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मोदी ने जी20 बैठक में कई देशों पर बढ़ते कर्ज के खतरे के प्रति किया आगाह
Posted Date : 26-Feb-2023 3:36:47 am

मोदी ने जी20 बैठक में कई देशों पर बढ़ते कर्ज के खतरे के प्रति किया आगाह

0-वैश्विक कर्ज के समाधान की जरूरत
नईदिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दुनिया के कई देशों पर असहनीय कर्ज के खतरे के प्रति आगाह किया जी20 राष्ट्रों के साथ ही बहुपक्षीय संस्थानों से इस समस्या का समाधान तलाशने का आह्वान किया।
जी20 राष्ट्रों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों (एफएमसीबीजी) की बैठक को वर्चुअल संबोधन में मोदी ने कहा, ‘कर्ज का भारी बोझ कई देशों की वित्तीय स्थिति के लिए खतरा बन गया है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में भरोसा घटा है और ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि उन्होंने खुद में सुधार लाने की रफ्तार काफी धीमी रखी है। अब वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता, विश्वास और विकास बहाल करने की जिम्मेदारी दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं और मौद्रिक प्रणालियों के संरक्षकों पर है।’
मोदी ने कहा, ‘दुनिया की आबादी 8 अरब के पार पहुंच गई है मगर सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति धीमी प्रतीत होती है। हमें जलवायु परिवर्तन और कर्ज के ऊंचे बोझ जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करना होगा, जिसके लिए सामूहिक रूप से काम करने की जरूरत है।’
एफएमसीबीजी बैठक की सह-अध्यक्ष वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी बैठक को संबोधित किया। दोनों ने वैश्विक कर्ज के बढ़ते बोझ का मसला उठाया और सीतारमण ने समस्या से निपटने के लिए बहुपक्षीय तालमेल पर जी20 देशों से विचार आमंत्रित किए।
एफएमसीबीजी को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अब भी महामारी के बाद के प्रभाव और भू-राजनीतिक तनाव से जूझ रही है, जो कई देशों की वित्तीय स्थिति के लिए खतरा बना हुआ है।
मोदी ने उम्मीद जताई कि जी20 के प्रतिभागी भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवंतता से प्रेरणा लेंगे। उन्होंने कहा, ‘भारतीय उपभोक्ता और उत्पादक भविष्य के प्रति आशावादी और आश्वस्त हैं। हम आशा करते हैं कि आप उसी सकारात्मक भावना का प्रसार वैश्विक अर्थव्यवस्था में करने में सक्षम होंगे।’
मोदी ने कहा, ‘मैं आग्रह करूंगा कि आपकी चर्चा दुनिया के सबसे कमजोर नागरिकों पर केंद्रित होनी चाहिए क्योंकि समावेशी एजेंडा बनाकर ही वैश्विक आर्थिक नेतृत्व दुनिया का भरोसा वापस हासिल कर पाएगा।’
मोदी ने जी20 सदस्यों से डिजिटल फाइनैंस में अस्थिरता और दुरुपयोग के संभावित जोखिम काबू में करने के लिए मानक विकसित करने और प्रौद्योगिकी की क्षमता का पता लगाकर उसका उपयोग करने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल भुगतान की अपनी व्यवस्था में अत्यधिक सुरक्षित, विश्वसनीय और कुशल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा विकसित किया है।
उन्होंने कहा, ‘हमारे डिजिटल भुगतान तंत्र को मुक्त सार्वजनिक वस्तु के तौर पर विकसित किया गया है। उदाहरण के लिए यूपीआई कई अन्य देशों के लिए भी मानक हो सकते हैं। हमें अपने अनुभव को दुनिया के साथ साझा करने में खुशी होगी और जी 20 इसका एक जरिया हो सकता है।’
सीतारमण ने सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों से कहा कि जी 20 संबंधित देश की जरूरत और हालात को ध्यान में रखते हुए सदस्य देशों की ताकत का लाभ उठाकर दुनिया भर में जीवन में बदल सकता है। यह नए विचारों का पोषण करने वाला और दुनिया के दक्षिणी हिस्से की आवाज सुनने का मंच बन सकता है।
इस बीच आरबीआई गवर्नर ने जी 20 देशों से वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष वित्तीय स्थिरिता के जोखिम और ऋण संकट जैसी चुनौतियों का दृढ़ता से समाधान करने का आह्वान किया।
दास ने कहा कि हाल के महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था की तस्वीर सुधरी है और उम्मीद जगी है कि दुनिया व्यापक मंदी में जाने से बच सकती है। अगर मंदी आती भी है तो इसका असर काफी कम होगा, लेकिन अनिश्चितता अब भी बनी हुई है।

