नई दिल्ली । उपभोक्ता कार्य विभाग ने अरहर दाल के भंडार की निगरानी के लिए विभाग में अपर सचिव निधि खरे की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है।
सरकार ने कहा है कि वह घरेलू बाजार में अन्य दालों के भंडार की स्थिति पर भी बहुत बारीकी से नजर रख रही है ताकि वर्ष के आगामी महीनों के दौरान दालों के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि होने की स्थिति में तत्काल आवश्यक कदम उठाए जा सकें। उपभोक्ता कार्य विभाग की सोमवार को जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए कहा गया, यह समिति राज्य सरकारों के साथ मिलकर निकट समन्वय में आयातकों, मिल मालिकों, जमाकर्ताओं, व्यापारियों आदि जैसी संस्थाओं द्वारा जमा किए गए अरहर दाल के भंडार की निगरानी करेगी।
सरकार को ऐसी खबरें मिली थीं कि कुछ तत्व दाल की कीमतों में कृत्रिम तेजी पैदा करने के लिए बाजार में माल की कमी की स्थिति पैदा करने में लगे हुए हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है, समुचित मात्रा में दलहन आयात की लगातार आवक होने के बावजूद बाजार के भंडार संघों द्वारा स्टॉक जारी नहीं किये जाने की खबरों की वजह से यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है।
विभाग ने कहा कि यह ताजा निर्णय बाजार में जमाखोरों और बेईमान सट्टेबाजों से निपटने तथा आने वाले महीनों में अरहर दाल की कीमतों को नियंत्रण में रखने के सरकार के दृढ़ संकल्प को भी प्रकट करता है।
सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत तुअर दाल की उपलब्धता के संबंध में भंडार को प्रदर्शित करने की व्यवस्था को लागू करने के उद्देश्य से गत 12 अगस्त को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी किया था। सरकार ने एक और पहल करते हुए गैर-अल्पविकसित (गैर एलडीसी) देशों से अरहर दाल आयात के लिए लागू 10 प्रतिशत शुल्क को हटा दिया है।
लखनऊ । अकासा एयर ने लखनऊ से गोवा और अहमदाबाद के लिए सीधी उड़ानें शुरू की हैं। चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (सीसीएसआईए) के एक प्रवक्ता के अनुसार, अब लखनऊ से औसत दैनिक उड़ानों की संख्या बढक़र 128 हो जाएंगी। प्रवक्ता ने कहा, अकासा एयर के साथ, हम लखनऊ से 24 वें घरेलू गंतव्य के रूप में नए गोवा मनोहर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को जोडक़र प्रसन्न हैं। इसके साथ ही हमारे पास लखनऊ को गोवा से जोडऩे वाली तीन एयरलाइंस हैं, अन्य दो एयरलाइंस एयर एशिया और इंडिगो हैं। अकासा एयर भी एक लॉन्च कर रही है। लखनऊ को अहमदाबाद से जोडऩे वाली नई उड़ान, हवाई अड्डे से उनकी साप्ताहिक प्रस्थान संख्या 35 तक है। अहमदाबाद के लिए उड़ान भरने वाली दूसरी एयरलाइन इंडिगो है।
लखनऊ एयरपोर्ट से गोवा के लिए रोजाना नॉन-स्टॉप फ्लाइट दोपहर 2.15 बजे और अहमदाबाद से रात 9 बजे रवाना होगी। हाल के दिनों में, लखनऊ हवाई अड्डे ने यूपी-राज्य की राजधानी से परिचालन शुरू करने के लिए तीन एयरलाइनों – एयर एशिया इंडिया, अकासा एयर और थाई एयर एशिया को जोडऩे में सफलता प्राप्त की है। लखनऊ हवाई अड्डे के माध्यम से प्रतिदिन 18 हजार से अधिक यात्री 128 से अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में यात्रा करते हैं।
