नई दिल्ली । जापान, भारत का एक मुख्य साझेदार है और जापान की ओर से 2000 से लेकर 2024 के बीच 43 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया गया है, जो इसे भारत का पांचवां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक बनाता है। यह बयान केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को दिया।
गोयल ने आगे कहा कि भारत-जापान की साझेदारी भाईचारे, लोकतंत्र, संस्कृति और आर्थिक सहयोग पर आधारित है, जो सुशी और मसालों के अनूठे मिश्रण को दर्शाती है, जो विशिष्ट होते हुए भी एक-दूसरे के पूरक हैं।
भारत-जापान इकोनॉमी एंड इन्वेस्टमेंट फोरम को संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जापान के ‘सात भाग्यशाली देवताओं’ की उत्पत्ति भारतीय परंपरा में हुई है, जो दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि 2011 में हुए कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीईपीए) ने दोनों के द्विपक्षीय व्यापार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। करीब 1,400 से अधिक जापानी कंपनियां भारत में ऑपरेट कर रही हैं और आठ राज्यों में 11 इंडस्ट्रीयल टाउनशिप जापानी एंटरप्राइजेज की मेजबानी कर रही हैं।
उन्होंने आगे बताया कि मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल और दिल्ली, अहमदाबाद, बेंगलुरु और चेन्नई के मेट्रो सिस्टम में जापान पार्टनर है जो भारत के विकास में जापान की अहम भूमिका को दिखाता है।
भारत और जापान दोनों मिलकर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी ब्रांड्स बना रहे हैं। मारुति सुजुकी इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, जो कि जापान सहित कई देशों को वाहनों का निर्यात कर रहा है।
गोयल ने कहा कि सरकार का उद्देश्य जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी बढ़ाकर 25 प्रतिशत करना है और इस लक्ष्य को हासिल करने में जापान एक अहम साझेदार होने वाला है।
गुणवत्ता मानकों के संबंध में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जापान उत्कृष्टता के लिए एक बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है और भारत मैन्युफैक्चरिंग में समान उच्च मानकों को अपनाने का प्रयास कर रहा है।
मुंबई । अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड (अदाणी इलेक्ट्रिसिटी) को ऊर्जा मंत्रालय ने प्रदर्शन और ग्राहक सेवा में उत्कृष्टता के लिए भारत की शीर्ष पावर यूटिलिटी के रूप में मान्यता दी है।
यह लगातार तीसरा वर्ष है, जब अदाणी इलेक्ट्रिसिटी ने पीएफसी द्वारा 13वीं एकीकृत रेटिंग एक्सरसाइज में अग्रणी स्थान हासिल किया है, जो इसकी मजबूत वित्तीय स्थिरता को दर्शाता है।
इसके अतिरिक्त कंपनी को आरईसी द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए डिस्कॉम की उपभोक्ता सेवा रेटिंग (सीएसआरडी) रिपोर्ट में ए+ ग्रेड जैसी उच्चतम रेटिंग प्रदान की गई है, जो ग्राहक सेवा वितरण में इसके नेतृत्व की पुष्टि करता है।
कंपनी ने बयान में कहा, “ये दोहरी मान्यताएं विश्वसनीय, टिकाऊ और ग्राहक-केंद्रित बिजली समाधान प्रदान करने के लिए अदाणी इलेक्ट्रिसिटी की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।”
ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत पीएफसी द्वारा ऊर्जा वितरण कंपनियों की एकीकृत रेटिंग और रैंकिंग की जाती है। इसमें वित्तीय स्थिरता, प्रदर्शन उत्कृष्टता, बाहरी वातावरण और अन्य महत्वपूर्ण परिचालन कारकों के आधार पर कंपनियों का मूल्यांकन किया जाता है।
सीएसआरडी रिपोर्ट में ग्राहक सेवा की उत्कृष्टता पर फोकस किया जाता है। इसमें परिचालन विश्वसनीयता, कनेक्शन और अन्य सेवाएं, मीटरिंग, बिलिंग और संग्रह, फॉल्ट में सुधार और शिकायत निवारण आदि के आधार पर बिजली वितरण कंपनियों का मूल्यांकन किया जाता है।
अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई में 30 लाख से अधिक ग्राहकों को सेवाएं देती है और पूरे देश में केवल छह डिस्कॉम हैं, जिन्हें सीएसआरडी की रिपोर्ट में ए+ रेटिंग मिली है।
अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड के प्रबंध निदेशक कंदर्प पटेल ने कहा कि वित्तीय स्थिरता और ग्राहक सेवा उत्कृष्टता दोनों में भारत की अग्रणी उपयोगिता के रूप में मान्यता मिलना हमारे लिए अत्यधिक गर्व का क्षण है।
उन्होंने कहा, “ये मान्यताएं महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे ग्राहकों की संतुष्टि के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं। हम समझते हैं कि बिजली रोजमर्रा की जिंदगी का अभिन्न अंग है, जो व्यक्तियों, समुदायों और व्यवसायों को सशक्त बनाती है।”
नई दिल्ली । मोदी सरकार के सपोर्ट के कारण भारत के फलों को पहली बार पश्चिम के अधिक फायदा देने वाले बाजार मिले हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिली है।
कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ मंत्रालय अधिकारी ने कहा कि महंगे फलों से लेकर पारंपरिक खाद्य पदार्थों तक की यह पहली खेप इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे आत्मनिर्भर भारत के लिए मोदी सरकार का दृष्टिकोण भारतीय किसानों के लिए नए अवसर पैदा कर रहा है।
उन्होंने बताया कि कृषि निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि भारत ने समुद्र के रास्ते ऑस्ट्रेलिया में प्रीमियम सांगोला और भगवा अनार की पहली खेप सफलतापूर्वक भेजी है। यह कम परिवहन लागत पर थोक निर्यात को बढ़ावा देगी और ऑस्ट्रेलिया के बाजारों में भारत के ताजे फल आसानी से पहुंच सकेंगे, जिससे अधिक भारतीय उपज के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में प्रवेश करने का मार्ग खुलेगा।
भारतीय अनार पश्चिमी ग्राहकों के बीच सफल साबित हुआ है। देश ने 2023 में अमेरिकी बाजार में हवाई मार्ग से ताजा अनार की पहली परीक्षण खेप निर्यात की थी। इससे देश की कृषि उपज को वहां बाजारों में अपनी जगह बनाने में सफलता मिली। महाराष्ट्र के भगवा अनार में पर्याप्त निर्यात क्षमता है और इसका लगभग 50 प्रतिशत निर्यात राज्य के सोलापुर जिले से होता है।
आधिकारियों ने बताया कि जीआई टैगिंग ने भारतीय फलों को विदेशी बाजार में अपनी जगह बनाने में एक अहम भूमिका निभाई है।
भारत के अनोखे जीआई-टैग वाले पुरंदर अंजीर अब यूरोप में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। 2024 में मोदी सरकार ने पुरंदर अंजीर से बने भारत के पहले रेडी-टू-ड्रिंक अंजीर जूस को पोलैंड को निर्यात करने की सुविधा शुरू की थी। इससे पहले 2022 में इसे जर्मनी को भी निर्यात किया गया था। पुरंदर अंजीर अपने अनोखे स्वाद और बनावट के लिए जाने जाते हैं। यह पहल वैश्विक स्तर पर भारत के अनोखे कृषि-उत्पादों को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
2022 में भारत ने केरल के एर्नाकुलम के वजाकुलम से यूएई के दुबई और शारजाह के लिए जीआई टैग वाले वजाकुलम अनानास की पहली खेप को भी हरी झंडी दिखाई थी। इससे अनानास किसानों को बेहतर आय मिली।
फलों के अलावा भारत की ओर से अनाजों के निर्यात पर खास फोकस किया जा रहा है। भारत का चावल निर्यात सालाना आधार पर 44.61 प्रतिशत बढक़र 1.37 अरब डॉलर हो गया है, जो कि जनवरी 2024 में 0.95 अरब डॉलर था।
नई दिल्ली। कई लोगों को अपने बीमा प्रीमियम का भुगतान करना बहुत मुश्किल लगता है. ऐसे में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने इस समस्या का समाधान खोज लिया है. दरअसल, आईआरडीएआई ने स्वास्थ्य या जीवन बीमा प्रीमियम के भुगतान की व्यवस्था को सरल बनाने के लिए एक नई व्यवस्था शुरू की है. बीमा प्रीमियम के भुगतान की यह नई व्यवस्था बीमा-एएसबीए है. इसकी मदद से लोगों को अपने बीमा प्रीमियम का भुगतान करने में आसानी होगी.
