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अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर प्रियंका गांधी ने की सरकार की आलोचना
Posted Date : 07-Nov-2019 3:57:53 pm

अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर प्रियंका गांधी ने की सरकार की आलोचना

नयी दिल्ली ,07 नवंबर । कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भारत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि देश में सत्ता पर काबिज लोग अपने में ही मस्त हैं, जबकि आम लोग हर मोर्चे पर त्रस्त हैं। प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘‘देश में अर्थव्यवस्था की हालत एकदम पतली है। सेवा क्षेत्र औंधे मुंह गिर चुका है। रोजगार घट रहे हैं। शासन करने वाला अपने में ही मस्त है, जनता हर मोर्चे पर त्रस्त है।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अमेरिका में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम कर रहे हैं जबकि अमेरिकियों ने वहां काम करने की इच्छा रखने वाले भारतीयों को एचबी1 वीजा की संख्या कम कर दी है। प्रियंका ने एक और ट्वीट किया, ‘‘भाजपा सरकार से यह सवाल तो सबको पूछना चाहिए कि उसके कार्यकाल में किसकी भलाई हो रही है। प्रधानमंत्री जी अमेरिका जाकर अपना ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम तो कर आए लेकिन अमेरिका ने वहां काम करने की इच्छा रखने वाले भारतीय लोगों के एच-1बी वीजा खारिज करने में बढ़ोतरी कर दी।’

एयर इंडिया के लिए बोली नहीं लगायेगी कतर एयरवेज : बकर
Posted Date : 07-Nov-2019 1:22:08 pm

एयर इंडिया के लिए बोली नहीं लगायेगी कतर एयरवेज : बकर

नई दिल्ली ,07 नवंबर । कतर की सरकारी विमान सेवा कंपनी कतर एयरवेज ने कहा है कि वह भारतीय सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया के प्रस्तावित विनिवेश में बोली नहीं लगाएगी। कतर एयरवेज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अकबर अल बकर ने यहाँ इंडिगो के साथ कोड शेयर समझौते के बाद संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा एयर इंडिया को खरीदने में हमारी कोई रुचि नहीं है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने करीब 60 करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी एयर इंडिया के विनिवेश के लिए दूसरी बार प्रयास शुरू किया है। पहला प्रयास विफल होने के बाद मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में विनिवेश प्रक्रिया दुबारा शुरू करने के लिए नये सिरे से मंत्रियों के समूह का गठन किया है। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संकेत दिये हैं कि इस बार एयर इंडिया की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए बोली आमंत्रित की जायेगी।
बकर ने कहा कि कतर एयरवेज एयर इंडिया को खरीदने की बजाय भारत में अपने नेटवर्क तथा उड़ानों की संख्या बढ़ाने की इच्छा रखती है। उन्होंने कहा कि अभी दोहा से 13 भारतीय शहरों के लिए प्रति सप्ताह उसकी 102 उड़ानें उपलब्ध हैं। इन शहरों में अहमदाबाद, अमृतसर, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, गोवा, हैदराबाद, कोच्चि, कोलकाता, कोझिकोड, मुंबई, नागपुर और त्रिवेंद्रम् शामिल हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.5 प्रतिशत की दर से बढऩे का पूर्वानुमान है। ऐसे में विमानन क्षेत्र के लिए ज्यादा अवसर पैदा होंगे तथा यात्रियों की संख्या बढ़ेगी।
कतर एयरवेज के सीईओ ने कहा हम भारत में अपने गंतव्यों और उड़ानों की संख्या बढ़ाने की कोशिश में हैं। इसके लिए हम भारतीय नियामकों से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय को दुनिया के सबसे निषिद्ध विमानन क्षेत्रों में से एक बताते हुये कहा कि इसे और लचीला बनाने की जरूरत है। बकर ने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही रोजगार के अतिरिक्त अवसर भी पैदा होंगे।

90 दिनों में दिवालिया हो जाएगी जेपी इंफ्राटेक
Posted Date : 07-Nov-2019 1:21:38 pm

