नईदिल्ली,11 जून । पेट्रोल और डीजल के दाम में लगातार पांच दिनों से जारी गिरावट पर ब्रेक लग गया है। तेल विपणन कंपनियों ने मंगलवार को पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई बदलाव नहीं किया। मालूम हो कि डायनामिक प्राइसिंग मेकेनिज्म लागू होने के बाद से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में होने वाले बदलाव व अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए तेल विपणन कंपनियां रोजाना पेट्रोल और डीजल के दाम का निर्धारण करती हैं।
इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल के दाम यथावत क्रमश: 70.43 रुपये, 72.68 रुपये, 76.12 रुपये और 73.17 रुपये प्रति लीटर रहे। डीजल के दाम भी चारों महानगरों में पूर्ववत क्रमश: 64.39 रुपये, 66.31 रुपये, 67.51 रुपये और 68.11 रुपये प्रति लीटर बने रहे।
नईदिल्ली,11 जून । घरेलू बिक्री में मई में लगातार छठे महीने गिरावट के बाद वाहन उद्योग ने कहा है कि यह स्वीकार करने का समय आ गया है कि वास्तव में आर्थिक मंदी की स्थिति है और सरकार को वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप करना चाहिये। वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम द्वारा मंगलवार को यहाँ जारी आँकड़ों के अनुसार मई में यात्री वाहनों की बिक्री 20.55 प्रतिशत घटकर 2,39,347 इकाई रह गई। पिछले साल मई में यह आँकड़ा 3,01,238 रहा था। वाणिज्यिक तथा दुपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री भी मई में घटी है और सभी श्रेणी के सभी वाहनों की घरेलू बिक्री 8.62 प्रतिशत गिरकर 20,86,358 इकाई रह गयी। मई 2018 में देश में कुल 22,83,262 वाहन बिके थे।
सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर ने वाहनों की थोक बिक्री के आँकड़े जारी करते हुये कहा, सरकार को यह समझना होगा कि मंदी की स्थिति है। समय रहते इसे स्वीकार करना जरूरी है ताकि सुधारात्मक कदम उठाये जा सकें। उन्होंने कहा कि वाहनों की बिक्री में मौजूदा गिरावट का मौजूदा क्रम अभूतपूर्व है। यह न तो कमजोर मानसून के पूर्वानुमान का और न ही आम चुनावों का अस्थायी प्रभाव है। इसके पीछे उससे कहीं ज्यादा बड़े कारण हैं।
आँकड़ों के अनुसार, पिछले साल जून से इस साल मई तक 11 में से (अक्टूबर 2018 को छोडक़र) 10 महीने यात्री वाहनों की बिक्री घटी है। सभी श्रेणी के वाहनों की कुल बिक्री लगातार छठे महीने गिरी है। चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में ही यात्री वाहनों की बिक्री 18.82 प्रतिशत और सभी श्रेणी के वाहनों की कुल बिक्री 12.35 प्रतिशत गिर चुकी है।
नईदिल्ली,11 जून । उच्च मूल्य की नकदी का पता लगाने और डिजिटल भुगतान को अनिवार्य करने के मकसद से वित्त मंत्रालय द्वारा एक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है, जिस पर अगर आगामी बजट में अमल किया गया तो सालाना 10 लाख रुपये की नकदी की निकासी पर 3-5 फीसदी कर लग सकता है। डिजिटल इकॉनोमी (अर्थव्यवस्था) को बढ़ावा देने के मकसद से केंद्र सरकार सालाना 10 लाख रुपये नकदी की निकासी पर 3-5 फीसदी कर लगाने पर विचार कर रही है। यह कदम अर्थव्यवस्था में नकदी का इस्तेमाल कम करने और कालाधन पर लगाम लगाने के मकसद से उठाया जाएगा। अब 10 लाख रुपये सालाना निकासी के लिए 30,000-50,000 रुपये चुकाना घाटे का सौदा होगा, इसलिए सरकार का मानना है कि इससे नकदी के हस्तांतरण पर रोक लगेगी। इस कदम के नतीजे पर विचार-विमर्श किया गया है और कितना कर लगाया जाना चाहिए इस पर अभी विचार किया जा रहा है, लेकिन यह पांच फीसदी से कम नहीं होगा। सूत्रों ने बताया कि 3-5 फीसदी कर लगाना उपयुक्त है। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले सप्ताह एनईएफटी/आरटीजीएस भुगतान सर्वर का उपयोग करने के लिए बैंकों पर लागू मौजूदा शुल्क में छूट दे दी। केंद्रीय बैंक ने बैंकों द्वारा एटीएम से निकासी पर लगाए गए शुल्क की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन करने जा रहा है। जब डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन दिया जा रहा है तो फिर कोई नकदी हस्तांतरण के लिए 10 लाख रुपये नकदी की निकासी क्यों करे?
