नईदिल्ली,14 अपै्रल । कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर से भारत के वृद्धि पूर्वानुमान के लिए खतरा पैदा हो गया है। रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुताबिक पिछले साल के निम्न स्तर को देखते हुए जीडीपी वृद्धि दर दोहरे अंक में रह सकती है। मूडीज ने कहा कि वायरस का प्रकोप बढऩे से आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा।
मूडीज ने उम्मीद जताई कि संक्रमण की मौजूदा लहर से निपटने के लिए एक देशव्यापी लॉकडाउन के विपरीत छोटे-छोटे कटेंटमेंट जोन पर जोर दिया जाएगा, जिससे 2020 के मुकाबले आर्थिक गतिविधियां कम प्रभावित होंगी।
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कहा कि भारत में की वजह से कम मृत्यु दर (12 अप्रैल तक 1,70,179 मौतें दर्ज की गई हैं) और अपेक्षाकृत युवा आबादी भी इस जोखिम को कम करने में मदद करती है। 2020 में आर्थिक गतिविधियों के निचले स्तर को देखते हुए जीडीपी के अभी भी दो अंकों में बढऩे की संभावना है।
मूडीज ने कहा कि संक्रमण की दूसरी लहर से आर्थिक सुधार को लेकर कुछ जोखिम पैदा हुए हैं, लेकिन लक्षित रोकथाम के उपायों और तेजी से टीकाकरण से नकारात्मक असर कम होगा। इससे पहले मूडीज ने फरवरी में अनुमान जताया था कि चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 13.7 प्रतिशत रह सकती है।
नईदिल्ली,14 अपै्रल । दुनिया की सबसे नामी सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट इंडिया देश का सबसे बड़ा सेंटर नोएडा में बनाएगी। कंपनी 3500 से अधिक लोगों को रोजगार देगी। नोएडा प्राधिकरण ने कंपनी को 60 हजार वर्ग मीटर जमीन आवंटित की है। अभी तक कंपनी का हैदराबाद के गाची बावली में सबसे बड़ा ऑफिस है। कंपनी ने प्राधिकरण के समक्ष दावा किया है कि तय समय यानि पांच साल से पहले ही यहां पर शुरुआत कर दी जाएगी ताकि एनसीआर में रहने वाले लोगों को इसका फायदा मिल सके।
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि सेक्टर-145 स्थित भूखंड संख्या ए-01 व ए-02 में जमीन आवंटित की है। आंवटित की गई जमीन का कुल प्रीमियम 103 करोड़ 66 लाख रुपये है। यह जमीन आईटी-आईटीईएस के उपयोग के लिए दी गई है। नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी राजेश सिंह ने बताया कि कंपनी के आने से एनसीआर क्षेत्र में निवेश एवं रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। कंपनी की यह भारत में सबसे बड़ी परियोजना होगी। इससे न केवल नोएडा बल्कि पूरा एनसीआर क्षेत्र सॉफ्टवेयर हब के रूप में विकसित होगा।
ओएसडी ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के नोएडा में आने से सॉफ्टवेयर क्षेत्र की अन्य कंपनियां भी नोएडा की तरफ आर्कषित होंगी। अधिकारियों ने बताया कि योजना की शर्तों के तहत कंपनी को 30 अप्रैल तक 40 प्रतिशत आवंटन धनराशि जमा कराते हुए रजिस्ट्री की प्रक्रिया करानी होगी। बाकी 60 प्रतिशत राशि 8 छमाही किश्तों में देनी होगी। परियोजना का निर्माण पांच साल में पूरा करना होगा हालांकि कंपनी ने दावा किया है तय समय से पहले ही कंपनी यहां काम की शुरुआत कर देगी।
कंपनियों को जो प्लॉट दिए जा रहे हैं वह सेक्टर-145 में दिए जा रहे हैं। इसके पास ही नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे है। ऐसे में लोग यहां आसानी से पहुंच सकेंगे। एक्सप्रेस-वे के जरिए ग्रेटर नोएडा, दिल्ली व यमुना एक्सप्रेस-वे के जरिए कम समय में गंतव्य को जा सकेंगे।माइक्रोसॉफ्ट का नोएडा में आना यहां के लिए बड़ी उपलब्धि होगी, लेकिन इससे पहले भी देश की कई नामी कंपनियों के यहां पर ऑफिस हैं। इनमें लाखों लोग काम कर रहे हैं। इनमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टीसीएस, इंफोसिस, एडोब, एनआईआईटी टेक्नोलॉजीज समेत कई बड़ी कंपनियां शामिल हैं। नोएडा में अधिकतर सॉफ्टवेयर से जुड़ी कंपनियां पिछले करीब 10 साल में यहां आई हैं।
