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देश में सोने के दाम पर तीन साल में सबसे ज्यादा छूट
Posted Date : 15-Jul-2019 1:07:03 pm

देश में सोने के दाम पर तीन साल में सबसे ज्यादा छूट

नईदिल्ली,15 जुलाई। आम बजट में महंगी धातुओं पर आयात शुल्क में 2.5 फीसदी की वृद्धि की घोषणा के बाद सोने के दाम में जबरदस्त तेजी आई है और पीली धातु का भाव घरेलू वायदा बाजार में बीते सप्ताह गुरुवार को सबसे ऊंचे स्तर 35,145 रुपये प्रति 10 ग्राम पर चला गया। सोने के भाव में आई इस तेजी के बाद घरेलू बाजार में मांग कमजोर होने के कारण कारोबारियों ने सोने के भाव पर 30 डॉलर प्रति औंस तक छूट देना शुरू कर दिया है जो कि पिछले तीन साल में सर्वाधिक छूट है। 
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि अक्षय तृतीया के मौके पर भारत में सोने का भाव प्रीमियम (अधिमूल्य) पर चल रहा था, लेकिन सोने पर आयात शुल्क में वृद्धि होने के बाद सोने के भाव पर छूट में इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि सोने के भाव पर डिस्काउंट व प्रीमियम की तुलना लंदन बुनियन मार्केट एसोसिएशन में की जाती है। घरेलू बाजार में सोने के भाव में तेजी के बाद मांग कमजोर होने के कारण भारी छूट दी जा रही है। 
मल्टी कमोडिटी एक्सजेंस (एमसीएक्स) पर सोने का अगस्त अनुबंध बीते सप्ताह शुक्रवार को पिछले सत्र के मुकाबले 243 रुपये यानी 0.70 फीसदी की तेजी के साथ 34,944 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। एमसीएक्स पर सोने का भाव गुरुवार को 35,145 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछला था जोकि अब तक का सर्वाधिक ऊंचा स्तर है। अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर सोने का भाव बीते सप्ताह के आखिरी सत्र में शुक्रवार को 10.95 डॉलर यानी 0.78 फीसदी की तेजी के साथ 1,717.65 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ था। 
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच जुलाई को संसद में आम बजट 2019-20 पेश करते हुए महंगी धातुओं पर सीमा शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी करने की घोषणा की। जिसके बाद सोने के भाव में जबरदस्त उछाल आया है। सीमा शुल्क में वृद्धि के बाद भारत में सोने का आयात महंगा हो गया है। सरकार द्वारा महंगी धातुओं पर सीमा शुल्क में वृद्धि करने का मकसद सोने के आयात में कमी लाना है क्योंकि सोने के आयात के लिए काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा की आवश्यकता होती है। 

भारत का उच्च शिक्षा छात्र-शिक्षक अनुपात चीन, ब्राजील से कम
Posted Date : 15-Jul-2019 1:06:40 pm

भारत का उच्च शिक्षा छात्र-शिक्षक अनुपात चीन, ब्राजील से कम

नईदिल्ली,15 जुलाई। भारत में छात्र-शिक्षक का उच्च शिक्षा अनुपात ब्राजील और चीन सहित कई देशों के मुकाबले कम है। एक सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अनुपात 24 : 1 है, जबकि ब्राजील और चीन में 19 :1 है। तुलना किए गए आठ देशों में से स्वीडन में 12 : 1, ब्रिटेन में 16 : 1, रूस में 10 : 1 और कनाडा में 9 : 1 के मुकाबले भारत का छात्र-अनुपात सबसे कम निकला है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि इससे न केवल शिक्षकों के एक छोटे समूह पर दबाव हावी हो रहा है, बल्कि उनके द्वारा उठाए गए शैक्षणिक अनुसंधान की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया, एक कम छात्र-शिक्षक अनुपात कई विद्यार्थियों को पढ़ाने के बाबत एक शिक्षक पर बोझ के साथ-साथ प्रत्येक छात्र को मिलने वाले समय की कमी को भी दर्शता है।
इसमें कहा गया है, इस सरलीकृत प्रभाव के अलावा, उच्च शिक्षा के एक संस्थान में बहुत अधिक संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जो काम के ज्यादा बोझ से दबे हुए हैं और वे किसी शोध को आगे बढ़ाने या अपने छात्रों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करने में असमर्थ हैं।
शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन और समावेश कार्यक्रम (ईक्यूयूआईपी) की रिपोर्ट में कहा गया है, नतीजतन, अधिकांश संस्थानों में उच्च शिक्षा के एक हिस्से के रूप में पूछताछ और तर्क की संस्कृति को विकसित नहीं किया जा सकता।उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों की कम नामांकन दर और कम फैकल्टी भर्ती के कारण समय के साथ संकाय की कमी हुई है।
उच्च शिक्षा के आंकड़ों पर मंत्रालय के अखिल भारतीय सर्वेक्षण के अनुसार, उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्र नामांकन 2013-14 में 3 करोड़ 23 लाख से बढक़र 2017-18 में 3 करोड़ 66 लोख हो गया है, जबकि शिक्षकों की कुल संख्या 13,67,535 से घटकर 12, 84,755 हो गई है।