90 दिनों में दिवालिया हो जाएगी जेपी इंफ्राटेक

नई दिल्ली ,07 नवंबर । सच ही कहा है कि जीवन में सफलता के लिए सही समय पर सही फैेसला लेना बहुत ही अहम होता है। एक गलत फैसला इंसान को अर्श से फर्श पर ला सकता है। यही कुछ हुआ है जेपी ग्रुप और उसके फाउंडर जय प्रकाश गौड़ के साथ, क्योंकि करीब 10 साल पहले तक देश की सबसे चर्चित रियल एस्?टेट कंपनी जेपी इंफ्राटेक 90 दिन में दिवालिया होने वाली है। जेपी इंफ्राटेक के दिवालिया प्रक्रिया को पूरी करने की डेडलाइन सुप्रीम कोर्ट ने तय की है, लेकिन सवाल यह है कि करीब 10 साल पहले तक देश की सबसे चर्चित रियल एस्टेट कंपनी आज इस हालात में कैसे पहुंच गई है। 1930 में यूपी के बुलंदशहर में एक छोटे से गांव में जन्मे जेपी ग्रुप के फाउंडर जय प्रकाश गौड़ ने 1950 में रुडक़ी यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसके बाद उनकी यूपी सरकार में जूनियर इंजीनियर की नौकरी लग गई, लेकिन जय प्रकाश गौड़ को नौकरी में बंध कर रहना पसंद नहीं था और उन्होंने 1958 में सिविल कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर काम शुरू कर दिया।
लगभग दो दशक बाद जय प्रकाश गौड़ ने जेपी एसोसिएट के नाम से सिविल इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ जेपी ग्रुप की नींव रखी। इसके बाद जय प्रकाश गौड़ ने कभी पलट कर नहीं देखा। शुरुआती कारोबारी जीवन में तमाम उतार-चढ़ाव के बाद भी ग्रुप का कारोबार बढ़ता गया।
यमुना एक्सप्रेसवे और फॉर्मूला वन ट्रैक प्रोजेक्ट ने डुबोया 
जेपी ग्रुप ने रियल एस्टेट, एजुकेशन और पावर सेक्टर से लेकर सीमेंट प्लांट व डैम तक की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई। यही नहीं, करीब 2005 से 2008 के बीच ग्रुप को यमुना एक्सप्रेसवे और देश का पहला फॉर्मूला वन ट्रैक बनाने का ठेका भी हासिल हुआ। जानकार बताते हैं कि ये दोनों प्रोजेक्ट ग्रुप के लिए आर्थिक बोझ बन गए। इन प्रोजेक्ट से जेपी ग्रुप को वह लाभ नहीं मिला, जिसकी उम्मीद समूह और उनके निवेशकों को थी। ग्रुप के लिए यह एक बड़ा झटका था। इसके साथ ही जेपी ग्रुप के साथ विवादों का सफर भी शुरू हो गया। साल 2014 की कैग रिपोर्ट में जेपी ग्रुप को दिए गए कई प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े किए गए।
बायर्स से खोला मोर्चा
वहीं ग्रुप की कंपनी जेपी इंफ्राटेक के नोएडा और ग्रेटर नोएडा के हाउसिंग प्रोजेक्ट विवादों में आ गए। इन प्रोजेक्ट्स में होम बायर्स से पैसे तो ले लिए गए लेकिन उन्हें पजेशन नहीं मिला। इसका नतीजा ये हुआ कि जेपी इंफ्रा के खिलाफ होम बायर्स ने सडक़ से लेकर कोर्ट तक मोर्चा खोल दिया।
घातक साबित हुई नोटबंदी
जेपी ग्रुप ने महंगा कर्ज लेकर इससे उबरने की कोशिश की तभी नोटबंदी का ऐलान हो गया। नोटबंदी के फैसले की वजह से रियल एस्टेट सेक्टर की रफ्तार सुस्त पड़ गई। इससे जेपी ग्रुप की इंफ्राटेक को बड़ा झटका लगा। वहीं कानूनी दबाव बढऩे की वजह से जेपी ग्रुप पर होम बायर्स को पजेशन देने या पैसा लौटाने का दबाव बढऩे लगा।
जेपी ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी का  अंत
वहीं कंपनी पर धोखाधड़ी के भी आरोप लगे तो डायरेक्टर्स की प्रॉपर्टी भी फ्रीज की गई। इन हालातों से निपटने के लिए जेपी इंफ्रा कर्ज के जाल में फंसती चली गई। वहीं जेपी इंफ्रा के शेयर के भाव भी लुढक़ने लगे और कंपनी की प्रॉफिट को भी झटका लगने लगा। हालत यह हो गई कि जेपी इंफ्रा को दिवालिया प्रक्रिया में जाना पड़ा। बहरहाल, जेपी ग्रुप की इंफ्राटेक को अब 90 दिन में दिवालिया प्रक्रिया को पूरी करनी होगी। इसी के साथ जेपी ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी का अंत हो जाएगा।

परोपकार के लिए हमें टैक्स छूट की जरूरत नहीं : टाटा ट्रस्ट्स
Posted Date : 07-Nov-2019 1:19:07 pm

