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वंदे भारत एक्सप्रेस में मिलेगी हवाई जहाज जैसी सुविधा
Posted Date : 06-Aug-2019 1:24:43 pm

वंदे भारत एक्सप्रेस में मिलेगी हवाई जहाज जैसी सुविधा

नईदिल्ली,06 अगस्त । अब भारतीय रेल में भी फ्लाइट जैसी सुविधा मिलने वाली है। आपको हैरानी हो रही होगी कि आखिर ट्रेन में सफर के दौरान कौन-सी ऐसी सुविधा मिलेगी, जिसकी तुलना फ्लाइट से की जा रही है। दरअसल भारतीय रेल में नई पहल के तहत अब फ्लाइट्स की तर्ज पर वंदे भारत ट्रेन में एयर होस्टेस और फ्लाइट स्टीवर्ड्स रखे जाएंगे।
ये ट्रायल प्रोजेक्ट पहले ही इस ट्रेन में शुरू किया जा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक आईआरसीटीसी को इस पायलट प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी दी गई है। यात्रियों की सुविधा का खयाल रखते हुए आईआरसीटीसी ने वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में छह महीनों तक चलने वाले ट्रायल प्रोजेक्ट के लिए 34 ट्रेन्ड एयर होस्टेस और फ्लाइट स्टीवर्ड्स को रखा है।
अगर ये सर्विस सफल रहती है तो इसे बाकी दूसरे ट्रेनों में भी लागू किया जाएगा। आईआरसीटीसी के प्रवक्ता सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि यात्रियों को बेहतर से बेहतर सुविधा देने के लिए काफी मेहनत की जा रही है।
आमतौर पर ट्रेन में यात्रियों को खाना परोसने वालों को लाइसेंस्ड केटरर्स 8,000-10,000 रुपए प्रति महीना देते हैं लेकिन बेस्ट सर्विस देने के लिए आईआरसीटीसी इन एयर होस्टेस और फ्लाइट स्टीवर्ड्स को 25,000 रुपए प्रति महीना दे रही है।

सीआईआई का सरकार से 5जी स्पेक्ट्रम का आरक्षित मूल्य कम करने का आग्रह
Posted Date : 04-Aug-2019 12:11:09 pm

सीआईआई का सरकार से 5जी स्पेक्ट्रम का आरक्षित मूल्य कम करने का आग्रह

नईदिल्ली,04 अगस्त । भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार से 5जी स्पेक्ट्रम के आरक्षित मूल्य को कम करने का आग्रह किया है। उद्योग मंडल ने कहा कि स्पेक्ट्रम की ऊंची कीमतों से क्षेत्र की वृद्धि रुकेगी और दूरसंचार सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाने में दिक्कतें आएंगी। सीआईआई ने आगाह किया है कि प्रति ग्राहक औसत आय (एआरपीयू) कम होने की वजह से दूरसंचार कंपनियों के लिए 5जी स्पेक्ट्रम की आगामी नीलामी में भाग लेना काफी मुश्किल है। ऊंचे आरक्षित मूल्य से उनकी परेशानी और बढ़ेगी। सीआईआई ने सरकार को इस बारे में ज्ञापन दिया है। 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी इस वर्ष होनी है।सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, भारत का दूरसंचार क्षेत्र अपनी तेज वृद्धि के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है और यहां का शुल्क सबसे सस्ता है। इससे गरीब उपयोगकर्ताओं और सुदूर इलाकों के लोगों को दूरसंचार सेवाओं के इस्तेमाल की सहूलियत मिलती है। आरक्षित मूल्य ऊंचा होने से इस विकास की गति रुक जाएगी एवं समाज के गरीब तबके तक दूरसंचार सेवाओं उपलब्ध कराने में भी बाधा आएगी। सीआईआई ने स्पेक्ट्रम की कीमत तय करने की वर्तमान व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारतीय बाजार में डॉलर प्रति मेगाहर्ट्ज प्रति आबादी का मॉडल अनुचित है क्योंकि दूरसंचार सेवाओं की कीमत बहुत कम है जबकि आबादी बहुत ज्यादा है। सीआईआई ने इसकी बजाय अन्य बाजारों में स्पेक्ट्रम की कीमतों की तुलना के लिए डॉलर/मेगाहर्ट्ज/राजस्व या डॉलर/मेगाहर्ट्ज/जीडीपी व्यवस्था के इस्तेमाल का सुझाव दिया है।

अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्रों की बिक्री जुलाई में 61 प्रतिशत गिरी
Posted Date : 04-Aug-2019 12:10:49 pm

अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्रों की बिक्री जुलाई में 61 प्रतिशत गिरी

