नई दिल्ली। शत्रु शेयरों की बिक्री तथा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में पुनर्खरीद से सरकार ने इस वित्त वर्ष में 11,300 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई है। इससे सरकार को चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 85 हजार करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिली है। यह किसी भी वित्त वर्ष में अब तक का विनिवेश का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नवंबर 2018 में निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को कंपनियों के शत्रु शेयर बेचने की मंजूरी दी थी। इसके बाद शत्रु शेयरों को बेचकर सरकार ने 700 करोड़ रुपये हासिल किए। इसके अलावा सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों की पुनर्खरीद से 10,600 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं।
वित्त वर्ष 2018-19 में सरकार ने लगातार दूसरे साल विनिवेश से लक्ष्य से अधिक राशि जुटाई। चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में 80 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य तय किया गया था। इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार ने 72,500 करोड़ रुपये के लक्ष्य की तुलना में विनिवेश से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाए थे। चालू वित्त वर्ष में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (श्वञ्जस्न) से सर्वाधिक 45,729 करोड़ रुपये जुटाए गए। इसके बाद सरकारी पावर फाइनैंस कॉरपोरेशन में आरईसी द्वारा सरकार की 52.63 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने से सरकार को 14,500 करोड़ रुपये मिले।
पांच कंपनियों से मिले 1,929 करोड़ रुपये
सरकार को पांच कंपनियों एमएसटीसी, आरआईटीईएस, इरकॉन, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स और मिधानी के आईपीओ से 1,929 करोड़ रुपये मिले। सरकार को कोल इंडिया की बिक्री पेशकश (ओएफएस) से 5,218 करोड़ रुपये और एक्सिस बैंक में एसयूयूटीआई की हिस्सेदारी बेचने से 5,379 करोड़ रुपये मिले। पुनर्खरीद से भी सरकार को 10,600 करोड़ से अधिक मिले। पुनर्खरीद में ओएनजीसी, आईओसी, कोल इंडिया, ऑयल इंडिया और एनएलसी जैसी कंपनियां शामिल रहीं। सरकार ने अगले वित्त वर्श के लिये 90 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है।
क्या है शत्रु संपत्ति
वैसे लोग जो अब भारत के नागरिक नहीं हैं और चीन या पाकिस्तान चले गए हैं, इनकी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति कहा जाता है।
नई दिल्ली। राज्यों द्वारा महीनों से बिजली का भुगतान नहीं किए जाने की वजह से करीब एक दर्जन बिजली संयंत्रों में 3 लाख करोड़ रुपये का निजी निवेश जोखिम में है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। बिजली मंत्रालय के प्राप्ति पोर्टल के अनुसार जीएमआर और अडाणी समूह की कंपनियों के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की हृञ्जक्कष्ट को दिसंबर, 2018 तक राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) से 41,730 करोड़ रुपये की वसूली करनी थी।
अब यह बकाया करीब 60,000 करोड़ रुपये का है। इनमें से आधी राशि बिजली क्षेत्र की स्वतंत्र उत्पादक इकाइयों को वसूलनी है। भाजपा शासित उत्तर प्रदेश पर सबसे अधिक 6,497 करोड़ रुपये का बकाया है जबकि महाराष्ट्र पर 6,179 करोड़ रुपये का बकाया है। जो अन्य राज्य समय पर बिजली उत्पादक कंपनियों को भुगतान नहीं कर रहे हैं उनमें तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पंजाब शामिल हैं।
प्राप्ति पोर्टल के अनुसार उत्तर प्रदेश को अपने बकाया को चुकाने में 544 दिन लगते हैं जबकि महाराष्ट्र इसके लिए 580 दिन का समय लेता है। देश के सबसे अधिक औद्योगीकृत राज्य मसलन महाराष्ट्र और तमिलनाडु पर कुल का 80 प्रतिशत से अधिक का बकाया है। ये बिजली के सबसे बड़े उपभोक्ता राज्य हैं। शीर्ष दस राज्य भुगतान के लिए औसतन 562 दिन का समय लेते हैं। सूत्रों ने कहा कि भुगतान में देरी की वजह से निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों के समक्ष कार्यशील पूंजी का संकट पैदा हो रहा है।