नेत्रहीन भी पहचान सकेंगे नोट, आरबीआई लाएगा एप
Posted Date : 15-Jul-2019 1:06:22 pm

नेत्रहीन भी पहचान सकेंगे नोट, आरबीआई लाएगा एप

नईदिल्ली,14 जुलाई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) दृष्टिबाधित या नेत्रहीन लोगों को नोटों की पहचान करने में मदद के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन (मोबाइल एप) पेश करेगा। केंद्रीय बैंक ने लेनदेन में अब भी नकदी के भारी इस्तेमाल को देखते हुए यह कदम उठाया। वर्तमान में 10, 20, 50, 100, 200, 500 और 2,000 रुपये के बैंकनोट चलन में हैं। 
रिजर्व बैंक ने कहा कि नेत्रहीन लोगों के लिए नकदी आधारित लेनदेन को सफल बनाने के लिए बैंकनोट की पहचान जरूरी है। नोट को पहचानने में नेत्रहीनों की मदद के लिए इंटाग्लियो प्रिंटिंग’ आधारित पहचान चिह्न दिए गए हैं। यह चिह्न 100 रुपये और उससे ऊपर के नोट में हैं। नवबंर 2016 में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के बाद अब चलन में नए आकार और डिजाइन के नोट मौजूद हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा, रिजर्व बैंक नेत्रहीनों को अपने दैनिक कामकाज में बैंक नोट को पहचानने में आने वाली दिक्कतों को लेकर संवेदनशील है।
बैंक मोबाइल एप विकसित करने के लिए वेंडर की तलाश कर रहा है। यह एप महात्मा गांधी श्रृंखला और महात्मा गांधी (नई) श्रृंखला के नोटों की पहचान करने में सक्षम होगा। इसके लिए व्यक्ति को नोट को फोन के कैमरे के सामने रखकर उसकी तस्वीर खींचनी होगी। यदि नोट की तस्वीर सही से ली गई होगी तो एप ऑडियो नोटिफिकेशन के जरिए नेत्रहीन व्यक्ति को नोट के मूल्य के बारे में बता देगा। अगर तस्वीर ठीक से नहीं ली गई या फिर नोट को रीड करने में कोई दिक्कत हो रही है तो एप फिर से कोशिश करने की सूचना देगा। रिजर्व बैंक एप बनाने के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों से निविदा आमंत्रित कर रहा है। बैंक पहले भी इसी तरह के प्रस्ताव के लिए आवेदन मांगे थे। हालांकि, बाद में इसे रद्द कर दिया गया। देश में करीब 80 लाख नेत्रहीन लोग हैं। आरबीआई की इस पहल से उन्हें लाभ होगा।

डीएचएफएल को चौथी तिमाही में 2,223 करोड़ रुपये का घाटा
Posted Date : 14-Jul-2019 12:14:02 pm

डीएचएफएल को चौथी तिमाही में 2,223 करोड़ रुपये का घाटा

नई दिल्ली ,14 जुलाई । दीवान हाउजिंग फाइनैंस लिमिटेड को 31 मार्च, 2019 को समाप्त हुई चौथी तिमाही में साल दर साल आधार पर 2,223 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। कंपनी को यह घाटा प्रोविजनिंग बढऩे और डिस्बर्समेंट में सुस्ती आने से हुआ है। कंपनी पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से ही वित्तीय संकट का सामना कर रही है और उसे इस दौरान कई डाउनग्रेड्स का सामना करना पड़ा है। पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी को 134 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।
कंपनी को वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में 3,280 करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रोविजनिंग करनी पड़ी है। कंपनी को वित्त वर्ष 2018-19 में 1,036 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में उसे 1,240 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। 
डीएचएफएल का प्रबंधन अपनी संपत्तियों को बेचकर पैसे जुटाने पर विचार कर रहा है और अपने रिटेल के साथ-साथ होलसेल पोर्टफोलियो को बेचने के लिए बैंकों तथा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से बातचीत कर रहा है। कंपनी अपने कर्ज की रीस्ट्रक्चरिंग करने के लिए बैंकों के कंसोर्टियम तथा कर्जदाताओं से भी बातचीत कर रही है।

विदेशी निवेशकों ने जुलाई में अब तक भारतीय बाजार में 3,551 करोड़ की पूंजी डाली
Posted Date : 14-Jul-2019 12:13:07 pm