नईदिल्ली,13 अपै्रल । इस साल की पहली तिमाही में ऑनलाइन लेनदेन में 76 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। 2020 में समान अवधि की तुलना में इस वर्ष की पहली तिमाही में यह बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस दौरान टियर 2 और टियर 3 शहरों एवं कस्बों में सभी ऑनलाइन लेनदेन में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान जारी रहा। एक नई रिपोर्ट ने सोमवार को यह दावा किया गया है।
2020 में महामारी के कारण भारी गिरावट के बाद, यात्रा उद्योग में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि अचल संपत्ति (रियल इस्टेट) में इस वर्ष के पहले तीन महीनों में 69 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है।
पर्यटन के खुलने के साथ, जम्मू-कश्मीर ने पहली बार शीर्ष 10 डिजिटल रूप से समावेशी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्थान बनाया है। जम्मू-कश्मीर ने जनवरी-मार्च अवधि में ऑनलाइन लेनदेन में 36 प्रतिशत की वृद्धि के साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों से ऊपर रैंकिंग पाई है। फुल-स्टैक फाइनेंशियल सॉल्यूशंस कंपनी राजोरपे द्वारा अपनी ‘द एरा ऑफ राइजिंग फिनटेक’ रिपोर्ट में पेश किए गए आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है।
भुगतान विकल्प जैसे कि बाय नाऊ पे लेटर (बीएनपीएल) में पिछले 12 महीनों में 569 प्रतिशत की तेजी देखी गई है। उपभोक्ताओं की ओर से थोक भुगतान से बचने वाले और किफायती भुगतान मोड को तरजीह देने के साथ यह तेजी देखी गई है।
यूपीआई भुगतान को दी जाने वाली तवज्जो जारी है, जिसके बाद डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और नेटबैंकिंग का नंबर आता है।
राजोरपे में एसएमई कारोबार के प्रमुख वेदनारायण वेदांथम ने एक बयान में कहा, इस डिजिटल अडॉप्शन का 50 प्रतिशत से अधिक फिलहाल टियर 2 और टियर 3 शहरों से आ रहा है, जो दर्शाता है कि यह महज एक शहरी तथ्य नहीं है। छोटे व्यवसाय नए भुगतान के तरीके प्रदान कर रहे हैं और एक व्यापक ग्राहक आधार तक पहुंच रहे हैं, जो भौगोलिक सीमाओं को पार करता है।
पिछले कुछ महीनों में उपभोक्ता तेजी से ऑनलाइन ऑर्डर कर रहे हैं और एफएंडबी उद्योग में जनवरी से मार्च तक 69 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, स्कूल, कॉलेजों और ऑनलाइन शिक्षण संस्थानों ने तेजी से फीस और वेतन भुगतान के लिए ऑनलाइन भुगतान स्वीकार किया है, जो कि ऑनलाइन लेनदेन में 40 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
नईदिल्ली,13 अपै्रल । देश भर में एक बार फिर से कोरोना के मामले बढऩे लगने लगे हैं, जिसके बाद से राज्यों में नाइट कर्फ्यू और लॉकडाउन लगाने की स्थिति बन चुकी है। ऐसे में कन्फेडरेशनऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन एवं सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियोंको एक पत्र भेज मांग की है कि इस महामारी से बचाव में यदि कोई राज्य लॉकडाउन की घोषणा करता है, जिससे दुकानें बंद हो, तो सरकार को उन सभी व्यापारियों को उचित मुआवजा देना चाहिए। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, सरकार के आदेश पर किए गए लॉकडाउन के कारण बंद हुई दुकानों को सरकार से मुआवजा लेने का हक बनता है।
कैट ने मुआवजे देने के फॉमूर्ले को बताते हुए कहा, जिस दुकान की जो वार्षिक टर्न ओवर है उसके अनुपात में सरकार को ऐसे व्यापारियों को मुआवजा देना चाहिए।
कैट के अनुसार, देश में प्रतिवर्ष लगभग 80 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होता है, जो प्रति माह लगभग 6 .5 लाख करोड़ का होता है। अकेले महाराष्ट्र का मासिक कारोबार लगभग 1 लाख करोड़ रुपये तथा दिल्ली का मासिक कारोबार लगभग 20 हजार करोड़ रुपये का होता है।
खंडेलवाल ने आगे कहा, पिछले वर्ष के लॉकडाउन में व्यापारियों ने न केवल अपनी दुकानें ही बंद कीं, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर करोना के भीषण समय में भी अपनी जान की परवाह न करते हुए पूरे देश में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई को निर्बाध रूप से जारी रखा, जिसके कारण देशभर के व्यापारियों को अपने व्यापार में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है, जिसकी भरपाई आज तक नहीं हुई है।