आईआरडीएआई ने कहा कि नई व्यवस्था पॉलिसीधारकों को प्रीमियम भुगतान के लिए अपने बैंक खाते में धनराशि ब्लॉक करने की सुविधा देती है. इस नई व्यवस्था से सुविधा बढ़ेगी और भुगतान में देरी कम होगी. नई व्यवस्था 1 मार्च से लागू होगी.
इंश्योरेंस-एएसबीए यानी इंश्योरेंस-एप्लीकेशन सपोर्टेड बाय ब्लॉक्ड अमाउंट की नई व्यवस्था के तहत बीमा कंपनियों द्वारा पॉलिसी धारकों को बीमा प्रस्ताव स्वीकार किए जाने से पहले यूपीआई के माध्यम से उनके बैंक खातों में एक निश्चित राशि ब्लॉक करने की सुविधा दी जाती है. ग्राहक द्वारा स्वीकृति दिए जाने के बाद ही राशि डेबिट की जाएगी. वहीं, अगर स्वीकृति नहीं मिलती है, तो राशि अपने आप अनब्लॉक हो जाएगी.
वहीं, अगर बीमाकर्ता पॉलिसी को स्वीकार या अस्वीकार नहीं करता है, तो भी फंड पॉलिसीधारक के खाते में ही रहेगा. नई व्यवस्था के तहत पॉलिसी जारी होने के बाद ही पैसे कटते हैं. राशि के ब्लॉक रहने का अधिकतम समय 14 दिन है. इसके बाद स्वीकृति मिलने पर खाते से पैसे कट जाते हैं.
बीमा पॉलिसी के लिए आवेदन करते समय आपको बीमा-एएसबीए का विकल्प चुनना होगा. फॉर्म में आपको प्रीमियम राशि को ब्लॉक करने की स्वीकृति देने का विकल्प चुनना होगा. बीमा कंपनी आपके बैंक को आपके खाते में आवश्यक राशि ब्लॉक करने के लिए अनुरोध भेजेगी. इसके बाद ग्राहक की स्वीकृति के बाद ही खाते से राशि डेबिट की जाती है.
नई दिल्ली । रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) के शेयरों में शुरुआती कारोबार में 8.5 फीसदी की तेजी आई, जो बीएसई पर 242 रुपये के उच्च स्तर पर पहुंच गई. यह बात बर्मन परिवार द्वारा ओपन ऑफर के सफलतापूर्वक पूरा होने के माध्यम से कंपनी में कंट्रोलिंग हिस्सेदारी हासिल करने के बाद सामने आई. परिवार की वर्तमान शेयरधारिता अब 83,201,819 इक्विटी शेयर या कुल शेयरों का 25.16 फीसदी है.
