नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान 10 दिसंबर तक 88 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है। इस अवधि में केंद्र सरकार द्वारा चार चरणों में 24 महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों की सफल नीलामी पूरी की गई।
राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) ने 609.54 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत के साथ 120 खनिज अन्वेषण और खरीद परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
खान मंत्रालय ने बताया कि एमएमडीआर अधिनियम, 1957 की दूसरी अनुसूची में संशोधन 12 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की रॉयल्टी दर को सही बनाने के लिए किया गया था।
पिछले सप्ताह, मंत्रालय ने भारत के अपतटीय क्षेत्रों में 13 खनिज ब्लॉकों को प्रदर्शित करने के लिए एक वेबिनार आयोजित किया, जिन्हें देश के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन) के भीतर विशाल समुद्री खनिज संपदा का दोहन करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल के तहत ई-नीलामी के लिए रखा जा रहा है।
नीलाम किए जा रहे 13 अपतटीय खनिज ब्लॉकों में केरल तट से 3 कंस्ट्रक्शन सैंड ब्लॉक और गुजरात तट से 3 लाइम मड ब्लॉक शामिल हैं।
ग्रेट निकोबार द्वीप समूह से 7 अन्य पॉलीमेटेलिक और नोड्यूल्स और क्रस्ट ब्लॉक भी प्रस्तावित पहली किश्त का हिस्सा हैं।
खान मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, ई-नीलामी मंच के एमएसटीसी द्वारा वॉकथ्रू ने प्रतिभागियों के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और बोली जमा करने के चरणों को शोकेस किया।
मंत्रालय ने कहा कि 7,500 किलोमीटर से अधिक समुद्र तट और 2.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैले ईईजेड के साथ, भारत हिंद महासागर में खनिज अन्वेषण के लिए अद्वितीय अवसर प्रदान करता है, जो आर्थिक विकास और स्थिरता लक्ष्यों का समर्थन करता है।
चीन, जापान, नॉर्वे, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, पापुआ न्यू गिनी, नामीबिया अपतटीय खनन करने वाले प्रमुख देशों में से हैं। अपतटीय क्षेत्रों में प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ, विशेष आर्थिक क्षेत्र और देश के अन्य समुद्री क्षेत्र शामिल हैं।
मंत्रालय को भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएफ), 2024 में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रथम स्थान (स्वर्ण) से भी सम्मानित किया गया।
नई दिल्ली । एक नई रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) सकल घरेलू उत्पाद के 1.2-1.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की रिपोर्ट के अनुसार, सेवा निर्यात में तेजी और मजबूत रेमिटेंस (श्रमिक या प्रवासी हस्तांतरण) के सपोर्ट से उच्च व्यापार घाटे के बावजूद, देश का सीएडी वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद के 1.2 प्रतिशत पर सिमट गया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) के प्रवाह के कारण पूंजी खाता अधिशेष में वृद्धि हुई, जबकि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश फ्लो (एफडीआई) अधिक दर्ज किया गया। जिसकी वजह से भुगतान संतुलन (बीओपी) अधिशेष वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही के 2.5 बिलियन डॉलर की तुलना में 18.6 बिलियन डॉलर अधिक दर्ज किया गया।
बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता ने कहा, पिछले कुछ महीनों में भारत के एक्सटर्नल सेक्टर आउटलुक में कोई खास बदलाव नहीं आया है। नवंबर 2024 में व्यापार घाटे में तेज उछाल ने कुछ चिंताएं पैदा की हैं, लेकिन यह एक बार की बात हो सकती है, क्योंकि घाटा लगभग पूरी तरह से सोने के आयात में उछाल के कारण हुआ है।
कुल मिलाकर, भारत के भुगतान संतुलन को एफपीआई, ईसीबी और एनआरआई डिपोजिट्स से मजबूत प्रवाह का समर्थन मिला। इसके अलावा, व्यापारिक आयात में वृद्धि माल निर्यात में वृद्धि से आगे निकल रही है, जिसके कारण वित्त वर्ष 2014-15 के आधार पर व्यापार घाटा बढ़ गया है।
गुप्ता ने कहा, सकारात्मक पक्ष यह है कि सेवा निर्यात लचीला रहा है।