कैट ने कहा, जहां केंद्र सरकार ने गत वर्ष विभिन्न वर्गों के लिए अनेक पैकेज दिए, वहीं देश के व्यापारियों को किसी भी पैकेज में एक रुपये की भी सहायता नहीं दी गई एवं न ही किसी राज्य सरकार ने व्यापारियों की ओर मदद का हाथ बढ़ाया, जिसके फलस्वरूप व्यापारी वर्ग आज तक वित्तीय तरलता के बड़े संकट का सामना कर रहा है।
नईदिल्ली,13 अपै्रल । वैश्विक स्तर पर खाद्य तेलों और विशेषकर हल्के खाद्यतेलों की मांग बढऩे के कारण दिल्ली तेल तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सीपीओ और पामोलीन सहित लगभग सभी तेल तिलहन कीमतों में सुधार आया। पिछले सप्ताह सरसों दाना का भाव 325 रुपये बढक़र 6,310-6,350 रुपये प्रति च्न्टिल हो गया, जो उसके पिछले सप्ताहांत 5,985-6,025 रुपये प्रति च्ंिटल पर बंद हुआ था। विदेशों में मांग बढऩे से सोयाबीन और पामोलिन तेल में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है। सोयाबीन की तेल रहित खल की स्थानीय पाल्ट्री फर्मो के अलावा भारी निर्यात मांग है जिससे सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में सुधार देखा गया।
निर्यात मांग के कारण मूंगफली दाना 150 रुपये सुधरकर 6,485-6,530 रुपये, मूंगफली गुजरात 400 रुपये के सुधार के साथ 15,900 रुपये च्न्टिल तथा मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 60 रुपये के सुधार के साथ 2,530-2,590 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए। बाकी तेलों में तिल मिल डिलीवरी का भाव 150 रुपये के सुधार के साथ 14,800-17,800 रुपये प्रति च्न्टिल हो गया।
बिनौला मिल डिलिवरी हरियाणा 400 रुपये बढक़र 13,500 रुपये हो गया। वहीं मक्का खल का भाव भी 90 रुपये सुधरकर 3,700 रुपये च्न्टिल पर बंद हुआ। कंपनियों और शादी ब्याह में मक्का रिफाइंड की मांग बढ़ रही है, जिसे काफी बेहतर माना जाता है।बाजार सूत्रों द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कुछ दिनों पूर्व देश भर की विभिन्न मंडियों में 10-12 लाख सरसों की बोरियों की आवक हो रही थी, जो अब घटकर 6-7 लाख बोरी रह गई है। उन्होंने कहा कि सरसों की रोक-रोक कर बिक्री करने का काम किसान कर रहे हैं, जिसकी सहकारी संस्था नाफेड और हाफेड से अपेक्षा की जाती रही है।
0-आंशिक लॉकडाउन और रात्रि कर्फ्यू से होटल, पर्यटन व रिटेल सेक्टर पर असर
नईदिल्ली,12 अपै्रल । कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण देश के कई हिस्सों में लगाए जा रहे आंशिक व सप्ताहांत लॉकडाउन एवं रात्रि कर्फ्यू से सेवा क्षेत्र से जुड़े पर्यटन, होटल, रेस्त्रां व रिटेल सेक्टर के कारोबार में 20 फीसद तक की गिरावट की आशंका जाहिर की जा रही है। आंशिक लॉकडाउन व रात्रि कर्फ्यू से श्रमिकों की आवाजाही भी प्रभावित होगी, जिससे औद्योगिक उत्पादन पर असर पड़ेगा।
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने इस प्रकार के लॉकडाउन के कारण हवाई यात्रा में भी गिरावट की आशंका जाहिर की है।फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक कोरोना की पहली लहर के बाद 20 फीसद होटल अब तक नहीं खुल पाए हैं। अधिकतर होटल कोरोना पूर्व काल के मुकाबले 50 फीसद क्षमता के साथ काम कर रहे हैं और अब महाराष्ट्र में लॉकडाउन जैसी स्थिति व अन्य राज्यों में रात्रि कर्फ्यू से उनका कारोबार और कम हो जाएगा।
और देर रात तक भीड़ की इजाजत नहीं होने से लोग पार्टी करने से परहेज करने लगे हैं।रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सीईओ कुमार राजगोपालन कहते हैं, ‘महाराष्ट्र में जिस प्रकार के लॉकडाउन की घोषणा की गई है उससे वहां के रिटेल कारोबार में 40 फीसद तक तो सप्ताहांत के लॉकडाउन व रात्रि कर्फ्यू से रिटेल कारोबार में 15 से 20 फीसद तक की गिरावट आएगी।
वी-मार्ट के सीएमडी ललित अग्रवाल कहते हैं कि उनकी बिक्री पर कम से कम 20 फीसद तक का असर हो सकता है। रात्रि कर्फ्यू और आंशिक लॉकडाउन ग्राहक को खरीदारी के लिए हतोत्साहित करते हैं।आंशिक लॉकडाउन के साथ-साथ पर्यटन के लिए कई राज्यों में कोरोना जांच को अनिवार्य किए जाने की वजह से पर्यटन पर भी दुष्प्रभाव दिखने लगा है।