0- बस संचालकों व सैलून-ब्यूटी पार्लर के लिए भी मिलेगा सस्ता कर्ज
नई दिल्ली ,05 जून । रिजर्व बैंक ने महामारी में सबसे ज्यादा प्रभावित होटल, पर्यटन उद्योग के साथ ही बस संचालकों, सैलून और ब्यूटी पार्लर जैसे छोटे कारोबार को भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। आरबीआई की ओर से बैंकों को रेपो रेट (चार फीसदी) ब्याज पर 3 साल के लिए 15 हजार करोड़ का फंड दिया जाएगा। जिससे बैंक इन क्षेत्रों को सस्ता कर्ज उपलब्ध करा सकेंगे। मौद्रिक नीति समिति की बैठक में आरबीआई ने होटल-रेस्तरां, पर्यटन, विमानन सहायता सेवाओं, ट्रैवल एजेंट टूर ऑपरेटर एयरपोर्ट ग्राउंड हैंडलिंग सेवाओं, एडवेंचर ट्रैवल एजेंसी, निजी बस संचालक, कार रिपेयर सर्विस, कार रेंट सर्विस, स्पा, ब्यूटी पार्लर, सैलून, इवेंट-कॉन्फ्रेंस ऑर्गेनाइजर को भी सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने की सुविधा दी है।
इसके लिए 31 मार्च 2022 तक आवेदन किया जा सकेगा। सिडबी के जरिए एमएसएमई को 16 हजार करोड़ का कर्ज बांटने में आकांक्षी जिलों के छोटे व मझोले उद्यमों को प्राथमिकता दी जाएगी। 4 फ़ीसदी ब्याज पर जारी इस सुविधा का लाभ योजना शुरू होने से 1 साल तक उठा सकेंगे। आरबीआई ने कहा भविष्य में अर्थव्यवस्था और उद्योगों की जरूरत को देखते हुए योजना की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
इसी के साथ ही आरबीआई ने चालू वित्तवर्ष में खुदरा महंगाई औसतन 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जो उसके 4 फीसदी के तय दायरे से ऊपर है। एमपीसी बैठक के बाद गवर्नर ने कहा, बेहतर मानसून और आपूर्ति शृंखला में सुधार की वजह से खुदरा महंगाई काबू में रहेगी।
हालांकि, वैश्विक स्तर पर क्रूड, स्टील सहित अन्य कमोडिटी के दाम बढऩे से पूरे साल महंगाई का दबाव रहेगा। पहली तिमाही में 5.2 फीसदी, दूसरी में 5.4 फीसदी, तीसरी में 4.7 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.3 फीसदी रहने का अनुमान है। खाद्य उत्पादों की कीमतें गिरने से अप्रैल में खुदरा महंगाई 4.3 फीसदी रही थी।
नई दिल्ली ,05 जून । एक ओर जहां कोविड-19 महामारी बीमारी, मृत्यु और आर्थिक गतिविधियों में गिरावट जैसी नकारात्मकता लेकर आई है, वहीं इसकी वजह से कुछ सकारात्मक चीजें भी देखने को मिली हैं और इसने वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के 194 अरब डॉलर के आउटसोर्सिंग प्रौद्योगिकी उद्योग को कार्बन उत्सर्जन कम करने की ओर अग्रसर किया है।
महामारी ने आईटी, आईटीईएस, इंजीनियरिंग, जीआईसी/जीसीसी और स्टार्टअप सहित आउटसोर्सिंग प्रौद्योगिकी कंपनियों से कार्बन उत्सर्जन में 85 प्रतिशत की कमी की है।
इस कमी का अर्थ है पूर्व-महामारी के स्तर से लगभग तीन लाख टन कार्बन उत्सर्जन में गिरावट। अगर सालाना आधार पर देखें तो यह गिरावट 20 लाख टन है।
कार्बन उत्सर्जन में गिरावट का कारण कोविड-प्रेरित वर्क फ्रॉम होम (दफ्तर जाए बिना घर से काम), डिजिटल प्लेटफॉर्म, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और डिजिटल कैंपस हायरिंग प्लेटफॉर्म को अपनाने जैसे कारकों को बताया गया है।
आउटसोर्सिंग उद्योग द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 में 2.9 अरब डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 में यात्रा लागत, यात्रा लागत और अंतराष्र्ट्ीय यात्रा पर केवल 75 करोड़ डॉलर खर्च किए गए हैं। शीर्ष पांच आईटी सर्विस कंपनियों - टीसीएस, इंफोसिस, एचसीएल, विप्रो और टेक महिंद्रा - ने वित्त वर्ष 2021 में यात्रा लागत पर लगभग 37 करोड़ डॉलर खर्च किए, जो वित्त वर्ष 2020 में 1.4 अरब डॉलर की तुलना में 75 प्रतिशत कम है।
वहीं फिलहाल आउटसोर्सिंग उद्योग में लगभग 44 लाख कर्मचारियों में से केवल चार से पांच प्रतिशत कर्मचारी ही काम के लिए यात्रा कर रहे हैं। वैश्विक और घरेलू आईटी फर्मों के कर्मचारियों और परिवारों के पूर्ण टीकाकरण के बाद अनुमानित 20 प्रतिशत से 25 प्रतिशत कर्मचारी अगले साल की शुरूआत में काम पर वापस आ जाएंगे।