जनवरी में क्रेडिट कार्ड से खर्च 1.27 लाख करोड़ रुपये
Posted Date : 26-Feb-2023 3:35:49 am

जनवरी में क्रेडिट कार्ड से खर्च 1.27 लाख करोड़ रुपये

0-लगातार 11वें माह खर्च 1 लाख करोड़ रुपये के पार
नईदिल्ली । क्रेडिट कार्ड से खर्च करने की रफ्तार जनवरी में भी बनी रही। लगातार 11वें महीने क्रेडिट कार्ड से व्यय 1 लाख करोड़ रुपये के पार चला गया है। ई-कॉमर्स में लेन-देन और यात्रा सहित विवेकाधीन व्यय बढऩे की वजह से ऐसा हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी में क्रेडिट कार्ड से व्यय 1.27 लाख करोड़ रुपये रहा है। यह दिसंबर के बहुत ज्यादा आधार के बावजूद अधिक है। दिसंबर में व्यय 1.26 लाख करोड़ रुपये था। वहीं पिछले साल जनवरी की तुलना में व्यय 45 प्रतिशत बढ़ा है।
क्रेडिट कार्ड से जनवरी में किए गए खर्च में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी ऑनलाइन व्यय पर 60 प्रतिशत है, जबकि शेष व्यय प्वाइंट आफ सेल (पीओएस) लेन-देन से हुआ है।
क्रेडिट कार्ड जारी करे वाले प्रमुख बैंकों आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक और एसबीआई कार्ड के व्यय में दिसंबर की तुलना में जनवरी में एक अंक की मामूली वृद्धि हुई है, जबकि सबसे ज्यादा क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक एचडीएफसी बैंक के कार्ड से व्यय में इस अवधि के दौरान खर्च में 1.29 प्रतिशत गिरावट आई है।
यात्रा और आतिथ्य पर व्यय बढ़ा है, जो कोविड के दौरान सुस्त था। इसकी वजह से क्रेडिट कार्ड से व्यय में बढ़ोतरी हुई है। दरअसल अक्टूबर 2022 में त्योहारों के व्यय के कारण क्रेडिट कार्ड से व्यय 1.29 लाख करोड़ रुपये के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था।
उधर जनवरी महीने में नए कार्डों की संख्या बढ़ी है, जो दिसंबर में सुस्त थी। बैंकिंग व्यवस्था में 12.6 लाख नए कार्ड जुड़े हैं, जिससे बाजार में कार्डों की संख्या 824.5 लाख हो गई है। दिसंबर में कार्डों की संख्या में शुद्ध बढ़ोतरी 5,80,555 रही है।

 