परोपकार के लिए हमें टैक्स छूट की जरूरत नहीं : टाटा ट्रस्ट्स

मुंबई ,07 नवंबर ।  टाटा के ट्रस्टों ने पिछले महीने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दिए जवाब में कहा कि उन्हें परोपकार की खातिर टैक्स छूट की जरूरत नहीं है। ट्रस्ट के करीबी अधिकारियों ने बताया कि टाटा ट्रस्ट का मकसद हमेशा से परोपकार करना रहा है, भले टैक्स छूट मिले या न मिले। उनके मुताबिक, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के साथ कानूनी लड़ाई में हारने पर ट्रस्टों की हालत खराब हो सकती है। छह ट्रस्टों में से एक के डिपार्टमेंट को दिए जवाब में कहा गया है, ‘मूलरूप से ट्रस्ट की स्थापना परोपकार की खातिर हुई थी। इसकी सराहना करना महत्वपूर्ण है। ट्रस्ट ने इस मामले में अपना स्वरूप बरकरार रखा है। उसने सिर्फ रजिस्ट्रेशन छोड़ा है। इनकम टैक्स ऐक्ट (आईटीए) से ट्रस्ट चैरिटी के रूप में अपनी पहचान नहीं करता। हालांकि रजिस्ट्रेशन की वजह से उसे कुछ फायदे मिलते थे क्योंकि ट्रस्ट असल में एक चैरिटी है।’ 31 अक्टूबर को मुंबई के प्रिंसिपल कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स ने टाटा के छह ट्रस्टों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था। इनमें जमशेदजी टाटा ट्रस्ट, आर डी टाटा ट्रस्ट, टाटा एजुकेशन ट्रस्ट, टाटा सोशल वेलफेयर ट्रस्ट, सार्वजनिक सेवा ट्रस्ट और नवाजबाई रतन टाटा ट्रस्ट के नाम शामिल थे। इनकम टैक्स कानून के कथित उल्लंघन के कारण उनका रजिस्ट्रेशन कैंसल किया गया था।
इस मामले से करीबी तौर पर जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हम पर पिछला बकाया चुकाने के लिए दबाव डाला जा रहा है। इससे हमें कामकाज बंद करना पड़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो देश को बड़ा नुकसान होगा।’ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अभी तक टैक्स की मांग वाला नोटिस नहीं भेजा है, लेकिन इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल (ढ्ढञ्ज्रञ्ज) में अपील करने से पहले ट्रस्टों को 12,000 करोड़ के अनुमानित टैक्स डिमांड का 20 प्रतिशत चुकाना होगा।
इस मामले से जुड़े करीबी अधिकारियों ने बताया कि टाटा के ट्रस्टों को संभावित टैक्स चुकाने के लिए अपने टाटा संस के शेयर बेचने पड़ेंगे। टाटा के ट्रस्टों के चेयरमैन रतन टाटा है। इन ट्रस्टों के पास टाटा संस की 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सर रतन टाटा ट्रस्ट के पास टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 23.56 प्रतिशत और सर दोराबजी ट्रस्ट के पास 27.98 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इन दोनों ट्रस्टों के पास टाटा संस के 66 प्रतिशत शेयर हैं।
विवाद 2013 में शुरू हुआ था, जब कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल (ष्ट्रत्र) ने कहा था कि जमशेदजी टाटा ट्रस्ट और नवाजबाई रतन टाटा ट्रस्ट न ेइन्वेस्टमेंट के प्रतिबंधित जरियों में 3139 करोड़ रुपये निवेश किए। ष्ट्रत्र ने कहा था कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इन ट्रस्टों को असामान्य टैक्स छूट दी थी जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
कुछ टाटा ट्रस्ट्स के पास टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और टाटा कैपिटल लिमिटेड के शेयर भी थे। टीसीएस के कुछ शेयरों को बाद में बेच दिया गया और मिली रकम को टाटा संस लिमिटेड के प्रेफरेंस शेयरों में निवेश कर दिया गया था। ष्ट्रत्र के अनुसार ऐसा करने से चैरिटीज के लिए निवेश के नियमों का उल्लंघन हुआ।

