जयपुर । विभिन्न महाद्वीपों में कला, संस्कृति और इनोवेशन को एक दूसरे के साथ जोडऩे के प्रयास में वेदांता ग्रुप के संस्थापक एवं चेयरमैन अनिल अग्रवाल अब आइकॉनिक रिवरसाईड स्टूडियोज़ का नेतृत्व करेंगे। लंदन की थेम्स नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित 100 साल पुराना स्टुडियो, जिसे कला के विश्वस्तरीय केन्द्र के रूप में जाना जाता है।
अब इसका संचालन ‘अनिल अग्रवाल रिवरसाईड स्टुडियोज़ ट्रस्ट’ के नाम से होगा। अपने गौरवशाली इतिहास में रिवरसाईड स्टुडियोज़ ने दुनिया भर से कई जाने-माने कलाकारों की मेजबानी की है, जिसमें बीटल्स द्वारा गीत की रिकॉर्डिंग, डेविड बॉवी की परफॉर्मेंस, डारिओ फो का कार्य तथा डेविड हॉकनी द्वारा प्रदर्शित कार्य शामिल हैं। यह शुरूआत रचनात्मकता एवं विश्वस्तर पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की अग्रवाल की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को दर्शाती है। अपने दृष्टिकोण के तहत रुआर्ट इन एवरी हार्ट पहल के ज़रिए वे कला को सार्वजनिक रूप से सुलभ बनाने तथा भारत एवं दुनियाभर के बीच समृद्ध सांस्कृतिक संबंधों पर ज़ोर देने के लिए तत्पर हैं।
रिवरसाईड स्टूडियोज़ के साथ अग्रवाल ऐसे स्थानों को बढ़ावा देना चाहते हैं, जहां इनोवेशन और सांस्कृतिक विविधता एक साथ फले-फूलें, जो विश्वस्तरीय सीमाओं को दूर करने वाली कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए जीवंत हब की भूमिका निभाएं। कला एवं संस्कृति के केन्द्र के रूप में रिवर साइड स्टूडियोज़ कलात्मक अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक विविधता का पर्याय बन गया है।
आज स्टूडियो गर्व के साथ थिएटर्स, परफॉर्मेंस, रिकॉर्डिंग स्टूडियो, प्रदर्शनी स्थल तथा शानदार कैफे के साथ सिनेमा की भूमिका निभाता है। वेदांता ग्रुप के संस्थापक एवं चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा, ‘‘मेरा हमेशा से मानना रहा है कि कला में सीमाओं को पार करने, लोगों को एकजुट करने तथा मनुष्य के अनुभव को बेहतर बनाने की अद्भुत क्षमता है। रिवर साईड स्टूडियोज़ भारतीय एवं विश्वस्तरीय कला और संस्कृति के प्रदर्शन के लिए प्रमुख विश्वस्तरीय गंतव्य बन चुका है।
मैं भारतीय कलाकारों और फिल्म समुदायों को इस विश्वविख्यात स्थल पर अपनी कलात्मक प्रतिभा को दर्शाने के लिए आमंत्रित करता हूं। अब विभिन्न क्षेत्रों के ग्लोबल लीडर्स अपने वास्तविक जीवन की यात्रा एवं अनुभवों के साथ दर्शकों को रोमांचित कर सकते हैं। इन बेहतरीन परफॉर्मेंसेस, प्रदर्शनियों और सिनेमा के साथ स्टुडियो दुनिया भर से विश्वस्तरीय प्रोडक्शन्स की मेजबानी कर रहा है। मुझे विश्वास है कि हम ऐसा स्थान बनाने जा रहे हैं, जो न सिर्फ रचनात्मकता, बल्कि सामाजिक बदलाव को भी प्रोत्साहित करेगा।’’
अग्रवाल हमेशा से अपने प्रयासों के माध्यम से परोपकार और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देते रहे हैं। भारतीय कला और संस्कृति के समर्थक होने के नाते उन्होंने यूके में कई भारतीय आध्यात्मिक नेतृत्वकर्ताओं, कलाकारों और सांस्कृतिक फाउन्डेशन्स की मेजबानी की है। मन, शरीर और आत्मा पर केन्द्रित उनके प्रयासों ने भारत की समृद्ध कला की परम्परा और आध्यात्मिकता को विश्वस्तरीय दर्शकों तक पहुंचाकर भारत एवं दुनिया के बीच के अंतर को दूर करने में योगदान दिया है।