उन्होंने कहा, तेल की कम कीमतों के बावजूद रेमिटेंस भी लचीला रहा है। आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा लागू की जा रही संरक्षणवादी व्यापार नीति के बढ़ते खतरे एक्सटर्नल सेक्टर आउटलुक के लिए एक प्रमुख खतरा होंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 1.2-1.5 प्रतिशत के प्रबंधकीय दायरे में रहेगा।
नई दिल्ली । इंडियन इकोनॉमी के लिए आई अच्छी खबर है। वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार फिर तेज होगी। वित्त मंत्रालय की बृहस्पतिवार को जारी मासिक रिपोर्ट में कहा गया कि देश की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में नरमी आई और यह कम होकर 5.4 प्रतिशत पर रही। वित्त मंत्रालय ने नवंबर के लिए अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में नरमी के बाद, तीसरी तिमाही का परिदृश्य बेहतर दिखाई दे रहा है। इसका पता अक्टूबर और नवंबर के लिए महत्वपूर्ण आंकड़ों (जीएसटी संग्रह, पीएमआई आदि) से चलता है।
इसमें कहा गया है कि रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि, जलाशय में जल स्तर का अधिक होना और पर्याप्त उर्वरक उपलब्धता रबी बुवाई के लिए अच्छा संकेत है। कुल मिलाकर औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है। वित्त मंत्राय की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में वृद्धि परिदृश्य पहली छमाही के मुकाबले बेहतर है।’’ इसमें कहा गया है कि मांग में नरमी का कारण संभवत: केंद्रीय बैंक का मौद्रिक नीति रुख और विवेकपूर्ण उपाय हो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अच्छी खबर है कि केंद्रीय बैंक ने दिसंबर, 2024 में अपनी मौद्रिक समीक्षा बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 4.5 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत कर दिया। इससे कर्ज वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, जो वित्त वर्ष 2024-25 में कुछ धीमी हुई है।
डॉलर मजबूत होने से रुपये पर बढ़ा दबाव
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 को देखा जाए तो नई अनिश्चितताएं सामने आई हैं और वैश्विक व्यापार वृद्धि पहले की तुलना में अधिक अनिश्चित दिख रही है। इसमें यह भी कहा गया है कि शेयर बाजार का ऊंचा स्तर एक बड़ा जोखिम पैदा कर रहा है। डॉलर की मजबूती और अमेरिका में नीतिगत दर के बारे में पुनर्विचार ने उभरते बाजार की मुद्राओं को दबाव में ला दिया है। इससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक नीति-निर्माता नीतिगत दरों के बारे में और अधिक गहराई से सोचेंगे। इसमें कहा गया है कि कुल मिलाकर, वृद्धि को बनाये रखने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर और प्रतिबद्ध होकर काम करने की जरूरत होगी। पीएमआई के संबंध में, रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर और नवंबर के आंकड़े यह बताते हैं कि कंपनियों के नये ऑर्डर में वृद्धि हो रही है और मांग मजबूत है। इसके साथ, वे विस्तार कर रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि सरकारी पूंजीगत व्यय में अपेक्षित वृद्धि से सीमेंट, लोहा, इस्पात, खनन और बिजली क्षेत्रों को समर्थन मिलने की उम्मीद है। हालांकि, कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितताओं और आक्रामक नीतियों से घरेलू वृद्धि को खतरा है।
मांग पक्ष के बारे में इसमें कहा गया है, ग्रामीण मांग मजबूत बनी हुई है। अक्टूबर-नवंबर, 2024 के दौरान दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री और घरेलू ट्रैक्टर की बिक्री में क्रमश: 23.2 प्रतिशत और 9.8 प्रतिशत की वृद्धि से इसका अनुमान लगाया जा सकता है। शहरी मांग बढ़ रही है। अक्टूबर-नवंबर, 2024 में यात्री वाहनों की बिक्री में सालाना आधार पर 13.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। घरेलू हवाई यात्री यातायात में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। जबकि तीसरी तिमाही में इसके 5.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि कृषि क्षेत्र का दृष्टिकोण आशावादी है। इससे उम्मीद बंधी है कि खाद्य कीमतों का दबाव धीरे-धीरे कम होगा।
मुंबई । भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार को मिश्रित वैश्विक संकेतों के बीच हरे निशान में खुला। निफ्टी पर ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विस, फार्मा, एफएमसीजी और मेटल सेक्टर में खरीदारी देखी गई।