एक्सचेंज के साथ फाइलिंग में यह खुलासा हुआ कि ओपन ऑफर के पूरा होने के बाद, सेबी (शेयरों का पर्याप्त अधिग्रहण और अधिग्रहण) विनियम, 2011 के तहत, बर्मन परिवार ने 231,025 इक्विटी शेयर हासिल किए, जो रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की कुल चुकता शेयर पूंजी का 0.07 फीसदी है. इसके अलावा ओपन ऑफर के हिस्से के रूप में परिवार ने पहले 31 जनवरी, 2024 को 13,200,000 इक्विटी शेयर हासिल किए थे, जो चुकता पूंजी का 3.99 फीसदी था. इन शेयरों को 18 फरवरी, 2025 को एस्क्रो डीमैट खाते से बर्मन परिवार के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया था.
बर्मन परिवार ने सार्वजनिक शेयरधारकों से 9 करोड़ इक्विटी शेयर या रेलिगेयर के 26 फीसदी शेयर खरीदने के लिए खुली पेशकश की थी. यह अधिग्रहण परिवार के स्वामित्व वाली संस्थाओं के माध्यम से किया गया था, जिसमें एमबी फिनमार्ट प्राइवेट लिमिटेड (एमएफपीएल), पूरन एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड (पीएपीएल), वीआईसी एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड (वीआईसी) और मिल्की इन्वेस्टमेंट एंड ट्रेडिंग कंपनी (एमआईटीसी) शामिल हैं.
महाकुंभ नगर । विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ 2025 ने व्यापार और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के अनुसार, इस बार के महाकुंभ ने 3 लाख करोड़ रुपए (360 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक का व्यापार उत्पन्न किया है, जिससे यह भारत के सबसे बड़े आर्थिक आयोजनों में से एक बन गया है। सीएआईटी के महासचिव और सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि यह आयोजन आस्था और अर्थव्यवस्था के गहरे संबंध को दर्शाता है।
13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि शुरुआती अनुमान के अनुसार, 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने और 2 लाख करोड़ रुपए के व्यापार की संभावना थी, लेकिन देशभर में इस आयोजन को लेकर अभूतपूर्व उत्साह के कारण अब 60 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है, जिससे कुल व्यापार 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने की संभावना है। महाकुंभ 2025 के दौरान कई व्यापारिक क्षेत्रों में बड़ा आर्थिक उछाल देखने को मिला। इनमें पर्यटन, होटल और आवास सेवाएं, खाद्य और पेय पदार्थ उद्योग, परिवहन और लॉजिस्टिक्स, पूजा सामग्री, धार्मिक वस्त्र और हस्तशिल्प, हेल्थकेयर और वेलनेस सेवाएं, मीडिया, विज्ञापन और मनोरंजन उद्योग, स्मार्ट टेक्नोलॉजी, सीसीटीवी, टेलीकॉम और एआई आधारित सेवाएं प्रमुख रूप से शामिल हैं।
महाकुंभ के कारण केवल प्रयागराज ही नहीं, बल्कि 150 किमी के दायरे में स्थित शहरों और कस्बों में भी व्यापार में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। इसके अलावा, अयोध्या, वाराणसी और अन्य धार्मिक स्थलों पर भी श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे वहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है। महाकुंभ को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज में सडक़, फ्लाईओवर और अंडरपास के निर्माण एवं सुधार पर 7,500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इस राशि में से 1,500 करोड़ रुपए विशेष रूप से महाकुंभ की व्यवस्थाओं के लिए आवंटित किए गए थे। इससे न केवल प्रयागराज में, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी यातायात और नागरिक सुविधाओं में सुधार हुआ है। अगर अब तक के कुल स्नानार्थियों की संख्या का विश्लेषण करें तो सर्वाधिक 8 करोड़ श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या पर स्नान किया था, जबकि 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान किया था।
1 फरवरी और 30 जनवरी को 2-2 करोड़ के पार और पौष पूर्णिमा पर 1.7 करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य डुबकी लगाई, इसके अलावा बसंत पंचमी पर 2.57 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई थी। माघी पूर्णिमा के महत्वपूर्ण स्नान पर्व पर भी 2 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में पावन स्नान किया था।