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यूट्यूब करने जा रहा बड़े बदलाव, अब वीडियो पर नहीं आएगी ऐड , क्रिएटर्स को मिलेंगे अधिक पैसे
Posted Date : 28-Feb-2025 7:56:43 pm

यूट्यूब करने जा रहा बड़े बदलाव, अब वीडियो पर नहीं आएगी ऐड , क्रिएटर्स को मिलेंगे अधिक पैसे

नई दिल्ली ।  यूट्यूब अब ऐड्स दिखाने की पॉलिसी को बदलने की तैयारी कर रही है। जानकारी के अनुसार ये बदलाव 12 मई से होने जा रहे है। जिसके बाद यूट्यूब पर वीडियो स्ट्रीमिंग का एक्सपीरियंस पहले से बेहतर हो जाएगा।
वीडियो में डायलॉग या सीन के बीच में ऐड्स नहीं आएंगे। यूट्यूब के मुताबिक, जल्द ही यूजर्स को ऐड्स की परेशानी कम लगेगी। मई से नैचुरल ब्रेकप्वाइंट पर ही ऐड्स नजर आएंगे। इसे आप ऐसे समझें- जैसे अभी तक आप कोई भी वीडियो देखते थे तो बीच में कभी भी और कहीं भी ऐड्स आने लगती हैं। लेकिन कंपनी इसे बदल रही है। यूट्यूब अब किसी सीन या डायलॉग के बीच ऐड्स नहीं दिखाएगा। इन ऐड्स को किसी सीन के ट्रांजिशन या पॉज पर प्लेस कर दिया जाएगा। यूट्यूब ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि वीडियो के दौरान आने वाली ऐड्स से यूजर्स का मजा खराब होता था। जिसकी वजह से यूट्यूब पर वीडियो स्ट्रीमिंग एक्सपीरियंस खराब हो रहा था। कंपनी की पोस्ट के मुताबिक, इस बदलाव से वीडियो पर व्यूज ज्यादा आएंगे। जिसकी वजह से क्रिएटर्स की कमाई बढ़ जाएगी।
यूट्यूब का बदला हुआ फीचर मई से पुराने वीडियोज पर शुरू किया जाएगा। कंपनी पुराने वीडियो पर भी मिड-रोल ऐड्स को एडजस्ट करने वाली है। ऐसे में जो क्रिएटर्स ऐड्स की प्लेसमेंट पर अपना कंट्रोल चाहते हैं वो यूट्यूब स्टूडियो में जाकर कर सेटिंग कर सकते हैं। उन्हें 12 मई से पहले इसे ऑप्ट-आउट करना होगा। इसी के साथ यूट्यूब इस बदलाव से क्रिएटर्स की मदद भी करने वाला है। कंपनी मिड-रोल एड के लिए मैनुअल और ऑटोमैटिक दोनों तरीकें मिक्स करने की प्लानिंग कर रहा है। क्रिएटर्स नए तरीके का इस्तेमाल करेंगे तो उन्हें मैनुअल प्लेसमेंट पर डिपेंड नहीं रहना होगा। इसके अलावा वो मैनुअल प्लेसमेंट वाले क्रिएटर्स की तुलना में 5 प्रतिशत ज्यादा कमाई कर सकेंगे। यही नहीं यूट्यूब क्रिएटर्स के लिए एक टूल भी लाएगा। इस टूल से क्रिएटर्स को पता चल सकेगा कि ऐड्स प्लेसमेंट से व्यूइंग एक्सपीरियंस कैसा चल रहा है।

 

बिजनेस और टेक्नोलॉजी से तय होगा नया वर्ल्ड ऑर्डर, भारत को निभानी होगी अहम भूमिका : वित्त मंत्री
Posted Date : 28-Feb-2025 7:56:20 pm

बिजनेस और टेक्नोलॉजी से तय होगा नया वर्ल्ड ऑर्डर, भारत को निभानी होगी अहम भूमिका : वित्त मंत्री