सुबह करीब 9:30 बजे सेंसेक्स 337.92 अंक या 0.43 प्रतिशत की बढ़त के साथ 78,810.40 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 108.80 अंक या 0.46 प्रतिशत की बढ़त के साथ 23,859 पर कारोबार कर रहा था।
बाजार का रुख सकारात्मक रहा। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 1,400 शेयर हरे निशान में कारोबार कर रहे थे, जबकि 503 शेयर लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।
बाजार के जानकारों के अनुसार, पूरा देश भारत में उदारीकरण के निर्माता मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दे रहा है, ऐसे समय में निवेशकों को 1991 में उदारीकरण की शुरुआत के बाद भारतीय शेयर बाजार द्वारा बनाई गई संपत्ति के लिए आभार व्यक्त करना चाहिए।
सेंसेक्स जो कि 1991 में 1,000 के आसपास था, तब से अब तक लगभग 780 गुना बढक़र 78,000 से ऊपर कारोबार कर रहा है और दीर्घकालिक निवेशकों को शानदार रिटर्न दे रहा है।
जानकारों ने कहा, आने वाले वर्षों में बाजार निवेशकों को बेहतर रिटर्न देता रहेगा, क्योंकि उदारीकरण से प्रेरित भारत की विकास गाथा पूरी तरह बरकरार है।
निफ्टी बैंक 223.25 अंक या 0.44 प्रतिशत बढक़र 51,393.95 पर था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 182.90 अंक या 0.32 प्रतिशत बढक़र 57,308.60 पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 80.80 अंक या 0.43 प्रतिशत बढक़र 18,809.45 पर था।
सेक्टोरल फ्रंट पर आईटी सेक्टर में बिकवाली देखी गई।
सेंसेक्स पैक में इंडसइंड बैंक, टाटा मोटर्स, जोमैटो, एनटीपीसी, आईसीआईसीआई बैंक, टेक महिंद्रा, एसबीआई और एमएंडएम टॉप गेनर्स थे। वहीं, एचसीएल टेक, टाइटन, टीसीएस, एलएंडटी और सनफार्मा टॉप लूजर्स थे।
पिछले कारोबारी सत्र में डॉव जोन्स 0.07 प्रतिशत बढक़र 43,325.80 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 0.04 प्रतिशत गिरकर 6,037.60 पर और नैस्डैक 0.05 प्रतिशत गिरकर 20,020.36 पर बंद हुआ।
एशियाई बाजारों में, चीन और जापान हरे निशान में कारोबार कर रहे थे, जबकि जकार्ता, बैंकॉक, सोल और हांगकांग लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।
जानकारों ने कहा, बाजार के लिए सबसे बड़ी बाधा अब मजबूत डॉलर (डॉलर इंडेक्स 108 से ऊपर बना हुआ है) और आकर्षक अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के कारण एफआईआई की बिकवाली है, जिसमें 10 साल की यील्ड 4.35 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा, जब मैक्रोज विकास और कॉर्पोरेट आय में सुधार का संकेत देंगे, तो एफआईआई की रणनीति में बिक्री से खरीद की ओर बदलाव होगा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 26 दिसंबर को 2,376.67 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने उसी दिन 3,336.16 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
नई दिल्ली । भारत में वित्त वर्ष 2025 और 2026 में 6.5 प्रतिशत रियल जीडीपी वृद्धि का अनुमान है, जो लचीली अर्थव्यवस्था और बुनियादी सुविधाओं के बीच उम्मीद के अनुकूल है।
लेटेस्ट ईवाई इकोनॉमी वॉच दिसंबर 2024 ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली दो तिमाहियों की रियल जीडीपी वृद्धि क्रमश: 6.7 प्रतिशत और 5.4 प्रतिशत, आरबीआई के संशोधित विकास अनुमानों के साथ वित्त वर्ष 2025 की तीसरी और चौथी तिमाही के लिए क्रमश: 6.8 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत को एक साथ देखने के बाद वार्षिक वित्त वर्ष 2025 की रियल जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.6 प्रतिशत लगाया जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि, अगर भारत सरकार के निवेश व्यय में बदलाव धीमा रहा तो तीसरी तिमाही की वृद्धि 6.5 प्रतिशत या उससे कम हो सकती है।
जुलाई-सितंबर तिमाही (वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही) में रियल जीडीपी वृद्धि दर घटकर 5.4 प्रतिशत रह गई, जबकि पिछली तिमाही में यह 6.7 प्रतिशत थी।
अक्टूबर और नवंबर के लिए उपलब्ध हाई फ्रिक्वेंसी डेटा भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास गति के बारे में मिश्रित तस्वीर की ओर इशारा करते हैं।
