मुंबई । केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा कि भारत का भविष्य विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) नहीं, बल्कि घरेलू निवेशक तय करेंगे। उन्होंने इंडस्ट्री से छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा करने और बाजार में उतार-चढ़ाव को कम करने का आग्रह किया।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने जोर देकर कहा कि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) करीब 70 लाख करोड़ रुपये हैं और जल्द ही 100 लाख करोड़ रुपये हो जाएंगी, जो बाजार पर हावी होंगी।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) समिट 2025 में अपने संबोधन के दौरान गोयल ने कहा कि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने वित्तीय साक्षरता को प्रोत्साहित किया है और उद्योग और निवेशकों तक नए वित्तीय विचारों को पहुंचाकर भारत की विकास गाथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
केंद्रीय मंत्री ने कोविड के बाद एफआईआई द्वारा पैदा की गई कमी को पूरा करने के लिए घरेलू निवेशकों की सराहना की।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने उपस्थित लोगों से कहा, घरेलू निवेशकों के साथ-साथ एसआईपी जैसे निवेश के तरीकों ने बाजार को सहारा दिया। उन्होंने देश के हर हिस्से में वित्तीय जागरूकता और वित्तीय उत्पादों को फैलाने में मदद की।
बड़े पैमाने पर फंड का प्रवाह और निवेशकों के बीच आकर्षक शेयरों को खोने का डर राइटसाइजिंग के दौरान निवेशकों के बीच संकट लेकर आया।
गोयल ने कहा कि बाजार की एकतरफा राह पर चलने की कभी न खत्म होने वाली क्षमता के बारे में बहुत सारी गलत सूचनाएं जारी हुई हैं। उन्होंने शेयर बाजार की अनिश्चितता को इंडस्ट्री और उसके छोटे निवेशकों के लिए एक वेक-अप कॉल बताया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि एएमएफआई को भी गुमराह निवेशकों को बाकी लोगों से अलग कर अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत होना चाहिए।
हाल की उथल-पुथल के दौरान भी हिम्मत वाली कंपनियों ने शेयर बाजार में उचित मूल्य बनाए रखा है।
गोयल ने कहा, बाजार के प्रति इंडस्ट्री के कर्तव्य और जिम्मेदारियां निवेशकों को अल्पावधि में मिलने वाले लाभदायक रिटर्न से कहीं अधिक हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी खर्च और निजी पूंजीगत व्यय में वापसी के संकेत मिल रहे हैं। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की अपने निवेशकों के प्रति जिम्मेदारियों के बारे में विस्तार से बताते हुए मंत्री ने प्रतिभागियों से निवेशकों को जोखिम लेने से सावधान करने में अधिक सतर्क रहने का आग्रह किया।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने उम्मीद जताई कि इस तरह की पहल अगले 22 वर्षों के लिए भारत की विकास गाथा को गति देने में मददगार होगी।
नई दिल्ली । क्या आप जानते हैं कि बचत खातों में नकद जमा और निकासी के संबंध में आयकर विभाग द्वारा कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं? अगर इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो आपको दंड का सामना करना पड़ सकता है या अधिकारियों द्वारा पूछताछ भी की जा सकती है. किसी भी अनजाने में हुई गलतियों से बचने के लिए इन नियमों को समझना आवश्यक है.
अगर आपके पास बचत खाता है, तो यह यूपीआई जैसे डिजिटल लेन-देन से जुड़ा हुआ है. हालांकि इन खातों में नकद जमा और निकासी की अनुमति है. लेकिन उच्च-मूल्य वाले नकद लेन-देन की निगरानी के लिए आयकर अधिनियम के तहत सीमाएं और शर्तें निर्धारित की गई हैं. इन नियमों का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, कर चोरी और अन्य अवैध वित्तीय गतिविधियों को रोकना है.
यदि आप एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक जमा करते हैं, तो लेन-देन की सूचना आयकर विभाग को दी जानी चाहिए. यह रिपोर्टिंग अधिकारियों को संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने के लिए बड़े नकदी प्रवाह को ट्रैक करने में मदद करती है.
चालू खातों के लिए, सीमा अधिक है, एक वित्तीय वर्ष में 50 लाख रुपये से अधिक जमा करने पर आयकर विभाग को रिपोर्ट करना आवश्यक है. हालांकि इन जमाओं पर तुरंत कर नहीं लगता है, लेकिन वित्तीय संस्थानों को इन सीमाओं से ऊपर के लेन-देन की रिपोर्ट करना कानूनी रूप से बाध्य है.
अगर आप एक वित्तीय वर्ष में अपने बचत खाते से 1 करोड़ रुपये से अधिक निकालते हैं, तो 2 फीसदी टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लागू होगा.
अगर आपने पिछले तीन वर्षों से आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल नहीं किया है, तो टीडीएस दर सख्त है.
20 लाख रुपये से अधिक की निकासी पर 2 फीसदी टीडीएस लागू होता है, और 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक की निकासी के लिए, टीडीएस दर बढक़र 5 फीसदी हो जाती है.
