नईदिल्ली,15 अक्टूबर । डीटीएच सब्सक्राइबर्स के लिए एक अच्छी खबर आई है। देश के कई बड़े ब्रॉडकास्टर्स ने अपने चैनलों की कीमत को 7 रुपये तक कम कर दिया है। चैनल सब्सक्रिप्शन प्राइस को कम करने वाले ब्रॉडकास्टर्स में स्टार, जी, वायाकॉम 18 समेत कई अन्य ब्रॉडकास्टर्स भी शामिल हैं। वायाकॉम 18 कलर्स के साथ ही कई दूसरे चैनल्स का भी ब्रॉडकास्ट करता है। इसमें कलर्स काफी पॉप्युलर है। फेस्टिव सीजन को देखते हुए कंपनी ने कलर्स कन्नड़ और हिंदी जीईसी (जनरल एंटरटेनमेंट चैनल) को देखना सस्ता कर दिया है। अब इन चैनल को देखने के लिए हर महीने 12 रुपये ही देने होंगे जो पहले 19 रुपये थे। चैनल के सब्सक्रिप्शन को बढ़ाने के लिए कंपनी ने च्हर दिन दिवालीज् नाम से एक कैंपेन की शुरुआत की है। इसमें दर्शकों को सस्ती दरों पर कलर्स चैनल सब्सक्राइब करने के लिए कहा जा रहा है।
जी व स्टार ने भी घटाए दाम
ब्रॉडकास्टिंग कंपनी जी ने भी अपने चैनलों की कीमत को कम कर दिया है। फेस्टिव सीजन में जी एंटरटेनमेंट ने अपने 6 चैनलों की कीमत को घटा दिया है। इनमें जी मराठी, जी बांग्ला, जी तेलुगू, जी कन्नड़, जी सार्थक, जी टीवी शामिल हैं। इन चैनलों का सब्सक्रिप्शन चार्ज पहले 19 रुपये था जिसे अब 12 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। जी और वायाकॉम 18 की तरह स्टार इंडिया ने भी चैनल प्राइस को कम कर दिया है। कंपनी ने स्टार प्लस समेत कई अन्य चैनलों की कीमत को 19 रुपये से घटा कर 12 रुपये प्रति माह कर दिया है।
डिस्काउंट कैप के लिए ट्राई की तैयारी
नए टैरिफ नियमों को ठीक करने के लिए ट्राई ने ब्रॉडकास्टर्स और ऑपरेटर्स को जरूरी आदेश दिए हैं। ट्राई की कोशिश है कि वह सब्सक्राइबर्स को उनकी मर्जी के चैनल चुनने की आजादी दे। अभी ब्रॉडकास्टर्स अपने चैनल पैक के साथ सब्सक्राइबर्स को वे चैनल भी दे देते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती। ट्राई का मानना है कि सब्सक्राईबर्स के ऊपर चैनल पैक के नाम पर वे चैनल नहीं थोपे जाने चाहिए जिन्हें वे देखना नहीं चाहते। इसके लिए ट्राई 15त्न का डिस्काउंट कैप ला सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई अलग से किसी कीमत पर मिल रहा है, तो उसे चैनल पैक में 15त्न या ऑरिजनल कीमत से सस्ती दरों पर शामिल नहीं कर सकते।
नईदिल्ली,14 अक्टूबर । आईआरसीटीसी के आईपीओ में पैसा लगाने वालों की आज लॉटरी लग गई है। आईआरसीटीसी के शेयरों की सोमवार को बीएसई पर 644 रुपये पर लिस्टिंग हुई और सुबह 10.20 बजे इसकी कीमत 691 रुपये पर पहुंच गई। इसके आईपीओ को जिस तरह का जबर्दस्त रेस्पांस मिला था उसे देखते हुए इस बात की पहले से ही उम्मीद थी। इससे लाखों निवेशक मालामाल हो गए हैं।
कंपनी का शेयर अब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेश्नल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो चुका है।
यह शेयर 320 रुपये के इशू प्राइस के मुकाबले बीएसई पर 101.25 फीसदी प्रीमियम के साथ बीएसई पर 644 रुपये पर सूचीबद्ध हुआ और निफ्टी में 651 रुपये पर सूचीबद्ध हुआ। बता दें कि स्टॉक मार्केट में किसी सरकारी कंपनी की यह सबसे सफल लिस्टिंग है। बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद कंपनी का बाजार पूंजीकरण (एम कैप) 10,736 करोड़ रुपये हो गया है। सुबह 10.30 बजे कंपनी का शेयर 40 अंक यानी 6.21 फीसदी के उछाल के साथ 683.25 रुपये पर कारोबार कर रहा था। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी का शेयर 691.25 रुपये पर कारोबार कर रहा था।
