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एशिया में चावल की कीमतें 15 साल में उच्चतम स्तर पर
Posted Date : 11-Aug-2023 3:51:49 am

एशिया में चावल की कीमतें 15 साल में उच्चतम स्तर पर

नई दिल्ली   । वैश्विक आपूर्ति पर बढ़ती चिंताओं के कारण एशिया में चावल की कीमतें लगभग 15 वर्षों में उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। शुष्क मौसम के कारण थाईलैंड में उत्पादन पर खतरा है और भारत ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके चलते चावल की कीमतें लगभग 15 वर्षों में उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। मीडिया रिपोर्टों में ये जानकारी दी गई है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, 5 प्रतिशत टूटा हुआ थाई सफेद चावल बढक़र 648 डॉलर प्रति टन हो गया है, जो अक्टूबर 2008 के बाद से सबसे महंगा है।
पिछले वर्ष की कीमतों में ये लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चावल एशिया और अफ्रीका के अरबों लोगों का मुख्य भोजन है और कीमतों में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ सकता है और खरीददार देशों के लिए आयात बिल बढ़ सकता है।
आपूर्ति के लिए नवीनतम ख़तरा दूसरे सबसे बड़े निर्यातक थाईलैंड से है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी किसानों को ऐसी फसलें अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिनमें कम पानी की आवश्यकता होती है क्योंकि अल नीनो की शुरुआत के साथ थाईलैंड में शुष्क परिस्थितियां हैं।
चावल के प्रमुख केंद्रीय उत्पादक क्षेत्र में कुल वर्षा सामान्य से 40 प्रतिशत कम है और रोपण पर अंकुश लगाने का मकसद पानी का संरक्षण करना है। सरकार ने पहले उत्पादकों से इस वर्ष केवल एक फसल काटने के लिए कहा था।
पिछले महीने, भारत ने घरेलू आपूर्ति की सुरक्षा के लिए निर्यात को बैन कर दिया, जिससे कुछ देशों में चावल की खरीददारी बढ़ गई। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में बढ़ती खपत के बीच वैश्विक कमी को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
कीमतों में बढ़ोतरी से वैश्विक खाद्य बाजारों में तनाव बढ़ेगा जो कि खराब मौसम और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते काला सागर क्षेत्र से अनाज की आपूर्ति में कमी के कारण प्रभावित हुआ है।

 

आरबीआई ने दी बड़ी राहत, रेपो रेट में नहीं किया इजाफा; 6.5 प्रतिशत पर स्थिर
Posted Date : 11-Aug-2023 3:50:58 am

आरबीआई ने दी बड़ी राहत, रेपो रेट में नहीं किया इजाफा; 6.5 प्रतिशत पर स्थिर

मुंबई । महंगाई को लक्षित दायर में रखने के लक्ष्य पर नजर टिकाये रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने आज विकास अनुमान को यथावत बनाये रखने और महंगाई के अनुमान को बढ़ाते हुये नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया, जिससे आम लोगों के घर, कार और अन्य प्रकार के ऋणों की किस्तों में बढोतरी नहीं होगी। समिति ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय लिया है।
चालू वित्त वर्ष में तीसरी द्विमासिक तीन दिवसीय बैठक के बाद आज जारी बयान में यह घोषणा की गयी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह घोषणा करते हुये कहा कि वैश्विक और घरेलू अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुये कहा कि फिलहाल नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं की जा रही है लेकिन नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने के बीच समिति ने समयोजन वाले रूख से पीछे हटने का निर्णय लिया है।
समिति के इस निर्णय के बाद फिलहाल नीतिगत दरों में बढोतरी नहीं होगी। रेपो दर 6.5 प्रतिशत, स्टैंडर्ड जमा सुविधा दर (एसडीएफआर) 6.25 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग सुविधा दर (एमएसएफआर) 6.75 प्रतिशत, बैंक दर 6.75 प्रतिशत, फिक्स्ड रिजर्व रेपो दर 3.35 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात 4.50 प्रतिशत, वैधानिक तरलता अनुपात 18 प्रतिशत पर यथावत है।
दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में आयी सुस्ती के बीच सशक्त और मजबूत बना हुआ और यह महंगाई को काबू में करने में सक्षम है।। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में विकास अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है। इसके आधार पर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 8.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में छह प्रतिशत और चौथी तिमाही में यह 5.7 प्रतिशत रह सकती है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 6.6 प्रतिशत रह सकती है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक पूरा ध्यान महंगाई को चार प्रतिशत के लक्षित दायरे में लाने का है। उन्होंने कहा कि टमाटर की कीमतों में उछाल के साथ ही अनाज और दालों की कीमतों में आयी तेजी से महंगाई बढ़ी है लेकिन अब सब्जियों की कीमतों में कमी आने का पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई के अनुमान को 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया गया है। दूसरी तिमाही में यह 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 5.2 प्रतिशत रह सकती है।

