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इलेक्ट्रिक गाड़ी का मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है नवाबों का शहर!
Posted Date : 26-Sep-2023 4:27:33 am

इलेक्ट्रिक गाड़ी का मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है नवाबों का शहर!

लखनऊ  । उत्तर प्रदेश में हिंदुजा समूह के स्वामित्व वाली लेलैंड कंपनी से 1500 करोड़ रुपए का एक मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिन (एमो) हुआ है। कंपनी की ओर से दावा किया गया है कि इसे 18 माह में धरातल पर उतार देंगे। अगर ऐसा हुआ तो जानकर बताते हैं कि नवाबों का शहर इलेक्ट्रिक गाड़ी का मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है।
जानकर बताते हैं कि अगर लखनऊ में हिंदुजा का यह प्लांट लगा तो भविष्य में नवाबों का यह शहर डेट्रायट की तरह मोटर सिटी के रूप में भी जाना जाएगा। यही नहीं हाल के वर्षों गुजरात और दक्षिण भारत को छोड़ दें तो उत्तर प्रदेश में किसी दिग्गज आटो कंपनी का यह पहला और बड़ा निवेश होगा। इसके पहले पश्चिम बंगाल के कोलकाता में अंबेसडर और हरियाणा के मानेसर में मारुति सुजुकी ने इस सेक्टर में बड़ा निवेश किया था।
फिलहाल कंपनी और सरकार का संबंधित विभाग इसके लिए जमीन तलाश रहे हैं। अधिक संभावना यह है कि प्रस्तावित इकाई लखनऊ के बंद पड़ी स्कूटर्स इंडिया की खाली जमीन पर ही लगेगी। हालांकि प्रयागराज में भी जमीन देखी गई है।
एमओयू के तहत अशोक लेलैंड उत्तर प्रदेश में ई-मोबिलिटी पर केंद्रित एक एकीकृत वाणिज्यिक वाहन बस संयंत्र स्थापित करेगा, जो राज्य में अशोक लेलैंड का पहला संयंत्र होगा। साझेदारी के तहत, अशोक लेलैंड मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक बसों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें वर्तमान में उपलब्ध ईंधन के साथ-साथ उभरते वैकल्पिक ईंधन द्वारा संचालित अन्य वाहनों को भी असेंबल करने की सुविधा होगी।
अशोक लीलैंड के चेयरमैन धीरज हिंदुजा ने कहा कि उत्तर प्रदेश की यह नवीन इकाई आगामी 18 माह में प्रारंभ हो जाएगी। चरणबद्ध रूप से यहां ई-मोबिलिटी के विभिन्न आयामों पर कार्य किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि हम आने वाले वर्षों में कंपनी डीजल बसों और वाणिज्यिक वाहनों के अपने पूरे बेड़े को इलेक्ट्रिक और अन्य वैकल्पिक ईंधन में बदलने की योजना पर काम कर रहे हैं।
एसआरएम टाटा मोटर्स के सेल्स हेड अमित श्रीवास्तव कहते हैं कि कोई भी उद्योग निवेशक के लिए तो लाभप्रद होता ही है इसमें बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिलता है। हिंदुजा की इकाई लगने से कई लाभ लोगों को मिलेंगे। प्रस्तावित इकाई में कमर्शियल इलेट्रिकल वाहन ही बनेंगे। भविष्य में प्रदूषण के मद्देनजर सरकार का पूरा फोकस ऐसे ही वाहनों पर है।
आटो क्षेत्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि किसी जमाने में फोर्ड और मोटर कार एक दूसरे के पर्याय थे। हेनरी फोर्ड नामक एक अमेरिकी उद्यमी ने वहां के डेट्रायट शहर में वाहन बनाने की एक इकाई लगाई। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह शहर न सिर्फ मोटर कारों का बल्कि अन्य कामर्शियल वाहनों के उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में धीरज हिंदुजा समूह के स्वामित्व वाली लेलैंड कंपनी से 1500 करोड़ रुपए का मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिन (एमो) हुआ। प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रिकल कमर्शियल वाहनों के उत्पादन के लिए पहली बार किसी औद्योगिक घराने से ऐसा (एमओयू) किया है।
वैश्विक महामारी कोरोना के कहर के बाद से सर्वाधिक तेजी से उभरे सेक्टर्स में ऑटो इंडस्ट्री ही है। आंकड़ों के मुताबिक जीडीपी की वृद्धि में ऑटोमोबाइल उद्योग का बहुत बड़ा योगदान होता है। देश की कुल जीडीपी में इस सेक्टर का योगदान करीब 21 फीसद है। करीब दो करोड़ लोगों को इस सेक्टर में रोजगार मिला हुआ है।

