नई दिल्ली । एसबीआई रिसर्च ने सोमवार को कहा कि भारत में 2021 से हर साल कम से कम 30 मिलियन नए डीमैट खाते खुल रहे हैं और लगभग हर चार में से एक अब महिला निवेशक है। यह बचत के वित्तीयकरण के चैनल के रूप में पूंजी बाजार का उपयोग करने के बढ़ते प्रचलन को दर्शाता है।
भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में देश में कुल डीमैट खाते 150 मिलियन (जिनमें से 92 मिलियन एनएसई पर यूनिक इंवेस्टर्स हैं) को पार कर गए, जबकि वित्त वर्ष 2014 में यह संख्या मात्र 22 मिलियन थी।
एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ.सौम्या कांति घोष ने कहा, इस साल नए डीमैट खातों की संख्या 40 मिलियन का आंकड़ा पार कर सकती है।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों को छोडक़र, वित्त वर्ष 2022 की तुलना में वित्त वर्ष 2025 में महिलाओं की भागीदारी राष्ट्रीय औसत से अधिक बढ़ी है।
वित्त वर्ष 2025 में कुल डीमैट में महिलाओं की हिस्सेदारी के मामले में दिल्ली 29.8 प्रतिशत, महाराष्ट्र 27.7 प्रतिशत, तमिलनाडु 27.5 प्रतिशत के साथ शीर्ष पर है। वहीं, पूरे राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा औसत 23.9 प्रतिशत पर है।
वहीं, बिहार 15.4 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश 18.2 प्रतिशत और ओडिशा 19.4 प्रतिशत के साथ इन राज्यों में पंजीकृत निवेशक आधार में महिलाओं की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से कम है।
घटती औसत/मध्यिका आयु और 30 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों की बढ़ती हिस्सेदारी पिछले कुछ वर्षों में बाजारों में युवा निवेशकों की आमद को दर्शाती है, जो तकनीकी प्रगति, कम ट्रेडिंग लागत और सूचना तक बढ़ती पहुंच के कारण संभव हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, बाजार पूंजीकरण में 1 प्रतिशत की वृद्धि से जीडीपी विकास दर में 0.06 प्रतिशत की वृद्धि होती है।
वित्त वर्ष 2018 से अब तक पंजीकृत नए एसआईपी में चार गुना वृद्धि हुई है और यह 4.8 करोड़ हो गया है, जिससे कुल एसआईपी योगदान लगभग 2 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
पिछले 10 वर्षों में पूंजी बाजारों से भारतीय कंपनियों द्वारा जुटाए गए फंड में 10 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, जो वित्त वर्ष 2014 में 12,068 करोड़ रुपये से बढक़र वित्त वर्ष 2025 में अक्टूबर तक 1.21 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि शेयरों और डिबेंचर में परिवारों की बचत वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी के 1 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जो वित्त वर्ष 2014 में 0.2 प्रतिशत थी और घरेलू वित्तीय बचत में हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से बढक़र 5 प्रतिशत हो गई है।
इस बीच वित्त वर्ष 2025 में अक्टूबर तक 302 इश्यू से इक्विटी बाजारों से कुल 1.21 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई गई।
एनएसई बाजार पूंजीकरण वित्त वर्ष 2025 में अब तक वित्त वर्ष 14 की तुलना में 6 गुना से अधिक बढक़र 441 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया, इक्विटी कैश सेगमेंट में औसत ट्रेड साइज वित्त वर्ष 2014 के 19,460 रुपये से बढक़र वित्त वर्ष 2025 में अब तक 30,742 रुपये हो गया है।