अनिल अग्रवाल रिवरसाईड स्टूडियोज़ ट्रस्ट अपनी तरह का अनूठा सांस्कृतिक केन्द्र है, जहां आगंतुक विश्वस्तरीय थिएटर प्रोडक्शन से लेकर आर्ट गैलेरीज़, सिनेमा स्क्रीनिंग, आधुनिक कला प्रदर्शनियों, लाईव परफॉर्मेंसेस और टेड टॉक्स तक का यादगार अनुभव पा सकते हैं। अपनी आधुनिक सुविधाओं के साथ यह सेंटर दुनिया भर से मनोरंजन उद्योग के लीडर्स को आकर्षित करेगा, भारतीय, विदेशी एवं अन्य इंटरनेशनल क्रिएटर्स को उनके कार्य को दर्शाने का मौका देगा।
यह उपलब्धि भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश के सबसे सम्मानित बिजऩेस लीडर्स में से एक विश्वस्तरीय कला की दुनिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं। अग्रवाल का दृष्टिकोण रुआर्ट इन एवरी हार्ट कला के माध्यम से सीमा-पास सहानुभुति और सूझ-बूझ को प्रोत्साहित करता है। रिवर साईड स्टूडियोज़ का अधिग्रहण विश्वस्तरीय संस्कृति पर भारत के बढ़ते प्रभाव की पुष्टि करता है, चूंकि भारतीय उद्यमी विश्वस्तरीय मंच पर कलात्मक संवाद में योगदान दे रहे हैं।
यह पहल अग्रवाल की इस अवधारणा की पुष्टि करती है कि कला सार्वभौमिक भाषा है, जो लोगों को सीमा पार संस्कृतियों के साथ जोड़ती है। इस ऐतिहासिक अवसर पर रिवरसाईड स्टूडियोज़ वर्ष 2025 में भव्य ओपनिंग कार्यक्रम का आयोजन भी करेगा, जहां दुनिया भर से कलाकार, परफॉर्मर्स, उद्योग जगत के लीडर्स और कला प्रेमी एक मंच पर इक_ा होंगे। भौतिक आयोजनों के अलावा ट्रस्ट, वैन्यू की पहुंच और प्रभाव को बढ़ाने के लिए डिजिटल एवं हाइब्रिड कला कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का आयोजन भी करेगी।
नई दिल्ली । माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन और सीईओ सत्य नडेला ने बुधवार को देश में कई एआई पार्टनरशिप को लेकर घोषणा की, जिसमें 5 लाख लोगों को कौशल प्रदान करने के लिए सरकार के ‘भारत एआई मिशन’ के साथ एक समझौता ज्ञापन भी शामिल है।
डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के एक प्रभाग इंडिया एआई के साथ समझौता ज्ञापन का उद्देश्य देश भर में इनोवेशन को बढ़ावा देने, उत्पादकता बढ़ाने और इंक्लूसिव ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए एआई का लाभ उठाना है।
एमओयू के तहत माइक्रोसॉफ्ट और इंडिया एआई मिलकर 2026 तक छात्रों, शिक्षकों, डेवलपर्स, सरकारी अधिकारियों और महिला उद्यमियों सहित 5,00,000 व्यक्तियों को कौशल प्रदान करेंगे।
माइक्रोसॉफ्ट और इंडिया एआई इस साझेदारी के साथ ग्रामीण एआई इनोवेशन को प्रमोट करने के लिए एक एआई सेंटर फॉर एक्सीलेंस की भी स्थापना करेंगे, जिसे एआई कैटालिस्ट्स नाम दिया जाएगा। साथ ही 1,00,000 एआई इनोवेटर्स और डेवलपर्स को हैकाथॉन, कम्युनिटी-बिल्डिंग सॉल्यूशन और एआई मार्केटप्लेस के जरिए सपोर्ट किया जाएगा।
एमओयू के तहत, 20 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (नेशनल स्किल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट) एआई प्रोडक्टिविटी लैब भी सेटअप करेंगे, जो 10 राज्यों में मौजूद इन संस्थानों के 20,000 एजुकेटर्स को फाउंडेशन कोर्स प्रदान करेंगे।
यह सहयोग हेल्थकेयर, एजुकेशन, एक्सेसिबिलिटी और एग्रीकल्चर जैसे सिटिजन स्केल डोमेन के लिए एआई-इनेबल्ड सॉल्यूशन डेवलप करने पर केंद्रित होगा।
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया और साउथ एशिया के अध्यक्ष पुनीत चंडोक ने कहा, हम भारत एआई मिशन के लाभों को देश के हर कोने तक पहुंचाने और टेक्नोलॉजी- संसाधनों तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्साहित हैं।
आरएआईएलटीईएल और माइक्रोसॉफ्ट ने भारतीय रेलवे और पब्लिक सेक्टर स्पेस में एडवांस डिजिटल, क्लाउड और एआई ट्रांसफॉर्मेशन के लिए पांच साल की रणनीतिक साझेदारी भी की।