 

नई गाड़ी के इंश्योरेंस पर भी कर सकते हैं पैसे की बचत, ऐसे उठाएं नो क्लेम बोनस का फायदा
Posted Date : 25-Sep-2023 3:25:23 am

नई गाड़ी के इंश्योरेंस पर भी कर सकते हैं पैसे की बचत, ऐसे उठाएं नो क्लेम बोनस का फायदा

नई दिल्ली । अगर आप नई गाड़ी लेने का विचार कर रहे हैं तो उसके इंश्योरेंस पर आप पुरानी गाड़ी के नो क्लेम बोनस का फायदा ले सकते हैं। इसके जरिए आप नई गाड़ी के इंश्योरेंस पर भी काफी पैसे बचा सकते हैं।
नई गाड़ी के इंश्योरेंस पर कैसे लें क्लेम का फायदा?
इंश्योरेंस नियामक वेबसाइट के मुताबिक, अगर इंश्योरेंस कराने वाली पार्टी के पास नो क्लेम बोनस का सर्टिफिकेट है और गाड़ी नहीं है तो वह नई कार के इंश्योरेंस पर पहले से मौजूद एनसीबी का फायदा ले सकते हैं।
कब मिलता है क्लेम
जब भी कोई व्यक्ति अपनी गाड़ी का इंश्योरेंस खरीदता है और उस वर्ष कोई क्लेम नहीं फाइल करता है तो उसे एनसीबी यानी नो क्लेम बोनस का फायदा मिलता है। वहीं, अगर क्लेम फाइल कर देता है तो उसे नो क्लेम बोनस का फायदा नहीं मिलता है। नियमों के मुताबिक, ये इंश्योरेंस के प्रीमियम का 20 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक हो सकता है।
कैसे नो क्लेम बोनस को कराएं ट्रांसफर?
अगर आप पॉलिसी रिन्यूएबल के समय अपनी इंश्योरेंस कंपनी को बदलना चाहते हैं तो भी आप आसानी से एनसीबी को ट्रांसफर कर सकते हैं। इसके लिए आपको मौजूदा इंश्योरेंस कंपनी से एनवीनीकरण नोटिस के रूप में प्राप्त एनसीबी का प्रमाण प्रदान करना आवश्यक होगा। एनसीबी का फायदा लेने के लिए आपको समय पर इंश्योरेंस पॉलिसी को रिन्यू कराते रहना चाहिए।

 

विदेशी निवेशकों का बिकवाली का दौर जारी, सितंबर में अब तक निकाले 10,000 करोड़ रुपये
Posted Date : 25-Sep-2023 3:24:55 am

विदेशी निवेशकों का बिकवाली का दौर जारी, सितंबर में अब तक निकाले 10,000 करोड़ रुपये

