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24,000 करोड़ के स्नैक्स मार्केट में ब्रिटानिया करेगी एंट्री
Posted Date : 25-Feb-2019 1:12:27 pm

24,000 करोड़ के स्नैक्स मार्केट में ब्रिटानिया करेगी एंट्री

मुंबई ,25 फरवरी। ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज 24 हजार करोड़ के साल्टी स्नैक्स मार्केट में एंट्री की योजना बना रही है, जिस पर अभी पेप्सिको और हल्दीराम का दबदबा है। देश की सबसे बड़ी बिस्किट कंपनी टाइम पास ब्रांड के तहत अगले महीने स्नैक्स लॉन्च करेगी। नॉन-बिस्किट कैटेगरी में प्रवेश करने की योजना के तहत ब्रिटानिया ने यह पहल की है।
कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर वरुण बेरी ने कहा, हम बिल्कुल अलग प्रॉडक्ट्स की रेंज उतारने जा रहे हैं। हमारे पास 80 प्लांट्स हैं, जहां कंपनी प्रॉडक्ट्स तैयार करती है। स्नैक्स सेगमेंट में सामान लाने पर काफी पैसा खर्च होता है, लेकिन हमारे पास देशभर में प्लांट्स हैं, इसलिए हम कम लागत में स्नैक्स को कहीं भी पहुंचा सकेंगे। बेरी ने प्रॉडक्ट्स की रेंज और वेरिएंट्स का ब्योरा नहीं दिया।
भारत में बिस्किट, स्नैक्स और डेयरी तीन सबसे बड़े सेगमेंट हैं। 3.4 लाख करोड़ के कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स मार्केट में इनकी हिस्सेदारी एक तिहाई है। गुडडे और न्यूट्रिचॉइस ब्रांड की मालिक ब्रिटानिया ने टोटल फूड कंपनी बनने का लक्ष्य तय किया है। इसके तहत वह इन तीनों सेगमेंट में प्रॉडक्ट्स लॉन्च करेगी। पिछले कुछ महीनों में कंपनी ने स्विस रोल, लेयर केक, क्रीम वेफर्स, क्रॉसां और टेट्रा पैक में मिल्क शेक लॉन्च किए हैं।
बिस्किट कैटेगरी में जहां ब्रिटानिया, पारले और आईटीसी जैसी बड़ी कंपनियों का कब्जा है, वहीं स्नैक्स मार्केट में रीजनल और राज्य स्तर की कंपनियां काफी मजबूत हैं। उनके पास सस्ते प्रॉडक्ट्स हैं, जिनसे उन्होंने बड़ी कंपनियों के बाजार में सेंध लगाई है। बड़ी कंपनियों के एक समान दाम वाले प्रॉडक्ट्स की तुलना में रीजनल स्नैक्स ब्रांड की बिक्री वॉल्यूम के लिहाज से 30 पर्सेंट अधिक है। खासतौर पर 5 और 10 रुपये के पैक में उनकी बिक्री काफी ज्यादा है। 
10 हजार करोड़ की वाडिया ग्रुप की कंपनी ब्रिटानिया ने पहले ही स्नैक्स कैटेगरी में एंट्री की थी, लेकिन तब वह कुछ महीनों बाद ही इससे निकल गई थी। बेरी ने कहा, इस बार हम बिल्कुल अलग तरह के प्रॉडक्ट्स लेकर बाजार में आ रहे हैं। 
पिछले कुछ साल में इस मार्केट में ट्रेडिशनल स्नैक्स का बोलबाला बढ़ा है। मल्टीनेशनल और भारतीय कंपनियों ने इस बीच नमकीन प्रॉडक्ट्स पर फोकस किया है। एक साल पहले पेप्सिको को पीछे छोडक़र हल्दीराम इस मार्केट में सबसे बड़ी कंपनी बन गई थी। ब्रिटानिया का मुकाबला स्नैक्स सेगमेंट में पहले पेप्सिको और आईटीसी से होगा, जो पोटैटो बेस्ड स्नैक्स की अधिक बिक्री करती हैं। इस सेगमेंट में पेप्सिको के पास कुरकुरे जैसे ब्रांड हैं, तो आईटीसी के पास बिंगोज टेढ़े-मेढ़े जैसे ब्रांड। 
ब्रोकरेज फर्म इडलवाइज की हाल की एक रिपोर्ट में बताया गया है, अगर तीन साल की औसत के लिहाज से देखें तो ब्रिटानिया की वॉल्यूम ग्रोथ इंडस्ट्री में सबसे अच्छी रही है। टोटल फूड कंपनी बनने के लिए वह नई कैटेगरी में जियोग्राफी में एंट्री कर रही है। प्रीमियम प्रॉडक्ट्स का उसकी आमदनी में योगदान बढ़ रहा है।
पेप्सी फूड्स के हेड बेरी पांच साल पहले ब्रिटानिया के सीईओ बने थे। कंपनी को ज्वाइन करने के बाद उन्होंने इसका डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बढ़ाकर दोगुना कर दिया। खासतौर पर हिंदी पट्टी में उन्होंने ब्रिटानिया को इस मामले में मजबूत बनाया है, जहां वह पहले कमजोर थी। आज कंपनी की 20 लाख आउटलेट्स तक सीधी पहुंच है। कंपनी ने इस बीच और प्लांट्स बनाए हैं और वह अधिक संख्या में थर्ड पार्टी कॉन्ट्रैक्टर्स का भी इस्तेमाल कर रही है। इससे पिछले पांच साल में ब्रिटानिया का मार्केट कैप करीब 6 गुना बढक़र 72,439 करोड़ रुपये हो गया है।