वैश्विक संकट से भारत में विदेशी निवेश घटा
Posted Date : 26-Feb-2023 3:35:17 am

वैश्विक संकट से भारत में विदेशी निवेश घटा

नईदिल्ली । रूस-यूक्रेन संघर्ष से उपजी उच्च महंगाई दर, मौद्रिक नीति में सख्ती और प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की स्थिति जैसी चुनौतियों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की आवक घटी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर तमाम वजहें हैं, जिसके कारण एफडीआई प्रवाह में मामूली कमी आई है। कोविड-19 के दौरान हमने देखा कि सॉफ्टवेयर सेक्टर में बहुत ज्यादा एफडीआई आया है और आवक को मजबूती मिली। अमेरिका ने एक साल के अंदर अपनी ब्याज दर 0.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.75 प्रतिशत कर दी। ब्रिटेन, नीदरलैंड, सिंगापुर में भी पिछले एक साल के दौरान ब्याज दरों में बढ़ोतरी हुई है। वेंचर कैपिटल फंड भी कम हो गया है।’
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब प्रत्यक्ष विदेशी इक्विटी निवेश में चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 3 महीने में 15 प्रतिशत की कमी आई है। कुल एफडीआई में गैर निगमित निकायों की इक्विटी पूंजी, पुनर्निवेश कमाई व अन्य पूंजी आती है, यह 55 अरब डॉलर रह गई है और इसमें एक साल पहले की समान अवधि के 60.4 अरब डॉलर की तुलना में 8 प्रतिशत की गिरावट आई है।
पिछले वित्त वर्ष के दौरान एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 1 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिसमें वित्त वर्ष 21 और वित्त वर्ष 20 में क्रमश: 19 प्रतिशत और 13 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी हुई थी।
अधिकारी के मुताबिक जहां तक 2022 कैलेंडर वर्ष का सवाल है, एफडीआई के प्रवाह में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
अगर आगे की स्थिति देखें तो उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की एफडीआई नीति, दी जा रही सुविधाओं और आंकड़ों से पता चलता है कि भारत आने वाले महीनों में ज्यादा विदेशी निवेश आकर्षित कर सकेगा।
बड़ी संख्या में प्रस्ताव कतार में हैं। वहीं अगले वित्त वर्ष में इस तरह के निवेश जमीनी स्तर पर नजर आने लगेंगे। विदेशी निवेश आकर्षित करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, औषधि और मेडिकल उपकरण क्षेत्र शामिल हैं।
इसके अलावा प्रधानमंत्री की प्रमुख उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना लागू की गई है, उन क्षेत्रों में भी निवेश में वृद्धि होगी। ऐसे क्षेत्रों में ड्रग्स ऐंड फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य प्रसंस्करण और मेडिकल उपकरण शामिल हैं।
बुधवार को डीपीआईआईटी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक सिंगापुर सबसे बड़ा निवेशक देश रहा है, जहां से अप्रैल-दिसंबर के दौरान 13.07 अरब डॉलर इक्विटी पूंजी आई है। इसके बाद अमेरिका से 4.95 अरब डॉलर, मॉरीशस से 4.73 अरब डॉलर, संयुक्त अरब अमीरात से 3.1 अरब डॉलर, नीदरलैंड से 2.16 अरब डॉलर, ब्रिटेन से 1.61 अरब डॉलर, जापान से 1.43 अरब डॉलर, साइप्रस से 1.15 अरब डॉलर, केमन आइलैंड से 62.4 करोड़ डॉलर और जर्मनी से 35 करोड़ डॉलर आए हैं। भारत में एफडीआई इक्विटी प्रवाह वाले ये शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के विनिर्माण क्षेत्र में सबसे ज्यादा 8.07 अरब डॉलर आया है। इसके बाद सेवा क्षेत्र में 6.56 अरब डॉलर आया है, जिसमें वित्तीय, बैंकिंग, बीमा और आउटसोर्सिंग के साथ अन्य क्षेत्र शामिल हैं। दूरसंचार और ट्रेडिंग सेक्टर में क्रमश: 5.33 अरब डॉलर और 4.14 अरब डॉलर आए हैं।
एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा कि 60 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 5 सेक्टरों कंप्यूटर हार्डवेयर, सेवा, ट्रेडिंग, कंस्ट्रक्शन और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में आया है।
अधिकारी ने कहा, ‘इनमें से कई सेक्टर जैसे ऑटोमोबाइल और आईटी हार्डवेयर क्षेत्र सेमीकंडक्टर संकट की वजह से प्रभावित हुए हैं।’

 

एमएफ के लिए छोटे शहरों से जुड़े प्रोत्साहन खत्म करेगा सेबी
Posted Date : 26-Feb-2023 3:34:05 am

