नई दिल्ली ,19 फरवरी । रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 31 दिसंबर को समाप्त छमाही के लिए सरकार को 280 अरब रुपये का अंतरिम लाभांश देने का फैसला किया है। आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की यहाँ सोमवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया। केंद्रीय बैंक ने बताया कि सीमित ऑडिट समीक्षा और आर्थिक पूँजी फ्रेमवर्क को ध्यान में रखते हुये बोर्ड ने 31 दिसंबर 2018 को समाप्त छमाही के लिए सरकार को 280 अरब रुपये का अंतरिम लाभांश देने का फैसला किया गया है। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब रिजर्व बैंक सरकार को अंतरिम लाभांश हस्तांतरित करेगा।
चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा लक्ष्य से ज्यादा होने का दबाव झेल रही सरकार के लिए यह राहत की खबर है। बजट के बाद आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की इस पहली बैठक को सुबह वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी संबोधित किया। इसके बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा था कि अंतरिम लाभांश पर फैसला केंद्रीय बैंक के बोर्ड को करना है। वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला, वित्त सचिव अजय नारायण झा, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय और सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम् भी शामिल हुए। वित्त मंत्री से संवाद के बाद बोर्ड की बैठक आगे जारी रही। इसमें मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों, वैश्विक तथा घरेलू चुनौतियों और रिजर्व बैंक के परिचालन से जुड़े विशिष्ट क्षेत्र पर चर्चा हुई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने इस बैठक की अध्यक्षता की।
नई दिल्ली ,18 फरवरी । हाइब्रिड गाडिय़ों पर सरकार का नजरिया बदल गया है और वह इलेक्ट्रिक के साथ इन पर भी छूट देने की तैयारी कर रही है। केंद्र का मानना है कि इससे स्वच्छ ईंधन से चलने वाले गाडिय़ों को बढ़ावा मिलेगा। डिपार्टमेंट ऑफ हेवी इंडस्ट्रीज (डीएचआई) की ओर से तैयार किए गए प्रस्ताव के मुताबिक, इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को बढ़ावा देने के लिए फेम (फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक वीइकल्स) के दूसरे चरण में सभी सेगमेंट और सभी वीइकल टेक्नॉलजी में बैटरी साइज से जुड़े इंसेंटिव में हाइब्रिड गाडिय़ों को भी शामिल किया जाएगा।
एक आला अधिकारी ने बताया कि प्लग-इन हाइब्रिड और स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड समेत सभी वीइकल पर प्रति किलोवॉट 10,000 रुपये की एक जैसी छूट दी जाएगी। हालांकि इनमें हाइब्रिड बसों को शामिल नहीं किया जाएगा। सरकार ने 2017 में हाइब्रिड गाडिय़ों पर सब्सिडी खत्म कर दी थी और उसे 28 पर्सेंट के सबसे ऊंचे जीएसटी स्लैब में डाल दिया था। इन पर 15 पर्सेंट का अतिरिक्त उपकर यानी सेस भी लगाया गया था। इस वजह से हाइब्रिड गाडिय़ों पर कुल टैक्स 43 पर्सेंट पहुंच गया था। इसके मुकाबले इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को 12 पर्सेंट के जीएसटी स्लैब में रखा गया था। सरकार चाहती है कि 2030 तक सडक़ पर चलने वाली हर गाड़ी इलेक्ट्रिक हो।
हाइब्रिड गाडिय़ों पर सरकार का रुख बदलवाने के लिए सुजुकी, टोयोटा और होंडा जैसी जापान की दिग्गज कंपनियों ने लॉबिंग तेज कर दी थी। उन्होंने सरकार से कहा था कि जब तक देश में सिर्फ इलेक्ट्रिक गाडिय़ां नहीं चलतीं, तब तक वह हाइब्रिड और स्वच्छ ईंधन से चलने वाली दूसरी गाडिय़ों को भी बढ़ावा दे। कंपनियों ने कहा था कि इससे आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता घटेगी और प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स जैसी घरेलू कंपनियां इसका विरोध कर रही थीं। वे सीधे इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को अपनाने पर जोर दे रही थीं। सरकार ने कहा था कि वह स्वच्छ ईंधन पर जोर देने के अपने प्रयास के तहत किसी एक टेक्नॉलजी तक सीमित नहीं रहेगी। हालांकि, उसने इसके लिए खास उपाय नहीं किए हैं।