आयकर अधिनियम की धारा 269एसटी के तहत, एक वित्तीय वर्ष में 2 लाख रुपये या उससे अधिक की नकद राशि जमा करने पर जुर्माना लग सकता है.
हालांकि, यह नियम केवल नकद जमाराशि पर लागू होता है. नकद निकासी, उच्च राशि के लिए टीडीएस के अधीन होते हुए भी इस धारा के तहत दंड नहीं लगाती है.
ये दिशा-निर्देश भारत में नकद लेनदेन की निगरानी और विनियमन करने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कर चोरी जैसी अवैध गतिविधियों को हतोत्साहित करने के सरकार के प्रयास का हिस्सा हैं.
संयुक्त राष्ट्र । भारत की विवेकपूर्ण नीतियों की सराहना करते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी बोर्ड ने कहा है कि देश का मजबूत आर्थिक प्रदर्शन 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों को अपनाने में मदद कर सकता है।
आईएमएफ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया, भारत का मजबूत आर्थिक प्रदर्शन 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल करने के लिए जरूरी अहम और चुनौतीपूर्ण संरचनात्मक सुधारों को लागू करने में मदद कर सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए आजादी के सौ साल पूरे होने की समय सीमा तय की है।
रिपोर्ट में आईएमएफ के कार्यकारी निदेशकों ने भारतीय अधिकारियों की विवेकपूर्ण व्यापक आर्थिक नीतियों और सुधारों की सराहना की, जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और एक बार फिर सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान दिया है।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के वित्तीय क्षेत्र का स्वास्थ्य, मजबूत कॉरपोरेट बैलेंसशीट और अच्छा डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर दर्शाता है कि देश की वृद्धि दर मध्यम अवधि में तेज रहेगी। साथ ही जनकल्याण की योजनाएं भी जारी रहेंगी।
रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि भू-आर्थिक विखंडन और धीमी घरेलू मांग से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए, व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए उचित नीतियां जारी रखना आवश्यक है।
इसके अलावा, रिपोर्ट में भारत द्वारा हाल ही में घटाए गए टैरिफ का भी स्वागत किया गया है। इससे देश की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ेगी।
पिछले महीने पेश किए गए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑटोमोबाइल से लेकर शराब तक कई प्रकार के आयात पर टैरिफ कम कर दिया था।
आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने कहा कि संरचनात्मक सुधार देश में उच्च-गुणवत्ता की नौकरियां पैदा करने और निवेश के लिए काफी जरूरी हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि भारत को लेबर मार्केट सुधारों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और महिला भागीदारी को लेबर फोर्स में बढ़ाना चाहिए।
नईदिल्ली । सरकारी तेल कंपनियों ने जनता को झटका दिया है. हर महीने की तरह शनिवार को कंपनियों ने एलपीजी सिलेंडर के दाम अपडेट कर दिए हैं. जो आज से लागू हो गए हैं. जानकारी के मुताबिक 19 किग्रा. वाले कमर्शियल गैस सिलेंडर के दामों में वृद्धि की है. बता दें, होली से पहले कंपनियों ने 6 रुपये की बढ़ोत्तरी की है. घरेलू गैस सिलेंडर के दाम में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.
देश के चारों महानगरों दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई तक 19 किग्रा. वाले कमर्शियल गैस सिलेंडर के दामों में 6 रुपये तक की वृद्धि हुई है. अगर तेल कंपनी इंडियन ऑयल की वेबसाइट पर एक नजर डालें तो साल 2023 में सबसे ज्यादा 352 रुपये की वृद्धि हुई थी. पिछले महीने की बात करें तो फरवरी में 7 रुपये की कटौती की गई थी.
सरकारी तेल कंपनियों की वेबसाइट के मुताबिक राजधानी दिल्ली में 19 किग्रा. वाले कमर्शियल सिलेंडल के नए दाम 1803 रुपये हो गए हैं. पिछले महीने तक यही सिलेंडर 1797 रुपये में उपलब्ध था. वहीं, मायानगरी मुंबई में यही सिलेंडर 1755.50 रुपये में बिक रहा है. फरवरी में यही 19 किग्रा. वाला सिलेंडर 1749.50 रुपये में मिलता था. कोलकाता की बात करें तो यह सिलेंडर 1913 रुपये का हो गया है, जो पहले 1907 रुपये में था. चेन्नई की बात करें तो कमर्शियल गैस सिलेंडर के नए दाम 1965.50 रुपये हो गए हैं, जो पहले 1959 रुपये का था.
सरकारी तेल कंपनियों ने 14 किग्रा. वाले घरेलू गैस सिलेंडर के दामों में कोई परिवर्तन नहीं किया है. उसके दाम पिछले साल अगस्त से नहीं बदले हैं. दिल्ली में यह सिलेंडर करीब 903 रुपये में बिक रहा है. मुंबई में इसकी कीमत 802.50 रुपये है. कोलकाता में यही सिलेंडर 829 रुपये में बेचा जा रहा है. वही, चेन्नई में 818.50 रुपये में बिक रहा है.
