नई दिल्ली ,30 जनवरी । केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अटके हुए करीब 3 लाख फ्लैट्स का काम पूरा कर उनकी डिलीवरी तेज करने के लिए फंड बनाने पर भी विचार कर रही हैं। यही नहीं सरकार इन हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के बिल्डरों के पास खाली पड़ी जमीन को इस्तेमाल करनी की योजना भी बना रही है।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सरकारी बैंकों के बीच इस सैक्टर के लिए स्ट्रेस फंड को लेकर बातचीत हुई है। गोयल इस वक्त वित्त मंत्रालय का कामकाज देख रहे हैं, हालांकि इस स्ट्रेस फंड की राशि कितनी होगी इस बात की जानकारी अभी नहीं मिल पाई है। संभावना जताई जा रही है कि शुरुआत में इसके 1 से 2 हजार करोड़ रुपये होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में हाउसिंग सेक्रेटरी डीएस मिश्रा भी शामिल थे।
बैठक में हाउसिंग मिनिस्ट्री, एनबीसीसी और बैंकों से एक ऐसी योजना बनाने के लिए कहा गया है जिस पर तुरंत कदम बढ़ाया जा सके। खाली पड़ी जमीनों के इस्तेमाल के लिए बैठक में चर्चा हुई है कि इन्हें एनबीसीसी जैसी एजेंसियों को सौंपा जाएगा, ताकि एनबीसीसी इन जमीनों में संसाधन पैदा करे या फिर इन्हें विकसित कर 10-10 साल से अटके पड़े फ्लैट्स के निर्माण का खर्च जुटाए। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगामी लोकसभा चुनावों से पहले अटके पड़े फ्लैट्स के काम को पूरा करना चाहते हैं। इस ओर सरकार ने 1 साल पहले ही कदम बढ़ाने शुरू कर दिए थे।
बता दें कि जेपी इन्फ्राटेक, आम्रपाली और लोटस 3 सी की ग्रेनाइट गेट जैसी कंपनी इस वक्त दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं। जिसके कारण इनके पास लोगों के हजारों फ्लैट्स फंसे हुए हैं। आम्रपाली ग्रुप के पास 43 हजार फ्लैट फंसे हुए हैं और 10 हजार नए फ्लैट बनाने के लिए जमीन खाली है। जेपी ग्रुप के पास 3,500 एकड़ खाली जमीन है। सूत्रों के अनुसार सुपरटेक, यूनिटेक और 3 सी ग्रुप के पास भी काफी जमीन खाली पड़ी है, जिसे विकसित किया जा सकता है।
सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अतिरिक्त रकम लागकर भी फ्लैट्स का काम पूरा किया जा सकता है। अटके फ्लैट्स की संख्या इसलिए बढ़ गई है क्योंकि एक ओर जहां बिल्डर पैसे जुटाने में असक्षम हैं, तो वहीं दूसरी ओर फ्लैट के निर्माण को लेकर होम बायर्स ने भी पेमेंट करना बंद कर दिया है।
नई दिल्ली ,30 जनवरी । वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक, 2018 में भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है। एक भ्रष्टाचार-निरोधक संगठन द्वारा जारी वार्षिक सूचकांक के मुताबिक इस सूची में चीन काफी पीछे छूट गया है। ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने 2018 के अपने भ्रष्टाचार सूचकांक में कहा है कि दुनियाभर के 180 देशों की सूची में भारत तीन स्थान के सुधार के साथ 78वें पायदान पर पहुंच गया है। वहीं इस सूचकांक में चीन 87वें और पाकिस्तान 117वें स्थान पर हैं।
वैश्विक संगठन ने कहा है, आगामी चुनावों से पहले भ्रष्टाचार सूचकांक में भारत की रैंकिंग में मामूली लेकिन उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 2017 में भारत को 40 अंक प्राप्त हुए थे जो 2018 में 41 हो गए। इस सूची में 88 और 87 अंक के साथ डेनमार्क और न्यूजीलैंड पहले दो स्थान पर रहे। वहीं सोमालिया, सीरिया एवं दक्षिण सूडान क्रमश: 10,13 और 13 अंकों के साथ सबसे निचले पायदानों पर रहें।
वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक, 2018 में करीब दो तिहाई से अधिक देशों को 50 से कम अंक प्राप्त हुए। हालांकि देशों का औसत प्राप्तांक 43 रहा। रपट में कहा गया है कि 71 अंक के साथ अमेरिका चार पायदान फिसला है। वर्ष 2011 के बाद यह पहला मौका है जब भ्रष्टाचार सूचकांक में अमेरिका शीर्ष 20 देशों में शामिल नहीं है।
0-बेइज्जती की तो हो जाएंगे ब्लॉक
नई दिल्ली ,30 जनवरी । ड्राइवर की बेइज्जती की तो ऊबर आपको ब्लॉक कर देगा। मसलन ऊबर अब राइडर्स पर भी ऐक्शन लेने की तैयारी कर रहा है। ऊबर का कहना है कि जैसे राइडर्स की शिकायत पर ड्राइवर पर कार्रवाई हो रही है उसी प्रकार अगर कोई ड्राइवर के साथ बुरा व्यवहार करता है तो राइडर को ब्लॉक कर दिया जाएगा।
कैब ड्राइवर की बदतमीजी और उन पर कार्रवाई की खबरें तो हम अकसर पढ़ते हैं, लेकिन ड्राइवर की शिकायत पर ऐक्शन नहीं होता। यह अब बदलने वाला है। ऊबर ऐसे राइडर्स को अलर्ट कर रहाहै, जो बार-बार कैब ड्राइवर के साथ गलत व्यवहार करते हैं। जिस राइडर के व्यवहार में कोई सुधार नहीं होगा, ऊबर उसे ब्लॉक भी करेगा।
ऐसे यूजर्स ऊबर ऐप इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इस बारे में एनबीटी से बात करते हुए उबर इंडिया और साउथ एशिया के हेड ऑफ सिटीज प्रभजीत सिंह ने कहा कि आदर दोनों तरफ से होना चाहिए। अब तक हम यूजर्स की रेटिंग पर ऐक्शन लेते थे। अब ड्राइवर्स जो रेटिंग राइडर्स को देते हैं, उस पर भी गौर कर रहे हैं।
इसके अलावा, ड्राइवरों के लिए ड्राइवर सेफ्टी टूल किट भी लॉन्च किया गया है। इसके शेयर यूअर ट्रिप फीचर से ऊबर ड्राइवर ट्रिप के दौरान अपनी लोकेशन फैमिली के साथ शेयर कर सकेंगे। इन ऐप इमरजेंसी बटन दबाकर राइडर्स की तरह ही अब ड्राइवर भी मदद ले सकेंगे। इसमें स्पीड लिमिट फीचर भी जोड़ा गया है।
नई दिल्ली । सरकार ने लाभार्थियों को कल्याणकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली सब्सिडी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए सीधे उसके बैंक खाते में भेजकर जो बचत की है, वह लगभग 1.1 लाख करोड़ रुपये के लेवल तक पहुंच गई है। इसका पता 31 दिसंबर 2018 तक अपडेटेड डेटा से चला है।
सरकार ने कहा है कि उसे इतने लाख करोड़ की बचत लगभग 8 करोड़ फर्जी लाभार्थियों को रिकॉर्ड से हटाने की वजह से हुई है। अपडेटेड डेटा उस समय आए हैं जब सरकार किसानों को सब्सिडी का लाभ देने और मुमकिन तौर पर यूनिवर्सल बेसिक इनकम फ्रेमवर्क के लिए डीबीटी का रास्ता अपनाने के बारे में सोच रही है।
हालिया डेटा के मुताबिक, 31 दिसंबर 2018 तक सरकार को डीबीटी के जरिए 1 लाख 9 हजार 983 करोड़ रुपये की बचत हुई थी जो 31 मार्च 2018 को 90 हजार करोड़ रुपये थी। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार को डीबीटी के जरिए एक साल में 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हुई थी। अब तक डीबीटी के जरिए कुल 6 लाख 5 हजार 900 करोड़ रुपये की सब्सिडी बांटी जा चुकी है।
सरकार के एक सीनियर अफसर ने पहचान जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर ईटी से कहा, आंकड़े बताते हैं कि सरकार को डीबीटी के चलते बांटी गई सब्सिडी के छठे हिस्से की बचत हुई है। सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी 2019 के चुनाव प्रचार में इस आंकड़े को उपलब्धि की तरह पेश करते हुए कह सकती है कि उसने भ्रष्टाचारमुक्त सरकार देकर जनता का पैसा बचाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में 22 जनवरी को हुए 15वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में डीबीटी के जरिए लाभार्थियों के बैंक खाते में जमा कराई गई रकम के बाबत जो कहा था, अपडेटेड डेटा उससे कहीं ज्यादा हैं।
उन्होंने कहा था कि डीबीटी के जरिए लाभार्थिों के बैंक अकाउंट में 5 लाख, 80 हजार करोड़ रुपये डाले गए हैं और पब्लिक के पैसे की लूट रोकने के लिए 7 करोड़ फर्जी लाभार्थियों रिकॉर्ड से हटाए गए हैं।
सम्मेलन में मोदी ने कहा था, एक पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि अगर दिल्ली से एक रुपया भेजा जाता है तो उसमें से सिर्फ 15 पैसे ही गांव तक पहुंचता है। दुर्भाग्य से पार्टी ने उसके 10-15 साल के शासन में लूट या लीकेज रोकने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा था कि रिकॉर्ड से जो 7 करोड़ फर्जी लाभार्थी हटाए गए हैं, वह ब्रिटेन, फ्रांस या इटली की आबादी के बराबर है।
