नई दिल्ली। नवंबर में अपनी चमक खोने वाला सोना दिसंबर के पहले हफ्ते में वापस राह पर लौट आया। वहीं, चांदी ने भी अपनी खोई हुई रंगत वापस पा ली है। दिसंबर के पहले हफ्ते में सोने की कीमत में 487 रुपये प्रति 10 ग्राम बढ़ोतरी हुई तो जोरदार वापसी करती हुई चांदी 2995 रुपये चढ़ गई। हालांकि अभी भी सोना अपने सर्वोच्च शिखर से करीब 7000 रुपये सस्ता है। वहीं चांदी भी 12944 रुपये नरम है। बता दें सात अगस्त की सुबह सोना 56254 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया था। यह ऑल टाइम हाई रेट है। वहीं चांदी की बात करें तो इस दिन यह 76008 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई थी। रायटर्स के मुताबिक डॉलर के कमजोर होने से कोविड-19 का टीका आने और इकोनॉमी में रिकवरी की आशा से इक्विटी की तरफ ध्यान जाने लगा। इससे सोने की कीमतों में और कमी आ सकती है।
मुंबई। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 27 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 46.9 करोड़ डॉलर घटकर 574.821 अरब डालर रह गया। भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह बताया गया। इससे पिछले 20 नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.518 अरब डॉलर की भारी वृद्धि के साथ 575.29 अरब डॉलर हो गया था। समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में भारी वृद्धि के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट रही। विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार समीक्षावधि में एफसीए 35.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 533.455 अरब डॉलर हो गयीं। एफसीए को दर्शाया डॉलर में जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्राएं भी शामिल होती है। स्वर्ण भंडार का मूल्य 82.2 करोड़ डॉलर घटा-समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार का मूल्य 82.2 करोड़ डॉलर घटकर 35.192 अरब डॉलर रह गया। देश को अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष (आईएमएफ) में मिला विशेष आहरण अधिकार 20 लाख डॉलर की मामूली वृद्धि के साथ 1.494 अरब डॉलर और आईएमएफ के पास जमा मुद्रा भंडार 10 लाख डॉलर घटकर 4.679 अरब डॉलर रह गया।
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था के वृद्धि की राह पर लौट आने का अनुमान है। कोरोना वायरस महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में पहली तिमाही में 23.9 फीसद और दूसरी तिमाही में 7.5 फीसद की गिरावट आई है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, दूसरी छमाही में कुछ सकारात्मक वृद्धि की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पूरे वित्तीय वर्ष 2020- 21 के दौरान अर्थव्यवस्था में 7.5 फीसद तक गिरावट रहने का अनुमान है। हालांकि, इससे पहले बैंक ने वर्ष के दौरान 9.5 फ ीसद की गिरावट आने का अनुमान लगाया था।
रिजर्व बैंक ने अक्तूबर में जारी पूर्वानुमान में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में 9.5 फ ीसद की गिरावट आ सकती है। दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था तीसरी तिमाही में वृद्धि की राह पर लौट सकती है। उन्होंने कहा कि तीसरी तिमाही में 0.1 फ ीसद और चौथी व अंतिम तिमाही में 0.7 फ ीसद आर्थिक वृद्धि की उम्मीद है। इस तरह चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर के सकारात्मक रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक ने अक्तूबर के मौद्रिक नीति समीक्षा बयान में कहा था कि 2020-21 में वास्तविक जीडीपी में 9.5 फ ीसद गिरावट रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक ने तब तीसरी तिमाही में 5.6 फीसद गिरावट और चौथी तिमाही में 0.5 फीसद की वृद्धि का अनुमान जाहिर किया था।भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई के उसके संतोषजनक स्तर से ऊंची बने रहने का अनुमान है। केन्द्रीय बैंक के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फ ीति 6.8 फीसद रह सकती है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का विचार है कि जल्द नष्ट होने वाली कृषि उपज की कीमतों से सर्दियों के महीनों में क्षणिक राहत को छोड़कर मुद्रास्फीति के तेज बने रहने की संभावना है। हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति के 2020-21 की चौथी तिमाही में कम होकर 5.8 फ ीसद रहने का अनुमान है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फ ीति तेजी से बढ़कर सितंबर में 7.3 फीसद और अक्टूबर में 7.6 फ ीसद पर पहुंच गयी। उनके अनुसार, कीमतों का दबाव बढऩे से पिछले दो महीने के दौरान मुद्रास्फ ीति का परिदृश्य उम्मीद की तुलना में प्रतिकूल रहा है।
