। मसूर का रकबा पिछले साल से 1.96 फीसदी घटकर 16.85 लाख हेक्टेयर रह गया है।
मोटे अनाज का रकबा 46.66 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जो पिछले साल के मुकाबले 13.88 फीसदी कम है। तिलहनों का रकबा 78.45 लाख हेक्टेयर हो चुका है जो पिछले साल के 79.20 लाख हेक्टेयर से 095 फीसदी कम है, लेकिन सरसों का रकबा पिछले साल 2.84 फीसदी बढक़र 68.66 लाख हेक्टेयर हो चुका है। मूंगफली का रकबा पिछले साल से 22.24 फीसदी घटकर 4.08 लाख हेक्टेयर रह गया है।
0-रेलवे बोर्ड के सदस्य का दावा
नई दिल्ली ,19 जनवरी । केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ट्रेन चलाने का जिम्मा प्राइवेट कंपनियों को सौंपने की सोच रही है। सूत्र बताते हैं कि सबकुछ ठीक रहा तो इसी वित्तीय सत्र में सरकार इस दिशा में पहल कर देगी। अमेरिका में वैगन और कंटेनर सेवाओं का केवल 25 फीसदी ही रेल ऑपरेटर के पास है, बाकी का 75 फीसदी प्राइवेट सेक्टर के पास है। वहीं रूस में इन सेवाओं में सरकार का कोई दखल नहीं है।
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य ने शुक्रवार को कहा कि रेलवे यात्री ट्रेनों और मालगाडिय़ों के परिचालन में निजी ऑपरेटरों को अनुमति देने पर विचार कर रहा है। रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) गिरीश पिल्लई ने परिवहन अनुसंधान एवं प्रबंधन केंद्र (सीटीआरएम) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि वरिष्ठ अधिकारी अभी इस मामले पर विचार कर रहे हैं।
पिल्लई ने कहा, दुनियाभर में ट्रेनों के परिचालन में कई बदलाव हुए हैं और मेरा मानना है कि यह ऐसा समय है कि भारत को यात्री ट्रेनों के परिचालन में निजी ऑपरेटरों को अनुमति देने के विकल्प पर चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, उन्हें किराया तय करने और टर्मिनल का निर्माण करने की इजाजत दी जा सकती है कि नहीं, इस पर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ चचाज़् कर रहे हैं।
पिल्लई ने यह भी कहा कि मालढुलाई के क्षेत्र को यात्री सेवाओं से अलग करने की जरूरत है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ट्रेन सेवाएं इस वक्त घाटे की स्थिति में हैं, सिर्फ कुछ ही ट्रेनें फायदे में चल रही हैं। उन्होंने कहा कि यात्री और माल ढुलाई के किराए में बदलाव करने की ज़रूरत है। पिल्लई ने कहा कि माल ढुलाई के सेक्टर में हामी भरने के साथ ही अब तक लगभग 50 प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल देश में आ चुके हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका में वैगन और कंटेनर सेवाओं का केवल 25 फीसदी ही रेल ऑपरेटर के पास है बाकी का 75 फीसदी प्राइवेट सेक्टर के पास है। रूस में इन सेवाओं में सरकार का कोई दखल नहीं है।
नई दिल्ली ,19 जनवरी । वो यूजर्स जो अभी तक विंडोज़- एक्सपी और माइक्रोसॉफ्ट सर्वर 2003 का इस्तेमाल करते है वह भारतीय रेल की ऑफिशियल वेबसाइट आईआरसीटीसी की वेबसाइट से टिकट बुक नहीं पाएंगे। क्योंकि आईआरसीटीसी की वेबसाइट को टीएलएस 1.1 और टीएलएस1.2 में माइग्रेट कर दिया गया है जिस कारण पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम पर अब टिकट बुक नहीं होगा।
दरअसल, पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम पर टिकट बुकिंग बंद करने की वजह यह है कि सारे यूजर्स टिकट बुक करने के लिए ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते है जिसके लिए डेबिट कार्ड, नेट बैंकिग, क्रेडिट कार्ड या मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल होता है, ये सभी ऑनलाइन ट्रांजैक्शन सुरक्षित हो सके, इसके लिए आईआरसीटीसी ने यह कदम उठाया है। जानकारी के लिए बता दें विंडोज सर्वर 2012, विंडोज सर्वर 2012 आर2 और विंडोज सर्वर 2016 पर आईआरसीटीसी की अपग्रेडेट वेबसाइट काम करेगी।