नईदिल्ली,04 अगस्त । अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्रों की बिक्री जुलाई महीने में कम आपूर्ति के कारण 61 प्रतिशत गिरकर 6.29 लाख इकाइयों पर आ गयी। पिछले साल जुलाई में 16.18 लाख इकाइयों की बिक्री हुई थी। आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी सामने आयी है। देश में इंडिया एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) और पावर एक्सचेंज ऑफ इंडिया (पीएक्सआईएल) ही अक्ष्य ऊर्जा प्रमाणपत्रों तथा बिजली का कारोबार करती है। इन प्रमाणपत्रों का व्यापार हर महीने के आखिरी बुधवार को किया जाता है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल जुलाई महीने में आईईएक्स में 4.92 लाख प्रमाणपत्रों का कारोबार हुआ जो पिछले साल समान महीने में 10 लाख था। इसी तरह पीएक्सआईएल में बिक्री 6.18 लाख से गिरकर 1.37 लाख प्रमाणपत्रों पर आ गयी।आईईएक्स के आंकड़ों के अनुसार, मात्रा में गिरावट तथा कीमतों में तेजी का मुख्य कारण मार्च 2019 के बाद आपूर्ति में कमी है।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक साल में 32 फीसदी टूटा रूई का भाव
Posted Date : 04-Aug-2019 12:10:29 pm

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक साल में 32 फीसदी टूटा रूई का भाव

नईदिल्ली,04 अगस्त । अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार के चलते पिछले एक साल में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूई (कॉटन) का भाव 32 फीसदी से ज्यादा टूटा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूई के दाम में आई गिरावट से भारतीय रूई बाजार में बेचैनी का माहौल है। भारतीय वायदा बाजार में पिछले साल के मुकाबले रूई के भाव में 16 फीसदी की गिरावट आई है। 
मुंबई स्थित डीडी कॉटन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अरुण शेखसरिया ने बताया कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव का कॉटन बाजार पर काफी असर पड़ा है। इसकी वजह यह है कि कॉटन की सबसे ज्यादा खपत चीन में होती और अमेरिका कॉटन का सबसे बड़ा निर्यातक है। दो बड़े व्यापारिक साझेदारों के बीच टकराव के कारण दुनियाभर का कॉटन बाजार प्रभावित हुआ है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा कॉटन उत्पादक देश है। 
गुजरात के कड़ी स्थित एस. राजा एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के दिलीप पटेल ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कॉटन में आई गिरावट से भारतीय बाजार में आगे भाव और भी टूटेगा, क्योंकि फिलहाल स्थिति में सुधार की संभावना कम दिखती है।
बीते कारोबारी सत्र के दौरान शुक्रवार को देश के सबसे बड़े वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर कॉटन के चालू महीने का अनुबंध पिछले सत्र के मुकाबले 510 रुपये यानी 2.48 फीसदी की गिरावट के साथ 20,060 रुपए प्रति गांठ (170 किलो) पर बंद हुआ। पिछले साल दो अगस्त को एमसीएक्स पर कॉटन का भाव 23,990 रुपये प्रति गांठ था। इस प्रकार पिछले एक साल में रूई के भाव में 3,930 रुपये प्रति गांठ यानी 16.38 फीसदी की गिरावट आई है। 
बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बेंचमार्क कॉटन गुजरात शंकर-6 (29 एमएम) का भाव इस सप्ताह 42,000-42,300 रुपये प्रति कैंडी (356 किलो) रहा जबकि पिछले साल इसी महीने के दौरान देश में शंकर-6 वेरायटी का कॉटन 46,700 रुपये प्रति कैंडी के ऊपर ही था। 
इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर शुक्रवार को कॉटन का दिसंबर अनुबंध 2.95 सेंट यानी 4.73 फीसदी की गिरावट के साथ 59.42 सेंट प्रति पौंड पर बंद हुआ। पिछले साल दो अगस्त को आईसीई पर कॉटन का भाव 88.17 सेंट प्रति पौंड था। इस प्रकार आईसीई पर पिछले एक साल में कॉटन के भाव में 32.62 फीसदी की गिरावट आई है। 
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुमान के अनुसार, कॉटन सीजन 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में कॉटन का उत्पादन 312 लाख गांठ है जबकि खपत 315 लाख गांठ रहने का अनुमान है। पिछले साल का बकाया स्टॉक 33 लाख टन था और आयात तकरीबन 14.5 लाख गांठ हो चुका है। 
एसोसिएशन ने जुलाई में जारी अपने अनुमान में बताया था कि 30 सितंबर को समाप्त होने वाले सीजन में देश में कॉटन की कुल सप्लाई 376 लाख गांठ रह सकती है जिसमें 33 लाख गांठ बकाया स्टॉक, उत्पादन 312 लाख गांठ और आयात 31 लाख गांठ शामिल था। हालांकि बाजार विश्लेषक बताते हैं कि आयात घट सकता है। एसोसिएशन ने चालू सीजन में देश से 46 लाख गांठ कॉटन के निर्यात का अनुमान जारी किया था। 
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा इस सप्ताह जारी बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में कपास का रकबा बीते सीजन के मुकाबले इस साल ज्यादा हो चुका है। कपास का रकबा पिछले साल से 5.35 लाख हेक्टेयर अधिक हो चुका है। किसानों ने पिछले साल अब तक 109.79 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई की थी जबकि इस साल 115.15 लाख हेक्टेयर में कपास की फसल लग चुकी है।
सालासर बालाजी एग्रो टेक के शिवराज खेतान ने कहा कि कॉटन का बाजार अगर इसी तरह मंदा रहा तो अगले सीजन में कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) को किसानों से ज्यादा कपास एमएसपी पर खरीदना पड़ेगा। 
सरकार ने आगामी सीजन के लिए कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मध्यम रेशा वाले कपास के लिए 5,255 रुपये प्रति च्ंिटल और लंबे रेशे वाले कपास का 5,550 रुपये प्रति च्ंिटल तय किया है। 

