व्यापार

इंडियन ऑयल की कमाई छह लाख करोड़ के पार
Posted Date : 18-May-2019 1:41:50 pm

इंडियन ऑयल की कमाई छह लाख करोड़ के पार

नयी दिल्ली ,18 मई । देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड का राजस्व गत 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2018-19 में पहली बार छह लाख करोड़ रुपये के पार पहुँच गया। 
कंपनी के निदेशक मंडल की हुई बैठक में वित्तीय परिणामों को मंजूरी दी गयी। बैठक के बाद कंपनी के अध्यक्ष संजीव सिंह ने यहाँ संवाददाताओं को बताया कि पिछले वित्त वर्ष में एकल तथा समग्र दोनों आधारों पर कंपनी का कुल राजस्व छह लाख करोड़ रुपये के पार रहा। एकल आधार पर उसकी कमाई वित्त वर्ष 2017-18 के 5,09,842.21 करोड़ रुपये से 19.46 प्रतिशत बढक़र 6,09,052.28 करोड़ रुपये पर पहुँच गयी। समग्र आधार पर उसका कुल राजस्व 5,18,961.77 करोड़ रुपये से बढक़र 6,19,957.12 करोड़ रुपये हो गया। 
श्री सिंह ने बताया कि इसके बावजूद बीते वित्त वर्ष कंपनी का मुनाफा कम हुआ। समग्र आधार पर उसका शुद्ध मुनाफा 22,626.35 करोड़ रुपये से 23.66 प्रतिशत घटकर 17,273.85 करोड़ रुपये रह गया। उन्होंने कहा कि इसका कारण इनवेंटरी की कीमतों में नकारात्मक बदलाव और रुपये के विनिमय दर में बदलाव के मद में हुआ नुकसान रहा। गत 31 मार्च को समाप्त पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही कंपनी के लिए अच्छी रही। इस दौरान समग्र आधार पर उसका शुद्ध मुनाफा 5,527.46 करोड़ रुपये से 8.62 फीसदी बढक़र 6,003.96 करोड़ रुपये पर पहुँच गया। तिमाही के दौरान एकल आधार पर उसका शुद्ध लाभ 16.89 प्रतिशत बढक़र 6099.27 करोड़ रुपये रहा। निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए शेयरधारकों को एक रुपये प्रति शेयर का अंतिम लाभांश देने की भी मंजूरी दी है। इससे पहले वित्त वर्ष के 8.25 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश भी घोषित किया जा चुका है। 

आम जनता के लिए अच्छी खबर, बढ़ी लागत का बोझ ग्राहकों पर नहीं डालेगी इंडियन ऑयल
Posted Date : 18-May-2019 1:40:52 pm

आम जनता के लिए अच्छी खबर, बढ़ी लागत का बोझ ग्राहकों पर नहीं डालेगी इंडियन ऑयल

नयी दिल्ली ,18 मई । देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने कहा कि मौजूदा बीएस-4 ईंधन की जगह अगले साल से अनिवार्य बीएस-6 ईंधन के उत्पादन पर आने वाली अतिरिक्त लागत का बोझ वह ग्राहकों पर नहीं डालेगी। इंडियन ऑयल के अध्यक्ष संजीव सिंह ने आज यहाँ वित्तीय परिणामों की घोषणा के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एक प्रश्न के उत्तर में कहा नहीं, हम बढ़ी हुई लागत का बोझ ग्राहकों पर नहीं डालेंगे। उन्होंने बताया कि तेल शोधन संयंत्रों को बीएस-6 के उत्पादन के लिए तैयार करने का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। दिल्ली-एनसीआर और इसके आसपास के 12 जिलों में बीएस-6 ईंधन की आपूर्ति शुरू कर दी गयी है। सिंह ने बताया कि अगले साल 01 अप्रैल से पूरे देश में सिर्फ भारत स्टेज (बीएस)-6 मानक के ईंधनों की बिक्री होगी। इसके लिए कंपनी ने अनुसंधान एवं विकास तथा संयंत्रों में बदलाव पर 1,600 करोड़ रुपये का पूँजीगत निवेश किया है। उन्होंने आश्वस्त किया कि अगले साल तय समय तक उसके सभी पेट्रोल पंपों पर बीएस-6 ईंधन उपलब्ध होंगे। 