नई दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि भारत को ‘ग्लोबल रीसेट’ में अहम भूमिका अदा करनी होगी, क्योंकि नया वर्ल्ड ऑर्डर किसी भी विकसित देश द्वारा नहीं निर्धारित किया जाएगा।
राष्ट्रीय राजधानी में एक मीडिया इवेंट में वित्त मंत्री ने कहा, विकसित देशों के पास निवेश के लिए पैसा है, लेकिन वह भी उनके लिए पर्याप्त नहीं होगा। बिजनेस और टेक्नोलॉजी नए वर्ल्ड ऑर्डर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और भारत को इसमें भाग लेने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत को ग्लोबल रीसेट में सार्थक योगदान देने के साथ-साथ प्रति व्यक्ति आय के मामले में ऊपर बढऩे और वैश्विक विकास को आगे बढ़ाने वाला एक व्यावसायिक गंतव्य बनने की दिशा में निरंतर प्रयास करना होगा। वित्त मंत्री ने बताया कि टेक्नोलॉजी की प्रगति के मामले में भारत बहुत अच्छी स्थिति में है। हम टेक्नोलॉजी के कई पहलुओं में अग्रणी हो सकते हैं। हमने दुनिया को साबित कर दिया है कि जहां भी टेक्नोलॉजी की तैनाती का सवाल है, हम इसे बड़े पैमाने पर करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि भारत उन मित्रों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ा सकता है जिनके साथ हम अपने द्विपक्षीय संबंध मजबूत करना चाहते हैं। वित्त मंत्री ने आगे कहा कि बहुपक्षीय संस्थाएं और उनका योगदान खत्म होता जा रहा है। इस कारण से अब कई देशों के लिए द्विपक्षीय एजेंडा सबसे ऊपर है।उन्होंने कहा कि भारत को न केवल व्यापार और निवेश के लिए बल्कि रणनीतिक संबंधों के लिए भी देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने देश के राज्यों को आर्थिक सुधारों पर जोर देने के लिए कहा। राज्य भारत की बड़ी अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं जो हमें आगे ले जाएंगे। इस कारण सुधार सिर्फ केंद्र सरकार के लिए एजेंडा नहीं हो सकता, इसे हर राज्य सरकार को गंभीरता से लेना होगा।

 

एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ने भारतीय एयरलाइन्स की अत्यधिक प्रशिक्षण फीस पर चिंता जताई
Posted Date : 27-Feb-2025 6:47:52 pm

एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ने भारतीय एयरलाइन्स की अत्यधिक प्रशिक्षण फीस पर चिंता जताई

नई दिल्ली। एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएलपीए इंडिया) ने भारतीय एयरलाइन्स की अत्यधिक प्रशिक्षण फीस पर गंभीर चिंता जताई है. एएलपीए इंडिया कहा कि यह महत्वाकांक्षी पायलटों का शोषण है. विमानन क्षेत्र में प्रशिक्षित कर्मियों की निरंतर कमी का एक कारण है. नागरिक विमानन मंत्री को लिखे एक पत्र में एएलपीए इंडिया ने प्रशिक्षु पायलटों पर लगाए गए वित्तीय बोझ को अनैतिक मुनाफाखोरी बताया है, जिससे मध्यम वर्गीय परिवार के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ उठाना मुश्किल होता जा रहा है.
डीजीसीए के अनुसार, 2024 में 1,342 वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (सीपीएल) जारी किए गए, जो 2023 में 1,622 के पिछले रिकॉर्ड से 17 प्रतिशत कम है. विमानन विशेषज्ञ हर्षवर्धन ने इस गिरावट के लिए एयरलाइन के पतन और सीमित नए लोगों को शामिल करने को जिम्मेदार ठहराया, उन्होंने कहा कि साल दर साल कोई पूर्ण संबंध नहीं है, क्योंकि एयरलाइंस भविष्य के विस्तार के आधार पर भर्ती की योजना बनाती हैं. जब कोई नया बेड़ा नहीं निकलता है, तो भर्ती धीमी हो जाती है. उन्होंने जोर देकर कहा कि नौकरी की उपलब्धता और बाजार की मांग पायलट लाइसेंस संख्या में उतार-चढ़ाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
एएलपीए ने कहा कि भारतीय एयरलाइंस ने अपने एकाधिकार नियंत्रण और कार्टेलाइज्ड योजनाओं के साथ कैडेट पायलटों को उनके अधिकारों से वंचित करने की कोशिश की है. एएलपीए इंडिया के अध्यक्ष सैम थॉमस ने कहा कि एयरलाइंस ने कार्टेल बना लिया है. वे विमान ऑर्डर करने पर मिलने वाले मुफ्त प्रशिक्षण क्रेडिट से लाभ कमाना चाहते हैं. पहले, एक ऐसी व्यवस्था थी, जिसमें एयरलाइंस पायलटों को प्रशिक्षित करती थीं और प्रशिक्षण बांड निष्पादित करती थीं.
हालांकि, एयरलाइन प्रशिक्षण विभागों ने बेईमान मानव संसाधन प्रभागों के साथ मिलकर इस प्रशिक्षण को अत्यधिक कीमतों पर बेचना शुरू कर दिया, जिससे पायलट कर्ज और बंधुआ मजदूरी के चक्र में फंस गए. उन्होंने आगे कहा कि भारत में वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस प्राप्त करने में 30-35 लाख रुपये का खर्च आता है, जबकि विशिष्ट विमानों के लिए टाइप रेटिंग के लिए ऊपरी छोर पर 10-15 लाख रुपये से अधिक शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए.