एमएफ के लिए छोटे शहरों से जुड़े प्रोत्साहन खत्म करेगा सेबी

नईदिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड फंड कंपनियों को छोटे शहरों से परिसंपत्तियां जुटाने के लिए मिलने वाले अतिरिक्त प्रोत्साहन को खत्म कर सकता है।
म्युचुअल फंड उद्योग में इन छोटे केंद्रों को बी30 के नाम से भी जाना जाता है। अभी फंड कंपनियां बी30 केंद्रों से परिसंपत्तियां जुटाने के लिए कुल एक्सपेंस रेश्यो (परिसंपत्ति प्रबंधन के खर्च की दर) से 30 आधार अंक अधिक वसूल सकती हैं।
सूत्रों ने कहा कि नियामक बी30 प्रोत्साहन खत्म करने की योजना बना रहा है और नए निवेशकों को जोडऩे के लिए वितरकों को (चाहे वे किसी भी शहर में हों) एकबारगी शुल्क लेने की अनुमति दे सकता है। मगर यह एकबारगी शुल्क कुल एक्सपेंस रेश्यो का हिस्सा होगा। इससे फंड कंपनियों के पास वितरकों को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने की गुंजाइश कम हो जाएगी।
बी-30 प्रोत्साहन इसलिए शुरू किया गया था ताकि बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों में भी म्युचुअल फंड फैल सकें। मगर कहा जा रहा है कि वितरक अधिक आय अर्जित करने के लिए मौजूदा व्यवस्था का दुरुपयोग करते हैं। इसीलिए सेबी यह कदम उठा सकता है। इस प्रोत्साहन का भुगतान निवेश के पहले साल ही किया जाता है मगर कुछ वितरक हर साल निवेशक के पैसे एक फंड से दूसरे में भेज देते हैं ताकि उन्हें हर बार प्रोत्साहन राशि मिलती रहे।
सूत्रों ने कहा कि नियामक ने म्युचुअल फंडों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क और एक्सपेंस रेश्यो का पूरा अध्ययन किया है और इस मसले पर म्युचुअल फंड परामर्श समिति के साथ चर्चा की है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड इन इंडिया (एम्फी) तथा फंड कंपनियों से इस पर राय मांगी गई है।
कुल एक्सपेंस रेश्यो का मतलब संबंधित योजना के प्रबंधन में फंड कंपनी द्वारा किया गया खर्च है। नियामक ने कुल एक्सपेंस रेश्यो की अधिकतम सीमा तय कर दी है। सक्रिय इक्विटी फंड योजना के तहत प्रबंधनाधीन प्रबंधन का अधिकतम 2.25 फीसदी एक्सपेंस रेश्यो वसूला जा सकता है। डेट योजना में अधिकतम 2 फीसदी वसूलने की अनुमति है।
इस समय बी-30 केंद्रों से निवेशकों को जोडऩे के लिए फंड कंपनियां कुल एक्सपेंस रेश्यो से 30 आधार अंक ज्यादा वसूल सकती हैं। इसके अलावा म्युचुअल फंडों द्वारा प्रतिभूतियों को खरीदे और बेचे जाने पर भी कुछ खर्च होता है।
कुल एक्सपेंस रेश्यो से इतर कोष प्रबंधन पर 18 फीसदी जीएसटी भी वसूला जाता है। सेबी इन सभी खर्चों को कुल एक्सपेंस रेश्यो के दायरे में लाने की संभावना तलाश रहा है।
बाजार के भागीदारों ने कहा कि कई योजनाओं में सेबी द्वारा स्वीकृत सीमा से कम एक्सपेंस रेश्यो वसूला जाता है। यदि जीएसटी तथा अन्य खर्चों को कुल एक्सपेंस रेश्यो में शामिल किया जाता है तो फंड कंपनियों को यह अनुपात बढ़ाना पड़ सकता है।
सेबी कई वर्षों से म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए निवेश की लागत कम करने का प्रयास कर रहा है। पिछली बार नियामक ने कुल एक्सपेंस रेश्यो घटाने की घोषणा की थी और अधिकतर एएमसी ने इस कटौती का भार वितरकों पर डालकर अपना मार्जिन बचाया था।
अक्टूबर 2018 में सेबी ने दो बदलाव किए थे- पहला कुल एक्सपेंस रेश्यो कम करना और दूसरा वितरकों को दिए जाने वाले अग्रिम कमीशन पर रोक लगाना।
कुल एक्सपेंस रेश्यो में कटौती का भार वितरकों पर डाले जाने से उद्योग में वितरकों की संख्या कम हो गई थी। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020 में नए वितरकों के पंजीकरण में 2019 के मुकाबले 51 फीसदी कमी आई थी। वित्त वर्ष 2021 में भी इनमें 35 फीसदी कमी आई।

 

सीतारमण ने जी-20 वित्त मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं
Posted Date : 25-Feb-2023 4:25:48 am