एनपीए में कमी के लिए आरबीआई के अधिकार बढ़ा सकती है सरकार, बना रही ये प्लान
Posted Date : 18-May-2019 1:40:34 pm

एनपीए में कमी के लिए आरबीआई के अधिकार बढ़ा सकती है सरकार, बना रही ये प्लान

नई दिल्ली ,18 मई ।  सरकार ऋण शोधन अक्षमता और दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत बैंकों की दबाव वाली संपत्ति यानी फंसे कर्ज से निपटने को लेकर आरबीआई (आरबीआई) को पर्याप्त रूप से सशक्त बनाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए सरकार यह कदम उठा रही है। अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने केंद्रीय बैंक के 12 फरवरी 2018 के परिपत्र को खारिज कर दिया है। सूत्रों ने कहा कि दबाव वाली संपत्ति पर जारी 12 फरवरी का परिपत्र से एनपीए से निपटने के संदर्भ में बैंकों के बीच अनुशासन आया है और अपनी समझ के हिसाब से कार्य करने की जो स्वतंत्रता थी, वह समाप्त हो गयी है।
उसने कहा कि लेकिन परिपत्र थोड़ा सख्त था और हर क्षेत्र इसका हिस्सा था। परिपत्र की संसदीय समिति समेत कई पक्षों ने काफी आलोचना की। पिछले महीने उच्चतम न्यायालय ने परिपत्र को रद्द कर दिया और इसे गैर-कानूनी करार दिया। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद कर्ज लौटाने में चूक की स्थिति में आईबीसी के तहत मामले को हर हाल में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) को भेजने की व्यवस्था अब उपलब्ध नहीं है।
हालांकि बैंकिंग नियमन कानून की धारा 35 एए के तहत आरबीआई सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद किसी भी बैंक से फंसे कर्ज के मामले को एनसीएलटी को भेजने के लिये कह सकता है। सूत्रों के अनुसार फंसे कर्ज से निपटने के लिये संतुलित रुख की जरूरत है। इसे बैंकों के विवेक पर नहीं छोड़ा जा सकता, कुछ नियामकीय निगरानी होनी चाहिए। उसने कहा कि नियामकीय रूपरेखा को मजबूत करने और एनपीए से निपटने के मामले में बैंकों को अपने विवेकाधिकार की अनुमति नहीं देने को ध्यान में रखकर बैंक नियमन कानून पर गौर किया जा रहा है।
रिजर्व बैंक के 12 फरवरी 2018 के परिपत्र में बैंकों के लिये यह अनिवार्य किया गया था कि अगर किसी फंसे कर्ज का समाधान 180 दिन के भीतर नहीं होता है, वे उसे दिवाला संहिता के तहत ऋण समाधान की कार्यवाही के लिये भेजे। यह प्रावधान उन खातों के लिये था, जहां बैंकों व वित्तीय संस्थाओं का वसूल नहीं हो रहा बकाया कम-से-कम 2,000 करोड़ रुपये हो।

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में चुनावी असर, दूसरे दिन फिर घटे दाम
Posted Date : 18-May-2019 1:40:11 pm

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में चुनावी असर, दूसरे दिन फिर घटे दाम

नई दिल्ली ,18 मई । लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से पहले तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोल के दाम में लगातार दूसरे दिन कटौती की। हालांकि डीजल के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ। एक दिन पहले डीजल के दाम में मामूली वृद्धि की गई थी।
उधर, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आई तेजी पर ब्रेक लग गया है लेकिन बेंट्र क्रूड का भाव अभी भी 72 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना हुआ है। ऐसे में संभावना है कि चुनाव के बाद पेट्रोल और डीजल के दाम में फिर वृद्धि का सिलसिला शुरू हो। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में रविवार को सात राज्यों की 59 संसदीय सीटों के लिए रविवार को मतदान होगा। 
इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, शनिवार को दिल्ली, कोलकता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल के दाम घटकर क्रमश: 71.03 रुपये, 73.11 रुपये, 76.64 रुपये और 73.72 रुपये प्रति लीटर हो गए। हालांकि चारों महानगरों में डीजल के दाम पूर्ववत क्रमश: 65.96 रुपये, 67.71 रुपये, 69.11 रुपये और 69.72 रुपये प्रति लीटर पर बने हुए हैं। तेल विपणन कंपनियों ने दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल के दाम में सात पैसे जबकि चेन्नई में छह पैसे प्रति लीटर की कटौती की है।

