नई दिल्ली । होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया (एचएमएसआई) ने शनिवार को जानकारी दी कि 2024 में कंपनी की कुल बिक्री 58,01,498 यूनिट रही, जो 2023 की तुलना में 32 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
इसमें पिछले साल की 52,92,976 यूनिट की घरेलू बिक्री और 5,08,522 यूनिट का निर्यात शामिल है।
कंपनी ने एक बयान में कहा कि दिसंबर महीने में कुल बिक्री 3,08,083 यूनिट रही। इसमें 2,70,919 यूनिट की घरेलू बिक्री और 37,164 यूनिट का निर्यात शामिल है।
एचएमएसआई ने कहा कि कंपनी ने देश में 6 करोड़ घरेलू बिक्री कर नया कीर्तिमान स्थापित किया।
मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए, एचएमएसआई ने गुजरात के विठलापुर में अपने चौथे दोपहिया प्लांट में एक नई तीसरी असेंबली लाइन का उद्घाटन किया।
कंपनी ने गुरुग्राम के मानेसर में अपनी ग्लोबल रिसोर्स फैक्ट्री में अत्याधुनिक इंजन असेंबली लाइन भी जोड़ी, जिसमें सीकेडी निर्यात (कम्प्लीटली नॉक-डाउन यानि किसी उत्पाद को भागों में बांटकर गंतव्य पर असेंबल करने का तरीका) पर ध्यान केंद्रित किया गया।
एचएमएसआई ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सेगमेंट में एक्टिवा ई: और क्यूसीवन भी पेश किया।
कंपनी ने कहा, इसके लिए बुकिंग 1 जनवरी, 2025 से शुरू हुई और इनकी डिलीवरी फरवरी 2025 से शुरू होगी। इन सभी नए इलेक्ट्रिक स्कूटरों की कीमतों का खुलासा इस महीने के अंत में भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो में किया जाएगा।
ऑटोमेकर ने कहा कि कंपनी ने एडवांस फीचर्स के साथ एक्टिवा 125, एसपी125, एसपी160 और यूनिकॉर्न के ओबीडी2बी के तहत मॉडल लॉन्च किए हैं।
जून 2001 में अपना खुदरा कारोबार शुरू करने वाली होंडा दो दशकों से अधिक समय से भारतीय ग्राहकों को खुश कर रही है।
इसके अलावा, होंडा की 125 सीसी मोटरसाइकिल ‘शाइन एंड एसपी125’ ने पूर्वी भारत में 30 लाख से अधिक ग्राहकों को पार कर लिया है।
कंपनी ने दक्षिण भारत में एक्टिवा के लिए 10 मिलियन ग्राहक का आंकड़ा पार करने की अपनी उपलब्धि की भी घोषणा की।
बढ़ती निजी खपत और डिस्पोजेबल आय से प्रेरित होकर, भारत ने 2024 में सालाना आधार पर 9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 26 मिलियन यूनिट को पार कर लिया। यह 2018 में 25.4 मिलियन यूनिट के प्री-कोविड पीक को पार कर गया है।
नई दिल्ली । श्रम मंत्रालय के अनुसार, ईपीएफओ ने देशभर में अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में सेंट्रलाइज्ड पेंशन पेमेंट्स सिस्टम (सीपीपीएस) का रोलआउट पूरा कर लिया है, जिससे 68 लाख से अधिक पेंशन पाने वालों को लाभ मिलेगा।
मंत्रालय द्वारा हाल ही में दी गई जानकारी के अनुसार, सेंट्रलाइज्ड पेंशन पेमेंट्स सिस्टम पुराने पेंशन वितरण सिस्टम से अलग एक विकेंद्रीकृत सिस्टम है। इस नए सिस्टम के तहत ईपीएफओ का प्रत्येक क्षेत्रीय/क्षेत्रीय कार्यलय केवल 3 से 4 बैंक के साथ अलग-अलग समझौतों को बनाए रखेगा।
इस नए सिस्टम के साथ लाभार्थियों को सुविधा मिलेगी कि वे किसी भी बैंक से पेंशन निकाल सकेंगे। साथ ही पेंशन शुरू होने के समय वेरिफिकेशन के लिए लाभार्थी को बैंक जाने की जरूरत नहीं होगी और राशि जारी होने के तुरंत बाद जमा कर दिया जाएगा।
मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, जनवरी 2025 से सीपीपीएस पूरे भारत में पेंशन का वितरण सुनिश्चित करेगा और पेंशन पेमेंट ऑर्डर (पीपीओ) को एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं होगी।
सरकार द्वारा उठाया जा रहा यह कदम उन पेंशनभोगियों के लिए राहत भरा होगा, जो रिटायरमेंट के बाद अपने होमटाउन चले जाते हैं और वहीं, आगे का जीवन गुजर-बसर करते हैं।
सफल क्रियान्वयन की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा, ईपीएफओ के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में सीपीपीएस का पूर्ण पैमाने पर कार्यान्वयन एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। यह परिवर्तनकारी पहल पेंशनभोगियों को देश में कहीं भी, किसी भी बैंक, किसी भी शाखा से अपनी पेंशन को सहजता से प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।
मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, सीपीपीएस का पहला पायलट प्रोजेक्ट पिछले साल अक्टूबर में करनाल, जम्मू और श्रीनगर क्षेत्रीय कार्यालयों में पूरा हो गया था, जिसमें 49,000 से अधिक ईपीएस पेंशनभोगियों को लगभग 11 करोड़ रुपये का पेंशन वितरित किया गया था।
दूसरा पायलट प्रोजेक्ट नवंबर में 24 क्षेत्रीय कार्यालयों में शुरू किया गया, जहां 9.3 लाख से अधिक पेंशनभोगियों को लगभग 213 करोड़ रुपये पेंशन वितरित की गई।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, दिसंबर 2024 के लिए ईपीएफओ के सभी 122 पेंशन वितरण क्षेत्रीय कार्यालयों से जुड़े 68 लाख से अधिक पेंशन प्राप्तकर्ताओं को लगभग 1,570 करोड़ रुपये की पेंशन बांटी गई है।
मुंबई । डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में रिकॉर्ड गिरावट आ रही है। रुपया टूटकर अपने निचले स्तर 85.79 प्रति पर पहुंच गया है। यानी 1 अमेरिकी डॉलर कीमत 85 रुपए 79 पैसा हो गया है। रुपये के मूल्य में रिकॉर्ड गिरावट पर चिंता जताते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू मुद्रा के मूल्य में गिरावट से आयातित कच्चे माल के महंगा होने से उत्पादन लागत बढ़ेगी और कुल मिलाकर देश में महंगाई बढ़ सकती है जिससे आम लोगों की जेब पर प्रभाव पड़ेगा। जानकारों का कहन है कि कमजोर रुपये से मोबाइल फोन, टीवी, फ्रिज, एसी, पेंट आदि के दाम बढ़ जाएंगे। इसके अलावा विदेशों में पढऩा, विदेशों में घूमने का बोझ भी बढ़ेगा।
महंगाई बढ़ेगी लेकिन फायदा भी होगा
डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में कमी के कारण आम लोगों पर पडऩे वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर जाने-माने अर्थशास्त्री और मद्रास स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति ने कहा, रुपये के मूल्य में गिरावट आयातित मुद्रास्फीति (आयातित महंगे कच्चे माल) से चीजें महंगी होंगी। उन्होंने कहा, हालांकि, अगर इससे निर्यात को गति मिलती है तब आर्थिक वृद्धि और रोजगार पर सकारात्मक असर पड़ सकता है। यदि रुपये में गिरावट बाजार की ताकतों (मांग और आपूर्ति) के कारण होती है, तो उत्पादन वृद्धि और महंगाई दोनों बढ़ेंगे।
कमजोर रुपये से आयात होता है महंगा
इस बारे में आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के निदेशक (जिंस और मुद्रा) नवीन माथुर ने कहा, रुपये की विनिमय दर में गिरावट का सबसे बड़ा असर महंगाई बढऩे के रूप में होता है क्योंकि आयातित कच्चे माल और उत्पादन की लागत बढ़ जाती है जिसका बोझ अंतत: उपभोक्ताओं को उठाना होता है। इससे विदेश यात्रा और दूसरे देश में जाकर पढ़ाई करना महंगा हो जाता है। अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर भानुमूर्ति ने कहा, यदि विनिमय दर पूरी तरह से बाजार की ताकतों के कारण बदल रही है, तो निर्यात और आयात में स्वत: समायोजन होगा। हालांकि, केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप के बारे में चर्चाएं हैं और हाल ही में सोने की खरीद के कारण चालू खाते के घाटे (कैड) में वृद्धि हुई है। कमजोर विनिमय दरों से आयात महंगा होता है, इससे देश में महंगाई बढ़ सकती है। इसका विभिन्न क्षेत्रों पर नकारात्मक असर होता है।
कंपनियों की लागत भी बढ़ेगी
विदेशी मुद्रा में कर्ज लेने वाली कंपनियों को भुगतान की अधिक लागत चुकानी पड़ेगी। और आयातित कच्चे माल पर निर्भर इकाइयों को कम लाभ मार्जिन देखने को मिल सकता है। साथ ही, यह भारत में विदेशी निवेश प्रवाह को सीमित कर सकता है। उन्होंने कहा, दूसरी तरफ, निर्यात से जुड़ी कंपनियों को स्थानीय मुद्रा के मूल्य में गिरावट का लाभ मिल सकता है। इसका कारण वे चीन के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी बन जाती हैं। सॉफ्टवेयर और विनिर्माण निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है क्योंकि वे चीन की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी होंगे। डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट के कारण के बारे में पूछे जाने पर भानुमूर्ति ने कहा, इसके दो मुख्य कारण हैं। एक तो तीसरी तिमाही में व्यापार घाटा बढ़ा, आयात में वृद्धि निर्यात में बढ़ोतरी से कहीं ज्यादा रही।