केंद्र की परियोजनाओं में अड़ंगा डाल रही है ओडिशा सरकार : प्रधान
Posted Date : 24-Feb-2019 12:18:48 pm

केंद्र की परियोजनाओं में अड़ंगा डाल रही है ओडिशा सरकार : प्रधान

भुवनेश्वर ,24 फरवरी । केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने शनिवार को ओडिशा सरकार पर प्रदेश में केंद्र सरकार की 1,36,417 करोड़ रुपये की परियोजनाओं में अड़ंगा डालने का आरोप लगाया। मालूम हो कि इस साल लोकसभा चुनाव के साथ-साथ ओडिशा में विधानसभा चुनाव भी होने वाला है। प्रधान ने यहां एक प्रेस मीट को संबोधित करते हुए कहा कि ओडिशा सरकार प्रदेश में परियोजनाओं को लागू करने में सहयोग नहीं कर रही है। 
परियोजनाओं का विवरण पेश करते हुए प्रधान ने कहा कि 51,395 करोड़ रुपये की पेट्रोलियम व प्राकृति गैस परियोजनाओं का काम अटका पड़ा है और 55,563 करोड़ रुपये की सडक़ परिवहन व राजमार्ग परियोजनाओं का काम भी रुक गया है। इसके अलावा, प्रदेश सरकार द्वारा रेलवे की 12,286 करोड़ रुपये की परियोजना समेत अन्य कई परियोजनाओं में अडंग़ा डाला जा रहा है। ज्यादातर परियोजनाओं का काम जमीन अधिग्रहण और राज्य सरकार की मंजूरी लंबित होने के कारण रुका हुआ है। 
प्रधान ने कहा कि उन्होंने विभिन्न मसलों को लेकर ओडिशा के मुख्यमंत्री को 62 पत्र लिखे हैं जिनमें 2017 से लिखे गए 44 पत्र भी शामिल हैं, लेकिन उन्होंने सिर्फ एक की प्राप्ति की सूचना दी। उन्होंने कहा, ओडिशा में एक असंवेदनशील और अक्षम सरकार है जो केंद्र सरकार को प्रदेश के विकास में सहयोग नहीं कर रही है।

सेबी ने मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल के कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगाई रोक
Posted Date : 24-Feb-2019 12:18:00 pm

सेबी ने मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल के कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगाई रोक