आरबीआई ने पिछले ही सप्ताह एनईएफटी और आरटीजीएस हस्तांतरण शुल्क समाप्त कर दिया और केंद्रीय बैंक कार्ड पर शुल्क की भी समीक्षा कर रहा है। इस प्रस्ताव पर बहरहाल विचार-विमर्श किया जा रहा है, लेकिन यह डिजिटल इकॉनोमी और हस्तांतरण का पता लगाने की दिशा में एक कदम है। सूत्रों का कहना है कि दुनियाभर में इस पर अमल किया जा रहा है। पाकिस्तान में भी 50,000 रुपये से ज्यादा की निकासी पर ऐसा ही कर लगता है।
डिजिटल भुगतान पर 2017 में आंध्रप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति ने भी नकदी हस्तातंरण पर रोक लगाने के लिए कर लगाने का सुझाव दिया था। समिति ने बड़ी रकम के नकदी हस्तांतरण के लिए अधिकतम सीमा तय करने और डिजिटल हस्तांतरण को प्रोत्साहन देने के लिए कार्ड से भुगतान पर शुल्क पूरी तरह समाप्त करने का सुझाव दिया था।
नईदिल्ली,10 जून । राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) ने सोमवार को कर्ज के बोझ से दबी जेपी इंफ्राटेक की दिवालिया प्रक्रिया के तहत एक अहम निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि कंपनी के ऋणदाता इस मामले में जारी मतदान प्रक्रिया में एनबीसीसी के प्रस्ताव के खिलाफ भी जा सकते हैं। आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं के समुह ने एनबीसीसी की बोली के लिए एनसीएलएटी से मतदान से फैसला करने की अनुमति मांगी थी। यह मतदान प्रक्रिया 31 मई को शुरू हुई और यह सोमवार 10 जून को खत्म हो रही है। इस मामले में 13 बैंक और 23,000 घर खरीदारों के पास मतदान अधिकार है। एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस. जे. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने कंपनी के पेशेवर समाधानकर्ताओं को निर्देश दिया कि वह मतदान के परिणाम के बारे में उसे सूचित करें। अधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदान दौरान अनुपस्थित लोगों के मत को परिणामों की घोषणा के समय कुल मतदान प्रतिशत में शामिल नहीं किया जाएगा। एनसीएलएटी ने कहा, ‘‘मतदान प्रक्रिया जारी है, ऐसे में हम कोई आदेश जारी करने के पक्ष में नहीं हैं। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यदि कोई वित्तीय ऋणदाता मतदान से अनुपस्थित रहता है तो उनका मत प्रतिशत गिना नहीं जाएगा।’’ एनसीएलएटी ने यह भी स्पष्ट किया कि ऋणदाता एनबीसीसी के प्रस्ताव के विरोध में भी मतदान कर सकते हैं। ‘‘हमने यह नहीं कहा कि एनबीसीसी के खिलाफ मतदान नहीं करें। हमने ऋणदाताओं की समिति से बस ये कहा कि वह अंतिम रपट दाखिल ना करें।’’ उल्लेखनीय है आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं के समुह की याचिका को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण के स्वीकार करने के बाद 2017 में जेपी इंफ्राटेक की दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया शुरू हो गयी थी। इसके तहत ऋणशोधन की पहले दौर की प्रक्रिया पिछले साल पूरी की गयीं जिसमें सुरक्षा समूह का हिस्सा रही लक्षदीप की 7,350 करोड़ रुपये की बोली को खारिज कर दिया गया। बाद में अक्टूबर 2018 में अंतरिम पेशेवर समाधानकर्ता अनुज जैन ने दूसरे दौर की प्रक्रिया शुरू की जो अभी चल रही है।
मुंबई,10 जून । शुरुआती कारोबार में सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया आठ पैसे की मजबूती के साथ 69.38 पर रहा। मुद्रा कारोबारियों के अनुसार अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के कमजोर रहने का लाभ रुपये को मिला है। इसके अलावा घरेलू शेयर बाजारों के सकारात्मक रुख के साथ खुलने का असर भी उस पर पड़ा है। हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और विदेशी निवेशकों के सतत निवेश ने रुपये पर दबाव डाला है और यह बढ़त थमी रही। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 69.40 पर खुला और जल्द ही यह आठ पैसे की मजबूती के साथ 69.38 पर चल रहा है। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 69.46 पर बंद हुआ था। ब्रेंट कच्चा तेल भाव 0.51 प्रतिशत बढक़र 63.61 डॉलर प्रति बैरल रहा।
नईदिल्ली,10 जून । अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बीते हफ्ते कच्चे तेल के दाम में फिर तेजी लौटी है। बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड का भाव फिर 63 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया है और आगे और तेजी रहने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल के दाम में लगातार हो रही रही गिरावट पर विराम लग सकता है। बीते सप्ताह ब्रेंट क्रूड का भाव 60 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गया था। देश की राजधानी दिल्ली में 29 मई के बाद पेट्रोल के दाम में 1.30 रुपये और डीजल के दाम में 2.19 रुपये प्रति लीटर की कमी आई है।
तेल के दाम में हुई इस गिरावट से देश के आम उपभोक्ता के साथ-साथ नई सरकार को भी राहत मिली है क्योंकि इससे एक तो आने वाले दिनों में महंगाई में कमी आएगी और दूसरा तेल आयात का बिल कम होने से राजकोष पर भार घटेगा। मगर, यह राहत अब ज्यादा दिनों तक नहीं मिलने वाली है क्योंकि तेल उत्पादक व आपूर्तिकर्ता देशों के समूह ओपेक ने इस बात का संकेत दिया है कि वह उत्पादन में कटौती को आगे भी जारी रख सकता है।
ओपेक देशों के बीच पिछले साल बनी सहमति के अनुसार, इस साल के आरंभ से ही तेल के उत्पादन में रोजाना 12 लाख बैरल की कटौती जारी है। यह सहमति इस महीने के आखिर तक जारी रहेगी। ओपेक की अगली बैठक इसी महीने 25 जून को होने वाली है जिसमें इस संबंध में फैसला लिया जा सकता है।
ओपेक द्वारा दिए गए संकेत से ही पिछले कारोबारी सप्ताह के आखिरी सत्र में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तकरीबन तीन फीसदी की तेजी आई जिससे प्रेरित होकर भारतीय वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर शुक्रवार को कच्चे तेल का वायदा भाव चार फीसदी से ज्यादा उछला। एमसीएक्स पर शुक्रवार को कच्चे तेल का जून वायदा अनुबंध 154 रुपये यानी 4.30 फीसदी की तेजी के साथ 3,736 रुपये प्रति बैरल पर बंद हुआ।