नई दिल्ली ,30 मार्च । कर चोरी करना अब असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर हो जाएगा, क्योंकि आयकर विभाग कर चोरी पर अंकुश लगाने के लिए एक अप्रैल से बिग डेटा ऐनलिटिक्स का इस्तेमाल करने जा रहा है। ‘प्रॉजेक्ट इनसाइट’ नामक 1,000 करोड़ रुपये के कार्यक्रम के जरिए लोगों के सोशल नेटवर्किंग प्रोफाइल पर नजर रखी जाएगी और सोशल मीडिया पर अपलोड किए जाने वाली तस्वीरों और विडियो के जरिए खर्च के तरीकों का पता लगाया जाएगा।
अगर किसी व्यक्ति द्वारा घोषित आय के मुकाबले खरीद और यात्रा खर्च में विसंगति पाई जाएगी तो आयकर अधिकारियों को इस विसंगति की जानकारी दी जाएगी, जिसके बाद कार्रवाई की जाएगी। जानकार सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग ने 15 मार्च से आयकर अधिकारियों को सॉफ्टवेयर का एक्सेस (पहुंच) प्रदान किया गया है। मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया, ‘अगर आप विदेश यात्रा कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर तस्वीरें व पोस्ट कर रहे हैं या महंगी कार खरीद रहे हैं, जो रिटर्न दाखिल करने में दर्ज आय के अपने साधनों से परे की हैं, तो आयकर विभाग उसका विश्लेषण करने के लिए बिग डेटा का इस्तेमाल कर सकता है और आपकी आय और खर्च की विसंगति की जांच कर सकता है।’
सूत्रों ने बताया, ‘आयकर विभाग एक मास्टर फाइल का भी इस्तेमाल कर सकता है जिसमें व्यक्तियों और कॉर्पोरेट के संबंध में पूरा ब्योरा और महत्वपूर्ण सूचनाएं होंगी।’ प्रॉजेक्ट का मुख्य उद्देश्य कर चोरी करने वालों को पकडऩा और रिटर्न दाखिल करने और कर चुकाने वालों की तादाद में इजाफा करना है।
इनसाइट प्रॉजेक्ट में समेकित सूचना प्रबंधन प्रणाली होगी जिससे सही समय पर सही कदम उठाने में मदद के लिए मशीन लर्निंग को उपयोग किया जाएगा। कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए बिग डाटा का इस्तेमाल करने वाले बेल्जियम, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के समूह में भारत शामिल होने जा रहा है। ब्रिटेन में 2010 में प्रौद्योगिकी की शुरुआत होने के बाद से इस प्रणाली से करीब 4.1 अरब पाउंड के राजस्व के नुकसान पर लगाम लगाई गई है।
नईदिल्ली ,29 मार्च । रीयल एस्टेट कंपनी डीएलएफ ने पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) कार्यक्रम के जरिए संस्थागत निवेशकों को शेयरों की बिक्री करके 3,173 करोड़ रुपये जुटाए हैं। कंपनी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। डीएलएफ इस राशि का उपयोग कर्ज चुकाने में करेगी। दिसंबर 2018 के अंत में उस पर करीब 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। कंपनी ने सोमवार को यह पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) कार्यक्रम शुरू किया था। इसमें 17.3 करोड़ शेयर निवेशकों को पेश किये गये। यह पेशकश बृहस्पतिवार को बंद हुई। डीएलएफ ने शेयर बाजार को दी जानकारी में कहा कि प्रतिभूति निर्गम समिति ने 183.40 रुपये प्रति शेयर के निर्गम मूल्य पर पात्र संस्थागत खरीदारों को 17.3 करोड़ इच्टिी शेयर आवंटित करने की मंजूरी दी थी। इससे करीब 3,172.82 करोड़ रुपये एकत्र हुए हैं। सूत्रों ने मंगलवार को कहा था कि डीएलएफ के क्यूआईपी कार्यक्रम को दोगुना अभिदान मिला है। इससे कंपनी को करीब 3,200 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस पेशकश में भाग लेने वाले प्रमुख संस्थागत निवेशकों में यूबीएस, ओपेनहाइमर, एचएसबीसी, मार्शल एंड वेस, की स्चयर, गोल्डमैन साक्स, इंड्स, ईस्टब्रिज, टाटा म्यूचुअल फंड और एचडीएफसी म्यूचुअल फंड शामिल रहे। कंपनी की तरफ से यह तीसरी बड़ी पूंजी जुटाने की प्रक्रिया है। इससे पहले उसने 2007 में आईपीओ के जरिए करीब 9,200 करोड़ रुपये जुटाए थे। साल 2013 में कंपनी ने संस्थागत नियोजन कार्यक्रम के माध्यम से करीब 1,900 करोड़ रुपये जुटाए थे। इस बीच, समिति ने शुक्रवार को प्रवर्तक इकाइयों को जारी किए गए 24.97 करोड़ अनिवार्य परिवर्तनीय डिबेंचर (सीसीडी) को समान संख्या में 217.25 रुपये प्रति इच्टिी शेयर पर तब्दील करने की मंजूरी भी दी।