मुंबई । आसमान छूती महंगाई ने इस पूरे साल आरबीआई को सस्ते लोन का तोहफा देने से रोके रखा। इसके चलते आरबीआई के पूर्व गवर्नर शक्तिकान्त दास ने 2024 में ब्याज दरों में कटौती के दबाव को नजरअंदाज किया और अपना मुख्य ध्यान महंगाई पर केंद्रित रखा। हालांकि, अब नए मुखिया की अगुवाई में केंद्रीय बैंक को जल्द यह फैसला लेना होगा कि क्या वह आर्थिक वृद्धि की कीमत पर महंगाई को तरजीह देना जारी रख सकता है। 2024 के अंत में दास का दूसरा कार्यकाल पूरा होने के बाद सरकार ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को नया गवर्नर नियुक्त किया है। अब सभी की नजरें आरबआई के मौजूदा गवर्नर पर है कि वो सस्ते लोन का तोहफा दें और ईएमआई को बोझ कम करने में मदद करें।
जीडीपी गिरने से रेपो रेट में कटौती का दबाव
दास के नेतृत्व में आरबीआई ने लगभग 2 साल तक प्रमुख नीतिगत दर रेपो को यथावत रखा। हालांकि, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर पर आ गई है। नए गवर्नर के कार्यभार संभालने तथा ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में ब्याज दर निर्धारण समिति (एमपीसी) में बढ़ती असहमति के कारण अब सभी की निगाहें फरवरी में आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा बैठक पर है। सभी इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि फरवरी की बैठक में एमपीसी का क्या रुख रहता है। इसी महीने उनकी नियुक्ति के बाद कुछ विश्लेषकों का मानना था कि मल्होत्रा के आने से फरवरी में ब्याज दरों में कटौती की संभावना मजबूत हुई है, लेकिन कुछ घटनाएं, विशेषकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 में ब्याज दर में कम कटौती का संकेत दिए जाने, रुपये पर इसके असर के बाद कुछ लोगों ने यह सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि क्या यह ब्याज दर में कटौती के लिए उपयुक्त समय है।
रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत कटौती की वकालत
कुछ पर्यवेक्षक यह भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या 0.50 प्रतिशत की हल्की ब्याज दर कटौती - जैसा कि मुद्रास्फीति अनुमानों को देखते हुए व्यापक रूप से अपेक्षित है - आर्थिक गतिविधियों के लिए किसी भी तरह से उपयोगी होगी। एक नौकरशाह के रूप में लंबे करियर के बाद केंद्रीय बैंक में शामिल हुए दास ने कहा था कि उन्होंने उन प्रावधानों के अनुसार काम किया, जो वृद्धि के प्रति सजग रहते हुए मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करते हैं। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने अक्टूबर, 2024 में सर्वसम्मति से नीतिगत रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ करने का फैसला किया था। अपनी आखिरी नीति घोषणा में दास ने जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.4 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर और अक्टूबर में मुद्रास्फीति के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर जाने का हवाला देते हुए कहा था कि वृद्धि-मुद्रास्फीति की गतिशीलता अस्थिर हो गई है।
11 बार से बदलाव नहीं हुआ
दास ने आधिकारिक जीडीपी वृद्धि आंकड़ों के प्रकाशन के बाद अपने अंतिम संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्रीय बैंकिंग में ‘आकस्मिक’ प्रतिक्रिया की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि लचीले मुद्रास्फीति ढांचे की ‘विश्वसनीयता’ को आगे भी संरक्षित करना होगा। आरबीआई ने लगातार 11 बार द्विमासिक नीतिगत समीक्षा के लिए प्रमुख दरों को अपरिवर्तित रखा है। नौकरशाह दास ने 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नोटबंदी के फैसले के बाद पूरे मामले की देखरेख की थी। उन्होंने एक स्थायी विरासत छोड़ी है। उन्होंने छह साल तक मौद्रिक नीति को कुशलतापूर्वक संचालित किया।