सूत्रों ने बताया कि बजाज समूह के स्वामित्व वाली ललितपुट पावर जेनरेशन कंपनी उत्तर प्रदेश की डिस्कॉम पर 2,185 करोड़ रुपये के बकाये की वजह से अपने करीब तीन हजार कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं कर पा रही है। यही नहीं कंपनी अपने पास जरूरी कोयले का भंडार भी रखने में विफल है। दिसंबर, 2018 तक कुल 41,730 करोड़ रुपये के बिजली बकाये में से अडाणी समूह को 7,433.47 करोड़ रुपये और जीएमआर को 1,788.18 करोड़ रुपये की वसूली करनी है। सेम्बकॉर्प को 1,497.07 करोड़ रुपये वसूलने है। सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी को 17,187 करोड़ रुपये का बकाया वसूलना है।
नई दिल्ली ,23 मार्च । कर्नाटक बैंक ने शनिवार को कहा कि उसने रिजर्व बैंक को 13.26 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के बारे में सूचित किया है। बैंक ने कहा कि यह धोखाधड़ी एसआरएस फाइनेंस लिमिटेड को की गई वित्तीय मदद में हुई है। बैंक ने बीएसई से कहा कि धन का हेरफेर कर यह धोखाधड़ी की गई है।
मुंबई ,23 मार्च । संकट से जूझ रही निजी क्षेत्र की एयरलाइन जेट एयरवेज ने अप्रैल के अंत तक 13 और अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर उड़ानें स्थगित करने की घोषणा की है। इसके अलावा सात अन्य अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर फेरों की संख्या घटाई गई है। इनमें ज्यादातर दिल्ली और मुंबई से अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों को जाने वाली उड़ानें हैं। जिन मार्गों पर उड़ानें अस्थायी तौर पर स्थगित की गई हैं उनमें पुणे- सिंगापुर (सप्ताह में सात) और पुणे-अबू धाबी (सप्ताह में सात) भी शामिल हैं। जेट पहले ही मुंबई-मैनचेस्टर मार्ग पर उड़ानें स्थगित करने की घोषणा कर चुकी है।
धन की कमी और किसी तरह के राहत पैकेज (बेलआउट) नहीं मिलने की वजह से नरेश गोयल के नियंत्रण वाली एयरलाइन अपने 600 दैनिक उड़ान परिचालन को घटाकर चौथाई स्तर पर ला चुकी है। उसके 119 विमानों के बेड़े में मात्र 33 प्रतिशत ही परिचालन में हैं। एयरलाइन ने दिल्ली से अबू धाबी (सप्ताह में नौ), दम्माम (सप्ताह में 14), ढाका (11), हांगकांग और रियाद (सप्ताह में सात-सात) स्थगित की हैं।
इसके अलावा जेट ने बेंगलुरु से सिंगापुर मार्ग पर भी उड़ानें स्थगित की हैं। इस मार्ग पर एयरलाइन रोजाना दो उड़ानों का परिचालन करती है। इस अवधि के लिए मुंबई से जो उड़ानें रद्द की गई हैं उनमें अबू धाबी (सप्ताह में 12), दम्माम (सप्ताह में 14) और बहरीन (4-7 साप्ताहिक)। सूत्रों ने बताया कि इन मार्गों पर उड़ानें 30 अप्रैल तक स्थगित रहेंगी।
नई दिल्ली ,23 मार्च । राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2011-12 से लेकर वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान पांच साल में देश में पुरुष कार्यबल में करीब दो करोड़ की कमी आई। एनएसएस की इस रिपोर्ट को हाल ही में सरकार ने दबा दिया। एनएसएसओ की आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) रिपोर्ट 2017-18 की समीक्षा में बताया गया है कि वर्ष 2017-18 के दौरान सिर्फ 28.6 करोड़ पुरुष देश में रोजगार में थे जबकि 2011-12 में 30.4 करोड़ पुरुष रोजगार में थे। यह समीक्षा अभी सार्वजनिक नहीं हुई है। भारत का पुरुष कार्यबल 1993-94 में 21.9 करोड़ था, जिसके बाद पहली बार इसमें कमी दर्ज की गई है। पुरुष कार्यबल 2011-12 दौरान बढक़र 30.4 करोड़ हो गया जबकि 2017-18 में घटकर 28.6 करोड़ रह गया। पीएलएफएस की रिपोर्ट जुलाई 2017 से लेकर जून 2018 के बीच तैयार की गई।
चेन्नई ,20 मार्च । अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से आईडीबीआई बैंक को निजी ईकाई की श्रेणी में रखने के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। आरबीआई को बुधवार को लिखे एक पत्र में एआईबीईए के महासचिव सी.एच.वेंकटचलम ने आरबीआई के फैसले पर यूनियन के विरोध के बारे में अवगत कराया।
वेंकटचलम ने कहा, आईडीबीआई व आईडीबीआई बैंक को सार्वजनिक क्षेत्र के तहत बैंक बनाया गया था। कॉरपोरेट्स के अत्यधिक फंसे कर्ज की वजह से बैंक को वसूली में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और परिणामस्वरूप इसके वित्तीय प्रदर्शन पर असर पड़ रहा है।
उनके अनुसार, यह विडंबना है कि आरबीआई उधार लेने वालों निजी क्षेत्र के कॉरपोरेट के खिलाफ कार्रवाई की बजाय यह सूचना का अधिकार (आरटीआई), केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी) और अन्य से बचाकर आईडीबीआई बैंक को फिर से वर्गीकृत कर रहा है। आरबीआई ने हाल में आईडीबीआई को निजी क्षेत्र के बैंक के रूप में वर्गीकृत किया है।