नई दिल्ली । विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने सितंबर के पहले तीन हफ्तों में लगातार शेयरों को बेचा है। एफपीआई ने सितंबर महीने में अभी तक भारतीय इक्विटी से 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। इसका मुख्य कारण बढ़ती अमेरिकी ब्याज दरें, मंदी की आशंकाएं और अधिक मूल्यवान घरेलू स्टॉक हैं।
इस आउटफ्लो से पहले एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार 6 महीनों से भारतीय इक्विटी खरीद रहे थे। इस अवधि में उन्होंने 1.74 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। क्रेविंग अल्फा के स्मॉलकेस, मैनेजर और प्रिंसिपल पार्टनर मयंक मेहरा का मानना है कि अगले महीने से एफपीआई शेयर बाजार में निवेश करना शुरू कर सकती है।
डिपॉजिटरी के आंकड़ें
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार सितंबर में अब तक 15 कारोबारी दिनों में एफपीआई 11 दिनों में 10,164 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। इस आंकड़े में प्राथमिक बाजार के माध्यम से थोक सौदे और निवेश शामिल हैं।
इस महीने अब तक यानी 22 सितंबर तक कुल 10,164 करोड़ रुपये की निकासी हुई है। वहीं पिछले कारोबारी हफ्ते में एफपीआई ने 4,700 करोड़ रुपये से अधिक निकाले थे। एफपीआई द्वारा की गई निकासी के बाद अगस्त महीने में भारत की इक्विटी चार महीने के निचले स्तर 12,262 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
एफपीआई ने किस सेक्टर से निकाला ज्यादा पैसा
वहीं, समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने देश के डेट मार्केट में 295 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके साथ ही इस साल अब तक इक्विटी में एफपीआई का कुल निवेश 1.25 लाख करोड़ रुपये और डेट बाजार में 28,476 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है।
क्षेत्रीय आंकड़ों से पता चला कि 15 सितंबर तक, खनन, बिजली, सेवाओं, तेल और दूरसंचार में सबसे अधिक बहिर्वाह दर्ज किया गया। वहीं, वित्तीय सेवाओं, पूंजीगत खाद्य पदार्थों, उपभोक्ता सेवाओं, आईटी और रियल्टी जैसे सेक्टर ने संचयी खरीदारी को आकर्षित किया।

 

वित्त मंत्रालय को भरोसा, जोखिमों के बावजूद एफवाई24 में 6.5 प्रतिशत रह सकती है वृद्धि दर
Posted Date : 24-Sep-2023 4:13:56 am

वित्त मंत्रालय को भरोसा, जोखिमों के बावजूद एफवाई24 में 6.5 प्रतिशत रह सकती है वृद्धि दर

