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अदानी ग्रीन एनर्जी को बीएसई, एनएसई से मिली राहत, समूह के कुछ शेयर अतिरिक्त निगरानी में
Posted Date : 08-Apr-2023 4:59:08 am

अदानी ग्रीन एनर्जी को बीएसई, एनएसई से मिली राहत, समूह के कुछ शेयर अतिरिक्त निगरानी में

नईदिल्ली। बीएसई और एनएसई ने अदानी समूह की रिन्यूएबल एनर्जी इकाई अदानी ग्रीन एनर्जी को अब लॉन्ग टर्म एएसएम फ्रेमवर्क के स्टेज वन में रखने का फैसला लिया है। बता दें कि यह फैसला 10 अप्रैल से लागू हो जाएगा।
स्टॉक एक्सचेजों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक, अदाणी ग्रुप के इस स्टॉक को अतिरिक्त निगरानी फ्रेमवर्क के सेकंड स्टेज से फर्स्ट स्टेज में ट्रांसफर किया जाएगा ।
एनएसई-बीएसई ने 28 मार्च 2023 को अदाणी ग्रुप के इस स्टॉक को लॉन्ग टर्म एएसएम फ्रेमवक के दूसरे स्टेज में ट्रांसफर किया था। इस फैसला के बाद अदाणी ग्रीन एनर्जी को एक्सचेंजों से बड़ी राहत मिली है।
बाजार नियामक निवेशकों के हितों को ध्यान में रखकर किसी भी शेयर में अधिक उतार-चढ़ाव को देखकर उसे एडिशनल सर्विलांस मेजर्स (्रस्रू) फ्रेमवर्क में शामिल कर देता है।
हालांकि, कुछ पैरामीटर्स के हिसाब से ही कंपनी के शेयरों को फ्रेमवर्क में डाला जाता है। किसी भी स्टॉक को शॉर्टलिस्ट करने के लिए उसके हाई-लो वैरिएशन, प्राइस बैंड हिट्स की संख्या, क्लोज टू क्लोज प्राइस वेरिएशन, कंज्यूमर एक्टिव और प्राइस अर्निंग रेशियो के आधार पर फ्रेमवर्क में डाला जाता है।
बता दें कि शेयरों को इसके तहत दो प्रकार की लिस्ट शॉर्ट टर्म एएसएम और लॉन्ग टर्म एएसएम में रखा जाता है।
शॉर्ट टर्म एएसएम में 2 स्टेज होती हैं और लॉन्ग टर्म में चार स्टेज। जैसे ही स्टेज बढ़ते जाते हैं, वैसे ही शेयरों की ट्रेडिंग के लिए भी और अंतर की जरूरत पडऩे लगती है।
अगर अदानी समूह के 10 लिस्टेड शेयरों की बात करें तो गुरुवार को अदाणी ग्रीन एनर्जी, अदाणी टोटल गैस, अदाणी ट्रांसमिशन, और एनटीटीवी में 5 फीसदी की उछाल देखने को मिला। साथ ही ग्रुप के कई फर्मों ने भी अपर सर्किट लगाया।

 

ब्याज दरें अपरिवर्तित रहने से बॉन्ड का प्रतिफल हुआ नरम
Posted Date : 08-Apr-2023 4:58:44 am