2023 के पहले दो महीनों में सीसीएसआईए ने लगभग 1.04 मिलियन यात्रियों की आवाजाही दर्ज की। सीसीएसआईए ने लगभग 136,880 अंतर्राष्ट्रीय और लगभग 9.03 लाख घरेलू यात्रियों के साथ पहले दो महीने उपयोगी देखे।
नई दिल्ली । अप्रैल का महीना नए वित्त वर्ष का आगाज होता है। ऐसे में आपको बैंकों में कई काम पड़ते होंगे। वहीं आपके लिए ये जान लेना जरूरी है कि अप्रैल महीने में 15 दिन बैंक बंद रहने वाले हैं।
बताते चलें कि 15 दिन की छुट्टियों में अप्रैल में पडऩे वाले अहम दिन, जयंती, त्योहारों और शनिवार एवं रविवार की छुट्टियां भी शामिल हैं। जानें किस दिन कौन सी छुट्टी पडऩे वाली है।
भारतीय रिजर्व बैंक हर महीने के हिसाब से बैंक हॉलिडे की लिस्ट जारी करता है। इसमें अलग-अलग राज्यों के हिसाब से अलग-अलग दिन बैंक बंद रहने की सूचना दी जाती है।
1 अप्रैल: 31 मार्च 2023 को देर रात तक बैंकों में काम होने की वजह से 1 अप्रैल को देश के अधिकतर हिस्सों में बैंक बंद रहते हैं। आइजोल, चंडीगढ़, शिमला और शिलांग को छोडक़र पूरे देश में 1 अप्रैल को बैंक बंद रहेंगे।
2 अप्रैल: इस दिन रविवार की वजह से बैंकों की छुट्टी रहेगी।
4 अप्रैल: इस दिन महावीर जयंती है। इसके चलते गुजरात, मिजोरम, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, चंडीगढ़, तमिलनाडु, राजस्थान, नई दिल्ली, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बैंक की छुट्टी रहेगी।
5 अप्रैल: इस दिन बाबू जगजीवन राम की जयंती है और हैदराबाद में बैंक बंद रहेंगे।
7 अप्रैल: इस दिन गुड फ्राइडे है। देश में त्रिपुरा, गुजरात, असम, राजस्थान, जम्मू, हिमाचल प्रदेश और श्रीनगर जैसी जगहों छोडक़र बाकी राज्यों में बैंक इस दिन बंद रहेंगे।
8 अप्रैल: इस दिन महीने के दूसरे शनिवार की छुट्टी है।
9 अप्रैल: इस दिन बैंकों में रविवार का अवकाश रहेगा।
14 अप्रैल: इस दिन डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती है। वहीं अलग-अलग राज्यों में बोहाग बीहू, वैसाखी, बिसबुआ संक्रांति इत्यादि त्यौहार मनाया जाना है। इसलिए देश के अधिकतर राज्यों में इस दिन बैंक बंद रहेंगे।
15 अप्रैल: इस दिन भी कई राज्यों में नया साल मनाया जाएगा। वहीं हिमाचल डे भी है। इसलिए त्रिपुरा, असम, केरल, बंगाल और हिमाचल प्रदेश में बैंक बंद रहेंगे।
16 अप्रैल: इस दिन बैंक में रविवार की छुट्टी है।
18 अप्रैल: इस दिन शब-ए-कदर है. इसके चलते जम्मू-कश्मीर में बैंक इस दिन बंद रहेंगे।
21 अप्रैल: इस दिन रमजान ईद पड़ सकती है। वहीं जुमात-उल-विदा भी पडऩे वाला है। इसलिए त्रिपुरा, जम्म-कश्मीर और केरल में बैंक बंद रह सकते हैं।
22 अप्रैल: इस दिन देशभर में ईद मनाई जा सकती है। इसलिए बैंकों में अवकाश रहेगा।
23 अप्रैल: इस दिन रविवार का अवकाश है।
30 अप्रैल: इस दिन भी बैंकों में रविवार की छुट्टी रहेगी।
नई दिल्ली । अमेरिका से शुरू हुए बैंकिंग संकट से अब भारत समेत दुनियाभर के बैंकिंग सेक्टर की चिंता बढ़ रही है। अभी तक अमेरिका के दो बैंक डूब चुके हैं, लेकिन अंदेशा है की अगर फेड रिजर्व ब्याज दरों में इजाफा करता रहा तो इससे कई और बैंकों पर संकट आ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो फिर इसका असर भारत की आईटी इंडस्ट्री पर भी पड़ सकता है।