सीतारमण ने जी-20 वित्त मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं

बेंगलुरु  ।  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज जी 20 बैठक से पहले अमेरिका और जापान सहित अन्य देशों के वित्त मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं।
इस दौरान उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए वैश्विक ढांचा बनाने, वैश्विक ऋण जोखिमों से निपटने के उपायों और बहुपक्षीय विकास बैंक को मजबूत बनाने जैसे मुद्दों पर चर्चा की। जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक यहां कल से शुरू होगी। जी20 विकसित और विकासशील देशों का एक समूह है। श्रीमती सीतारमण इस दो दिवसीय बैठक में भाग लेने के लिए यहां आई हैं। उन्होंने अब तक अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन, जापान के वित्त मंत्री शुनिची सुजुकी और इटली के वित्त मंत्री जियानकार्लो जियोरगेट्टी के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें की हैं। उनकी ऐसी 10 से अधिक बैठकें हुयी है।
वित्त मंत्री ने सुश्री येलन के साथ अपनी बैठक में क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने और बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करने जैसे मुद्दों पर चर्चा की। वित्त मंत्रालय ने बैठक के बाद ट्वीट किया, दोनों नेताओं ने 2023 में जी20 की भारत की अध्यक्षता के तहत वित्तीय प्राथमिकताओं पर विचार विमर्श किया। उन्होंने बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करने, वैश्विक ऋण की कमजोरियों, क्रिप्टोसंपत्तियों को विनियमित करने और स्वास्थ्य को मजबूत करने के अलावा ‘जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप’ (जेईटीपी) पर चर्चा की।
एक अलग ट्वीट में मंत्रालय ने कहा कि श्रीमती सीतारमण ने अपनी जापानी समकक्ष के साथ ‘जी20 वित्त ट्रैक 2023’ के तहत प्राथमिकताओं पर चर्चा की। मंत्रालय ने कहा कि इटली के वित्त मंत्री ने बैठक के दौरान 2023 में भारत की सफल अध्यक्षता के लिए अपना पूरा समर्थन देने की बात कही।
मंत्रालय के अनुसार श्रीमती सीतारमण ने नेपाल के उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री विष्णु प्रसाद पौडेल, ब्रिटेन के वित्त मंत्री जेरेमी हंट, यूरोपीय आयोग के आयुक्त पाओलो गेंटिलोनी, बैंक फार इंटरनेशनल सेटेलमेंट के महा प्रबंधक ऑस्टिन कास्टेंस, इंडोनेशिया की वित्त मंत्री श्रीमुलयानी इंद्रावती, स्पेन की उप राष्ट्रपति एवं आर्थिक मामलों व डिजिटल ट्रांसफोर्मेंसन मंत्री नाडिया काल्विनो, अर्जेंटिना के आर्थिक मामलों के मंत्री ला सेरगिओ टाम्स के साथ द्विपक्षीय बैंठकें भी की है।

 

खनिज उत्पादन दिसंबर में 10 प्रतिशत बढ़ा
Posted Date : 20-Feb-2023 5:31:01 am

खनिज उत्पादन दिसंबर में 10 प्रतिशत बढ़ा

नयी दिल्ली । देश में खनिजों के उत्पादन में दिसंबर, 2022 में एक साल आधार पर 9.8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी तथा चालू वित्त वर्ष 2022-23 में अप्रैल-दिसंबर की अवधि में खनिज उत्पादन इससे पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 5.4 प्रतिशत ऊंचा रहा।
भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) की ओर से शनिवार को जारी अनंतिम आंकड़ों में कहा गया है कि खनन और उत्खनन क्षेत्र के खनिज उत्पादन का सूचकांक (आधार: 2011-12=100) दिसंबर 2022 में के लिए 107.4 अंकों पर रहा, जो कि दिसंबर, 2021 के स्तर की तुलना में 9.8 प्रतिशत अधिक है।
दिसंबर, 2022 में कोयला 833 लाख टन, लिग्नाइट 35 लाख टन, प्राकृतिक गैस (उपयुक्त) 288.8 करोड़ घन मीटर, पेट्रोलियम (कच्चा) 25 लाख टन, बॉक्साइट 2272 हजार टन, क्रोमाइट 340 हजार टन, तांबा सान्द्र 10 हजार टन, सोना 174 किलोग्राम, लौह अयस्क 251 लाख टन, सीसा सांद्र 30 हजार टन, मैंगनीज अयस्क 307 हजार टन, जस्ता सांद्र 137 हजार टन, चूना पत्थर 355 लाख टन, फास्फोराइट 170 हजार टन, मैग्नेसाइट नौ हजार टन और हीरा उत्पादन 43 कैरेट रहा।
आंकड़ों के अनुसार दिसंबर, 21 की तुलना में दिसंबर, 22 के दौरान के दौरान सोना (64.2 प्रतिशत), फॉस्फोराइट (53.9 प्रतिशत), लौह अयस्क (19.5 प्रतिशत), चूना पत्थर (14.5), मैंगनीज अयस्क (12.8 प्रतिशत), कोयला (11.4 प्रतिशत), जस्ता सान्द्र (9.4 प्रतिशत), सीसा सान्द्र (4.5 प्रतिशत), तांबा सान्द्र (3.9 प्रतिशत) और प्राकृतिक गैस (2.6 प्रतिशत) का उत्पादन बढ़ा। इसके विपरीत पेट्रोलियम के उत्पादन में 1.2 प्रतिशत, बॉक्साइट (9 प्रतिशत), लिग्नाइट (10.7), क्रोमाइट (11.5 प्रतिशत), मैग्नेसाइट (22.5 प्रतिशत) और हीरा के उत्पादन में (38.6 प्रतिशत) प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी।