नयी दिल्ली ,01 फरवरी । वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि सार्वजनिक खरीद के ऑनलाइन मंच- ‘सरकारी ई-बाजार’ (जीईएम) से पिछले दो साल में 17500 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है जिसके परिणामस्वरूप 25 से 28 प्रतिशत की औसत बचत हुई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने अगस्त 2016 में जीईएम की शुरूआत की थी जिसमें सरकारी विभागों और एजेंसियों के लिए खुला और पारदर्शी खरीद मंच बनाने का उद्देश्य है। लोकसभा में 2019-20 के लिए अंतरिम बजट पेश करते हुए गोयल ने कहा, ‘‘जीईएम ने सार्वजनिक खरीद को पूरी तरह पारदर्शी, समावेशी और सक्षम बनाया है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को जीईएम के माध्यम से उनके उत्पाद बेचने का अवसर मिला है। 17500 करोड़ रुपये का लेनदेन हो गया है जिसके परिणामस्वरूप जीईएम से खरीद से औसतन 25 से 28 प्रतिशत बचत हुई है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि इस मंच का विस्तार अब सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों तक कर दिया गया है।
नयी दिल्ली ,01 फरवरी । घरेलू बाजारों में कमजोरी के रुख के अनुरूप सटोरियों के अपने सौदे के आकार को कम किया जिससे शुक्रवार को वायदा कारोबार में कच्चा तेल की कीमत 0.9 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,868 रुपये प्रति बैरल रह गयी। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में मार्च डिलिवरी वाले कच्चा तेल की कीमत 35 रुपये यानी 0.9 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,868 रुपये प्रति बैरल रह गयी जिसमें 593 लॉट का कारोबार हुआ। बाजार सूत्रों ने कहा कि कच्चा तेल वायदा कीमतों में गिरावट आने का कारण कमजोरी के रुख के साथ साथ घरेलू बाजार में मौजूदा स्तर पर सटोरियों की मुनाफावसूली थी। हालांकि वैश्विक स्तर पर वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड की कीमत 0.06 प्रतिशत मजबूत होकर 53.82 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.39 प्रतिशत की तेजी के साथ 61.89 डॉलर प्रति बैरल हो गयी।
नयी दिल्ली ,01 फरवरी । यस बैंक के वरिष्ठ समूह अध्यक्ष एवं खुदरा और कारोबार बैंकिंग के प्रमुख प्रलय मंडल ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक (एमडी) राणा कपूर के पद छोडऩे के साथ ही इस्तीफा दिया है। यस बैंक ने शेयर बाजारों को दी गयी जानकारी में कहा, प्रलय मंडल ने 31 जनवरी, 2019 को बैंक के वरिष्ठ अध्यक्ष और खुदरा और कारोबारी बैंकिंग के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया। वह 31 मार्च, 2019 तक नोटिस अवधि को पूरा करेंगे। वर्ष 2012 में यस बैंक से जुडऩे वाले मंडल उन दो वरिष्ठ अधिकारियों में शामिल थे, जिन्हें पिछले साल सितंबर में कार्यकारी निदेशक के पद पर प्रोन्नत किया गया था। यस बैंक ने मंडल के इस्तीफे का कारण नहीं बताया है।
नयी दिल्ली ,01 फरवरी । कृषि क्षेत्र में संकट से निपटने के लिए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों के लिए दो प्रतिशत की ब्याज सहायता की घोषणा की, जबकि समय पर ऋण भुगतान के लिए उन्हें तीन प्रतिशत अधिक सहायता की पेशकश की गई है। गोयल ने अरुण जेटली के स्थान पर वर्ष 2019-20 के लिए लोकसभा में बजट पेश किया। उन्होंने पशुपालन और मत्स्य पालन में लगे किसानों के लिए भी दो प्रतिशत की ब्याज सहायता की घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहे किसानों को दो प्रतिशत ब्याज सहायता और समय पर रिण पुनर्भुगतान करने वाले किसानों को तीन प्रतिशत की अधिक सहायता मिलेगी। इसके अलावा, वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार पशुपालन और मछली पालन को मदद करने के लिए 750 करोड़ रुपये की सहायता देगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने 22 अधिसूचित फसलों के लिए उत्पादन की लागत से 50 प्रतिशत अधिक मूल्य पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया है। खेती की लागत को पूरा करने के लिए गरीब, भूमिहीन किसानों को व्यवस्थित आय सहायता देने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार खानाबदोश जनजातियों के उत्थान के लिए विशेष रणनीति भी लागू करेगी। उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए पेंशन योजना इस वित्तीय वर्ष से लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि उच्च विकास, अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने के परिणामस्वरूप पिछले दो वर्षों में ईपीएफओ की सदस्यता में दो करोड़ की वृद्धि हुई है।