आरबीआई ने मिशन लेस-कैश के लिए बनाया बड़ा प्लान
Posted Date : 17-May-2019 1:01:16 pm

आरबीआई ने मिशन लेस-कैश के लिए बनाया बड़ा प्लान

मुंबई ,17 मई । बैंकिंग रेग्युलेटर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अगले तीन साल के लिए 12 लक्ष्यों की सूची तैयार की है, जिसमें डिजिटल पेमेंट को चार गुना बढ़ाना, पेपर बेस्ड ट्रांजैक्शन में कमी लाना, पेमेंट प्राइसिंग को बेहतर बनाना, ग्राहकों की शिकायतों के निपटारे के लिए बेहतर व्यवस्था करना और नए पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स (आरबीआई) की सर्विस शुरू कराना शामिल है। 
रिजर्व बैंक ने तय वक्त तक लक्ष्य हासिल करने के लिए बुधवार को जारी पेमेंट्स सिस्टम्स विजन 2022 डॉक्युमेंट में सभी स्टेकहोल्डर्स और गवर्निंग बॉडीज की तरफ से उठाए जानेवाले कदमों की व्यापक कार्ययोजना का जिक्र किया था। 
रिजर्व बैंक ने कहा है, सोसायटी को लेस-कैश बनाने की तरफ उठे कदम बढ़ाए जा रहे हैं। अब तक पेमेंट सिस्टम्स से कमोबेश दूर रहे तबकों को फायदा दिलाने के साथ ही बेहतर क्षमता वाली, सेफ, सिक्योर, एक्सेसिबल और अफोर्डेबल पेमेंट सिस्टम की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने की भी कोशिश हो रही है।
कार्ड ट्रांजैक्शन में 3 साल में 6 गुना वृद्धि 
आरबीआई ने मौजूदा पेमेंट सिस्टम में सुधार लाने के लिए प्रतिस्पर्धा, लागत, सहूलियत और विश्वास सहित ऐसे चार क्षेत्रों का चुनाव किया है जहां उसकी तरफ से नीतिगत दखल दिया जा सकता है। उसने यह भी तय किया है कि कार्ड के जरिए होने वाले ट्रांजैक्शंस में अगले तीन साल में छह गुना की बढ़ोतरी हो सकती है और इससे भारत कैश लाइट देशों की गिनती में शामिल हो जाएगा। 
बिना इंटरनेट और स्मार्टफोन से ट्रांजैक्शन 
बैंकिंग रेग्युलेटर का यह भी मानना है कि विजन पीरियड में कैश ऑन डिलीवरी मेथड से होने वाले पेमेंट में कमी आएगी, जो अभी कस्टमर्स के लिए पेमेंट का सबसे अहम तरीका बना हुआ है। रिजर्व बैंक ने हृश्वस्नञ्ज और क्रञ्जत्रस् की ट्रांजैक्शन लिमिट और ड्यूरेशन विंडो बढ़ाने पर भी विचार किया है और आने वाले समय में यूजर्स को बिना इंटरनेट और स्मार्टफोन वाला यूनिवर्सल पेमेंट सॉल्यूशन मुहैया कराने पर भी विचार करेगा। 
रिजर्व बैंक ने कहा, मोबाइल इंटरनेट स्पीड में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन बड़े एरिया में कनेक्टिविटी का इश्यू बना हुआ है। इसलिए विजन पीरियड के दौरान डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए मोबाइल डिवाइसेज के जरिए ऑफलाइन पेमेंट मुहैया कराने का विकल्प अपनाने पर खास ध्यान दिया जा सकता है।
पेमेंट सर्विसेज चैनल होगा सस्ता 
बैंकिंग रेग्युलेटर ने यह भी कहा है कि सिस्टम को लेकर होने वाले रेग्युलेटरी चेंज और कॉम्पिटिशन में बढ़ोतरी से पेमेंट सर्विसेज चैनल अगले तीन साल में सस्ता हो जाएगा। डॉक्युमेंट के मुताबिक, कस्टमर्स को दी जानेवाली ऐसी सर्विसेज की प्राइसिंग में विजन पीरियड के दौरान मौजूदा स्तर के मुकाबले कम से कम 100 बेसिस प्वाइंट्स की कमी आ सकती है। इसके लिए ऐड वेलोरम रेट्स के बजाय ट्रांजैक्शन के हिसाब से रेट तय करने का भी जिक्र है क्योंकि ट्रांजैक्शन वैल्यू से सिस्टम यूसेज का कोई लेना देना नहीं होता। 