एक लॉट 40 इच्टिी शेयरों का था। न्यूनतम बोली 40 इच्टिी शेयरों के लिए थी। रिटेल निवेशक अधिकतम 16 लॉट खरीद सकते थे। कंपनी ने 315 से 320 रुपये का प्राइस बैंड तय किया था और खुदरा श्रेणी के निवेशकों और पात्र कर्मचारियों के लिए आधार मूल्य पर प्रति शेयर 10 रुपये की छूट की पेशकश थी। यानी छूट के बाद आईआरसीटीसी आईपीओ का दाम 305 से 310 रुपये था। लोगों को 40 शेयर का एक लॉट खरीदने के लिए 12,200 रुपये खर्च करने पड़े।
बता दें कि ग्रे मार्केट में शेयर की कीमत में 71 फीसदी की बढ़ोतरी पहले ही हो चुकी थी। आईपीओ के जरिए कंपनी ने 645 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था।
स्टॉक एक्सचेंज से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 645 करोड़ रुपये जुटाने के लिए लाए गए इस आईपीओ के तहत दो करोड़ शेयरों के लिए बोलियां मांगी गईं थीं। इस निर्गम में पात्र कर्मचारियों के लिए 1,60,000 शेयर आरक्षित किए गए हैं। चलिफाइड इन्स्टिट्यूश्नल बायर्स ( क्तढ्ढक्च ) की श्रेणी में 109 गुना, गैर-संस्थागत निवेशकों के मामले में 355 गुना और खुदरा निवेशकों के मामले में 15 गुना अभिदान मिला है।
सैन फ्रांसिस्को,14 अक्टूबर। हिंसक लोन से बेहतर तरीके से निपटने के लिए गूगल ने प्ले स्टोर से उन एप्स को हटा दिया है, जो भ्रामक और हानिकारक प्रचार के जरिए 36 प्रतिशत की वार्षिक दर या उससे अधिक दर पर पर्सनल लोन दे रहे थे, जैसे पेडे लोन्स।
एनगैजेट ने द वॉल स्ट्रीट जर्नल के हवाले से कहा कि एक प्रवक्ता ने बताया कि विस्तारित वित्तीय नीति इस वर्ष की शुरुआत से लागू की गई थी और ऐसा शोषकों से यूजर (ग्रहकों) की रक्षा करने के लिए किया गया था। फैसले से प्रभावित हुए करदाता टेक दिग्गज कंपनी के फैसले से खुश नहीं हैं। यह नियम या तो उन्हें कम दरें करने या पूरी तरह से झुकाने का कार्य करते हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ऑनलाइन लेंडर्स अलायंस के सीईओ मैरी जैक्सन ने बार-बार कहा कि कंपनियों के व्यवहारों को अनुमति दी गई थी। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि प्रतिबंध वैध ऑपरेटरों के साथ-साथ उन ग्राहकों को भी नुकसान पहुंचा रहा है, जो वैध ऋण की तलाश में है।
स्टॉकहोम,14 अक्टूबर । भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अभिजीत बनर्जी को वर्ष 2019 का अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार दिया गया है। बनर्जी के साथ उनकी पत्नी इश्तर डूफलो और माइकल क्रेमर को भी संयुक्त रूप से नोबल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। तीनों अर्थशास्त्रियों को दुनियाभर में गरीबी दूर करने की दिशा में एक्सपेरीमंट अप्रोच के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। नोबल पुरस्कार के तहत विजेताओं को नौ मिलियन स्वीडिश क्रोनोर प्रदान किया जाता है। स्वीडन की जानी-मानी हस्ती अल्फ्रेड नोबल के नाम पर नोबल पुरस्कारों की शुरुआत की गई थी और 1969 में पहला पुरस्कार दिया गया था।