मुंबई ,29 मार्च । बाजार की बदलती परिस्थितियों और बंपर उपज से पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष प्याज की खेती करने वाले किसानों की आमदनी 42 अरब रुपये घट गई है। केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट में इस बात की पता चला है। इस वर्ष जनवरी महीने में कृषि बाजार उत्पाद समिति (एएमपीसी) के जरिए करीब 13.22 लाख टन प्याज 13,760 रुपये प्रति टन की दर से बिका था। इसी प्रकार, दिसंबर महीने में 13,310 रुपये प्रति टन के हिसाब से कुल 11.10 लाख टन प्याज की बिक्री हुई थी। रिपोर्ट कहती है कि यह 2017 में किसानों को मिली प्याज की कीमत के मुकाबले 61 प्रतिशत कम है।
देश के करीब एक-तिहाई प्याज का उत्पादन करने वाले राज्य महाराष्ट्र ने कीमतों में और बड़ी गिरावट देखी। यहां 5,180 रुपये प्रति टन की दर से प्याज बिके जो पिछले वर्ष की दर से 80 प्रतिशत कम है। कीमतों में इतनी बड़ी गिरावट का एक कारण यह हो सकता है कि पिछले पांच वर्ष के औसत उत्पादन के मुकाबले इस वर्ष प्याज की अनुमानित उपज 12.48 प्रतिशत ज्यादा रहना है। 210 लाख टन प्याज के उत्पादन का अनुमान था, लेकिन इस वर्ष आंकड़ा 236 लाख टन पर पहुंचने की उम्मीद है।
राज्य सरकार के कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, प्याज तीन तरह के होते हैं- खरीफ प्याज, पिछैती खरीफ प्याज और गृष्मकालीन या गरमा प्याज। हालांकि, पिछैती खरीफ प्याज, खरीफ प्याज के मुकाबले ज्यादा दिनों तक टिकता है और जल्दी खराब नहीं होता, लेकिन किसानों को उपज के दो से तीन हफ्ते के अंदर प्याज बेचना पड़ता है, चाहे उन्हें कोई भी कीमत मिले। उन्होंने कहा, हालांकि, गरमा प्याज से इस वर्ष ज्यादा कीमत मिलने की उम्मीद है क्योंकि राज्य में सुखाड़ की स्थिति के मद्देनजर फसल बर्बाद होने का खतरा है। कम उपज के कारण किसानों को अच्छी कीमत मिल सकती है।
नईदिल्ली, 29 मार्च । दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में वायु प्रदूषण के कारण हर साल 15 लाख से अधिक मौतें होती हैं, लेकिन तीन वर्ष की अवधि के समाचार और सोशल मीडिया में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों और इसके सबसे आशावान समाधानों को लेकर लोगों की कम समझ पर जोर दिया गया है। वैश्विक स्वास्थ्य संगठन वाइटल स्ट्रैटेजीज के एक नए अध्ययन हेजी पर्सेप्शंस में यह बात सामने आई है।
वाइटल स्ट्रैटेजीज में पर्यावरणीय स्वास्थ्य के वरिष्ठ वाइस प्रेसिडेंट डेनियल कास ने कहा, लोगों द्वारा अच्छी गुणवत्ता वाली वायु की मांग किया जाना जरूरी है, लेकिन हमारी रिपोर्ट कहती है कि यह मांग गलत मध्यस्थताओं पर केंद्रित हो सकती है। सरकारों को शुद्ध वायु के लिए नीतियां अपनानी चाहिए और साथ ही उद्योगों को उत्सर्जन कम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हेजी पर्सेप्शंस यह समझने में हमारी सहायता कर सकता है कि लोगों को स्थायी वायु प्रदूषण और उसके प्रमुख कारणों के बारे में कैसे जागरूक किया जाए, ताकि लोग सही बदलाव की दिशा में बढ़ सकें। इस रिपोर्ट का विश्लेषण प्रगति के मापन के लिए भी महत्वपूर्ण आधार देता है।
इस रिपोर्ट के लिए वर्ष 2015 से 2018 तक 11 देशों से समाचारों और सोशल मीडिया के पांच लाख से अधिक दस्तावेज लेकर उनका विश्लेषण किया गया है, जो कि शोध की एक खोजपरक विधि है और इससे वायु प्रदूषण के संबंध में लोगों की गलत धारणाएं उजागर हुई हैं।
डेनियल कास ने कहा कि वायु की खराब गुणवत्ता के कारण स्वास्थ्य को लंबे समय तक होने वाली हानि से लोग अनभिज्ञ हैं। समाचार और सोशल मीडिया पोस्ट स्वास्थ्य पर छोटी अवधि के प्रभाव बताते हैं, जैसे खांसी या आंखों में चुभन, यह क्रॉनिक एक्सपोजर से होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों- जैसे, कैंसर से बहुत दूर है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य प्राधिकरण सूचना के सबसे प्रभावी स्रोत नहीं हैं। वायु प्रदूषण पर चर्चा को प्रभावित करने वाले प्रभावशाली लोग विविधतापूर्ण हैं और वर्ष दर वर्ष बदलते रहते हैं, लेकिन यह विश्लेषण अग्रणी प्रभावी व्यक्तियों में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरणों को चिन्हित नहीं करता है।