विदेशी निवेशकों ने जुलाई में अब तक भारतीय बाजार में 3,551 करोड़ की पूंजी डाली

नईदिल्ली,14 जुलाई । बजट के बाद शेयर बाजार में विदेशी पूंजी की भारी निकासी के बावजूद विदेशी निवेशक जुलाई महीने में अब तक भारतीय पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल बने हुए हैं। डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 1 से 12 जुलाई के दौरान, शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 4,953.77 करोड़ रुपये की निकासी की लेकिन बांड बाजार में 8,504.78 करोड़ रुपये डाले। इस प्रकार, विदेशी निवेशकों ने पूंजी बाजार में शुद्ध रूप से 3,551.01 करोड़ रुपये का निवेश किया। बजट पेश होने के बाद से विदेशी निवेशक एक-दो बार को छोडक़र बाकी दिनों में शुद्ध बिकवाल रहे। विशेषज्ञों के मुताबिक, बजट में विदेशी कोष समेत अमीरों की ओर से दिए जाने वाले आयकर पर अधिभार को बढ़ाने का प्रस्ताव किया है, इससे विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार से मोहभंग हुआ है और वे घरेलू शेयर बाजार में अपने निवेश का फिर से मूल्यांकन कर सकते हैं। वैश्विक निवेशक लगातार पांच महीने से शुद्ध खरीदार बने हुए हैं। उन्होंने भारतीय पूंजी बाजार में जून में शुद्ध रूप से 10,384.54 करोड़ रुपये, मई में 9,031.15 करोड़ रुपये, अप्रैल में 16,093 करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी। वहीं मार्च में 45,981 करोड़ रुपये तथा फरवरी में 11,182 करोड़ रुपये का निवेश किया था। मॉर्निंगस्टार के वरिष्ठ विश्लेषक प्रबंधक (शोध) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘बजट के दौरान, सरकार ने विदेशी निवेश और एफडीआई को बढ़ावा देने के कई कदम उठाए हैं। इनमें एफपीआई के लिए केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो), फॉर्म सरल करना, एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) द्वारा जारी बांड में निवेश की एफपीआई को अनुमति जैसी पहल शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन कदमों को सकारात्मक कदम माना जा रहा था। हालांकि, विदेशी कोषों समेत अमीरों के आयकर पर अधिभार को बढ़ा दिया। इसमें विदेशी कोष भी शामिल हैं, जो ट्रस्ट और एसोसिएशंस आफ पर्सन्स (एओपी) के रूप में होते हैं। यह कदम बाजार के पक्ष में नहीं रहा।’’ श्रीवास्तव ने कहा कि अगले कुछ दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समझना होगा की इस बदले हुए परिदृश्य के संबंध में क्या कदम उठाते हैं।

जीवन बीमा कंपनियों की नई प्रीमियम आय जून में 94 प्रतिशत बढक़र 32,241 करोड़
Posted Date : 14-Jul-2019 12:12:41 pm

जीवन बीमा कंपनियों की नई प्रीमियम आय जून में 94 प्रतिशत बढक़र 32,241 करोड़

नईदिल्ली,14 जुलाई । चालू वित्त वर्ष के जून महीने में जीवन बीमा कंपनियों की नई प्रीमियम आय 94 प्रतिशत बढक़र 32,241.33 करोड़ रुपये रही। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की प्रीमियम से सबसे ज्यादा आय हुई है। बीमा नियामक इरडा के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। इससे पहले, सभी 24 जीवन बीमा कंपनियों को जून, 2018 में नयी पॉलिसी से 16,611.57 करोड़ रुपये का प्रीमियम मिला था। देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी की जून में नयी पॉलिसी से प्रीमियम आय दोगुना से ज्यादा बढक़र 26,030.16 करोड़ रुपये रही। जून 2018 में यह आंकड़ा 11,167.82 करोड़ रुपये पर था। इसके साथ ही भारतीय जीवन बीमा निगम की बाजार हिस्सेदारी बढक़र 74 प्रतिशत पर पहुंच गई। शेष 26 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी बीमा कंपनियों के हिस्से में रही। एलआईसी ने जून माह के दौरान 13.32 लाख पालिसी बेची और एक महीने में ही 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रीमियम जुटाया। इस दौरान, 23 निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों की नई प्रीमियम से आय 14.10 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 6,211.17 करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले की इसी अवधि में 5,443.75 करोड़ रुपये थी। निजी क्षेत्र की कंपनियों में एचडीएफसी लाइफ का नया प्रीमियम 21 प्रतिशत बढक़र 1,358.45 करोड़ रूपये रहा। एसबीआई लाइफ का प्रीमियम 28.14 प्रतिशत बढक़र 1,310.07 करोड़ रुपये रहा। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ का प्रीमियम 26 प्रतिशत बढक़र 897.98 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष की बात करें तो अप्रैल-जून अवधि के दौरान 24 जीवन बीमा कंपनियों का नया प्रीमियम कुल मिलाकर 65 प्रतिशत बढक़र 60,637.22 करोड़ रुपये करोड़ रुपये हो गया। अप्रैल-जून 2019-20 में एलआईसी की नई प्रीमियम आय 82 प्रतिशत बढक़र 44,794.78 करोड़ रुपये रही।