जोखिम पूंजी पर 60 प्रतिशत कर को कम करने की जरूरत: कोटक
Posted Date : 03-Aug-2019 12:59:30 pm

जोखिम पूंजी पर 60 प्रतिशत कर को कम करने की जरूरत: कोटक

मुंबई ,03 अगस्त । अधिक कर को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच बैंकर उदय कोटक ने शुक्रवार को जोखिम भरी पूंजी पर ऊंचा कर लिये जाने पर पुनर्विचार किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऊंचे कर के चलते सरकार किसी व्यक्ति की कमाई का 60 प्रतिशत तक ले लेती है।कई दिग्गज उद्योगपतियों की ओर से आर्थिक परिदृश्य में नरमी को लेकर सार्वजनिक तौर पर बात किये जाने के बीच कोटक ने नीति निर्माताओं से वृद्धि के लिए बाजार में बड़े पैमाने पर नकदी उपलब्ध कराने का आग्रह किया। कोटक महिंद्रा बैंक के प्रबंध निदेशक ने कमजोर बिक्री से जूझ रहे वाहन उद्योग को वृद्धि के रास्ते पर ले जाने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया। कोटक ने सीएफए इंस्टीट्यूट की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कहा, मेरा स्पष्ट तौर पर मानना है कि जोखिम वाली पूंजी के लिए पूरी कर व्यवस्था पर फिर से गौर किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अधिकतर कंपनियां 35.8 प्रतिशत कॉरपोरेट कर के रूप में, अन्य 21 प्रतिशत लाभांश वितरण कर (प्रभावी गर) और 10 लाख से अधिक का लाभांश होने की स्थिति में दस प्रतिशत कर चुकाती हैं। कोटक ने कहा, जोखिम पूंजी पर करीब 60 प्रतिशत कर लिया जाता है। यह बहुत अधिक दर है।

अमेरिका से कारोबार के मामले में चीन मेक्सिको से भी पिछड़ा
Posted Date : 03-Aug-2019 12:59:07 pm

अमेरिका से कारोबार के मामले में चीन मेक्सिको से भी पिछड़ा

वाशिंगटन,03 अगस्त । चीन अब अमेरिका का शीर्ष कारोबारी साझेदार नहीं रहा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देश के बीच व्यापार युद्ध के चलते अमेरिका के शीर्ष कारोबारी साझेदार का तमगा उसके पड़ोसी मेक्सिको और कनाडा को मिल गया है। जबकि चीन तीसरे पायदान पर फिसल गया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने हालिया आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर कहा कि इस साल की पहली छमाही में मेक्सिको, अमेरिका का शीर्ष कारोबारी साझेदार बन गया है। जबकि दूसरे स्थान पर कनाडा है। अखबार के मुताबिक चीन और अमेरिका में चल रहे व्यापार युद्ध की वजह से चीन से अमेरिका को होने वाले आयात में 12 फीसदी की कमी आई है। वहीं, अमेरिका द्वारा चीन को किए जाने वाले निर्यात में 19 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद चीन के 250 अरब डॉलर के उत्पादों पर 25 फीसदी कर लगाया है। वहीं, 300 अरब डॉलर के अन्य चीनी उत्पादों पर भी एक सितंबर से 10 फीसदी अतिरिक्त कर लगेगा। ट्रंप का मानना है कि चीन अमेरिका के साथ व्यापार में अनुचित रुख अपनाता है। इसके जवाब में चीन ने भी कई कदम उठाए हैं।