नई दिल्ली । भारत में मेट्रो रेल नेटवर्क का तेजी से विस्तार हो रहा है। अब देश में मेट्रो रेल नेटवर्क की कुल लंबाई बढक़र 1000 किमी तक पहुंच गई है। इस बड़े नेटवर्क के साथ, भारत अब चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो रेल नेटवर्क वाला देश बन गया है।
दिल्ली ने 2002 में अपनी मेट्रो यात्रा की शुरुआत की थी, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली के लोगों को पहली मेट्रो दी और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली वासियों को नई मेट्रो परियोजनाओं और नमो भारत का उपहार दे रहे हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में इसका परिवर्तन और विस्तार अभूतपूर्व रहा है, खासकर 2014 के बाद से।
पिछले दशक में मेट्रो नेटवर्क में तीन गुना वृद्धि हुई है। मेट्रो नेटवर्क 2014 में केवल 248 किलोमीटर से बढक़र अब 1000 किलोमीटर हो गया है।
आज 11 राज्यों के 23 शहरों में मेट्रो रेल नेटवर्क है। 2014 में यह केवल 5 राज्यों और 5 शहरों में था। आज मेट्रो में प्रतिदिन एक करोड़ से ज्यादा लोग यात्रा करते हैं, जो 2014 के 28 लाख यात्रियों की तुलना में 2.5 गुना अधिक बढ़ोतरी है।
वहीं, मेट्रो ट्रेनें आज प्रतिदिन कुल 2.75 लाख किलोमीटर की यात्रा करती हैं, जो एक दशक पहले के रोजाना 86 हजार किलोमीटर का तीन गुना है।
प्रधानमंत्री मोदी के विजन के तहत, केंद्र सरकार लाखों नागरिकों के लिए यात्रा की सुविधा और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए निर्बाध, किफायती और आधुनिक शहरी परिवहन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इन परिवर्तनकारी प्रयासों के तहत, पीएम मोदी रविवार को साहिबाबाद आरआरटीएस स्टेशन से न्यू अशोक नगर आरआरटीएस स्टेशन तक नमो भारत ट्रेन की यात्रा करने वाले हैं।
पीएम मोदी की यह यात्रा दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर के 13 किलोमीटर लंबे हिस्से के उद्घाटन का प्रतीक होगी। 4,600 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित यह कॉरिडोर दिल्ली और मेरठ के बीच क्षेत्रीय संपर्क को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा, जिससे लाखों लोगों को हाई-स्पीड और आरामदायक यात्रा के विकल्प मिलेंगे।
नमो भारत कॉरिडोर के अलावा, पीएम मोदी जनकपुरी और कृष्णा पार्क के बीच दिल्ली मेट्रो फेज-4 के 2.8 किलोमीटर लंबे हिस्से का उद्घाटन करेंगे। 1,200 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, यह दिल्ली मेट्रो फेज-4 का पहला परिचालन खंड है। कृष्णा पार्क, विकासपुरी और जनकपुरी के कुछ हिस्सों सहित पश्चिमी दिल्ली के निवासियों को इसका फायदा मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली मेट्रो फेज-4 के 26.5 किलोमीटर लंबे रिठाला-कुंडली सेक्शन की आधारशिला भी रखेंगे। 6,230 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाला यह नया कॉरिडोर दिल्ली के रिठाला को हरियाणा के नाथूपुर (कुंडली) से जोड़ेगा। इसका उद्देश्य उत्तर-पश्चिमी दिल्ली और हरियाणा में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है, जिससे रोहिणी, बवाना, नरेला और कुंडली जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
नई दिल्ली । आज के दौर में, जब दुनियाभर में नई कंपनियां स्थापित हो रही हैं और तेज़ी से विकास कर रही हैं, ज़्यादा वेतन पाने वाले कर्मचारियों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। इस बीच, एक भारतीय मूल के व्यक्ति, जगदीप सिंह, ने दुनिया में सबसे ज़्यादा वेतन पाने वाले कर्मचारी बनकर इतिहास रच दिया है। उनकी वार्षिक आय 17,500 करोड़ रुपए (लगभग 2.1 अरब डॉलर) है।
जगदीप सिंह टेक्नोलॉजी और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी क्वांटमस्केप के पूर्व सीईओ हैं। उनका नेतृत्व भारतीय उद्यमियों के बढ़ते प्रभाव का प्रतीक है। उनकी प्रतिदिन की औसत कमाई लगभग 48 करोड़ है, जो उनकी कंपनी के उत्कृष्ट वित्तीय प्रदर्शन को दर्शाती है।
