नईदिल्ली । भारत की अर्थव्यवस्था में चीन की अर्थव्यवस्था की तुलना में लगातार दूसरे वर्ष तेज गति से वृद्धि हो रही है। इस वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की 7 फीसदी वृद्धि दर होने का अनुमान जताया गया है जबकि चीन की अर्थव्यवस्था के महज 3 फीसदी वृद्धि हासिल करने का अनुमान है।
इसी प्रकार गत वर्ष भारत की 9.1 फीसदी की वृद्धि दर चीन की 8.1 फीसदी की वृद्धि दर से अधिक थी। इससे भी पहले की बात करें तो कोविड महामारी के आगमन के किसी भी संकेत से पांच वर्ष पहले यानी 2014-18 के दौरान भारत की औसत वृद्धि दर 7.4 फीसदी थी जबकि चीन की वृद्धि दर केवल 7 फीसदी थी।
वहीं से भारत के सबसे तेज गति से विकसित होती बड़ी अर्थव्यवस्था की बात शुरू हुई। इसके साथ ही चीन की कुछ दशकों की तेज विकास यात्रा पर पहली बार विराम लगा।
परंतु जैसा कि इन आंकड़ों के साथ अक्सर होता है, अगर आप अध्ययन के लिए चयनित समय में बदलाव करें तो यह कहानी बदल सकती है। पिछले पैराग्राफ में जो तस्वीर पेश की गई है उसमें वर्ष 2019 और 2020 नदारद हैं। इन दोनों वर्षों में चीन का प्रदर्शन भारत से बेहतर रहा।
दोनों सालों के दौरान चीन का प्रदर्शन भारत से इतना अधिक बेहतर रहा कि दीर्घावधि के वृद्धि के औसत में भी वह भारत से बेहतर हो गया। 2019 में चीन ने 6 फीसदी की दर से वृद्धि हासिल की जबकि भारत की वृद्धि दर 3.9 फीसदी रही।
कोविड के पहले वर्ष में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 5.8 फीसदी घटा और वृद्धि दर में 2.2 फीसदी की गिरावट आई। 2014 से 2022 तक की नौ वर्ष की अवधि को मिलाकर देखें तो चीन की औसत वृद्धि 6 फीसदी से अधिक रही जबकि भारत बमुश्किल 5.7 फीसदी की दर से वृद्धि हासिल कर सका। अगर कोविड के पहले के वर्ष से लेकर बीते चार वर्षों पर ही नजर डाली जाए चीन ने भारत को पीछे छोड़ दिया।
दुनिया की सबसे तेज गति से विकसित होती बड़ी अर्थव्यवस्था का आकलन करने की कोशिश में परिणाम एक तरह से अनिश्चित नजर आते हैं। ऐसे में भविष्य के संभावित परिदृश्य को लेकर सतर्क रहना ही चाहिए। अभी हाल तक अधिकांश पूर्वानुमान लगाने वाले कह रहे थे कि 2023-24 में भारत का प्रदर्शन चीन की तुलना में काफी बेहतर रहेगा।
उदाहरण के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि चीन की वृद्धि दर 4.4 फीसदी जबकि भारत की वृद्धि दर 6.1 फीसदी रहेगी। परंतु हालिया सप्ताहों में इस परिदृश्य में बदलाव आया है क्योंकि चीन में कुछ नाटकीय बदलाव आए हैं। उसने कोविड शून्य की नीति त्याग दी है और अब पहले जैसी बंदी और उथलपुथल के हालात नहीं हैं।
इसके परिणामस्वरूप एक के बाद एक अनुमान जताने वालों ने 2023 में चीन की संभावित वृद्धि के आंकड़ों में सुधार किया। अधिकांश ने चीन की संभावित वृद्धि को 5.5 फीसदी के आसपास बताया है जबकि अधिक आशावादी लोगों ने वृद्धि दर को इससे कुछ अधिक बताया है।
यह दर 6 से 6.8 फीसदी की उस संभावित वृद्धि दर से कम है जिसे एक माह पहले भारत की आर्थिक समीक्षा में उल्लिखित किया गया है। मध्यम स्तर पर इसे 6.5 फीसदी बताया गया है। सवाल यह है कि क्या अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर केवल 4.4 फीसदी रह जाने के बाद क्या भारत के आंकड़े और खराब होंगे। संभव है दोनों देश इस होड़ में बराबरी पर रहें।
सरकार की दलील है कि ताजा तिमाही के आंकड़े इसलिए कमजोर हैं क्योंकि पिछले तीन वर्षों के वृद्धि के आंकड़ों में संशोधन करके उन्हें सुधारा गया है। शायद, लेकिन जनवरी-मार्च तिमाही के लिए अनुमान 5.1 फीसदी से अधिक नहीं हैं। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भी स्पष्टता के साथ स्वीकार किया है कि फिलहाल गिरावट की आशंका अधिक है।
संशोधित परिदृश्य की बात करें तो फरवरी का वस्तु एवं सेवा कर संग्रह भी उसे दर्शाता है। 1.49 लाख करोड़ रुपये के साथ यह दर्शाता है कि हाल के महीनों में बहुत कम या न के बराबर वृद्धि हुई है।
दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसी वृद्धि के कोई संकेत नहीं हैं जो अर्थव्यवस्था को 5 फीसदी से 6 फीसदी या उससे अधिक के दायरे में ले जाए। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अल्पावधि का परिदृश्य चीन से बहुत अलग नहीं दिख रहा।
यह दलील दी जा सकती है कि भारत चीन की तरह मुश्किल में नहीं है। यहां न तो आबादी घट रही है और न ही अचल संपत्ति, विनिर्माण या वित्त की कोई समस्या है। परंतु भारत के व्यापार और राजकोष में असंतुलन है।
हम सरकार के पूंजीगत व्यय पर बहुत अधिक निर्भर हैं। संदेश एकदम साफ है: यदि भारत और चीन के बीच वृद्धि को लेकर होड़ है तो अब तक दोनों में से कोई विजेता नहीं है।
मुंबई । आईसीआईसीआई बैंक ने कैपिटल मार्केट के पार्टिसिपेंट और कस्टडी सर्विस के ग्राहकों के लिए डिजिटल समाधानों की एक शृंखला शुरू करने की घोषणा की। ये समाधान स्टॉक ब्रोकर्स, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) प्रदाताओं, फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर (एफपीआई), फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टर (एफडीआई) और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंडों (एआईएफ) सहित क्षेत्र के विभिन्न प्रतिभागियों को उनकी सभी बैंकिंग आवश्यकताओं को निर्बाध रूप से पूरा करने में सक्षम बनाते हैं। बैंक ने इन समाधानों को भारतीय पूंजी बाजार के सभी प्रतिभागियों को शीघ्र ऑनबोर्डिंग और सुविधा प्रदान करने के लिए लॉन्च किया है, इनमें पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
नया लॉन्च किया गया 3-इन-1 अकाउंट स्टॉक ब्रोकरों के ग्राहकों को देश भर में कहीं से भी कुछ घंटों में डिजिटल रूप से ऑनलाइन ट्रेडिंग, डीमैट और बचत खाता खोलने में सक्षम बनाता है। यह सुविधा स्टॉक ब्रोकरों को एपीआई के माध्यम से अपने ट्रेडिंग और डिपॉजिटरी सिस्टम को बैंक के साथ इंटीग्रेट करने का अधिकार देती है, जिससे उन्हें निवेशक फंड की उपलब्धता पर वास्तविक समय की जानकारी का लाभ मिलता है।
बैंक ने पीएमएस सेवाओं के प्रदाताओं को एक ही कार्य दिवस में डिजिटल रूप से बचत खाता और डीमैट खाता खोलने में सक्षम बनाया है, जिससे ऑनबोर्डिंग और एक्टिवेशन समय में काफी कमी आई है।
इसके अतिरिक्त, बैंक ने दुनिया भर के किसी भी देश से एफपीआई/एफडीआई के ऑनबोर्डिंग और पंजीकरण के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। प्लेटफॉर्म एफपीआई/एफडीआई को पूर्व-सत्यापन के लिए दस्तावेजों और सूचनाओं को निर्बाध रूप से अपलोड करने में मदद करता है, जिससे पंजीकरण और ऑनबोर्डिंग का समय कुछ दिनों तक कम हो जाता है।
आईसीआईसीआई बैंक के लार्ज क्लाइंट्स ग्रुप हेड श्री सुमित संघई ने इस अवसर पर कहा, पिछले कुछ वर्षों में भारतीय पूंजी बाजार में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है, जिसका अंदाजा डीमैट खातों की संख्या में वृद्धि, म्युचुअल फंड उद्योग एयूएम में वृद्धि और देश में पूंजी प्रवाह में वृद्धि से लगाया जा सकता है। पिछले पांच वर्षों में सूचीबद्ध भारतीय कॉरपोरेट्स का बाजार पूंजीकरण 148 ट्रिलियन रुपए से बढक़र 257 ट्रिलियन रुपए हो गया है। हमारा मानना है कि बाजार में मजबूत विकास जारी रहेगा और 2025 तक 5 ट्रिलियन यूएस डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की यात्रा को गति प्रदान करेगा। बैंक द्वारा शुरू किए गए समाधानों का डिजिटल सेट कैपिटल मार्केट के पार्टिसिपेट और कस्टडी सर्विस के ग्राहकों की नियामकीय आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा। यह खासतौर पर मैन्युअल प्रक्रियाओं को कम करता है, जिससे बिजनेस में उनकी संचालन क्षमता और मापनीयता में सुधार होता है।
0-ओला फाइनैंसियल और ओबोपे मोबाइल पर भी कार्रवाई
नईदिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक ने एमेजॉन पे (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड पर 3.06 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स मानकों और अपने ग्राहक को जानें मानकों के कुछ प्रावधानों का अनुपालन न करने की वजह से लगाया गया है।
इसके अलावा ओला फाइनैंसियल सर्विसेज, ओबोपे मोबाइल टेक्नोलॉजिज और मणप्पुरम फाइनैंसियल सर्विसेज पर भी इन्हीं मानकों का पालन न करने के कारण जुर्माना लगाया गया है। ओबोपे पर 5.93 करोड़ रुपये, ओला फाइनैंसियल सर्विसेज पर 1.67 करोड़ रुपये और मणप्पुरम फाइनैंस लिमिटेड पर 17.63 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है।
एक बयान में केंद्रीय बैंक ने कहा है, ‘ऐसा पाया गया कि इकाई (एमेजॉन पे) रिजर्व बैंक द्वारा जारी केवाईसी की जरूरतों संबंधी दिशानिर्देश का अनुपालन नहीं कर रही है। इसी को देखते हुए इकाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया कि दिशानिर्देशों का पालन न करने पर क्यों न जुर्माना लगा दिया जाए।’
केंद्रीय बैंक ने कहा कि इकाई द्वारा दिए गए जवाब पर विचार करने के बाद पाया गया कि इकाई पर मौद्रिक दंड लगाने की पर्याप्त वजह है।
रिजर्व बैंक के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एमेजॉन पे के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम नियामकीय दिशानिर्देशों के मुताबिक कामकाज करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं और अनुपालन के उच्च मानकों का पालन करते हैं। हम अपने ग्राहकों की जरूरतों के मुताबिक नवाचार करते हैं, जिससे उन्हें सुरक्षित और सुविधाजनक भुगतान का अनुभव मिल सके। हम प्राधिकारियों के साथ मिलकर काम जारी रखेंगे और अपनी प्रतिबद्धताएं उनसे साझा करेंगे।’
उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक एमेजॉन पे सहित फिनटेक कारोबारियों को रिजर्व बैंक ने 2017 में कहा था डोर टु डोर जाकर फिजिकल केवाईसी लेने की जगह वीडियो केवाईसी को सामान्य बनाया जाना चाहिए। उनसे यह भी कहा गया था कि किसी थर्ड पार्टी से केवाईसी कराने की जगह फिनटेक कारोबारियों द्वारा वीडिओ केवाईसी किया जाना चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक एमेजॉन पे ने तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा दिया और वीडियो केवाईसी करना शुरू कर दिया और अभी उसके सभी केवाईसी वीडियो आधारित हैं। बहरहाल शुरुआती चरण में वीडियो केवाईसी अपनाने में तमाम फिनटेक को वक्त लग रहा है।
नईदिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने शुक्रवार को एचडीएफसी प्रॉपर्टी वेंचर्स और एचडीएफसी वेंचर कैपिटल के एचडीएफसी कैपिटल एडवाइजर्स के साथ विलय को मंजूरी दे दी। इन दो सहायक कंपनियों के विलय से पैरेंट कंपनी एचडीएफसी के साथ एचडीएफसी बैंक के विलय की प्रकिया एक कदम और करीब आ गई है।
हालांकि ट्रिब्यूनल को अभी तक अपनी दो बीमा शाखाओं और परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी के विलय की मंजूरी नहीं मिली है, साथ ही 40 बिलियन अमरीकी डॉलर के रिवर्स मर्जर के हिस्से के रूप में बैंक में पेटेंट भी है।
एचडीएफसी ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि हृष्टरुञ्ज ने अपने फाइनल ऑर्डर में एचडीएफसी प्रॉपर्टी वेंचर्स और एचडीएफसी वेंचर कैपिटल के एचडीएफसी कैपिटल एडवाइजर्स में विलय की एक समग्र योजना को मंजूरी दे दी है। इस विलय के परिणामस्वरूप समूह की संरचना और कुशल प्रशासन का सरलीकरण, सुव्यवस्थित और अनुकूलन होगा।
इस सप्ताह की शुरुआत में ट्रिब्यूनल ने एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के मर्जर की मंजूरी के लिए ऑर्डर सुरक्षित रख लिया था, क्योंकि पक्षों ने प्रक्रिया के लिए 180 दिन और मांगे थे।