नवंबर में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में 56.5 की नरम वृद्धि देखी गई, जबकि अक्टूबर में यह 57.5 थी। हालांकि, मजबूत अंतरराष्ट्रीय मांग और कारोबारी विश्वास में सुधार के कारण सेवा पीएमआई नवंबर 2024 में 58.4 पर लगभग स्थिर रही, जो अक्टूबर 2024 में 58.5 के स्तर के करीब है।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में मोटर वाहनों की रिटेल बिक्री में 11.2 प्रतिशत की दोहरे अंकों की वृद्धि जारी रही। विशेष रूप से, दोपहिया वाहनों और ट्रैक्टर की रिटेल बिक्री में वृद्धि देखी गई।
ईवाई रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2024 में दोपहिया वाहनों और ट्रैक्टरों ने क्रमश: 15.8 प्रतिशत और 29.9 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर दिखाई।
रिपोर्ट में बताया गया है, अक्टूबर 2024 में आईआईपी वृद्धि में सितंबर के 3.1 प्रतिशत से बढक़र 3.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो मजबूत मैन्युफैक्चरिंग और इलेक्ट्रिसिटी उत्पादन की वजह से रही।
सीपीआई मुद्रास्फीति अक्टूबर में 6.2 प्रतिशत से घटकर नवंबर में 5.5 प्रतिशत हो गई, क्योंकि सब्जियों की कीमतों में कमी आई, जबकि कोर सीपीआई मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने 3.7 प्रतिशत पर स्थिर रही।
थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति भी अक्टूबर में 2.4 प्रतिशत से घटकर नवंबर में 1.9 प्रतिशत हो गई।
ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव के अनुसार, मध्यम अवधि में भारत की रियल जीडीपी वृद्धि की संभावनाएं 6.5 प्रतिशत प्रति वर्ष रखी जा सकती हैं, बशर्ते सरकार चालू वित्त वर्ष के शेष भाग में अपने पूंजीगत व्यय में वृद्धि को बढ़ाए और मध्यम अवधि के निवेश के साथ आए जिसमें भारत सरकार और राज्य सरकारों और उनके संबंधित सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं और निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र की भागीदारी हो।
नई दिल्ली । सरकार ने बुधवार को बताया कि उद्योग संवर्द्धन और आतंरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या देश में बढक़र 1,57,066 हो गई है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, देश में अब 73,000 से अधिक स्टार्टअप हैं, जिनमें कम से कम एक महिला निदेशक हैं, जिन्हें ‘स्टार्टअप इंडिया पहल’ के तहत मान्यता दी गई है, जो सरकार द्वारा समर्थित 1,57,066 स्टार्टअप का लगभग आधा हिस्सा है।
भारत पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर सबसे वाइब्रेंट स्टार्टअप इकोसिस्टम में से एक के रूप में उभरा है और इसने तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप हब के रूप में अपनी जगह बनाई है। 100 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम इनोवेशन और उद्यमिता के भविष्य को नया आकार दे रहा है।
मंत्रालय ने कहा कि पिछले दशक में भारत में उद्यमशीलता की भावना में आमूलचूल परिवर्तन आया है। बेंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली-एनसीआर जैसे शहर इनोवेशन के केंद्र बन गए हैं।
2024 में कुल 13 स्टार्टअप्स कंपनियों ने आईपीओ लॉन्च किए। यह संख्या पिछले कई वर्षों की तुलना में काफी अधिक थी। वहीं, यह आंकड़ा 2021 में 10, 2022 में 6 और 2023 में 6 पर था।
इन सभी 13 स्टार्टअप कंपनियों ने मिलकर 29,247.4 करोड़ रुपये शेयर बाजार से जुटाए हैं। इसमें से 14,672.9 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू था, जबकि 14,574.5 करोड़ रुपये का ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) था।
किफायती इंटरनेट की व्यापक उपलब्धता, साथ ही युवा और गतिशील कार्यबल ने फिनटेक, एडटेक, हेल्थ-टेक और ई-कॉमर्स सहित विविध क्षेत्रों में स्टार्टअप के विकास को बढ़ावा दिया है।
स्टार्टअप इंडिया द्वारा पेश की गई ‘भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम रिपोर्ट’ के अनुसार, भारत के स्टार्टअप ने स्थानीय और वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), ब्लॉकचेन और आईओटी जैसी उभरती तकनीकों का लाभ उठाया है।
केंद्र सरकार द्वारा 2016 में शुरू किया गया स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम इस प्रयास की आधारशिला रहा है।
इसके अलावा अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) और नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हार्नेसिंग इनोवेशन (एनआईडीएचआई) जैसी पहल इनोवेटर्स को बुनियादी ढांचा और वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।