महामारी के बाद (अगले वर्ष के मध्य) एआई ट्रांसपोर्टेशन टेक प्लेटफॉर्म के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की तैनाती अधिक देखने को मिलेगी। तकनीकी कंपनियों का लक्ष्य 2025 तक ईवी पर लगभग 5 प्रतिशत कर्मचारी यात्रा को 25 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक ले जाना है।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि उपभोक्ता-ग्रेड अनुभव के साथ भविष्य की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रा की जरूरतों से बचने के लिए डिजिटल उपकरणों को अपनाने से भी कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी।
अनअर्थइनसाइट के संस्थापक और सीईओ गौरव वासु ने एक बयान में कहा, आउटसोर्सिंग उद्योग कोविड से पहले भी हाइब्रिड वर्किंग मॉडल, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अपनाने की राह पर था। हालांकि महामारी और डिजिटल उपकरणों/प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाने के परि²श्य को नाटकीय रूप से बदल दिया है और आज कार्बन उत्सर्जन में कमी लंबे समय तक टिकाऊ दिखती है।
इसके अलावा, रिपोर्ट से पता चला है कि कोविड ने बड़े उद्योग के दिग्गजों को डिजिटल कैंपस हायरिंग प्लेटफॉर्म जैसी तकनीकों को तैनात करने के लिए प्रेरित किया, जिससे देश भर में 1,000 से अधिक परिसरों की यात्रा के संदर्भ में उत्पन्न कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आई है।
2025 तक, प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए 75 प्रतिशत कैंपस हायरिंग उन्नत एंड-टू-एंड डिजिटल प्लेटफॉर्म/टूल्स के माध्यम से होने की उम्मीद है। यह अन्य टियर-1 और टियर-2 आईटी फर्मों को भी देश भर से स्नातक प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाने के लिए मजबूर करेगा।
वासु ने कहा कि कोविड-19 व्यवधान ने आउटसोर्सिंग संगठनों, ग्राहकों और कर्मचारियों को पर्यावरण के अनुकूल बना दिया है, जिससे उन्हें कार्बन उत्सर्जन में कमी और डिजिटल कार्यस्थल की ओर अपनी यात्रा में तेजी लाने में मदद मिली है।
इस तरह से आने वाले समय में कार्बन उत्सर्जन में कमी के आसार बनते दिखाई दे रहे हैं।
अनअर्थइनसाइट की ओर से वित्त वर्ष 2020-21 के लिए किए गए अध्ययन में भारत में लगभग 2,000 से अधिक आउटसोर्सिंग प्रौद्योगिकी कंपनियां शामिल रहीं। निष्कर्ष कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट, प्राथमिक शोध और अनअर्थइनसाइट डेटाबेस पर आधारित हैं।
मुंबई ,04 जून । ग्रामीण इलाकों में कोविड-19 का संक्रमण फैलने से चिंतित रिजर्व बैंक आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के विकास अनुमान में एक प्रतिशत की कटौती की है। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की आज समाप्त तीन दिवसीय बैठक के बाद जारी बयान में वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। इससे पहले अप्रैल की बैठक के बाद आरबीआई ने कहा था कि 2021-22 में विकास दर 10.5 प्रतिशत रहेगी।
कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर पहली तिमाही के विकास अनुमान में बड़ी कटौती की गई है। इसे 26.2 प्रतिशत से घटाकर 18.5 प्रतिशत कर दिया गया है। जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही का जीडीपी विकास अनुमान भी 8.3 प्रतिशत से घटाकर 7.9 प्रतिशत किया गया है। बयान में कहा गया है ग्रामीण मांग मजबूत बनी हुई है और सामान्य मानसून के पूर्वानुमान से इसके मजबूत बने रहने के संकेत मिलते हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों में कोविड-19 का संक्रमण फैलने से विकास दर में गिरावट की आशंका है।
टीकाकरण तेज होने के साथ आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने की उम्मीद में तीसरी और चौथी तिमाही के अनुमानों में वृद्धि की गई है। तीसरी तिमाही के लिए विकास दर का अनुमान 5.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 5.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत किया गया है। केंद्रीय बैंक ने उम्मीद जताई है कि आने वाले महीनों में टीकाकरण तेज होगा जिससे आर्थिक गतिविधियां जल्दी सामान्य होंगी। वैश्विक स्तर पर आर्थिक मजबूती से निर्यात को गति मिलेगी।