एचडीएफसी को पहले ही सेबी, एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के शेयरधारकों, पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त हो चुका है।
यह मंजूरी एचडीएफसी बैंक में एचडीएफसी के विलय का मार्ग प्रशस्त करने में मदद करेगी, जिसके अगले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही तक तय होने की उम्मीद है। प्रस्तावित इकाई के पास लगभग 18 लाख करोड़ रुपये का संयुक्त संपत्ति आधार होगा।
एक बार सौदा प्रभावी होने के बाद, एचडीएफसी बैंक में सार्वजनिक शेयरधारकों का स्वामित्व 100 फीसदी होगा और एचडीएफसी के मौजूदा शेयरधारक बैंक के 41 फीसदी के मालिक होंगे। एचडीएफसी के प्रत्येक शेयरधारक को अपने प्रत्येक 25 शेयरों के बदले एचडीएफसी बैंक के 42 शेयर मिलेंगे।
नयी दिल्ली । केंद्र सरकार के अग्रणी पनबिजली उपक्रम एनएचपीसी ने सरकार को 997.75 करोड़ रुपए के अंतरिम लाभांश का भुगतान किया।
‘मिनी रत्न’ श्रेणी-एक वर्ग की इस कंपनी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर के विश्नोई ने यहां केंद्रीय विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह को 997.75 करोड़ रुपए के अंतरिम लाभांश भुगतान का बैंक एडवाइस सौंपा। इस अवसर पर विद्युत सचिव आलोक कुमार, मंत्रालय में विशेष सचिव एवं वित्तीय सलाहकार आशीष उपाध्याय तथा मंत्रालय तथा कंपनी के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
एनएचपीसी चालू वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अंतिम लाभांश के रूप में 356.34 करोड़ रुपए का भुगतान पहले ही कर चुकी है। इस प्रकार कंपनी ने 2022-23 के दौरान सरकार को कुल 1354.09 करोड़ रुपए के लाभांश का भुगतान किया है।
कंपनी के निदेशक मंडल ने सात फरवरी की बैठक में 1.40 रुपए प्रति इच्टिी शेयर अर्थात अंकित मूल्य के 14.00 प्रतिशत की दर से अंतरिम लाभांश घोषित किया था।
एनएचपीसी के पास आठ लाख से अधिक शेयरधारक हैं और वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए कुल अंतरिम लाभांश का भुगतान 1406.30 करोड़ रुपए रहा है। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 1818.15 करोड़ रुपये के कुल खर्च के साथ प्रति शेयर 1.81 रुपए के कुल लाभांश का भुगतान किया गया था।
एनएचपीसी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के समाप्त नौ माह में 3264.32 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया है जबकि पिछले वर्ष की इस अवधि में यह 2977.62 करोड़ रुपए था। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में 3537.71 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया था।
नयी दिल्ली । हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने कम उत्सर्जन वाला प्रीमियम पेट्रोल ‘पावर95’ राजधानी में पेश किया है।
एचपीसीएल के विपणन निदेशक अमित गर्ग ने राजधानी में एक पेट्रो पंप पर आयोजित समारोह में बताया कि ‘पावर95’ पर्यावरण के लिए सुरिक्षत और इंजन के अनुकूल ईंधन का एक नमूना है। इसकी शुरुआत गुरावार को दिल्ली में एक साथ छह पेट्रोल पंप से की गयी है। इस अवसर पर कंपनी के कार्यकारी निदेशक (रिटेल) संदीप माहेश्वरी भी उपस्थित थे।
कंपनी ने कहा है कि ‘पावर95’ बेहतर माइलेज, तेज़ एक्सलरेशन, स्मूथ ड्राइव और कम उत्सर्जन के साथ ‘पावर95’ एक बेहतर पेट्रोल सिद्ध होगा।
इसके साथ ही ‘पावर95’ को शिमला, जम्मू, बठिंडा, जालंधर, चंडीगढ़, पानीपत, हिसार और गुरुग्राम के क्षेत्रीय कार्यालयों में अर्थात पूरे उत्तरी क्षेत्र में पेश किया जा रहा है।
सामान्य पेट्रोल की रेटिंग 91 ऑक्टेन पर की जाती है। उच्च ऑक्टेन ईंधन में नॉकिंग कम होती है, जिसके परिणामस्वरूप ताप क्षमता बढ़ जाती है और ईंधन बेहतर और स्वच्छता से जलती है। एचपीसीएल के शोध विकास केन्द्र बेंगलुरु ने खुद ‘पावर95’ को विकसित किया है जो कार और बाइक के लिए एक प्रीमियम, उच्च-ऑक्टेन ईंधन है।