ब्याज दरें अपरिवर्तित रहने से बॉन्ड का प्रतिफल हुआ नरम

0-मौद्रिक नीति
नईदिल्ली। बॉन्ड बाजारों में तेजी दर्ज हुई और 10 वर्षीय सरकारी बेंचमार्क प्रतिभूति का प्रतिफल 8 आधार अंक नरम होकर 7.2 फीसदी रहा क्योंकि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने आश्चर्यजनक रूप से रीपो दरों में कोई इजाफा नहीं किया है।
ब्याज दर तय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की समिति ने रीपो दरें 2023-24 की पहली बैठक में 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का फैसला लिया है।
नैशनल क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 7.20 फीसदी पर बंद हुआ, जो एक दिन पहले 7.28 फीसदी रहा था।
इंडिपेंडेंट रिसर्च हाउस क्वांटइको रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा, चूंकि बाजार के प्रतिभागी आज की मौद्रिक नीति की घोषणा में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी मानकर चल रहे थे, ऐसे में यथास्थिति के ऐलान के चलते बॉन्ड में तेजी आई।
जेएम फाइनैंशियल समूह के प्रबंध निदेशक अजय मंगलूनिया ने कहा, प्रतिफल में नरमी से संकेत मिलता है कि बाजार आरबीआई के कदम से सहज महसूस कर रहा है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई का अनुमान वित्त वर्ष 24 की चारों तिमाहियों में ऊपरी स्तर से नीचे रहने का है। 10 वर्षीय बेचमार्क का प्रतिफल जून की नीतिगत समीक्षा तक 7.10 से 7.30 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान है, अगर वैश्विक बाजारों में कुछ घटनाक्रम न हो तो।
क्वांटइको ने कहा, 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों का प्रतिफल मार्च 2024 के आखिर में 7 फीसदी पर रहने की संभावना है जबकि अभी 7.21 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था। मौद्रिक नीति पर लंबी अवधि तक विराम लंबी अवधि के प्रतिफल को नीचे की ओर ले जाता है।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि 10 वर्षीय प्रतिभूति का प्रतिफल रिटर्न के मामले में कुछ दबाव दिखा सकता है जब सरकार का उधारी कार्यक्रम शुरू होगा और यह पहली तिमाही में 7.20 से 7.30 फीसदी के दायरे में रह सकता है।
अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 के बीच सरकारी प्रतिभूतियों का प्रतिफल मोटे तौर पर सीमित दायरे में रहा है। अक्टूबर 2022 में प्रतिफल सख्त हुआ, जो सितंबर में अनुमान से ज्यादा उपभोक्ता कीमत पर आधारित महंगाई के कारण था। नवंबर में यह नरम हुआ और इसने अमेरिकी प्रतिफल में नरमी से संकेत ग्रहण किया क्योंकि अमेरिका में महंगाई अनुमान से कम रही और कच्चे तेल की कीमतें घटीं। कुल मिलाकर 10 वर्षीय बेंचमार्क का प्रतिफल तीसरी तिमाही में 7 आधार अंक नरम होकर 7.33 फीसदी पर बंद हुआ। आरबीआई ने मौोद्रिक नीति की रिपोर्ट में ये बातें कही।

ओएनडीसी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने व्यवस्था बनाने में जुटा
Posted Date : 08-Apr-2023 4:58:02 am

ओएनडीसी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने व्यवस्था बनाने में जुटा

मुंबई। सरकारी ई-कॉमर्स मंच ओपन नेटवर्क फ ॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) ऑनलाइन खुदरा व्यापार से जुड़ी इकाइयों के लिए नियमों के अनुपालन के लिए एक व्यवस्था बना रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। ओएनडीसी सभी प्रकार के ई-कॉमर्स ऑनलाइन खुदरा कारोबार के लिए एक खुले मंच को प्रोत्साहन देना चाहता है। इससे छोटे खुदरा विक्रेताओं को ई-कॉमर्स माध्यम से अपना कारोबार फैलाने और इस क्षेत्र में बड़ी कंपनियों के दबदबे को कम करने में मदद मिलेगी।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के संयुक्त सचिव संजीव ने कहा, अगर कोई कंपनी हमारे नियमों का पालन नहीं करती है तो हम कार्रवाई करेंगे। हम कुछ चीजों को अंतिम रूप दे रहे हैं। कानून का पालन होना चाहिए। हम इसके लिए एक व्यवस्था बना रहे हैं। निजी जानकारियों की सुरक्षा और शिकायत समाधान तंत्र की स्थापना पर नियम व्यापक ओएनडीसी नेटवर्क नीति का हिस्सा होंगे। ओएनडीसी द्वारा पिछले साल जारी परामर्श पत्र के अनुसार, शिकायत प्रबंधन पर नीति के अध्यायों में से एक अध्याय खरीदारों और विक्रेताओं द्वारा उनके खिलाफ दायर शिकायतों को प्रबंधित करने और हल करने के लिए तंत्र तैयार करेगा। गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में गठित ओएनडीसी विक्रेताओं या लॉजिस्टिक सेवाएं देने वालों या भुगतान मंच संचालकों को स्वैच्छिक ढंग से अपनाने के लिए मानक तैयार करती है। ओएनडीसी में शामिल होते समय प्रत्येक भागीदार को यह सहमति देनी होगी कि वह नीति का पूरी तरह पालन करेगा।

 

बढ़ा-चढ़ाकर दावे करने वाले निवेश सलाहकारों को सेबी ने दी चेतावनी
Posted Date : 08-Apr-2023 4:57:02 am