आशंका है कि अगर दुनिया के बड़े बैंकों के डूबने का सिलसिला जारी रहा तो फिर इस सेक्टर का रेवेन्यू बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। ये बैंक अपने मौजूदा टेक बजट में कटौती करने के साथ ही आगे के सौदे भी बंद कर सकते हैं। अगर बैंकिंग संकट गहराता है तो इसका सबसे ज्यादा असर ञ्जष्टस्, इन्फोसिस, विप्रो और एलटीआईमाइंडट्री पर पड़ सकता है। इसकी वजह है कि इन कंपनियों का अमेरिका के फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के साथ सबसे ज्यादा बिजनस है।
दरअसल सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के डूबने के बाद कई दूसरे बैंक अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यूरोप के सबसे बड़े बैंकों में से एक क्रेडिट सुइस की हालत खराब है। अब इसका असर भारत में भी देखा जाने लगा है। इससे भारत का 245 अरब डॉलर का ढ्ढञ्ज बिजनस प्रोसेस मैनेजमेंट इंडस्ट्री का भविष्य खतरे में है। इस इंडस्ट्री का 41 फीसदी रेवेन्यू बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज एंड इंश्योरेंस यानी क्चस्नस्ढ्ढ सेक्टर से आता है।
अगर अलग-अलग ढ्ढञ्ज कंपनियों के कुल रेवेन्यू में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी देखें तो विप्रो का 35 फीसदी रेवेन्यू क्चस्नस्ढ्ढ से है, ञ्जष्टस् के कुल राजस्व में क्चस्नस्ढ्ढ की हिस्सेदारी 31.5 फीसदी, इन्फोसिस के कुल रेवेन्यू में क्चस्नस्ढ्ढ का योगदान 29.3 फीसदी, ॥ष्टरु के कुल राजस्व में क्चस्नस्ढ्ढ की हिस्सेदारी 20 परसेंट और टेक महिंद्रा का 16 फीसदी हिस्सा क्चस्नस्ढ्ढ से आता है। इस सेक्टर में इस संकट के गहराने से लाखों नौकरियों पर ख़तरा मंडरा सकता है। ऐसे में अगर इन कंपनियों को नुक़सान हुआ तो फिर छंटनी, वेतन कटौती से लेकर हायरिंग तक में कमी जैसी हालात पैदा हो सकते हैं।
नई दिल्ली । स्विस प्रौद्योगिकी फर्म लॉजिटेक ने चुनौतीपूर्ण वैश्विक मैक्रो-इकोनॉमिक माहौल के बीच 300 कर्मचारियों को निकाल दिया है। पीपल मैटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक प्रमुख वैश्विक पुनर्गठन में, कंप्यूटर सहायक उपकरण बनाने वाली कंपनी ने लगभग 300 नौकरियों में कटौती करने का फैसला किया है।
लॉजिटेक के अध्यक्ष और सीईओ ब्रैकेन डारेल के अनुसार, व्यापार में मंदी वैश्विक व्यापक आर्थिक वातावरण और निम्न उद्यम और उपभोक्ता खर्च को चुनौती देने के कारण थी।
मार्च 2022 तक लॉजिटेक में 8,200 कर्मचारी थे। कंपनी ने साल के लिए अपने आउटलुक में भी कटौती की है।
रिपोर्ट में कंपनी के एक प्रवक्ता के हवाले से कहा गया, अफसोस की बात है कि बदलावों से हमारे कई कर्मचारी प्रभावित हुए हैं।
लॉजिटेक का राजस्व वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में घटकर 1.3 अरब डॉलर रह गया, जो एक साल पहले की तुलना में 22 फीसदी कम है।
कंपनी ने इस साल जनवरी में कहा था, यह प्रदर्शन चुनौतीपूर्ण व्यापक आर्थिक माहौल को दर्शाता है। श्रेणी की बिक्री अमेरिकी डॉलर और स्थिर मुद्रा दोनों में गिरावट आई है।
पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही की तुलना में गेमिंग की बिक्री में 16 प्रतिशत और वीडियो सहयोग की बिक्री में 21 प्रतिशत की गिरावट आई है।
कीबोर्ड और कॉम्बो की बिक्री में 22 फीसदी और पॉइंटिंग डिवाइस की बिक्री में 14 फीसदी की गिरावट आई है।
कंपनी ने कहा, यह पूरी तिमाही में प्रचार सप्ताहों में केंद्रित उपभोक्ता खरीदारी और कम उद्यम और उपभोक्ता खर्च को दर्शाता है।
डेरेल ने कहा, ये तिमाही परिणाम मुद्रा विनिमय दरों और मुद्रास्फीति के साथ-साथ कम उद्यम और उपभोक्ता खर्च सहित मौजूदा चुनौतीपूर्ण व्यापक आर्थिक स्थितियों को दर्शाते हैं, लॉजिटेक के वित्तीय वर्ष 2023 के ²ष्टिकोण को निरंतर मुद्रा में नकारात्मक 13-15 प्रतिशत नकारात्मक बिक्री वृद्धि के बीच समायोजित किया गया है
वाशिंगटन । अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने मुद्रास्फीति के खिलाफ वर्तमान लड़ाई में ब्याज दर बढ़ाने की रफ्तार कुछ कम करते हुए नीतिगत ब्याज दर में 0. 25 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की। अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक सहित कुछ बैंकों के दिवालिया होने के बाद बाजार को पहले ही अनुमान था कि फेडरल रिजर्व ब्याज दर बढ़ाने की रफ्तार अब कम करेगा। बाजार मानकर चल रहा था कि फेडरल रिज़र्व की ओपन मार्केट कमेटी की इस बार हद से हद चौथाई प्रतिशत की ही वृद्धि करेगी।
बैंकों में संकट उत्पन्न होने से पहले अनुमान था कि फेडरल रिजर्व ब्याज दर में इस बार भी 0.5 प्रतिशत तक की वृद्धि कर सकता है। ताजा वृद्धि के बाद अमेरिका में नीतिगत बस्तर का दायरा 4.75 प्रतिशत से 5.00 प्रतिशत हो गया है।
वाणिज्यिक बैंकों को लगता है कि इस वर्ष के अंत तक अमेरिका में नीतिगत ब्याज दर अब 5.1 प्रतिशत से 5.25 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाए जाने से अमेरिकी बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों का बाजार भाव काफी घट गया है जिससे उनमें निवेश करने वाले बैंकों को बड़ा घाटा उठाना पढ़ रहा है। बहुत से छोटे बैंकों के डूबने का खतरा बन गया है।
फेडरल रिजर्व के बयान में कहा गया है मुद्रास्फीति को शांत करने के लिए नीतिगत ब्याज दर में और वृद्धि की जरूरत पड़ सकती है। बयान में कहा गया है कि फेडरल रिजर्व की खुले बाजार कि समिति आगे आने वाले आंकड़ों को देखेगी और उनका आकलन करेगी कि नीतिगत फैसलों का क्या प्रभाव पड़ रहा है।
समिति को लगता है कि मुद्रास्फीति पर पर्याप्त अंकुश के लिए नीति को कुछ और कड़ा करना पड़ सकता है।
फेडरल रिजर्व मुद्रास्फीति को 2 प्रतिशत के आसपास रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है जो कोविड-19 के समय लागू किए गए मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज के चलते तरलता बढऩे से काफी ऊंची चली गई थी और यह अभी छह प्रतिशत के दायरे में है।
बयान में कहा गया है कि अमेरिका की बैंकिंग प्रणाली मजबूत और जुझारू है। फेडरल रिजर्व की नीतिगत दर का स्तर 2007 के बाद की सबसे ऊंचाई पर है।