डेनियल कास ने कहा कि सार्वजनिक चर्चा वायु प्रदूषण के महत्वपूर्ण कारकों पर केंद्रित नहीं है। प्रदूषकों के सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों, जैसे घरेलू ईंधन, पावर प्लांट्स और अपशिष्ट को जलाने पर लोगों को चिंता कम है, वे वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर अधिक केंद्रित हैं।
मुंबई,28 मार्च । लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) को जब तक भारतीय और विदेशी रेग्युलेटर्स से सारी मंजूरियां नहीं मिल जातीं, तब तक वह माइंडट्री के और 5 पर्सेंट शेयर नहीं खरीदेगी। जब तक वह आईटी कंपनी के और 5 पर्सेंट शेयर नहीं खरीदती, तब तक उसे ओपन ऑफर नहीं लाना होगा। वकीलों, इन्वेस्टमेंट बैंकरों और मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि एलऐंडटी आईटी कंपनी में निवेश करके फंसना नहीं चाहती। अगर ओपन ऑफर ट्रिगर होता है और सारे रेग्युलेटरी अप्रूवल नहीं मिलते तो वह फंस जाएगी।
माइंडट्री के संस्थापक एलऐंडटी के कंपनी पर कंट्रोल की कोशिश का खुलकर विरोध कर रहे हैं, जबकि एलऐंडटी ने वादा किया है कि वह सौदे के बाद बेंगलुरु की आईटी कंपनी को अलग इकाई के तौर पर चलाएगी। एलऐंडटी के पास अभी माइंडट्री के 20 पर्सेंट शेयर हैं। 25 पर्सेंट हिस्सेदारी होने के बाद ही कंपनी को माइंडट्री के शेयरहोल्डर्स के लिए ओपन ऑफर लाना होगा। एलऐंडटी ने ब्रोकरेज फर्म एक्सिस कैपिटल को माइंडट्री के और 15 पर्सेंट शेयर मार्केट से खरीदने का अधिकार दिया है, लेकिन उसने यह भी कहा कि ये शेयर सारे रेग्युलेटरी अप्रूवल मिलने के बाद ही खरीदे जाएं।
सेबी के पूर्व एग्जिक्युटिव डायरेक्टर और स्टेकहोल्डर्स एम्पावरमेंट सर्विसेज के संस्थापक और एमडी जेएन गुप्ता बाजार से माइंडट्री के शेयर खरीदने की शर्त तय करने की वजह से एलऐंडटी से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह है कि सारा जोखिम दूसरे स्टेकहोल्डर्स पर डाल दिया गया है और एलऐंडटी खुद कोई रिस्क नहीं ले रही है। उन्होंने बताया, बाजार से शेयर खरीदने की शर्त तय की गई है। अगर आप मार्केट से शेयर खरीदने की बात करते हैं तो यह पक्की नीयत का सबूत नहीं होता। इस खबर के लिए एलएंडटी ने प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया।
नईदिल्ली ,28 मार्च । सरकार ने बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) में विजया बैंक और देना बैंक के विलय से पहले उसमें (बीओबी) 5,042 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का फैसला किया है। बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ देना बैंक और विजया बैंक के विलय की योजना एक अप्रैल से अस्तित्व में आ जाएगी। बैंक ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि वित्त मंत्रालय ने बुधवार को अधिसूचना के माध्यम से बैंक ऑफ बड़ौदा में 5,042 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की फैसले की जानकारी दी। बीओबी ने कहा , बैंक के इच्टिी शेयरों (विशेष प्रतिभूति / बॉन्ड) के तरजीही आवंटन के जरिए पूंजी डाली जाएगी। यह सरकार के निवेश के रूप में होगा। विलय की योजना के मुताबिक , विजया बैंक के शेयरधारकों को प्रति 1000 शेयरों के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 शेयर मिलेंगे। वहीं , देना बैंक के शेयरधारकों को 1,000 शेयरों के बदले में बीओबी के 110 शेयर मिलेंगे। सरकार ने पिछले साल सितंबर में बीओबी के साथ विजया बैंक और देना बैंक के विलय की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के बाद तीसरा सबसे बड़ा बैंक बनाना है।