मुंबई । पूंजी बाजार नियामक सेबी ने मेटलाइफ इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के इक्विटी डीलर सचिन बकुल दगली और आठ अन्य इकाइयों से जुड़ी एक ‘फ्रंट-रनिंग’ योजना का भंडाफोड़ किया है। इन लोगों ने इस योजना के जरिये 21.16 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया था। आपको बता दें कि ‘फ्रंट रनिंग’ से आशय अग्रिम सूचना के आधार पर शेयर बाजार में लेन-देन करना और लाभ कमाना है। उस समय तक यह सूचना ग्राहकों को उपलब्ध नहीं होती। इन इकाइयों द्वारा फ्रंट-रनिंग तीन साल से अधिक समय तक जारी रही। सेबी ने शुक्रवार को एक अंतरिम आदेश के जरिये सचिन बकुल दगली और आठ अन्य इकाइयों को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया और उनके द्वारा अर्जित अवैध लाभ को जब्त कर लिया।
सेबी की जांच में दोषी पाया गया
सेबी ने कुछ इकाइयों द्वारा बड़े ग्राहकों के पीएनबी मेटलाइफ इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के लेन-देन में संदिग्ध ‘फ्रंट रनिंग’ की जांच की थी। जांच का मकसद यह पता लगाना था कि क्या संदिग्ध इकाईयों ने डीलरों और/या कोष प्रबंधकों सहित सहित अन्य लोगों के साथ मिलीभगत करके बड़े ग्राहकों के लेन-देन में फ्रंट रनिंग की थी। इस तरह इन लोगों ने सेबी के पीएफयूटीपी (धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार निषेध) नियमों और सेबी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया था। जांच की अवधि एक जनवरी, 2021 से 19 जुलाई, 2024 तक थी। अपनी जांच में सेबी ने पाया कि पीएनबी मेटलाइफ में अधिकांश लेन-देन से संबंधित निर्णय निष्पादन के लिए सचिन दगली को सौंपे गए थे। नियामक ने पाया कि सचिन बकुल दगली (इक्विटी डीलर, पीएनबी मेटलाइफ) और उनके भाई तेजस दगली (इक्विटी सेल्स ट्रेडर, इन्वेस्टेक) ने पीएनबी मेटलाइफ और इन्वेस्टेक के संस्थागत ग्राहकों के आगामी ऑर्डर के बारे में गोपनीय, गैर-सार्वजनिक जानकारी प्राप्त की। उन्होंने इस जानकारी का उपयोग लेन-देन के लिए किया और इसे संदीप शंभरकर के साथ साझा किया, जिसने धनमाता रियल्टी प्राइवेट लि.(डीआरपीएल), वर्थी डिस्ट्रिब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड (डब्ल्यूडीपीएल) और प्रग्नेश संघवी के खातों के जरिये फ्रंट रनिंग लेन-देन का क्रियान्वयन किया।
6,766 फ्रंट रनिंग के मामले सामने आए
डीआरपीएल और डब्ल्यूडीपीएल के निदेशक, जिनमें अर्पण कीर्तिकुमार शाह, कविता साहा और जिग्नेश निकुलभाई दभी शामिल हैं, ने भी इस योजना को फायदा उठाया। इस लोगों ने सेबी अधिनियम और धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार (पीएफयूटीपी) विनियमों का उल्लंघन करते हुए एक धोखाधड़ी वाली फ्रंट-रनिंग योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने के लिए मिलीभगत की और इसके जरिये अवैध लाभ कमाया। सेबी ने कहा कि डीआरपीएल, डब्ल्यूडीपीएल और प्रग्नेश संघवी के खातों के जरिये 6,766 ऐसे फ्रंट रनिंग के मामले सामने आए। इन इकाइयों ने इसके जरिये 21,15,78,005 का अवैध लाभ कमाया। सेबी ने कहा कि इन इकाइयों के खातों में फ्रंट रनिंग गतिविधियां का सिलसिला लंबे अरसे यानी तीन साल से अधिक समय तक चला। सेबी ने इन इकाइयों पर अगले आदेश तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से शेयरों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मुंबई । जीएसटी चोरी करने वाले सावधान हो जाएं। सरकार अब टैक्स चोरी करने वाले को बक्सने के मूड में नहीं है। सरकार ने टैक्स चोरी रोकने के लिए ‘ट्रैक एंड ट्रेस’ ट्रैकिंग सिस्टम शुरू करने का फैसला किया है। आपको बता दें कि 53वीं जीएसटी परिषद की बैठक में कर चोरी रोकने के लिए ‘ट्रैक एंड ट्रेस’ प्रणाली को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके तहत वस्तुओं या पैकेट पर एक विशिष्ट चिह्न लगाया जाएगा। इससे सप्लाई चेन में उनको ट्रैक करना आसान होगा। ट्रैक करने से कारोबारियों के लिए टैक्स चोरी करना संभव नहीं होगा।