मौसम की मार झेल रहे खास आम, बढ़ेंगे दाम
Posted Date : 17-May-2019 1:00:59 pm

मौसम की मार झेल रहे खास आम, बढ़ेंगे दाम

नई दिल्ली ,17 मई । दशहरी, लंगड़ा, केसर, हापुस सहित आम की ज्यादातर लोकप्रिय किस्मों की पैदावार लगातार दूसरे साल कई वजहों से घटने जा रही है। ये जहां रिटेल मार्केट में तय समय से करीब तीन हफ्ते देरी से आएंगे, वहीं इनकी कीमत भी बढ़ सकती है। तेजी से बदलते मौसम, औद्योगिक प्रदूषण और बीमारियों के चलते देश के ज्यादातर मैंगो बेल्ट्स में आम की फसल प्रभावित हुई है। सालाना 45 लाख टन आम पैदा करने वाले यूपी में आम के राजा मलीहाबादी दशहरी की हालत ठीक नहीं है। ऑल इंडिया मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट इंसराम अली ने बताया, ‘इस साल उत्पादन संभावित स्तर से 60त्न कम रहने के आसार हैं। जाड़े के लंबा खिंचने और तापमान में भारी उतार-चढ़ाव के चलते फ्लॉवरिंग पर बुरा असर पड़ा था, लेकिन उसके बाद बीमारियों से बहुत कम फल लगे। हम उम्मीद कर रहे हैं कि शुरुआती आकलन का 30-40त्न फल ही मार्केट में उतर पाएगा। रिटेल में 20 जून के बाद ही असली दशहरी के दर्शन होंगे।’ 
अकेले मलीहाबाद में ही करीब 20,000 टन आम होता है, जिसमें 90त्न दशहरी होते हैं। इंसराम अली ने बताया कि फसल बीमा योजनाओं में आम को शामिल नहीं करने से किसानों के लिए कीटनाशक और खाद पर हुए खर्चे की भरपाई ही मुश्किल हो रही है। ऐसे में कम उत्पादन के चलते दाम बढ़ाना मजबूरी होगी। यूपी के 14 मैंगो बेल्ट सहित देश के ज्यादातर उत्पादन केंद्रों के संगठनों ने प्रधानमंत्री से आम के लिए क्षतिपूर्ति की मांग की है। 
दिल्ली के आजादपुर मंडी में आम निर्यातक संजीव भाटिया ने बताया, ‘यूपी में दशहरी के अलावा साउथ गुजरात और महाराष्ट्र से केसर और हाफुस की आवक में भी भारी गिरावट आ सकती है। वहां इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन के चलते फूल और फल दोनों बर्बाद हुए हैं। आम तौर पर 1000 रुपये प्रति 10 किलो की दर से बुक होने वाला केसर थोक में 15-20त्न महंगा आने के आसार हैं। फिलहाल जो आम आ रहे हैं, उनमें वो स्वाद नहीं है, लेकिन वे महंगी दरों पर ही आ रहे हैं।’ 
उन्होंने बताया कि इस बार 15 मार्च तक जाड़ा खिंचने से आमों पर बौर कम लगे। आम तौर पर ट्रेडर फ्लॉवरिंग के स्तर पर ही ग्रोअर्स के साथ डील कर लेते हैं। लेकिन प्रदूषण के चलते ज्यादातर बेल्ट में फूल काले पड़ते गए और लगने वाले आम की तादाद उम्मीद से आधी रह गई। अगर आने वाले एक दो हफ्ते में भारी आंधी आ गई तो नुकसान का स्तर बढ़ सकता है। फिलहाल बाजार में आंध्र और दूसरे इलाकों से सफेदा की आवक हो रही है, जो पिछले साल के मुकाबले 20त्न महंगा है।