अधिकारी ने बताया, हमने देखा कि हाइब्रिड/इलेक्ट्रिक वीइकल्स और इंटरनल कंबशन इंजन (आईसीई) वीइकल्स में असल फर्क बैटरी की लागत का है। इसके लिए प्लग-इन हाइब्रिड समेत सभी गाडिय़ों पर प्रति किलोवॉट 10,000 रुपये की समान छूट देने पर विचार किया गया। प्रस्तावित पॉलिसी में इलेक्ट्रिक बसों के लिए प्रति किलोवॉट 20,000 रुपये की छूट देने की बात कही गई है, जिससे आईसीई बस के साथ लागत में अंतर को 6 साल में ऑपरेशनल बचत से वसूला जा सके।
नई दिल्ली ,17 फरवरी । सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी दिवालिया एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता प्रक्रिया के तहत जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण की दौड़ में आगे निकल गई है। कंपनी ने प्रतिद्वंद्वी सुरक्षा एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी से अधिक की बोली लगाई है। बोलियां शनिवार को सार्वजनिक की गईं। दोनों बोलीदाताओं को जेपी के कर्जदाताओं के साथ मकान के खरीदारों के समक्ष सोमवार को विस्तृत प्रेजेंटेशन देना होगा। समाधान पूरा होने में हालांकि एक माह के आसपास वक्त लग सकता है, क्योंकि कर्जदाता बैंक दोनों बोलीदाताओं की योजनाओं पर गौर कर विभिन्न मानदंडों पर उनकी रेटिंग करेंगे।
सूत्रों ने कहा कि एनबीसीसी ने आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले कर्जदाताओं को 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने की पेशकश की है, जिन्होंने प्रॉजेक्ट को 9,800 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। एनबीसीसी ने कर्जदाताओं के साथ लैंड डील के जरिये 3,000 करोड़ रुपये का लोन चुकता करने के साथ ही मकान के खरीदारों के लिए 2,150 करोड़ रुपये अलग से रखने की भी पेशकश की है।
एनबीसीसी की योजना की सबसे अहम बात ताज एक्सप्रेसवे को ग्रुप से अलग कंपनी मानना है। इससे 2,000 करोड़ रुपये का ताजा कर्ज लेने में मदद मिलेगी, जिनमें से 1,000 करोड़ रुपये प्रॉजेक्ट को पूरा करने में जाएंगे और बाकी रकम कर्ज का बोझ कम करने के लिए कर्जदाताओं को दिए जाएंगे। एनबीसीसी को 4 साल में प्रॉजेक्ट पूरा करना है।
जेपी इंफ्राटेक के पास हाउजिंग प्रॉजेक्ट के अलावा ताज एक्सप्रेसवे और जेपी हॉस्पिटल हैं। एक्सप्रेसवे से टोल टैक्स के रूप में राजस्व आता है। दूसरे बोलीदाता सुरक्षा एआरसी ने बैंकों को 10 करोड़ रुपये अग्रिम देने की पेशकश की है, जबकि प्रॉजेक्ट को पूरा करने के लिए 3,000 करोड़ रुपये देने की पेशकश की है। इसने डेट-एसेट स्वैप प्लान के तहत 5,000 करोड़ रुपये के लोन का भुगतान करने की भी पेशकश की है। इसकी योजना तीन साल में फ्लैट का निर्माण पूरा करने की है।
नई दिल्ली ,17 फरवरी । स्वदेश निर्मित, हाई-स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस का निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रविवार को यहां से पहला व्यावसायिक परिचालन शुरू हो गया। गौरतलब है कि शनिवार को वाराणसी से दिल्ली पहुंचने के दौरान इसमें खराबी आ गई थी।
रेल मंत्रालय के अनुसार, ट्रेन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से सुबह छह बजे वाराणसी के लिए अपने पहले व्यावसायिक परिचालन के लिए रवाना हुई। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट में कहा, वंदे भारत एक्सप्रेस अपने पहले व्यावसायिक परिचालन पर आज सुबह दिल्ली से वाराणसी के लिए रवाना हुई। अगले दो सप्ताह के लिए टिकट पहले ही बिक चुके हैं। अपनी (टिकट) आज ही बुक कराएं। चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आसीएफ) द्वारा निर्मित ट्रेन शनिवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी से लगभग 194 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के चमरौला स्टेशन पर खराब हो गई थी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरी झंडी दिखाने के एक दिन बाद वाराणसी से दिल्ली लौट रही थी।