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, जगदीप सिंह ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से बी.टेक और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले से एमबीए की डिग्री हासिल की है। इस मज़बूत शैक्षणिक पृष्ठभूमि और विभिन्न कंपनियों में एक दशक से ज़्यादा के अनुभव ने उन्हें 2010 में क्वांटमस्केप लॉन्च करने के लिए ज़रूरी कौशल प्रदान किए।
जगदीप सिंह के नेतृत्व में, क्वांटमस्केप इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए ऊर्जा भंडारण समाधान में एक अग्रणी कंपनी बन गई है। यह कंपनी ठोस-अवस्था वाली बैटरियों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो पारंपरिक लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन, तेज़ चार्जिंग समय और बेहतर सुरक्षा का वादा करती हैं।
जगदीप सिंह ने हाल ही में क्वांटमस्केप के सीईओ पद से इस्तीफ़ा दे दिया है और फरवरी 2024 में शिवा शिवराम को यह पद सौंपा है, लेकिन वे कंपनी के निदेशक मंडल में बने रहेंगे। उनके कार्यकाल के दौरान, क्वांटमस्केप ने काफ़ी विकास किया, जिसका उनके प्रभावशाली वेतन पैकेज पर भी असर पड़ा, जिसमें 2.3 बिलियन डॉलर तक के स्टॉक विकल्प शामिल हैं।
क्वांटमस्केप की नवीन तकनीक इसे स्वच्छ परिवहन के लिए वैश्विक प्रयासों में सबसे आगे रखती है। कंपनी ने बिल गेट्स और वोक्सवैगन जैसे उद्योग के दिग्गजों से महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित किया है, जिससे ईवी और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में इसकी स्थिति और मज़बूत हुई है।
नई दिल्ली । विश्व स्तरीय डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के बाद भारत रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में तेजी से कार्य कर रहा है। यह बयान टाटा ग्रुप के चेयरपर्सन एन चंद्रशेखरन द्वारा दिया गया। देश में रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता 214 गीगावाट पर पहुंच गई है और 2030 तक 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता विकसित करने के लक्ष्य की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।
चेन्नई में एनआईटी त्रिची के ‘ग्लोबल एलुमनाई मीट (जीएएम) 2025’ को संबोधित करते हुए चंद्रशेखरन ने कहा कि हमारी रिन्यूएबल आधारित बिजली उत्पादन क्षमता 45 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो पिछले दशक में लगभग 30 प्रतिशत थी। उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि यह पर्याप्त नहीं है क्योंकि अगर आपको पेरिस में तय किए गए 1.5 डिग्री के लक्ष्य को हासिल करना है तो इस दशक में वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में 43 प्रतिशत की कमी लानी होगी। इसके उल्टा 2019 से 2024 के बीच हम दूसरी दिशा में चले गए हैं, इसमें 3.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि इस योजना के तहत 6.85 लाख से ज्यादा इंस्टॉलेशन हुए हैं और यह लगभग एक साल में एक दशक की गई सौर वृद्धि को पार करने की दहलीज पर है। इस साल फरवरी में लॉन्च होने के बाद से 6,85,763 इंस्टॉलेशन के साथ यह योजना पहले ही एक दशक में लगाए गए इंस्टॉलेशन के 86 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।
टाटा समूह की चेयरपर्सन के अनुसार, इस देश में बनाया गया डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर किसी भी अन्य देश की तुलना में कहीं आगे है। उन्होंने कहा, हमारे पास कुछ बेहतरीन डिजिटल सिस्टम हैं, चाहे वह हमारी भुगतान प्रणाली हो, आधार हो, स्वास्थ्य सेवा हो, निपटान प्रणाली हो या खुदरा बैंकिंग प्रणाली हो। हमारे पास कुछ बेहतरीन डिजिटल सिस्टम हैं। साथ ही बेहतर प्रतिभा भी है।
चंद्रशेखरन ने आगे कहा कि इस साल विकास में नरमी के बावजूद, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। उन्होंने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। हालांकि, विकास दर में थोड़ी नरमी आई है, लेकिन हमारे देश की अर्थव्यवस्था अन्य देशों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रही है। चंद्रशेखरन ने कहा कि 2025 ‘एआई के लिए एक अभूतपूर्व वर्ष’ होने जा रहा है, जिसमें वर्ष के दौरान स्मॉल लैंग्वेज मॉडल (एसएलएम) में भारी निवेश होने की उम्मीद है, जबकि लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) भी अपनी भूमिका निभाएंगे।