नईदिल्ली। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में नरमी की आशंका को दरकिनार करते हुए वित्त मंत्रालय ने भरोसा जताया कि वित्त वर्ष 2024 में देश सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.5 फीसदी की वृद्धि दर हासिल कर लेगा।
मगर मंत्रालय ने वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी और अगस्त में मॉनसूनी बारिश की कमी के खरीफ एवं रबी फसलों पर असर जैसे जोखिमों का जिक्र भी किया। उसके मुताबिक इन जोखिमों का आकलन करने की जरूरत है।
अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में वित्त मंत्रालय ने कहा कि कंपनियों के मुनाफे में सुधार, निजी क्षेत्र के पूंजी निर्माण, बैंक उधारी तथा निर्माण क्षेत्र में गतिविधियों में वृद्धि ने नरमी का जोखिम कुछ हद तक कम कर दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2024 के लिए देश की आर्थिक तस्वीर उजली बनी हुई है। आर्थिक गतिविधियों ने अपनी रफ्तार बरकरार रखी है। उच्च आवृत्ति वाले संकेतकों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी अर्थव्यवस्था की चाल बेहतर है। यह सब देखकर हमें पूरा भरोसा है कि जोखिमों के बावजूद चालू वित्त वर्ष में हम 6.5 फीसदी का वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान हासिल कर लेंगे।’
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.8 फीसदी रही थी। इसके बाद कई अर्थशास्त्रियों ने पूरे वित्त वर्ष के लिए अपना अनुमान बढ़ाकर 6.5 फीसदी के आसपास कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार देश में उपभोग की मजबूत मांग और निवेश ने पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘शहरी बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट ने अर्थव्यवस्था में निजी खपत को बढ़ावा देने में योगदान किया है। वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढऩे से विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों के उत्पादन और मूल्यवर्धन में वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में जबरदस्त इजाफा हुआ है।’
मासिक समीक्षा में कहा गया है कि अगस्त में मॉनसूनी बारिश में कमी रही थी मगर उसकी कुछ हद तक भरपाई सितंबर में हो गई है और जिन खाद्य पदार्थों के दाम बढऩे की वजह से जुलाई में मुद्रास्फीति 7 फीसदी से ऊपर पहुंच गई थी, अब उनके दाम घट रहे हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि दूसरी तिमाही के लिए अग्रिम कर भुगतान के आंकड़ों से साफ पता चलता है कि निजी क्षेत्र की सेहत अच्छी है और वहां से निवेश हो रहा है। समीक्षा में कहा गया है कि बहीखाते को पुनर्गठित करने से कंपनियां अपना निवेश बढ़ाने और आर्थिक चुनौतियों के झटकों से निपटने के लिए मजबूत स्थिति में पहुंच गई हैं। रिपोर्ट कहती है, ‘उद्योग जगत के दमदार प्रदर्शन से भारत की वृद्धि रफ्तार में निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।’
वित्त मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक बाजार में गिरावट के बीच शेयर बाजार में नरमी का जोखिम हमेशा बना रहता है। समीक्षा में कहा गया है, ‘तेल की कीमतों में तेजी एक बड़ी चिंता है। हालांकि अभी संकट का कोई अलार्म नहीं दिख रहा है मगर अमेरिका में 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 4.3 फीसदी से अधिक हो गया है। एसऐंडपी 500 सूचकांक भी अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से अधिक दूर नहीं है।’ मगर मंत्रालय को भरोसा है कि भारत की आर्थिक गतिविधियों पर इन घटनाओं का प्रभाव अपेक्षाकृत कम होना चाहिए।
रिपोर्ट के मुताबिक तमाम संकेतकों से पता चलता है कि बैंकिंग क्षेत्र में गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में गिरावट, पूंजी बनाम जोखिम वाली परिसंपत्तियों के अनुपात (सीआरएआर) में सुधार, परिसंपत्तियों पर रिटर्न (आरओए) में बढ़ोतरी और इक्विटी पर रिटर्न में इजाफे के कारण इस क्षेत्र की मजबूती बढ़ रही है।

 