इस तरह सामानों की ट्रैकिंग की जाएगी
वित्त मंत्रालय ने यहां परिषद की 55वीं बैठक में लिए गए निर्णयों की के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह प्रणाली विशिष्ट पहचान चिह्न पर आधारित होगी, जिसे उक्त वस्तुओं या उनके पैकेट पर चिपकाया जाएगा। इससे ऐसी प्रणाली विकसित करने के लिए कानूनी ढांचा उपलब्ध होगा और आपूर्ति श्रृंखला में निर्दिष्ट वस्तुओं का पता लगाने के लिए तंत्र के कार्यान्वयन में मदद मिलेगी। इसमें कहा गया है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि अपंजीकृत प्राप्तकर्ताओं को ऑनलाइन मनी गेमिंग, ओआईडीएआर सेवाओं आदि जैसी ‘ऑनलाइन सेवाओं’ की आपूर्ति के संबंध में, आपूर्तिकर्ता को कर चालान पर अपंजीकृत प्राप्तकर्ता के राज्य का नाम अनिवार्य रूप से दर्ज करना आवश्यक है और प्राप्तकर्ता के राज्य का ऐसा नाम आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 12(2)(बी) के प्रयोजन के लिए प्राप्तकर्ता के रिकॉर्ड में दर्ज पता माना जाएगा।
पुरानी ईवी खरीदने पर लगेगा 18प्रतिशत जीएसटी
जीएसटी परिषद ने शनिवार को कारोबार में इस्तेमाल के लिए खरीदी गई पुरानी इलेक्ट्रिक गाड़ी के मार्जिन मूल्य पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया। परिषद से साथ ही विमान ईंधन (एटीएफ) को जीएसटी व्यवस्था से बाहर रखने पर सहमति जताई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि राज्य विमान टरबाइन ईंधन को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने पर सहमत नहीं हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि बीमा प्रीमियम पर जीएसटी में कमी के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया, क्योंकि मंत्रियों के समूह (जीओ) को इस मुद्दे का अध्ययन करने के लिए अधिक समय की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि बीमा नियामक इरडा सहित कई पक्षों से सुझावों का इंतजार है।
नई दिल्ली । पिछले हफ्ते शेयर बाजार में भारी बिकवाली ने सेंसेक्स की सभी कंपनियों का गणित बिगाड़ दिया। सभी कंपनियों की मार्केट कैप में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। सबसे ज्यादा नुकसान रिलायंस इंडस्ट्रीज के निवेशकों को उठाना पड़ा। रिलायंस के निवेशकों के 91,140 करोड़ डूब गए। आपको बता दें कि सेंसेक्स की शीर्ष 10 कंपनियों के बाजार मूल्यांकन (मार्केट कैप) में पिछले सप्ताह 4,95,061 करोड़ रुपये की गिरावट आई। शेयर बाजार में मंदडिय़ां रुख के बीच टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और रिलायंस इंडस्ट्रीज को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
4000 अंक लुढक़ा सेंसेक्स
पिछले सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 4,091.53 अंक या 4.98 प्रतिशत नीचे आया। भारतीय शेयर बाजार में यह जून, 2022 के बाद सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है। सप्ताह की शुरुआत अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की नीतिगत घोषणा के साथ हुई, जिससे बाजार की धारणा में बदलाव आया। फेडरल रिजर्व ने 2025 में ब्याज दरों में सिर्फ दो बार कटौती का संकेत दिया है। इससे बाजार धारणा प्रभावित हुई और दुनियाभर समेत भारतीय बाजार में भयंकर गिरावट आई।
टीसीएस का मार्केट कैप 1,10,550 करोड़ घटा