 

देश की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक अब वायर और केबल भी बेचेगी, शेयर 4 फीसदी टूटा
Posted Date : 27-Feb-2025 6:47:35 pm

देश की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक अब वायर और केबल भी बेचेगी, शेयर 4 फीसदी टूटा

मुंबई। सीमेंट क्षेत्र की प्रमुख कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड के शेयरों में 27 फरवरी को शुरुआती कारोबार में 4 फीसदी की गिरावट आई. आदित्य बिड़ला समूह की इस प्रमुख कंपनी ने यह भी कहा कि वह 1,800 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च के साथ तार और केबल क्षेत्र में प्रवेश करेगी.
अल्ट्राटेक सीमेंट ने कहा कि वह अगले दो वर्षों में 1,800 करोड़ रुपये की लागत से गुजरात के भरूच में वायर और केबल प्लांट स्थापित करेगी. प्लांट के दिसंबर 2026 तक चालू होने की उम्मीद है.
सीमेंट फर्म के शेयर एनएसई पर 3.75 फीसदी की गिरावट के साथ 10,552.85 रुपये पर कारोबार कर रहे. दूसरी तरफ, केबल प्लेयर्स जैसे केईआई इंडस्ट्रीज और पॉलीकैब इंडिया के शेयरों ने क्रमश- 3,418.10 रुपये और 5,189.05 रुपये पर 10 प्रतिशत का निचला सर्किट पर पहुंच गया.
अल्ट्राटेक सीमेंट ने कहा कि सीएंडडब्ल्यू सेगमेंट में प्रवेश एक व्यापक बिल्डिंग सॉल्यूशन प्रदाता के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने की अपनी रणनीति के अनुरूप है. फर्म ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि अल्ट्राटेक अपने व्यापक विनिर्माण विशेषज्ञता का लाभ उठाने का प्रस्ताव करता है. साथ ही अंतिम ग्राहकों के साथ अपने जुड़ाव के साथ उच्च गुणवत्ता वाले तार और केबल वितरित करता है, जिससे ग्राहकों की जेब में अधिक से अधिक हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य बनता है.

 

5 पीएसयू बैंकों में सरकार की 20 प्रतिशत तक बिक सकती है हिस्सेदारी
Posted Date : 27-Feb-2025 6:47:00 pm