माइक्रोसॉफ्ट द्वारा हाल ही में किए गए आईडीसी अध्ययन से पता चला है कि भारत में एआई का इस्तेमाल 2023 में 63 प्रतिशत से बढक़र 2024 में 72 प्रतिशत हो गया है।
मंगलवार को, माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में अगले दो वर्षों में क्लाउड और एआई इंफ्रास्ट्रक्चर में 3 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना की घोषणा की, जिसमें नए डेटा सेंटर की स्थापना भी शामिल है।
टेक दिग्गज ने 2030 तक 10 मिलियन लोगों को एआई में प्रशिक्षित और कुशल बनाने की भी घोषणा की।
कंपनी ने पहले ही 2.4 मिलियन भारतीयों को एआई कौशल से सशक्त बनाया है, जिनमें सिविल सर्वेंट, कॉलेज छात्र और दिव्यांग शामिल हैं।
नई दिल्ली । भारत में स्टील की मांग कैलेंडर वर्ष 2025 में 8 से 9 प्रतिशत बढऩे का अनुमान है। इसकी वजह हाउसिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर, इंजीनियरिंग, पैकेजिंग और अन्य सेगमेंट्स में स्टील की मांग बढऩा है। यह जानकारी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट में बुधवार को दी गई।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के उलट वैश्विक स्तर पर स्टील की मांग में इस साल धीमापन देखने को मिल सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत में स्टील की मांग बढक़र 11 प्रतिशत और ब्राजील में 5.6 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है। वहीं, ग्लोबल स्तर पर स्टील की मांग में लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।
चीन, जो सबसे बड़ा स्टील उत्पादक और उपभोक्ता भी है, में मांग में 3.5 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिसकी वजह अनुकूल नीतिगत बदलावों और सहायता पैकेज जारी होने के बावजूद रियल एस्टेट क्षेत्र में स्टील की मांग में गिरावट होना है।
यूरोप, जापान और अमेरिका से भी स्टील की मांग में 2-3 प्रतिशत की अनुमानित गिरावट दर्ज की गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और ब्राजील जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में मांग में वृद्धि ने वैश्विक स्तर पर स्टील की मांग में भारी गिरावट को रोका है।
रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में सभी प्रमुख निर्यातकों से तैयार स्टील के आयात में काफी वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, 2022 और 2024 के बीच चीन से तैयार स्टील के आयात में 2.4 गुना वृद्धि हुई है। वहीं, हॉट रोल्ड कॉइल्स के आयात में 28 गुना का इजाफा हुआ है।
इसी तरह जापान से तैयार स्टील के कुल आयात में 2022 के आधार से 2024 में 2.8 गुना वृद्धि हुई, जबकि एचआरसी आयात में 16.6 गुना वृद्धि हुई और वियतनाम से तैयार स्टील के आयात में आठ गुना वृद्धि हुई।
जयपुर । देश में गुड़ की प्रमुख उत्पादक मंडी मुजफरनगर में गुड़ का कारोबार निरंतर बढ़ोतरी की ओर अग्रसर है। पिछले चार सीजन में गुड़ का सालाना कारोबार करीब दुगुना हो गया है। गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर की मंडी देश में गुड़ की सबसे बड़ी मंडी है। मंडी समिति के कारोबारियों के मुताबिक सालाना 4500 करोड़ रुपए का कारोबार तो मुजफ्फरनगर से ही हो रहा है। जयपुर की सूरजपोल मंडी स्थित फर्म महालक्ष्मी एंटरप्राइजेज के मुरारीलाल अग्रवाल कहते हैं कि इस बार सीजन में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से बने 50 से ज्यादा किस्मों के गुड़ बाजार में बिक रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि गुड़ बनता तो आज भी पुराने तरीके से ही है, मगर उसकी पैकिंग, गुणवत्ता और खरीद-बिक्री के नए तरीकों ने उसे भी हाइटैक बना दिया है। अग्रवाल ने बताया कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर, हापुड़, शामली, बागपत, मेरठ और अवध के सीतापुर, लखीमपुर, शाहजहांपुर तथा बरेली तो दश्कों से गुड़ बनाते आए हैं। मगर अब प्रदेश के कई दूसरे जिलों में गुड़ का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा है। अयोध्या, सुल्तानपुर, गोंडा, बस्ती, अंबेडकरनगर और हरदोई जैसे जिलों में खूब कोल्हू चल रहे हैं। अयोध्या के गुड़ को तो योगी आदित्यनाथ सरकार ने विशेष श्रेणी में शामिल किया है। इसी वजह से गुड़ उद्योग खूब रोजगार भी दे रहा है।
कीमतों में ज्यादा इजाफा नहीं, डिमांड तेजी से बढी
मुरारीलाल ने कहा कि पिछले दो साल में गुड़ की कीमतों में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है, लेकिन डिमांड तेजी से बढ़ी है। इस सीजन में जयपुर मंडी में अच्छी क्वालिटी का गुड़ 42 से 48 रुपए प्रति किलो थोक में बिक रहा है। कारोबारी गुड़ में कई प्रकार के प्रयोग कर रहे हैं तथा गुड़ की आकर्षक पैकिंग में बाजार में बिक्री की जा रही है। जयपुर मंडी में मंगलवार को गुड़ ढैया 40 से 48 रुपए, पतासी 41 से 43 रुपए तथा लड्डू गुड़ 43 से 46 रुपए प्रति किलो थोक में बेचा जा रहा है। जयपुर मंडी में प्रतिदिन पांच ट्रक गुड़ की आवक हो रही है। उधर उत्तर प्रदेश में खांडसारी नीति में गुड़ उत्पादन को प्रोत्साहन दिया गया है। नई नीति के तहत खांडसारी इकाईयों को 100 घंटे के भीतर लाइसेंस देने की व्यवस्था की गई है। इन कोशिशों के चलते ही मुजफ्फरनगर में सीजन के दिनों में 35000 कोल्हू चलते हैं। उत्तर प्रदेश में इस समय करीब 70000 से ज्यादा कोल्हू चल रहे हैं। चार साल पहले इसके आधे भी नहीं चलते थे।
मुंबई । अदाणी ग्रुप के शेयरों में मंगलवार को तेजी का ट्रेंड देखने को मिला। ग्रुप के सभी शेयरों में हरे निशान में कारोबार हो रहा था।
दोपहर 1:39 पर अदाणी ग्रीन एनर्जी 3 प्रतिशत, अदाणी पावर 3.18 प्रतिशत, अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस 2.88 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे।
इसके अलावा अदाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में 1.72 प्रतिशत की बढ़त थी।
अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) का शेयर 1.36 प्रतिशत और अदाणी टोटल गैस का शेयर करीब 0.6 प्रतिशत की तेजी के साथ कारोबार कर रहा है।
ग्रुप की सीमेंट कंपनी अंबुजा और एसीसी के शेयर में करीब 1.50 प्रतिशत की तेजी थी।
इस दौरान ग्रुप का मार्केट कैप करीब 16 हजार करोड़ रुपये बढक़र 12.80 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
पिछले कुछ समय में अदाणी ग्रुप की कंपनियों को लेकर कई सकारात्मक खबरें आई हैं, जिसके कारण निवेशकों का ग्रुप की कंपनियों पर विश्वास बढ़ा है।
हाल में अदाणी एंटरप्राइजेज की सहयोगी कंपनी अदाणी पेट्रोकेमिकल्स ने इंडोरामा रिसोर्सेज के साथ 'वैलोर पेट्रोकेम' नाम से ज्वाइंट वेंचर की घोषणा की थी। इस ज्वाइंट वेंचर में अदाणी पेट्रोकेमिकल्स की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।
इस ज्वाइंट वेंचर के जरिए अदाणी ग्रुप की योजना पेट्रोकेमिकल्स सेक्टर में इंडोरामा की विशेषज्ञता का लाभ उठाना है।
अदाणी पेट्रोकेमिकल्स की स्थापना 2021 में हुई थी। इसका उद्देश्य देश में रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स स्थापित करना है।