 

सेबी के रडार पर अनलिसटेड कंपनी, बाजार नियामक बना रहा है ये बड़ा प्लान
Posted Date : 10-Aug-2023 4:20:34 am

सेबी के रडार पर अनलिसटेड कंपनी, बाजार नियामक बना रहा है ये बड़ा प्लान

नई दिल्ली  ।  पूंजी बाजार नियामक सेबी गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए डिस्क्लोजर आवश्यकताओं को लागू करने पर विचार कर रहा है।
आपको बता दें कि जिस तरह लिस्टेड कंपनियों के लिए डिस्क्लोजर जरूरी होता है उसी प्रकार अब अन लिस्टेड कंपनियों को भी अब डिस्क्लोजर जरूरी करने पर विचार किया जा रहा है जो फिलहाल लागू नहीं है।
पारदर्शिता की सुविधा देना का लक्ष्य
सेबी ने 2022-23 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि
सके अलावा, सेबी लेनदेन की ग्रुप-स्तरीय रिपोर्टिंग को बढ़ाकर ग्रुप के आसपास पारदर्शिता की सुविधा प्रदान करने की योजना बना रहा है। अपने एनुअल रिपोर्ट में सेबी ने बताया कि ग्रुप के अंदर क्रॉस-होल्डिंग और फिजिकल वित्तीय लेनदेन के विवरण का खुलासा जैसे कुछ ऐसे मामले हैं जिनकी जांच सेबी वार्षिक आधार पर खुलासा करने के लिए करेगा।
डेरिवेटिव सेगमेंट पर भी सेबी का एक्शन
अन लिस्टेड कंपनियों के अलावा सेबी डेरिवेटिव सेगमेंट में स्टॉक पेश करने के लिए पात्रता मानदंड की समीक्षा करने की योजना बना रहा है।
आपको बता दें कि डेरिवेटिव में स्टॉक पेश करने के लिए पात्रता मानदंड की आखिरी समीक्षा 2018 में हुई थी। तब से, बाजार पूंजीकरण और टर्नओवर जैसे नकदी बाजार के आकार और तरलता को दर्शाने वाले व्यापक बाजार पैरामीटर काफी बढ़ गए हैं।
सेबी क्यों उठा रहा है यह कदम?
इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में शेयरों और अनुबंधों के लिए अस्थिरता प्रबंधन को मजबूत करने और सूचना में होने वाली कठिनाईयों को कम करने के लिए, पूंजी बाजार नियामक इन शेयरों और उनके डेरिवेटिव अनुबंधों के लिए मूल्य बैंड के मौजूदा ढांचे को मजबूत करने की प्रक्रिया में है।
डीलिस्टिंग पर भी सेबी का है ये प्लान
अन्य उपायों के अलावा, सेबी डीलिस्टिंग के मामले में मूल्य निर्धारण तंत्र की समीक्षा करने की योजना बना रहा है।
बाजार नियामक सेबी स्टॉक एक्सचेंज द्वारा अपनाए गए अनिवार्य डीलिस्टिंग ढांचे की समीक्षा करने की भी योजना बना रहा है।

 

एफडी निवेशकों के लिए खुशखबरी, बैंक ऑफ इंडिया ने शुरू की स्पेशल एफडी मानसून डिपॉजिट , मिल रहा तगड़ा ब्याज
Posted Date : 10-Aug-2023 4:20:11 am

एफडी निवेशकों के लिए खुशखबरी, बैंक ऑफ इंडिया ने शुरू की स्पेशल एफडी मानसून डिपॉजिट , मिल रहा तगड़ा ब्याज