मप्र में काजू सुधारेगा किसानों की माली हालत
Posted Date : 07-Nov-2019 1:18:50 pm

मप्र में काजू सुधारेगा किसानों की माली हालत

भोपाल ,07 नवंबर । मध्य प्रदेश में किसानों की माली हालत सुधारने की दिशा में चल रही कोशिशों में सरकार नवाचारों पर जोर दे रही है और उसी के तहत बंजर पड़ी भूमि पर काजू की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है और यह किसानों को भी रास आने लगा है, तभी तो किसानों की जिंदगी में खुशियों के रंग भरने के अभियान को शुरुआती सफलता भी मिलती नजर आने लगी है।
राज्य में कभी सूखा, कभी अतिवृष्टि और कभी अधिक उत्पादकता किसानों के लिए समस्या लेकर आती है। यह स्थिति किसान के लिए नुकसान का सौदा बन जाती है। यही कारण है कि किसानों को एक तरफ सरकार तमाम तरह की रियायत दे रही है तो दूसरी ओर खेती-पशुपालन के क्षेत्र में नवाचारों को प्रोत्साहित कर रही है। काजू की खेती भी उनमें से एक है।
उद्यानिकी विभाग के अधिकारी बताते है कि काजू और कोको विकास निदेशालय, कोच्चि (केरल) ने राज्य के बैतूल, छिन्दवाड़ा, बालाघाट और सिवनी जिले की जलवायु को काजू की खेती के लिए उपयुक्त पाया है। इसी के चलते इन जिलों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना रफ्तार में इस वर्ष काजू क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम को लागू किया गया है। इन जिलों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामान्य वर्ग के किसानों ने कुल 1,430 हेक्टेयर क्षेत्र में काजू के एक लाख 60 हजार पौधों का रोपण किया है। इसके अलावा एक लाख 26 हजार पौधे और उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
आधिकारिक ब्योरे के अनुसार, अब तक बैतूल में 1,000, छिंदवाड़ा में 30, बालाघाट और सिवनी में 200-200 किसानों ने अपनी जमीन पर काजू के पेड़ रोपे हैं। औसतन सभी किसानों ने एक-एक हेक्टेयर क्षेत्र में काजू के पौधे रोपे हैं। एक हेक्टेयर क्षेत्र में 200 पेड़ रोपे गए हैं, प्रति पेड़ के बीच की दूरी सात मीटर की होती है।
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो काजू का एक पेड़ औसतन 15 किलो फल का उत्पादन करता है। इस तरह एक हेक्टेयर में 200 पेड़ से कुल 3000 किलो काजू पैदा हो सकता है। बाजार में काजू की कीमत 600 रुपये भी आकी जाए तो औसत तौर पर एक हेक्टेयर से किसान को 18 लाख रुपये प्रति वर्ष की आमदनी हो सकती है।
राज्य के कृषि मंत्री सचिन यादव का कहना है, सरकार की ओर से किसानों के जीवन में खुशहाली लाने के प्रयास जारी हैं, किसानों का दो लाख तक का कर्ज माफ किया गया है, बिजली बिल आधा कर दिया गया, कृषि यंत्रों पर सब्सिडी 50 प्रतिशत की गई है। इसी तरह किसानों को नगदी फसलों के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। काजू की खेती भी उसी दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है।

शख्स को फेसबुक पर पीएम मोदी की एडिटेड फोटो डालना पड़ा भारी, एक साल सोशल मीडिया से दूर रहने की सजा
Posted Date : 06-Nov-2019 1:11:29 pm

शख्स को फेसबुक पर पीएम मोदी की एडिटेड फोटो डालना पड़ा भारी, एक साल सोशल मीडिया से दूर रहने की सजा

कन्याकुमारी ,06 नवंबर । पीएम मोदी की फोटो के साथ छेड़छाड़ कर उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करना एक शख्स को भारी पड़ गया। इस पोस्ट के एक महीने बाद तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के निवासी जबीन चार्ल्स को एक साल के लिए सोशल मीडिया से दूर रहना पड़ेगा। जबीन ने इसके लिए बाकायदा मद्रास हाई कोर्ट में लिखित हलफनामा भी दिया है। सोमवार को अग्रिम जमानत लेने के लिए जबीन ने मद्रास हाईकोर्ट को लिखित में दिया कि वह अगले एक साल तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करेंगे। जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने कहा कि अगर जबीन को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए पाया गया तो उनकी जमानत कैंसल कर दी जाएगी। जस्टिस स्वामीनाथन ने जबीन को कहा कि वह एक माफीनामा लिखकर भी कोर्ट को दें।
बता दें कि एक महीने पहले जबीन की इस पोस्ट के अगले ही दिन बीजेपी पदाधिकारी नांजिल राजा ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी और मामला हाई कोर्ट पहुंच गया। जबीन चार्ल्स ने अपने बचाव में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कही गई बात याद दिलाई कि पब्लिक फोरम पर अपनी राय रखना कोई अपराध नहीं है। हालांकि, चार्ल्स ने अपनी इस पोस्ट पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने इस पोस्ट को तुरंत ब्लॉक कर दिया था क्योंकि उन्हें एहसास हो गया था कि प्रधानमंत्री का अपमान सही नहीं है।
उन्होंने कोर्ट के सामने यह भी कहा कि वह स्थानीय अखबार में भी माफीनामा छपवाने के लिए तैयार हैं। कन्याकुमारी की वाडसरी पुलिस ने चार्ल्स के खिलाफ 11 अक्टूबर को आईपीसी की धारा 505 (2) और आईटी ऐक्ट 2000 की धारा 67 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया था।