बीते सप्ताह टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का बाजार पूंजीकरण 1,10,550.66 करोड़ रुपये घटकर 15,08,036.97 करोड़ रुपये रह गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मूल्यांकन में 91,140.53 करोड़ रुपये की गिरावट आई और यह 16,32,004.17 करोड़ रुपये पर आ गया। एचडीएफसी बैंक की बाजार हैसियत 76,448.71 करोड़ रुपये घटकर 13,54,709.35 करोड़ रुपये पर और भारती एयरटेल की 59,055.42 करोड़ रुपये के नुकसान के साथ 8,98,786.98 करोड़ रुपये पर आ गई। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का बाजार पूंजीकरण 43,909.13 करोड़ रुपये घटकर 7,25,125.38 करोड़ रुपये पर आ गया।
आईसीआईसीआई बैंक ने भी किया निराश
आईसीआईसीआई बैंक की बाजार हैसियत 41,857.33 रुपये घटकर 9,07,449.04 करोड़ रुपये रह गई। इन्फोसिस के मूल्यांकन में 32,300.2 करोड़ रुपये की गिरावट आई और यह 7,98,086.90 करोड़ रुपये रह गया। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का मूल्यांकन 20,050.25 करोड़ रुपये घटकर 5,69,819.04 करोड़ रुपये रह गया। हिंदुस्तान यूनिलीवर की बाजार हैसियत 12,805.27 करोड़ रुपये घटकर 5,48,617.81 करोड़ रुपये पर आ गई। आईटीसी का मूल्यांकन 6,943.5 करोड़ रुपये घटकर 5,81,252.32 करोड़ रुपये रह गया।
रिलायंस टॉप पर कायम
शीर्ष 10 कंपनियों की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज पहले स्थान पर कायम रही। इसके बाद क्रमश: टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल, इन्फोसिस, एसबीआई, आईटीसी, एलआईसी और हिंदुस्तान यूनिलीवर का स्थान रहा।
नई दिल्ली । होंडा कार्स इंडिया ने अगले साल जनवरी से अपने सभी मॉडल की कीमतों में दो फीसदी तक की बढ़ोतरी की शुक्रवार को घोषणा की। कंपनी घरेलू बाजार में अमेज, सिटी और एलिवेट जैसे मॉडल बेचती है। होंडा कार्स इंडिया के उपाध्यक्ष (मार्केटिंग और सेल्स) कुणाल बहल ने कहा कि ऑटो मैन्यूफैक्चरर कंपनी जनवरी 2025 की शुरुआत से अपने मॉडलों की कीमतों में 2 फीसदी तक की वृद्धि करेगी। बहल ने कहा,‘‘कच्चे माल की लागत और लॉजिस्टिक्स में निरंतर वृद्धि के कारण इसका छोटा सा भार नए साल से मूल्य संशोधन के जरिये ग्राहकों पर डाला जाएगा।’’मारुति सुजुकी, हुंदै और टाटा मोटर्स सहित विभिन्न कार मैन्यूफैक्चरर कंपनियां पहले ही जनवरी से कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा कर चुकी हैं।
टाटा की गाडिय़ां होंगी महंगी
टाटा मोटर्स ने हाल ही में 1 जनवरी, 2025 से अपने ट्रकों और बसों की कीमतों में 2 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की घोषणा की थी। कंपनी ने यह बढ़ोतरी इनपुट लागत में बढ़ते दबाव की वजह से करने की बात कही। हालांकि कंपनी ने यह भी कहा है कि कीमत में बढ़ोतरी अलग-अलग मॉडल और वैरिएंट के मुताबिक अलग-अलग होगी और यह ट्रकों और बसों की पूरी रेंज पर लागू होगी।
ये कंपनियां भी बढ़ा रही हैं दाम
हुंदै मोटर इंडिया एक जनवरी, 2025 से अपने मॉडल रेंज की कीमतों में 25,000 रुपये तक की वृद्धि करने पर विचार कर रही है। महिंद्रा एंड महिंद्रा जनवरी से अपने एसयूवी और वाणिज्यिक वाहनों की कीमतों में तीन प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करेगी। महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कहा कि यह समायोजन महंगाई और वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमतों के कारण बढ़ती लागत को देखते हुए किया गया है। जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया ने कहा कि वह अगले महीने से अपने संपूर्ण मॉडल रेंज की कीमतों में तीन फीसदी तक की वृद्धि करेगी। कंपनी ने कहा कि कीमतों में यह बढ़ोतरी लगातार बढ़ती इनपुट लागत और अन्य बाहरी कारकों का नतीजा है। वहीं, ऑल्टो के10 से लेकर इनविक्टो तक के मॉडल बेचने वाली कंपनी ने कहा कि वह बढ़ती इनपुट लागत और परिचालन व्यय के मद्देनजर कीमतों में बढ़ोतरी कर रही है।