आरबीआई के अनुसार, महामारी की दूसरी लहर के कारण शहरी क्षेत्र से मांग में कमी आई है, लेकिन कारोबारी इस माहौल के अनुसार खुद को ढाल रहे हैं जिससे आर्थिक गतिविधियों पर दुष्प्रभाव कम रहने की संभावना है, खासकर विनिर्माण और ऐसे सेवा क्षेत्रों में जहां संक्रमण की आशंका कम होती है।
मुंबई ,04 जून । आरबीआई एमएसएमई को और समर्थन देने के लिए सिडबी को 16,000 करोड़ रुपये की विशेष लिक्विडिटी की सुविधा दे रहा है। यह अप्रैल में घोषित 15,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी सुविधा से अधिक है। मौजूदा कोविड संकट और राज्यों में लॉकडाउन के बीच इस सुविधा से एमएसएमई का समर्थन अपेक्षित है।
विकासात्मक और नियामक नीतियों पर बयान में कहा गया है कि लघु और मध्यम अवधि में एमएसएमई की ऋण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए छोटे एमएसएमई और व्यवसायों पर अतिरिक्त ध्यान देने के साथ निवेश चक्र शुरू करने के लिए सिडबी को 16,000 करोड़ रुपये की विशेष लिक्विडिटी सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। इसमें ऋण की कमी सहित अधिक महत्वाकांक्षी जिलों को शामिल किया गया है।
इसमें आगे कहा गया, डबल इंटरमीडिएशन, पूल्ड बॉन्ड, लोन जारी करने सहित अन्य मॉडलों और संरचनाओं के माध्यम से ऑन-लेंडिंग रीफाइनेंसिंग के लिए सुविधा का विस्तार किया जाएगा।
यह सुविधा प्रचलित पॉलिसी रेपो दर पर एक वर्ष तक की अवधि के लिए उपलब्ध होगी। आरबीआई ने कहा कि वह इसके उपयोग के आधार पर सुविधा के और विस्तार पर विचार कर सकता है।
मुंबई ,04 जून । म्युचुअल फंड अब 7 अरब डॉलर की कुल उद्योग सीमा के भीतर एक अरब डॉलर तक का विदेशी निवेश कर सकते हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने प्रति म्यूचुअल फंड में निवेश की सीमा बढ़ाकर 1 अरब डॉलर कर दी।
एक परिपत्र में, पूंजी बाजार नियामक ने कहा कि निर्णय म्यूचुअल फंड उद्योग से प्रतिनिधित्व के बाद लिया गया है।
सेबी ने यह भी निर्णय लिया कि म्यूचुअल फंड विदेशी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश कर सकते हैं, जो कि प्रति म्यूचुअल फंड में अधिकतम 300 मिलियन डॉलर, कुल उद्योग सीमा 1 अरब डॉलर के भीतर है।
एनएफओ के समय योजना दस्तावेजों में प्रकट की जाने वाली निवेश सीमा और चल रही योजनाओं पर निवेश की सीमा के संबंध में, ऐसी सीमाएं अब से केवल म्युचुअल फंड द्वारा मासिक आधार पर रिपोर्टिग के लिए निर्धारित प्रारूप के माध्यम से 5 नवंबर, 2020 को सेबी के परिपत्र में कहा गया है।
सैन फ्रांसिस्को ,04 जून । ट्विटर पर दुर्घटनावश पिक्सल बड्स ए-सीरीज की घोषणा करने के बाद अब गूगल ने सिर्फ 7228.04 रुपये में अपने नए टीडब्ल्यूएस ईयरबड्स का अनारवण किया है। पिक्सल बड्स ए-सीरीज फिलहाल अमेरिका और कनाडा में प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध है, जिसे ग्राहकों को 17 जून तक पहुंचाया जाएगा।
कंपनी ने अपने एक बयान में कहा है, स्पीकर की क्षमताओं का पूरा लाभ उठाने के लिए एक बेहतरीन सील काफी जरूरी है, खासकर कम फ्रिक्वेंसी में इसकी आवश्यकता पड़ती है।
इसमें आगे कहा गया, हमने पिक्सेल बड्स ए-सीरीज को कोमल सील के साथ सुरक्षित रूप से फिट करने के लिए हजारों कानों को स्कैन किया है। लंबी समयावधि के साथ फिट को आरामदायक बनाए रखने के लिए एक स्थानिक वेंट लगाया गया है, जो इन-ईयर दबाव को कम करता है।
नए पिक्सेल बड्स ए-सीरीज को एडेप्टिव साउंड के साथ पेश किया गया है, जो परिवेश के आधार पर वॉल्यूम को बढ़ाती या घटाती है।
पिक्सेल बड्स ए-सीरीज को एक बार चार्ज पर पांच घंटे तक के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है । चार्जिंग केस के साथ यह चौबीसो घंटे इस्तेमाल के लिए रेडी रहता है। और अगर आप इसे सिर्फ 15 मिनट के लिए चार्ज करते हैं, तो तीन घंटे तक इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।