इंडोरामा रिसोर्सेज की पैरेंट कंपनी इंडोरामा वेंचर्स पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में एक अग्रणी वैश्विक कंपनी है, जो 35 से अधिक देशों में परिचालन करती है। थाईलैंड में स्थित, इंडोरामा पॉलिएस्टर उत्पादों और फाइबर सेक्टर में दुनिया के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। साथ ही यह केमिकल सेक्टर की एक बड़ी कंपनी है।
मुंबई । वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नवंबर 2024 में और आठ टन सोना खरीदा है। दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने नवंबर महीने के दौरान 53 टन कीमती धातु की सामूहिक खरीद जारी रखी है।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी चुनाव के बाद नवंबर के दौरान सोने की कीमतों में गिरावट ने कुछ केंद्रीय बैंकों को कीमती धातु जमा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
आरबीआई ने दूसरे केंद्रीय बैंकों की तरह, सुरक्षित संपत्ति के रूप में सोना खरीद रहा है।
सोना रखने की रणनीति भू-राजनीतिक तनावों से उत्पन्न अनिश्चितता के समय में मुख्य रूप से मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव और विदेशी मुद्रा जोखिमों को कम करने के उद्देश्य से है।
नवंबर में अपने भंडार में आठ टन सोना जोडऩे के साथ आरबीआई ने 2024 के पहले 11 महीनों में अपनी खरीद को बढ़ाकर 73 टन कर और अपने कुल सोने के भंडार को 876 टन कर दिया है। इसके साथ आरबीआई ने पोलैंड के बाद वर्ष के दौरान दूसरा सबसे बड़ा खरीदार होने का अपना स्थान बनाए रखा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने अपने भंडार में पांच टन सोना जोडक़र छह महीने के गैप के बाद सोने की खरीद फिर से शुरू की है और सालाना आधार पर शुद्ध खरीद को बढ़ाकर 34 टन कर दिया है। इसी के साथ, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने अपने कुल सोने के भंडार को 2,264 टन (कुल भंडार का 5 प्रतिशत) कर दिया है।
इस बीच, सिंगापुर मौद्रिक प्राधिकरण ( एमएएस ) महीने का सबसे बड़ा विक्रेता था, जिसने अपने सोने के भंडार को 5 टन कम कर दिया, जिससे सालाना आधार पर शुद्ध बिक्री 7 टन और कुल सोने की होल्डिंग 223 टन हो गई।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, आरबीआई की सोने की खरीद 2023 की इसी अवधि में खरीदी गई कीमती धातु की मात्रा से पांच गुना बढ़ गई है।
आंकड़ों के अनुसार, आरबीआई का कुल स्वर्ण भंडार अब 890 टन हो गया है, जिसमें से 510 टन भारत में है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, महीने के दौरान सोना खरीदने वाले केंद्रीय बैंकों में पोलैंड के 21 टन और उज्बेकिस्तान के नौ टन शामिल हैं।
केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की इन बड़ी खरीदों से वैश्विक बाजार में कीमती धातु की कीमतों में भी तेजी आई है।
आरबीआई के आधे से अधिक स्वर्ण भंडार विदेशों में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के पास सुरक्षित हिरासत में रखे गए हैं, जबकि लगभग एक तिहाई नागपुर और मुंबई में आरबीआई के वॉल्ट में संग्रहीत हैं।
रिजर्व बैंक ने यूनाइटेड किंगडम में बैंक वॉल्ट में रखे अपने 100 मीट्रिक टन सोने को 2024 में भारत में अपने वॉल्ट में शिफ्ट कर दिया क्योंकि देश में पर्याप्त घरेलू भंडारण क्षमता थी।
स्वर्ण भंडार को शिफ्ट करने से ब्रिटेन में वॉल्ट के इस्तेमाल के लिए भुगतान किए जाने वाले उच्च शुल्क में बचत होने की उम्मीद है।