मुंबई ,01 फरवरी । बजट में मिडल क्लास के लिए बड़े तोहफे के बाद शेयर बाजार में भी धूम मच गई। सरकार ने इस बजट में किसानों और मध्यम वर्ग के लोगों को साधने का काम किया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 31 शेयरों का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 82.41 अंक (0.23त्न) बढक़र खुला था जो दोपहर 1 बजे 403.56 अंक (1.11त्न) चढक़र 36,660.25 हो गया। इसी तरह नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के 50 शेयरों का संवेदी सूचकांक निफ्टी 20.20 अंक (0.36त्न) मजबूत होकर 10,851.15 पर खुला था और दोपहर 1 बजे यह 110.30 अंक (1.02त्न) बढक़र 10,941.25 हो गया। शेयर बाजार लगातार बढ़ रहा है।
निफ्टी 50 के 40 शेयर हरे निशान में दिखे वहीं केवल 10 लाल निशान के साथ गिरावट दिखा रहे थे। वहीं सेंसेक्स के 24 शेयर हरे निशान और केवल 6 कंपनियों के शेयर लाल निशान में दिखे। सरकार ने बजट में 2.5 लाख तक की टैक्स से छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लख रुपये कर दिया है और साथ ही फिक्स डिपॉजिट पर 10,000 के ब्याज पर टैक्स से छूट की सीमा को बढ़ाकर 40 हजार कर दिया गया है।
वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 40,000 से बढ़ाकर 50,000 की जाएगी। वहीं सही निवेश करने पर 6.5 लाख की सालाना आमदनी भी टैक्स फ्री होगी। बता दें कि गुरुवार को भी शेयर बाजार में अच्छी तेजी देखी गई थी। गुरुवार को सेंसेक्स 665.44 अंक उछलकर बंद हुआ था। वहीं निफ्टी में 179 अंकों की बढ़त देखी गई थी।
बजट के बाद बाजार में जोश तो दिखा लेकिन सरकार के कुछ बड़े ऐलान से बाजार में अनिश्चितता का माहौल भी बढ़ा। दरअसल सरकार ने मध्यम वर्ग के लिए खजाने के दरवाजे खोल दिए।
नई दिल्ली,31 जनवरी । देश के सबसे गरीब 25 प्रतिशत परिवारों के हरेक सदस्य को न्यूनतम तयशुदा आय (मिनिमम गारंटीड इनकम) मुहैया कराने में सरकारी खजाने पर 7 लाख करोड़ का बोझ पड़ेगा। सरकार के प्रारंभिक अनुमानों में यह आंकड़ा सामने आया है। अकुशल कामगारों के लिए केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित प्रति दिन 321 रुपये की न्यूनतम मजदूरी को ही आधार बनाया जाए तो प्रति माह प्रति व्यक्ति 9,630 रुपये दिए जाने का प्रावधान लागू करना होगा। अगर सबसे गरीब 18 से 20 प्रतिशत परिवारों तक इस योजना को सीमित रखा जाए तो भी 5 लाख करोड़ से ज्यादा का खर्च आएगा। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा लोकसभा चुनाव में जीत मिलने पर मिनिमम इनकम गारंटी देने के ऐलान के बाद एक इंटरव्यू में यही कहा था।
भारी-भरकम लागत
समाज के सबसे गरीब वर्ग को एक निश्चित रकम देने वाली योजना लागू करने की राह में इसकी भारी-भरकम लागत को ही रोड़ा माना जा रहा है। सरकार खाद्य से लेकर खाद (फूड टु फर्टिलाइजर) और कृषि से लेकर आवास ऋण (फार्म लोन टु होम लोन) तक तरह-तरह की सब्सिडी देती है।
सब्सिडी वापस लेना मुश्किल
2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लेकर दिए गए सुझावों में देश की सबसे गरीब 25 प्रतिशत परिवारों को सालाना 7,620 रुपये दिए जाने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, इसकी लागत एवं कई प्रकार की सब्सिडीज को वापस लेने में सरकार की अक्षमता के मद्देनजर योजना को इतने विस्तृत दायरे में लागू नहीं किया जा सकता है।
किस दायरे पर कितनी लागत?
सर्वेक्षण में इसकी लागत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत बताई गई थी और कहा गया था कि 75 प्रतिशत गरीब आबादी को योजना के दायरे में लाने का सालाना खर्च 2.4 से 2.5 लाख करोड़ रुपये आएगा। सर्वे में देश के सबसे गरीब 25 प्रतिशत परिवारों में औसतन 5 सदस्यों को आधार बनाकर लागत का आकलन किया गया था। हालांकि, ऐसे 18 से 20 प्रतिशत परिवारों के ही हर सदस्य को 3,180 रुपये प्रति माह दिया जाए तो सरकार को सालाना 1.75 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
ये होंगे योजना से बाहर
योजना के कार्यान्वयन को लेकर एक बड़ी समस्या यह है कि आखिर लाभार्थियों की पहचान कैसे की जाएगी? हालांकि, पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन इसे बहुत मुश्किल नहीं मानते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि एक खास स्तर के ऊपर एसी, कार या बैंक बैलेंस वालों को योजना के दायरे में नहीं रखना चाहिए। सर्वेक्षण में योजना के लाभार्थियों की लिस्ट सार्वजनिक करने का सुझाव दिया गया था ताकि समाज का समृद्ध तबका लज्जित होने से बचने के लिए गलत तरीके से इस योजना का लाभ उठाने का प्रयास नहीं करे। साथ ही, इसमें लाभार्थियों को समय-समय पर खुद को योजना के उपयुक्त प्रमाणित करने का अधिकार दिए जाने का सुझाव दिया गया था।