नई दिल्ली  । सरकारी क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दो करोड़ रुपये से कम कुछ अवधि की एफडी की ब्याज दरों में बदलाव किया गया है। इसके साथ ही 400 दिनों की एक स्पेशल एफडी स्कीम मानसून डिपॉजिट लॉन्च की है। बैंक की ओर से इस स्पेशल एफडी पर सबसे अधिक 7.25 प्रतिशत का ब्याज दिया जा रहा है। बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, नई ब्याज दरें 28 जुलाई से लागू हो गई हैं। बैंक की ओर से 7 दिनों से लेकर 10 साल तक की अवधि एफडी ऑफर की जा रही है।
ऑफ इंडिया की एफडी की ब्याज दरें
7 दिनों से लेकर 45 दिनों तक की एफडी पर - 3.00 प्रतिशत
46 दिनों से लेकर 179 दिनों तक की एफडी पर - 4.50 प्रतिशत
180 दिनों से लेकर 269 दिनों तक की एफडी पर - 5.00 प्रतिशत
270 दिनों से लेकर एक साल से कम की एफडी पर - 5.50 प्रतिशत
एक साल की एफडी पर - 6.00 प्रतिशत
एक साल एक दिन से लेकर 399 दिनों की एफडी पर - 6.00 प्रतिशत
400 दिनों की एफडी पर - 7.25 प्रतिशत
401 दिनों से लेकर दो साल से कम की एफडी पर - 6.00 प्रतिशत
दो साल से लेकर 3 साल से कम एफडी पर - 6.75 प्रतिशत
3 साल से लेकर 5 साल से कम एफडी पर - 6.50 प्रतिशत
5 साल से लेकर 10 साल की एफडी पर - 6.00 प्रतिशत
वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगी अधिक ब्याज
बैंक की वेबसाइट दी गई जानकारी के मुताबिक, वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष या उससे अधिक) को 3 वर्ष या उससे अधिक की एफडी कराने पर 0.50 प्रतिशत की ब्याज के अलावा 0.25 प्रतिशत की ब्याज दी जाएगी। वहीं, अतिवरिष्ठ नागरिकों (80 वर्ष या अधिक) को 3 वर्ष या उससे अधिक की एफडी कराने पर 0.50 प्रतिशत की ब्याज के अलावा 0.40 प्रतिशत की ब्याज दी जाएगी।
मस्क की टेस्ला ने भारतीय मूल के वैभव तनेजा को सीएफओ नियुक्त किया
Posted Date : 09-Aug-2023 4:22:49 am

मस्क की टेस्ला ने भारतीय मूल के वैभव तनेजा को सीएफओ नियुक्त किया

सैन फ्रांसिस्को।  एलन मस्क द्वारा संचालित टेस्ला ने भारतीय मूल के वैभव तनेजा को अपना मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) नियुक्त किया है। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब कंपनी भारत को अगला प्रमुख आपूर्ति पारिस्थितिकी तंत्र निर्माता बनाने के प्रयास में है।
तनेजा वर्तमान में टेस्ला में मुख्य लेखा अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, और एक अतिरिक्त जिम्मेदारी के रूप में सीएफओ पद संभालेंगे। रिपीट के अनुसार, वह ज़ाचरी किरखोर्न का स्थान लेंगे जो टेस्ला के साथ अपना 13 साल का कार्यकाल पूरा करेंगे।
किरखोर्न ने पेशेवर नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर एक पोस्ट में कहा, इस कंपनी का हिस्सा बनना एक विशेष अनुभव है और 13 साल पहले शामिल होने के बाद से हमने एक साथ जो काम किया है, उस पर मुझे बेहद गर्व है।
टेस्ला ने कथित तौर पर निकट भविष्य में अपने ऑटो पार्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स श्रृंखला को देश में लाने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों के साथ चर्चा की है।
मस्क ने जून में अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी मुलाकात के दौरान कहा था कि वह अगले साल भारत का दौरा करेंगे।
मस्क ने मोदी के साथ अपनी मुलाकात के बाद बातचीत में संवाददाताओं से कहा, उन्हें वास्तव में भारत की परवाह है क्योंकि वह हमें भारत में महत्वपूर्ण निवेश करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हम यह करने का इरादा रखते हैं और सिर्फ सही समय का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