नईदिल्ली । ओला समूह की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कंपनी क्रुट्रिम में पिछले एक साले अधिकारी-कर्मचारियों के जाने का सिलसिला लगा हुआ है।
इनमें नेतृत्व की भूमिका में रहे कम से कम आधा दर्जन अधिकारियों और एक दर्जन से अधिक अन्य कर्मचारियों की विदाई हुई है।
अधिकांश स्टॉफ मार्च और नवंबर, 2024 के बीच हुए बाहर हुआ है। इनमें से कुछ ने फर्म में शामिल होने के एक साल के भीतर नौकरी छोड़ दी, जबकि कुछ पिछले महीनों में बाहर हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, क्रुट्रिम छोडऩे वाले अधिकारियों में प्रोडक्ट उपाध्यक्ष विपुल शाह, एआई इंजीनियरिंग के प्रमुख के उपाध्यक्ष गौतम भार्गव और मशीन लर्निंग के निदेशक सम्राट साहा शामिल हैं।
इसके अलावा उत्पाद प्रबंधन के निदेशक अचल कुमार मॉल, उत्पाद प्रबंधन के वरिष्ठ निदेशक मिखिल राज और उपाध्यक्ष अशोक जगन्नाथन भी चले गए हैं।
नेतृत्व की भूमिका में रहने वाले इन अधिकारियों में से अधिकांश ने पिछले साल मार्च से नवंबर के बीच नौकरी छोड़ी है।
कंपनी के एक अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में बताया है कि 7 अधिकारियों में से शाह, भार्गव और जैन वरिष्ठ प्रबंधन स्तर से थे, बाकी जूनियर से लेकर मध्य प्रबंधन स्तर तक के थे।
सूत्रों ने पिछले साल रिपोर्ट दी थी कि मई, 2023 में ओला इलेक्ट्रिक के बिजनेस हेड रूप में लगाए गए रवि जैन ने कंपनी छोड़ दी थी।
जैन के लिंक्डइन अकाउंट से पता चला है कि उन्होंने नवंबर में नौकरी छोड़ दी थी।
मुंबई । दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था भारत 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी जीडीपी बना सकता है। इसके साथ ही देश की खपत में भी इजाफा होगा और यह 2034 तक बढक़र 190 लाख करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान है। यह जानकारी गुरुवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) और रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) की रिपोर्ट के अनुसार, देश में खपत अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। यह इस क्षेत्र की मजबूती और गति को दर्शाता है।
बीते एक दशक में भारत का रिटेल मार्केट 35 लाख करोड़ रुपये से बढक़र 82 लाख करोड़ रुपये का हो गया है, जो सालाना आधार पर 9 प्रतिशत की गति को दिखाता है।
बीसीजी के प्रबंध निदेशक और सीनियर पार्टनर, अभीक सिंघी ने कहा कि अगले दशक में इसके 200 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है और यह सभी को अच्छे अवसर प्रदान करेगा। 2035 तक कई ट्रिलियन रुपये टर्नओवर वाले खुदरा विक्रेताओं के लिए कई अवसर हैं।
अनुमान है कि 2030 तक संपन्न परिवारों की संख्या तीन गुनी हो जाएगी, जिससे प्रीमियम और लक्जरी खुदरा क्षेत्र में महत्वपूर्ण अवसर पैदा होंगे, जबकि आम उपभोक्ता वर्ग प्रमुख उपभोक्ता आधार बना रहेगा।
रिपोर्ट में कहा गया कि कभी-कभी तीव्र अस्थिरता के दौर के बावजूद सेक्टर की ग्रोथ मजबूत बनी हुई है। संगठित खुदरा क्षेत्र लगातार बाजार में अपनी पैठ मजबूत कर रहा है।
महिलाओं की भागीदारी बीते पांच वर्षों में दोगुनी हुई है और पुरुषों एवं महिलाओं में अंतर कम हुआ है। इससे महिला केंद्रित कैटेगरी जैसे ब्यूटी, पर्सनल केयर और फैशन में वृद्धि देखी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया कि जेन जेड और मिलेनियल्स बड़े उपभोक्ता समूह हैं, जिसके कारण उनकी वैल्यू और डिजिटल-फर्स्ट आदतों के साथ तालमेल बिठाना जरूरी हो जाता है। इस बीच अगले दशक में 45 प्लस आयु वर्ग सबसे बड़ा समूह बन जाएगा, जिससे उपभोक्ता स्वास्थ्य सहित कई नए ट्रेंड उभरेंगे।
रिपोर्ट में बताया गया कि ऑनलाइन शॉपिंग की पहुंच 50 प्रतिशत तक पहुंचने के बावजूद 58 प्रतिशत लोग खरीदारी के लिए पूरी तरह से ऑफलाइन तरीके पर निर्भर हैं।