बढ़ा-चढ़ाकर दावे करने वाले निवेश सलाहकारों को सेबी ने दी चेतावनी

नईदिल्ली। निवेश सलाहकारों और शोध विश्लेषकों से उनके विज्ञापनों में नियामक के पास पंजीकृत नाम, प्रतीक चिह्न (लोगो), पंजीकरण संख्या, पूरा पता और दूरभाष नंबर सहित अन्य सूचनाओं को प्रमुखता से प्रदर्शित करने को कहा गया है। बाजार नियामक सेबी ने अधिक पारदर्शिता लाने के लिए यह बात कही। इसके अलावा उन्हें विज्ञापन में यह घोषणा भी करनी होगा कि सेबी द्वारा दिए गए पंजीकरण, आईए के मामले में बीएसई प्रशासन और पर्यवेक्षण लिमिटेड (बीएएसएल) की सदस्यता और एनआईएसएम के प्रमाणन के तहत मध्यस्थ के प्रदर्शन की गारंटी या प्रतिफल का कोई आश्वासन नहीं दिया गया है। सेबी ने कहा कि यह जानकारी अन्य प्रकाशनों, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) फॉर्म, ग्राहक समझौता, बयान और ग्राहक के साथ किसी अन्य पत्राचार में भी होनी चाहिए। इसके अलावा, नियामक ने उन्हें अपने विज्ञापनों में सेबी के लोगो का इस्तेमाल करने से रोक दिया है।

 

मार्च तिमाही में रिकॉर्ड 12.3 लाख करोड़ रुपये की नई परियोजनाएं
Posted Date : 07-Apr-2023 5:52:27 am

मार्च तिमाही में रिकॉर्ड 12.3 लाख करोड़ रुपये की नई परियोजनाएं

नईदिल्ली। पिछले वित्त वर्ष की मार्च तिमाही में रिकॉर्ड नई परियोजनाएं आईं, जो कुछ बड़ी निवेश योजनाओं का नतीजा हो सकती हैं। मार्च 2023 में समाप्त तिमाही के दौरान 12.3 लाख करोड़ रुपये की नई परियोजनाएं आईं।
परियोजनाओं पर नजर रखने वाले सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इकॉनमी (सीएमआईई) से प्राप्त पूंजीगत व्यय के आंकड़ों से पता चला है कि जनवरी-मार्च, 2022 की 8.64 लाख करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं के मुकाबले 42.6 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। दिसंबर तिमाही में आई 6.9 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं की तुलना में यह 78 प्रतिशत की बढ़त है।
समझा जा रहा है कि कुछ बड़े क्षेत्रों में आए बड़े ऑर्डर इसकी प्रमुख वजह हो सकते हैं। विश्लेषकों के अनुसार यह बढ़ोतरी तब हुई है, जब निजी क्षेत्र की कंपनियां पूंजीगत निवेश करने में काफी सतर्कता बरत रही हैं। नई परियोजनाओं में सरकारी सडक़ परियोजनाएं और कंपनियों द्वारा लगाए जाने वाले नए संयंत्र दोनों ही शामिल हो सकती हैं या वस्तु एवं सेवा मुहैया करने के लिए क्षमता विस्तार इसकी वजह हो सकती है। समझा जा रहा है कि नई परियोजनाओं में बढ़ोतरी की मुख्य वजह वस्तु एवं सेवा आपूर्ति ढांचा मजबूत बनाने पर आया खर्च है।
बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि परिवहन क्षेत्र में 7.5 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर का नई परियोजनाओं में हुई वृद्धि में शायद प्रमुख योगदान रहा होगा। इससे पहले 2009 में एक तिमाही में 10 लाख करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाएं आई थीं। सबनवीस ने कहा कि यह परिवहन क्षेत्र में आया सबसे बड़ा ऑर्डर है।
एचडीफसी सिक्योरिटीज में प्रमुख (खुदरा शोध) दीपक जसानी के अनुसार परिवहन के अलावा अभियांत्रिकी, वाहन और ई-वाहन खंड से जुड़ी कंपनियों तथा सीमेंट क्षेत्र में निवेश आ रहा है। उन्होंने कहा, ‘निजी क्षेत्र से पूंजीगत निवेश अब भी सुस्त रफ्तार से आ रहा है। मगर पिछली दो-तीन तिमाहियों की तुलना में इसमें सुधार जरूर हुआ है।’
जब स्थापित क्षमता मांग पूरी करने के लिए नाकाफी होती हैं तो कंपनियां नए उत्पादन संयंत्र तैयार करने में लग जाती हैं। फिलहाल स्थापित क्षमता का करीब एक चौथाई हिस्सा अभी इस्तेमाल ही नहीं हो रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ऑर्डर बुक, भंडार एवं क्षमता उपयोगिता सर्वेक्षण के अनुसार 2022-23 की दूसरी तिमाही में क्षमता इस्तेमाल बढ़ा जरूर है।
सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता इस्तेमाल बढ़ा है और पहली तिमाही के 72.4 प्रतिशत से बढक़र 74 प्रतिशत पर पहुंच गया। विभिन्न अवधियों के हिसाब से क्षमता इस्तेमाल वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में 20 आधार अंक बढक़र 74.5 प्रतिशत तक पहुंच गया। 2022-23 की दूसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में जितने ऑर्डर आए, वे पिछली तिमाही के आंकड़ों के बराबर ही थे मगर पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में इनमें खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई।’
मार्च में करीब 95,000 करोड़ रुपये मूल्य की परियोजाएं पूरी हो पाईं। सीएमआईई द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले साल मार्च तिमाही के मुकाबले यह 28 प्रतिशत और दिसंबर तिमाही की तुलना में 44 प्रतिशत कम रहीं। जो परियोजनाएं किसी न किसी कारणवश ठप पड़ चुकी हैं उनकी संख्या करीब-करीब वही रही।
मार्च तिमाही के मजबूत आंकड़े आगे शायद ही दोहराए जा सकें क्योंकि वृद्धि दर सुस्त पड़ रही है। सबनवीस ने कहा कि आर्थिक वृद्धि सुस्त पडऩे का असर स्वाभाविक रूप से कारोबार एवं उनकी विस्तार योजनाओं पर होगा।