5 पीएसयू बैंकों में सरकार की 20 प्रतिशत तक बिक सकती है हिस्सेदारी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार पांच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी कम करने की विस्तृत योजना पर काम कर रही है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार यह रणनीति निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम), वित्तीय सेवा विभाग और संबंधित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सहयोग से विकसित की जा रही है.
इस कदम का उद्देश्य भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता आवश्यकता का अनुपालन करना है. रिपोर्ट के अनुसार इसे प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा हिस्सेदारी में कमी के लिए ऑफर-फॉर-सेल (ओएफएस) और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) विधियों के संयोजन का उपयोग करने की उम्मीद है.
जिन बैंकों में हिस्सेदारी कम करने का लक्ष्य रखा गया है उनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब एंड सिंध बैंक शामिल हैं, जिनमें सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 75 फीसदी से नीचे लाने की योजना है.
रिपोर्ट में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम), वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) और सरकारी बैंकों के परामर्श से एक योजना पर काम कर रही है.
25 फरवरी को यह भी बताया गया कि दीपम ने सार्वजनिक क्षेत्र के लेंडर और सूचीबद्ध सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों के लिए हिस्सेदारी बिक्री प्रक्रिया में सहायता के लिए मर्चेंट बैंकरों से बोलियां आमंत्रित की हैं.
दीपम द्वारा जारी प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) के अनुसार, चयनित मर्चेंट बैंकरों को तीन साल के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा, जिसमें एक साल का विस्तार भी शामिल है. और वे इन बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए इक्विटी कमजोर पडऩे के समय और संरचना पर मार्गदर्शन देंगे.

 

किसान क्रेडिट कार्ड की राशि 10 लाख करोड़ रुपये के पार, 7.72 करोड़ किसानों को मिला लाभ
Posted Date : 26-Feb-2025 7:09:58 am

किसान क्रेडिट कार्ड की राशि 10 लाख करोड़ रुपये के पार, 7.72 करोड़ किसानों को मिला लाभ

नई दिल्ली । लेटेस्ट सरकारी आंकड़ों के अनुसार, ऑपरेटिव किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) खातों के तहत आने वाली राशि मार्च 2014 में 4.26 लाख करोड़ रुपये से दोगुनी से अधिक होकर दिसंबर 2024 में 10.05 लाख करोड़ रुपये हो गई है।यह कृषि में ऋण उपलब्धता और गैर-संस्थागत ऋण पर निर्भरता में कमी को दर्शाता है। ऑपरेटिव केसीसी के तहत 31 दिसंबर तक कुल 10.05 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं, जिससे 7.72 करोड़ किसानों को लाभ हुआ है।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, यह कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों के लिए किसानों को दिए जाने वाले किफायती कार्यशील पूंजी ऋण की मात्रा में शानदार वृद्धि को दर्शाता है। केसीसी एक बैंकिंग प्रोडक्ट है जो किसानों को बीज, उर्वरक और कीटनाशकों जैसे कृषि इनपुट खरीदने के साथ-साथ फसल उत्पादन और संबंधित गतिविधियों से नकदी जरूरतों को पूरा करने के लिए समय पर और किफायती ऋण प्रदान करता है।
केसीसी योजना को वर्ष 2019 में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन जैसी संबंधित गतिविधियों की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को कवर करने के लिए विस्तारित किया गया था। संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस) के तहत, 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की रियायती ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक के केसीसी के जरिए अल्पकालिक कृषि ऋण प्रदान करने के लिए बैंकों को 1.5 प्रतिशत की ब्याज सहायता प्रदान करती है। मंत्रालय के अनुसार, ऋण के समय पर पुनर्भुगतान पर किसानों को 3 प्रतिशत का अतिरिक्त शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है, जो प्रभावी रूप से किसानों के लिए ब्याज दर को घटाकर 4 प्रतिशत कर देता है।
मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि 2 लाख रुपये तक के ऋण को बिना किसी जमानत के उपलब्ध करवाया जाता है, जिससे छोटे और मार्जिनल किसानों के लिए ऋण तक परेशानी मुक्त पहुंच सुनिश्चित होती है। केंद्रीय बजट 2025-26 में संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत ऋण सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की घोषणा की गई है, जिससे किसानों को और अधिक लाभ होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत किसानों के लिए बढ़े सरकारी समर्थन को दर्शाते हुए, 2025-26 के बजट में कृषि के लिए आवंटन में 2013-14 के 21,933.50 करोड़ रुपये से छह गुना वृद्धि कर इसे 1,27,290 करोड़ रुपये कर दिया गया है।