भारत के कलकत्ता विश्वविद्यालय से 1981 में बीएससी की उपाधि ग्रहण करने के बाद बैनर्जी ने 1983 में दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई पूरी की। इकनॉमिक साइंसेज कैटिगरी के तहत यह सम्मान पाने वाले अभिजीत बनर्जी भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं। फिलहाल वह मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं। वह और उनकी पत्नी डफलो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब के को-फाउंडर हैं।
नईदिल्ली,14 अक्टूबर । स्पेक्ट्रम की ऊंची कीमत और नेटवर्क लगाने की लागत कर्ज के बोझ से दबे दूरसंचार उद्योग के समक्ष एक बड़ी चुनौती है। इंडिया मोबाइल कांग्रेस-2019 को सोमवार को संबोधित करते हुए भारती एंटरप्राइजेज के वाइस चेयरमैन राकेश भारती मित्तल ने यह बात कही। मित्तल ने कहा कि देश में उच्च गति की ब्रॉडबैंड सेवा के लिए आप्टिकल फाइबर बिछाने की लागत का 75 प्रतिशत स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा लिया जाने वाला शुल्क होता है। उन्होंने कहा, ‘‘स्पेक्ट्रम का मौजूदा आरक्षित मूल्य वैश्विक स्तर पर अन्य देशों की तुलना में करीब सात गुना है। स्पेक्ट्रम के ऊंचे मूल्य तथा उसके साथ साइटों और फाइबर के लिए अधिक निवेश करने की जरूरत से दूरसंचार उद्योग प्रभावित है।’’ मित्तल ने बताया कि अभी भारत में प्रति दूरसंचार ग्राहक औसत आय (एआरपीयू) मात्र 1.5 डॉलर है। अमेरिका में यह 36 डॉलर और चीन में 6.5 डॉलर है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भारत में कंपनियों को इन देशों के समान ही निवेश करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मुकदमेबाजी से भी दूरसंचार क्षेत्र प्रभावित है। करीब एक लाख करोड़ रुपये के मामले मुकदमेबाजी में फंसे हैं।
नईदिल्ली,13 अक्टूबर । एयर इंडिया कंपनी एक बार फिर संकट में घिरती नजर आ रही है। सैलरी और प्रमोशन को लेकर एक साथ 120 पायलटों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ये तमाम पायलट अपनी सैलरी नहीं बढऩे और पदोन्नति नहीं होने से नाराज थे, जिसके चलते उन लोगों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। जानकारी के अनुसार इस्तीफा देने वालों में एयरबस ओ-320 के पायलट शामिल है।
पायलटों की शिकायत है कि उन्हें ना सैलरी में हाइक दी जा रही है और ना ही उनकी पदोन्नति की जा रही है। लगातार उनकी मांगों को एयर इंडिया प्रशासन नजरअंदाज कर रहा था, जिससे नाराज इन तमाम पायलट ने अपने पद से एक साथ इस्तीफा दे दिया है।
बता दें कि सरकार एयर इंडिया के कुछ हिस्से को प्राइवेट निवेशकों को देने की तैयारी कर रही है, जिसकी बड़ी वजह है कि एयर इंडिया पर 6०० करोड़ रुपए का बकाया है। एक पायलट जिसने हाल ही में इस्तीफा दिया है, उसने बताया कि एयर इंडिया के मैनेजमेंट को हमारी शिकायतों को सुनना चाहिए। हमारी मांग है कि सैलरी और प्रमोशन पायलट्स को दिया जाए, काफी लंबे समय से हम यह मांग रख रहे हैं।
पायलट का कहना है कि काफी लंबे समय से हमारी यह मांग लंबित है, लेकिन हमे किसी भी तरह का कोई पुख्ता आश्वासन नहीं दिया गया है। पायलट ने बताया कि पायलट्स एयर इंडिया की हालत पर नजर बनाए हुए हैं क्योंकि कंपनी पर काफी भारी भरकम बकाया है। हम अपनी सैलरी को समय पर बैंक से निकाल नहीं पा रहे हैं। शुरुआत में पायलट्स को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर रखा गया था, इन्हें पांच वर्ष के करार पर रखा गया था, इन्हें काफी कम सैलरी पर रखा गया था।