हालिया डेटा के मुताबिक सरकार ने दावा किया है कि सिस्टम से ऐसे 4.09 करोड़ ड्युप्लीकेट या फर्जी एलपीजी कनेक्शन हटाए गए हैं, जिन पर फर्जी तरीके से गैस सिलेंडर सब्सिडी ली जा रही थी। डीबीटी के जरिए इससे अब तक 56 हजार 400 करोड़ रुपये की बचत हुई है और यह इस रूट के जरिए अब तक हुई बचत के आधे के बराबर है।
नई दिल्ली । अब आप फीचर फोन यानी जियो फोन से भी रेल टिकट बुक कर सकते है। जी हां, रिलायंस जियो ने अपने फीचर फोन के लिए जियोरेल नाम से एक खास ऐप लांच की है जिसमें बुकिंग सेवा का उपयोग करते हुए ग्राहक रेल टिकट बुक करवा सकते है। इसके अलावा वहां आपको टिकट कैसिंल करने की भी सुविधा मिलेगी।
इस ऐप के अन्य फीचर्स की बात करें तो पीएनआर स्टेट्स चैकिंग, ट्रेन टाइमिंग, ट्रेन रूट्स और सीट उपलब्धता के बारे में भी जियोरेल ऐप से जानकारी हासिल की जा सकती है। ये ऐप अभी जियोफोन और जियोफोन 2 के ग्राहकों के लिए ही उपलब्ध है। रेल टिकट के भुगतान के लिए ग्राहक डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या ई-वॉलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्मार्टफोन के लिए बने आईआरसीटीसी के ऐप की तरह जियोरेल ऐप से भी ग्राहक तत्काल बुकिंग कर सकेंगे। जियोफोन के जिन ग्राहकों के पास आईआरसीटीसी का एकाउंट नही है वह जियोरेल ऐप का इस्तेमाल कर नया एकाउंट भी बना सकते हैं। जियोरेल ऐप टिकट बुकिंग को काफी आसान बना देगा। जियोफोन ग्राहकों को टिकट बुकिंग के लिए लंबी लाइनों और ऐजेंटों से मुक्ति मिलेगी।
नई दिल्ली । माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के संग्रह में आई गिरावट से चिंतित कर अधिकारी कारोबारियों द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का अधिक लाभ उठाने वाले मामलों की जांच शुरू कर सकते हैं। बड़ी संख्या में राज्यों में जीएसटी संग्रह में गिरावट के कारणों की जांच के लिए जीएसटी परिषद ने एक मंत्री-समूह का गठन किया है। इस समूह की बैठक में आईटीसी के अधिक उपयोग का मुद्दा उठाया गया।
सूत्रों के अनुसार आदर्श स्थिति में इनपुट टैक्स् क्रेडिट से राजस्व का नुकसान नहीं होना चाहिए लेकिन इस बात की संभावना है कि कुछ निर्लज्ज किस्म के कारोबारी इस प्रावधान का दुरुपयोग कर रहे हों। हो सकता है कि टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए वह नकली बिल बना रहे हों। मंत्री समूह की बैठक के दौरान यह बात रखी गई कि कुल जीएसटी देनदारी में से 80 प्रतिशत का निपटान इनपुट टैक्स क्रेडिट के जरिए होता है। मात्र 20 प्रतिशत कर ही नकद रूप से जमा कराया जाता है।
चालू वित्त वर्ष में जीएसटी का औसत मासिक संग्रह 96,000 करोड़ रुपये रहा है। मौजूदा व्यवस्था में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट दावों का आपूर्तिकर्ताओं द्वारा पहले चुकाए गए इनपुट कर से तत्काल सीधे मिलान किया जा सके।
अभी यह मिलान आईटीसी का दावा हासिल कर लिए जाने के बाद जीएसटी नेटवर्क द्वारा जनित जीएसटीआर-2ए के आधार पर किया जाता है।मिलान में घट बढ़ निकलने के बाद कर अधिकारी कारोबार को नोटिस भेजते हैं।
सूत्रों ने बताया कि अभी की व्यवस्था में इनपुट टैक्स क्रेडिट दावा दाखिल करने और उनका मिलान करने में काफी समय का अंतर है ऐसे में संभावना है कि कुछ दावे नकली बिलों के आधार पर किए जा रहे हों। एक बार नयी रिटर्न प्रणाली आ जाने से अधिकारियों के पास वास्तविक समय में दावों का मिलान करने की सुविधा मिलेगी। सूत्रों ने कहा कि राजस्व विभाग अब आईटीसी के दावों की अधिक संख्या में जांच करेगा तकि यह पता लगाया जा सके कि दावे उचित हैं या फर्जी।
इस वित्त वर्ष के दौरान जीएसटी संग्रह अप्रैल में 1.03 लाख करोड़ रुपए मई में 94,016 लाख करोड़ रुपए, जून में 95,610 करोड़ रुपए ,जुलाई में 96,483 करोड़ रुपये ,अगस्त में 93,960 करोड़ रुपये , सितंबर में 94,442 करोड़ रुपए, अक्तूबर 1,00,710 करोड़ रुपए, नवंबर में 97,637 करोड़ रुपये तथा दिसंबर में 94,726 करोड़ रुपए रहा।