मुंबई ,24 फरवरी । बाजार विनियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कमोडिटी ब्रोकिंग फर्म मोतीलाल ओसवाल और इंडिया इन्फोलाइन (आईआईएफएल) को एनएसईएल मामले में अयोग्य करार दिया है। सेबी ने कहा कि ये फर्म एनएसईएल मामले में की गई कार्रवाई के हिस्से के रूप में फिट व सही नहीं है। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) की सांठगांठ से नियमों का उल्लंघन कर निवेशकों को चूना लगाने को लेकर सेबी करीब 300 ब्रोकर की जांच कर रही है। दरअसल, विनियामक ने प्राथमिकी (एफआईआर) में ब्रोकरेज फर्मो को नामित किया है। 
एनएसईएल ने ट्रेड के लिए पर्याप्त आधारभूत स्टॉक नहीं बनाए रखा जबकि ब्रोकर्स ने आकर्षक अनुबंध निवेशकों को बेच दिया। इसी कारण चूक हुई और इसके फलस्वरूप 2013 में एक्सचेंज ने 5,600 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया। प्राधिकृत अधिकारियों ने सेबी को सुपुर्द रिपोर्ट में कहा, मामले की गंभीरता, तथ्य और परिस्थितियों को देखते हुए संबंधित ब्रोकर के कमोडिटी ब्रोकर के रूप में संचालन पर सवाल है और इसने निश्चित तौर पर अपनी ख्याति, सच्चाई के रिकॉर्ड, ईमानदारी और निष्ठा घटाई है। इसने प्रतिभूति बाजार में मध्यस्थ होने के लिए योग्य व सही व्यक्ति के रूप में अपने दर्जे को प्रभावित किया है। 
सेबी ने 22 फरवरी को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेश में कहा कि ब्रोकरों को एनएसईएल के साथ घनिष्ठता थी और इन्होंने खुद को चैनल बनाया था। आदेश में कहा गया कि इस प्रकार ब्रोकर एक कमोडिटी डेरिवेटिव्स ब्रोकर के रूप में कार्य करने के लिए योग्य व सही व्यक्ति नहीं है।

दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत की 3 गुनी : आर्थिक सर्वेक्षण
Posted Date : 24-Feb-2019 12:17:43 pm

दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत की 3 गुनी : आर्थिक सर्वेक्षण

नई दिल्ली ,24 फरवरी । दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय वर्तमान कीमत स्तर पर 2018-19 के दौरान 3,65,529 रुपये होने का आकलन किया गया है, जोकि राष्ट्रीय स्तर की प्रति व्यक्ति आय 1,25,397 रुपये की करीब तीन गुनी है। यह आकलन शनिवार को दिल्ली विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2018-19 में किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय वर्तमान कीमत स्तर पर 2018-19 में 3,65,529 रुपये रहने का अनुमान है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति आय 1,25,397 रुपये है। इस प्रकार दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत की करीब तीन गुनी है। 
रिपोर्ट के अनुसार, प्रति व्यक्ति आय किसी क्षेत्र के लोगों द्वारा किसी विशेष साल में प्राप्त आय का औसत है। वर्तमान कीमत स्तर पर दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय 2011-12 में 1,85,361 रुपये थी जो 2018-19 में बढक़र 3,65,529 रुपये हो गई। इस प्रकार प्रति व्यक्ति आय में सालाना 10.19 फीसदी की दर से वृद्धि हुई। हालांकि स्थिर कीमत स्तर पर दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय में इस दौरान सालाना 6.06 फीसदी की वृद्धि हुई। 
स्थिर कीमत स्तर पर दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय 2017-18 में 2,62,682 रुपये रही, जबकि यह 2016-17 में 2,47,255 रुपये थी। इस प्रकार 2017-18 में प्रति व्यक्ति आय वृद्धि दर 6.24 फीसदी रही। वर्ष 2018-19 के लिए स्थिर कीमत पर दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय का अग्रिम अनुमान 2,79,601 रुपये है। इस प्रकार सालाना वृद्धि दर 6.44 फीसदी रहने का अनुमान है। 

आरएसडीसी रबर क्षेत्र के 10 लाख लोगों का कौशल विकास करेगा
Posted Date : 24-Feb-2019 12:17:21 pm

आरएसडीसी रबर क्षेत्र के 10 लाख लोगों का कौशल विकास करेगा

नई दिल्ली ,24 फरवरी । देश के रबर क्षेत्र में कौशल विकास की दिशा में कार्यरत रबर स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (आरएसडीसी) ने क्षेत्र से जुड़े लाखों लोगों को कुशल बनाने के लिए शनिवार को समर्थ के नाम से अभियान शुरू किया। इस अभियान का लक्ष्य भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप रबर क्षेत्र से जुड़े 10 लाख लोगों को कुशल बनाना और उनकी कुशलता को निखारना है।
इस अभियान की औपचारिक शुरूआत करते हुए मोबाइल टायर सर्विस स्किल वैन लॉन्च की गई है। यह स्किल वैन विभिन्न राज्यों के राजमार्गों, गांवों और कस्बों में जाकर टायर सर्विस और मैटेनेंस के क्षेत्र में कौशल विकास की जरूरत को लेकर जागरूकता फैलाते हुए लोगों को सडक़ सुरक्षा के लिए प्रोत्साहित कर रही है। जरूरी उपकरणों और कुशल कर्मियों से लैस स्किल वैन टायर फिटर्स को प्रशिक्षित कर रही और उन्हें कुशल बनाते हुए कुशलता का प्रमाणपत्र भी दे रही है।
समर्थ अभियान को समर्थन देते हुए केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, रबर क्षेत्र बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित करता है और भारत के जीडीपी में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। आरएसडीसी को इस बात का श्रेय जाता है कि उसने इस सेक्टर को गहराई से समझा, कौशल की कमी को जाना और विनिर्माण, रबर प्लांटेशन व टायर सर्विस सेगमेंट में रोजगार का मानकीकरण किया।
आरएसडीसी के चेयरमैन विनोद सिमोन ने कहा, भारतीय राजमार्गों पर हर जगह कार्यरत टायर फिटर्स सडक़ परिवहन को सुरक्षित एवं सुगम बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। टायरों की फिटिंग करना, विशेषरूप से बड़े वाणिज्यिक वाहनों के टायरों की फिटिंग एक कुशल रोजगार है, जिसके लिए पर्याप्त प्रशिक्षण की जरूरत होती है। दुर्भाग्य से टायर फिटर्स का बड़ा वर्ग औपचारिक रूप से प्रशिक्षित नहीं है। इसलिए हमने टायर फिटर्स के कौशल विकास के लक्ष्य के साथ समर्थ अभियान की शुरूआत की है।
आरएसडीसी की सीईओ मेघना मिश्रा ने बताया कि यह प्रशिक्षण प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) की रिकॉग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (आरपीएल) स्कीम के तहत दिया जा रहा है। छह साल के सफर में आरएसडीसी ने लंबी दूरी तय की है। सेक्टर में प्लांटेशन से लेकर मैन्यूफैक्च रिंग तक हर सेगमेंट के लिए नेशनल ऑक्यूपेशन स्टैंडर्ड (एनओएस) तैयार किया गया है और अब तक एक लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। 
स्किल गैप को लेकर 20 राज्यों में सर्वेक्षण किया गया है। आरएसडीसी ने 13 राज्य मिशन और 11 विश्वविद्यालयों से गठजोड़ किया है। आरएसडीसी ने रबड़ टेक्नोलॉजी में स्नातक डिग्री की भी शुरूआत की है। आरएसडीसी के साथ 550 प्रमाणित प्रशिक्षक, 350 एसेसर और करीब 150 ट्रेनिंग पार्टनर जुड़े हैं। आरपीएल के तहत आरएसडीसी के काम को देखते हुए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने इस योजना के तहत 10 लाख लोगों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

टाटा पावर डीडीएल ने बांटे 10 लाख एलईडी उत्पाद
Posted Date : 24-Feb-2019 12:16:57 pm

टाटा पावर डीडीएल ने बांटे 10 लाख एलईडी उत्पाद

नई दिल्ली, 24 फरवरी । राजधानी दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली कंपनियों में से एक टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड ( टाटा पावर डीडीएल) ने ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से 10 लाख एलईडी उत्पाद बांटकर सालाना 3 करोड़ यूनिट बिजली बचाने और कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन को 9,856 मीट्रिक टन घटाने का काम किया है। कंपनी ने यहां जारी बयान में कहा कि हाल ही में उसने अपने ग्राहक को 10 लाखवां एलईडी उत्पाद प्रदान किया था। एलईडी उत्पादों की पहुंच का विस्तार करने के लिए वह एलईडी बल्बों, एलईडी ट्यूबलाइटों और 5 स्टार पंखों पर छूट भी दे रही है। 
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा संचालित उजाला कार्यक्रम के तहत एनर्जी एफिशियेंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) के सहयोग से कंपनी एलईडी बल्बों का प्रचार-प्रसार कर रही है। इसके तहत कंपनी 70 रुपये में 9 वॉट के ब्रांडेड एलईडी बल्ब , 20 वॉट के ऊर्जा दक्ष एलईडी ट्यूबलाइट 220 रुपये में और बीईई 5 स्टार रेटिंग वाले पंखे 1,110 रुपये में उपलब्ध करा रही है।