नई दिल्ली ,17 फरवरी । देश में स्वच्छ ईंधन चालित परिवहन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्रीय मंत्रिमंडल इस माह के अंत तक फेम इंडिया योजना के दूसरे चरण को मंजूरी देने पर विचार कर सकता है। इसके लिए वह पांच साल में 5,500 करोड़ रुपये व्यय किए जाने का प्रावधान कर सकता है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि योजना के दूसरे चरण में विभिन्न श्रेणियों के इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के पंजीकरण और पार्किंग शुल्क में छूट देने और सडक़ कर से राहत देने जैसे प्रोत्साहन वाले कदम उठाए जाएंगे। हालांकि उन्होंने योजना को लागू करने की अगले पांच साल की अवधि में ई-वाहनों की खरीद के लिए किसी तरह का लक्ष्य होने से इनकार किया। बजाय इसके यह योजना ई-वाहनों की मांग बढ़ाने और चार्जिंग का बुनियादी ढांचा खड़ा करने पर ध्यान देगी।
अधिकारी ने कहा, इस योजना के तहत बैटरियों के लिए किसी तरह के मानकीकरण को शुरू नहीं किया गया है। इसमें एक ही प्रकार की बैट्री किसी भी तरह के इलेक्ट्रिक वाहन के लिए उपयुक्त होती है। इस योजना के तहत लागू होने के पहले साल में दोपहिया विद्युत वाहन (ई-वाहन) खरीदार 25,000 रुपये तक की सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। वहीं तिपहिया ई-वाहनों के लिए 40,000 रुपये और इलेक्ट्रिक कार के लिए 50,000 रुपये तक की सब्सिडी का लाभ उठाया जा सकता है।
नई दिल्ली ,17 फरवरी । पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा खत्म करने के बाद भारत ने पाकिस्तान से आयातित सभी तरह के सामानों पर सीमाशुल्क को बढ़ाकर 200 प्रतिशत कर दिया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह जानकारी दी है।
वित्त मंत्री जेटली ने शनिवार शाम ट्वीट किया, पुलवामा घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा वापस ले लिया है। इसके हटने के बाद पाकिस्तान से भारत आने वाले सभी सामानों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को बढ़ाकर तत्काल प्रभाव से 200 फीसदी कर दिया गया है।
भारत ने पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर आतंकी हमले के बाद शुक्रवार को पाकिस्तान का एमएफएन का दर्जा खत्म कर दिया था। भारत ने पाकिस्तान को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) बनने के एक साल बाद 1996 में एमएफएन का दर्जा दे दिया था। हालांकि, पाकिस्तान ने अब तक भारत को यह दर्जा नहीं दिया था।
क्या होगा असर?
ड्यूटी बढ़ाए जाने का पाकिस्तान से भारत को होने वाले निर्यात पर बड़ा असर होगा, जो 2017-18 में करीब 3,482 करोड़ रुपये का था। पाकिस्तान प्रमुख तौर पर भारत को ताजे फल, सीमेंट, बड़े पैमाने पर खनिज एवं अयस्क, तैयार चमड़ा, प्रसंस्कृत खाद्य, अकार्बनिक रसायन, कच्चा कपास, मसाले, ऊन, रबड़ उत्पाद, अल्कोहल पेय, चिकित्सा उपकरण, समुद्री सामान, प्लास्टिक, डाई और खेल का सामान निर्यात करता है।
पाकिस्तान से मुख्यतौर पर आने वाले दो सामानों, फल और सीमेंट पर अभी क्रमश: 30-35त्न और 7.5त्न टैक्स ही लगता था। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क को 200 फीसदी बढ़ाने का मतलब पाकिस्तान से आयात बैन करने जैसा ही है।
कितना कारोबार
भारत पाकिस्तान के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 2017-18 में मामूली बढक़र 2.41 अरब डॉलर रहा जो 2016-17 में 2.27 अरब डॉलर था। भारत ने 2017-18 में 48.85 करोड़ डॉलर का सामान पाकिस्तान से आयात किया, जबकि 1.92 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया गया।