 

सेबी अस्पष्टीकृत संदिग्ध ट्रेडिंग पैटर्न के प्रावधानों पर विचार करेगा
Posted Date : 09-Aug-2023 4:22:27 am

सेबी अस्पष्टीकृत संदिग्ध ट्रेडिंग पैटर्न के प्रावधानों पर विचार करेगा

नई दिल्ली। अस्पष्टीकृत क्रेडिट’ पर आयकर अधिनियम के प्रावधान के समान, बाजार नियामक सेबी ‘अस्पष्टीकृत संदिग्ध ट्रेडिंग पैटर्न’ के प्रावधानों पर विचार करना चाहेगा।
सेबी, प्रतिभूति कानूनों के प्रावधानों के उल्लंघन से संबंधित मामलों से निपटने के दौरान विशेष रूप से जोड़-तोड़ और अनुचित व्यापार प्रथाओं, अंदरूनी व्यापार, फ्रंट रनिंग, पंप और डंप गतिविधि आदि से संबंधित, के संबंध में प्रत्यक्ष साक्ष्य खोजने में चुनौतियों का सामना करता है। गैर-सार्वजनिक मूल्य संवेदनशील जानकारी का संचार।
ऐसे मामलों में, जहां ट्रेडिंग पैटर्न स्पष्ट रूप से बार-बार संदिग्ध प्रतीत होता है, निवेशकों को ऐसी ट्रेडिंग गतिविधियों की व्याख्या करने की आवश्यकता होगी।
सेबी द्वारा अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील सूचना (यूपीएसआई) की परिभाषा की समीक्षा भी की जाएगी।
यूपीएसआई की वर्तमान परिभाषा सूचीबद्ध संस्थाओं पर जानकारी को यूपीएसआई के रूप में वर्गीकृत करने की जिम्मेदारी रखती है, इस उम्मीद के साथ कि वे जानकारी को यूपीएसआई के रूप में वर्गीकृत करते समय विवेक का प्रयोग करेंगे और इस प्रकार, पीआईटी विनियमों के तहत निर्धारित सिद्धांतों का पालन करेंगे।
सेबी ने कहा कि हालांकि, यह देखा गया है कि कई बार एक सूचना/घटना जिसे यूपीएसआई के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए था, सूचीबद्ध इकाई द्वारा ऐसा नहीं किया गया था। इस प्रकार, यह सुनिश्चित करने के लिए कि सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा यूपीएसआई के रूप में जानकारी को वर्गीकृत करने की प्रक्रिया एक समान है और इसे सेबी (एलओडीआर) विनियमों के तहत प्रकटीकरण आवश्यकताओं के साथ संरेखित करने के लिए यूपीएसआई की परिभाषा की समीक्षा की जाएगी।
बाजार नियामक लेनदेन की समूह-स्तरीय रिपोर्टिंग को बढ़ाकर समूह के आसपास पारदर्शिता की सुविधा प्रदान करने की भी योजना बना रहा है।
समूह के भीतर क्रॉस होल्डिंग और भौतिक वित्तीय लेनदेन के विवरण का खुलासा भी उन मामलों में से एक है, जिनकी जांच सेबी वार्षिक आधार पर खुलासा करने के लिए करेगा।
सेबी ने कहा कि सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध सहयोगियों के एक जटिल समूह के साथ गैर-सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा प्रतिभूति बाजार पारिस्थितिकी तंत्र में पेश किए गए जोखिमों की पहचान, निगरानी और प्रबंधन करने की जरूरत है।
जबकि सूचीबद्ध संस्थाएं व्यापक प्रकटीकरण जरूरतों के अधीन हैं, प्रकटीकरण आवश्यकताओं के समान स्तर गैर-सूचीबद्ध कंपनियों पर लागू नहीं होते हैं।
आगामी वर्ष में सेबी डीलिस्टिंग के मामले में मूल्य निर्धारण तंत्र की समीक्षा करने की योजना बना रहा है।
विशेष रूप से, रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया की समीक्षा और स्वैच्छिक डीलिस्टिंग के मामले में निकास मूल्य निर्धारित करने के लिए अन्य विकल्पों की खोज की जाएगी।