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि आने वाले महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति के उसके संतोषजनक स्तर से ऊंची बने रहने का अनुमान है। केन्द्रीय बैंक के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 6.8 प्रतिशत रह सकती है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का विचार है कि जल्द नष्ट होने वाली कृषि उपज की कीमतों से सर्दियों के महीनों में क्षणिक राहत को छोड़कर मुद्रास्फीति के तेज बने रहने की संभावना है। हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति के 2020-21 की चौथी तिमाही में कम होकर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति तेजी से बढ़कर सितंबर में 7.3 प्रतिशत और अक्टूबर में 7.6 प्रतिशत पर पहुंच गयी। उनके अनुसार, कीमतों का दबाव बढऩे से पिछले दो महीने के दौरान मुद्रास्फीति का परिदृश्य उम्मीद की तुलना में प्रतिकूल रहा है। उन्होंने कहा, ''खरीफ फसलों की भारी आवक से अनाज की कीमतों का नरम होना जारी रह सकता है और सर्दियों में सब्जियों की कीमत में भी नरमी आ सकती है, लेकिन अन्य खाद्य सामग्रियों के दाम अधिक बने रहने की आशंका है। इनका दबाव खुदरा मुद्रास्फीति पर बना रह सकता है। दास ने कहा, ''इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए खुदरा मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत, चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत और 2021-22 की पहली छमाही में 5.2 से 4.6 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है। मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति दबाव के मद्देनजर नरम रुख के साथ रेपो दर को चार प्रतिशत पर बनाये रखा है। दास ने कहा, ''वित्तीय स्थिरता बने रहना और हर समय सुरक्षित रहना सुनिश्चित करते हुए हमारा सबसे प्रमुख्स उद्देश्य आर्थिक वृद्धि को सहारा देते रहना है।
मुंबई। मोबाइल फोन के कलपुर्जों का अब तक आयात किया जाता था लेकिन अब देश में ही इन्हें बनाने की तैयारी चल रही है। टाटा संस तमिलनाडु में इसका प्लांट लगाने की योजना बना रही है और इसके लिए विदेशों से 1 अरब डॉलर लोन जुटाने की कोशिश में है। इस प्लांट में सबसे पहले आईफोन के पार्ट्स बनाए जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक यह टाटा संस के ग्रुप चेयरमैन एन चंद्रशेखरन की योजना का हिस्सा है। कई मोबाइल कंपनियां चीन के बाहर प्रोडक्शन का विकल्प तलाश रही हैं। इनमें एप्पल भी शामिल है। चंद्रशेखरन की योजना इन कंपनियों को साथ जोडऩे की है। टाटा संस की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी टाटा संस इस पहल को लीड करेगी। इसकी शुरुआत आईफोन कास्टिंग्स से होगी और फिर दक्षिण कोरिया तथा जापान की ऑरिजिनल इच्पिमेंट मैन्युफैक्चरर्स (ओईएम) के साथ साझेदारी की जाएगी।
एप्पल के साथ पार्टनरशिप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया पहल का हिस्सा होगी और इससे सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (पीएलआई) योजना का लाभ उठाया जाएगा। इस बारे में टाटा और एप्पल ने ईटी के सवालों का जवाब नहीं दिया।
प्रोजेक्ट के लिए 1.5 अरब डॉलर का कैपेक्स
सूत्रों के मुताबिक टाटा ग्रुप इस प्रोजेक्ट के लिए आतंरिक स्रोतों और कर्ज से 1.5 अरब डॉलर जुटाने की तैयारी में है। इसमें से 75 करोड़ से एक अरब एक ग्रुप डायरेक्टर ने कहा कि इसमें ग्रोथ की काफी संभावनाएं हैं, बशर्ते इसे अच्छी तरह से अंजाम दिया जाए और इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को टॉप मैनेजमेंट में जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए उपयुक्त सीईओ की तलाश की जा रही है और साथ ही जीई के डायरेक्टर्स को भी साथ जोड़ा जा रहा है।
टाटा ग्रुप और एप्पल ने अपनी योजना को गुपचुप रखा है। सूत्रों के मुताबिक टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स एप्पल के साथ साझेदारी की घोषणा के साथ प्रोजेक्ट की शुरुआत करना चाहती है। सैमसंग और एप्पल की तीन कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर कंपनियां फॉक्सकॉन, विस्ट्रोन और पेगाट्रोन सहित 16 कंपनियों ने 6.65 अरब डॉलर की पीएलआई स्कीम के लिए साइन किया है। इस योजना का मकसद अगले 5 साल में देश में स्मार्टफोन प्रोडक्शन को बढ़ावा देना है।
तमिलनाडु में जमीन आवंटित
तमिलनाडु ने भी अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी 2020 घोषित की है जिसका लक्ष्य 2025 तक आउटपुट बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करना है जो उस समय देश के कुल इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट का एक चौथाई होगा। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स को तमिलनाडु इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन ने होसुर में 500 एकड़ जमीन आवंटित की है।