 

डेरी उत्पादों के आयात की तैयारी, दुग्ध उत्पादन में स्थिरता के कारण आपूर्ति पर बढ़ रहा दबाव
Posted Date : 07-Apr-2023 5:52:03 am

डेरी उत्पादों के आयात की तैयारी, दुग्ध उत्पादन में स्थिरता के कारण आपूर्ति पर बढ़ रहा दबाव

नईदिल्ली। लगभग एक दशक के बाद भारत को दुग्ध उत्पादों के आयात पर विचार करना पड़ सकता है। देश में दुग्ध उत्पादन ठहर जाने के कारण आपूर्ति में दिक्कत आ रही है। इसलिए सरकार बाजार में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जरूरत पडऩे पर आयात की भी सोच सकती है।
पशुपालन एवं डेरी सचिव राजेश कुमार सिंह ने आज कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान दुग्ध उत्पादन नहीं बढ़ा। इसलिए आपूर्ति ठीक करने के लिए सरकार डेरी उत्पादों का आयात भी कर सकती है। भारत ने आखिरी बार 2011 में प्रमुख डेरी उत्पादों का आयात किया था।
सिंह ने कहा, ‘दक्षिणी राज्यों में इस समय दुग्ध उत्पादन चरम पर रहता है। वहां दूध के स्टॉक का जायजा लेने के बाद जरूरत पडऩे पर सरकार मक्खन और घी जैसे डेरी उत्पादों के आयात की मंजूरी दे सकती है।’
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में 2021-22 में 22.1 करोड़ टन दुग्ध उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष के 20.8 करोड़ टन से 6.25 फीसदी अधिक है।
पिछले 15 महीनों में देश में दूध की कीमतें 12 से 15 फीसदी बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कीमत बढऩे का सिलसिला अक्टूबर, 2023 से पहले नहीं रुकेगा। दूध की मुद्रास्फीति सितंबर 2022 में 5.55 फीसदी से बढक़र फरवरी 2023 में 10.33 फीसदी हो गई है।
सचिव ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में मवेशियों में लंपी त्वचा रोग के कारण देश में दूध का उत्पादन प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि उत्पादन स्थिर रहने के बावजूद इस दौरान घरेलू मांग में 8 से 10 फीसदी की वृद्धि हुई। कोविड महामारी के बाद भी दूध की मांग बढ़ी है।
सिंह ने कहा, ‘देश में दूध की आपूर्ति में कोई रुकावट नहीं है। स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) का पर्याप्त भंडार है। मगर वसा, मक्खन एवं घी जैसे डेरी उत्पादों का भंडार पिछले साल के मुकाबले कम है।’
सिंह ने जोर देकर कहा कि दक्षिणी राज्यों में दूध के भंडार की स्थिति समझने के बाद जरूरत पड़ी तो सरकार मक्खन और घी जैसे डेरी उत्पादों के आयात के लिए हस्तक्षेप कर सकती है। दक्षिणी राज्यों में अब दुग्ध उत्पादन का पीक सीजन शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में कमी अपेक्षाकृत कम रहेगी। इस क्षेत्र में पिछले 20 दिनों के दौरान बेमौसम बारिश से तापमान में गिरावट आई है जिससे कम दुग्ध उत्पादन का सीजन आगे टल गया है।
सचिव के अनुसार पिछले साल लंपी त्वचा रोग के कारण 1.89 लाख मवेशियों की मौत होने से उत्पादन प्रभावित हुआ। साथ ही वैश्विक महामारी के बाद के दौर में दूध की मांग बढ़ी है।