ईवी की बिक्री को नहीं मिल रही गति
Posted Date : 24-Sep-2023 4:13:38 am

ईवी की बिक्री को नहीं मिल रही गति

नईदिल्ली। इस महीने की शुरुआत में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गर्व से भारत में फलते-फूलते इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण उद्योग के बारे में बताया था।
उन्होंने अब तक 30 लाख इलेक्ट्रिक वाहन बेचने को उपलब्धि करार देते हुए इसमें 600 से अधिक स्टार्टअप कंपनियों की भूमिका पर जोर दिया और उम्मीद जताई कि साल 2030 तक बर साल 1 करोड़ से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री होगी।
देश में शांति से हो रही ईवी क्रांति काफी प्रशंसनीय है मगर आंकड़ों के पीछे की कहानी आशाजनक नहीं है।
सूत्रों से पता चलता है कि देश में 640 कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहन बनाती हैं। लेकिन 345 कंपनियों ने बताया कि उन्होंने 100 से कम गाडिय़ां बेची हैं।
इसके विपरीत, सडक़ परिवहन एवं वाहन राजमार्ग मंत्रालय के वाहन डैशबोर्ड पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2023 से 10 लाख वाहनों की बिक्री में शीर्ष 20 कंपनियों की 70 फीसदी हिस्सेदारी रही।
460 कंपनियां इलेक्ट्रिक तीन पहिया वाहन बनाती है यानी उद्योग के कुल 640 विनिर्माताओं में से 76 फीसदी मगर इस श्रेणी को सर्वाधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस खंड में न केवल विनिर्माताओं की सर्वाधिक संख्या है बल्कि 100 वाहनों से कम बिक्री करने वालों की भी संख्या काफी है। 236 कंपनियों ने बताया कि उन्होंने 100 से कम गाडिय़ां बेची हैं।
चूंकि इलेक्ट्रिक तीन पहिया वाहनों के खरीदार मुख्य रूप से निम्न आय वर्ग के लोग रहते हैं और वे ब्रांड के मुकाबले कीमत को प्राथमिकता देते हैं इसलिए शीर्ष दस कंपनियों की बिक्री कम रही है। कुल 3,88,043 इलेक्ट्रिक तीन पहिया वाहनों की बिक्री में इन शीर्ष 10 कंपनियों की सिर्फ 38 फीसदी हिस्सेदारी रही।
हालांकि, जैसे-जैसे पेट्रोल-डीजल वाले तीन पहिया वाहन निर्माता अपने ईवी कारोबार को बढ़ा रहे हैं नई कंपनियों के लिए जगह कम होने का खतरा है।
पेट्रोल-डीजल वाहन की पारंपिक कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और पियाजियो पहले से ही शीर्ष 10 विनिर्मताओं में शामिल हैं और इनके पास सामूहिक रूप से 11 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है। एमऐंडएम पहले ही इस खंड में बादशाह है।
सायरा इलेक्ट्रिक ऑटो के प्रबंध निदेशक नितिन कपूर ने कहा, ‘ईवी स्टार्टअप कंपनियों की की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए गुणवत्ता, नवोन्मेष और लागत प्रतिस्पर्धा बनाए रखना प्रमुख कारक होंगे।’ सायरा इलेक्ट्रिक ऑटो भारत की तीसरी सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक तीन पहिया वाहन विक्रेता है।

लैपटॉप आयात पर रोक की तारीख तय नहीं
Posted Date : 24-Sep-2023 4:13:11 am

लैपटॉप आयात पर रोक की तारीख तय नहीं

नईदिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया है कि लैपटॉप, टेबलेट, पर्सनल कंप्यूटर और छोटे सर्वर का आयात करने वाली कंपनियों को 1 नवंबर से विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की वेबसाइट पर पंजीकरण करना चाहिए। बेवसाइट पर पंजीकरण कराने वाली कंपनियों को एक निश्चित अवधि के लिए इन उत्पादों का आयात करने से रोका नहीं जाएगा। मगर आयात पर पाबंदी कब लागू होगी, इस पर अब भी विचार ही चल रहा है।
मंत्रालय ने पहले इसके लिए 1 अप्रैल, 2024 की समयसीमा का सुझाव दिया था मगर उद्योग एक साल की मोहलत पर जोर दे रहा है। उद्योग को लगता है कि उस समय तक उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की पात्र कंपनियों में से कई देश में इस तरह के उत्पाद बनाना शुरू कर देंगी और संभव है कि तब तक भारत से इसका निर्यात भी शुरू हो जाए।
आयात पर प्रतिबंध लगने के बाद इन उत्पादों का आयात तीन पैमानों पर कसा जाएगा – पिछले साल आयात किए गए आईटी हार्डवेयर की कीमत, देश में उत्पादन की कीमत और निर्यात किए गए इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की कीमत। इसका सीधा अर्थ यह है कि कंपनियों को उनके द्वारा किए गए निर्यात और देश में किए गए उत्पादन के एवज में क्रेडिट मिलेगा, जिसका इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के आयात में किया जा सकेगा।
सरकार इसका फॉर्मूला तैयार कर रही है। इसके मुताबिक अगर कंपनियां भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद असेंबल करने या निर्यात करने में विफल रही हैं तो अगले साल उनके आयात की मात्रा खुद-ब-खुद घट जाएगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के साथ हितधारकों की दूसरे दौर की बैठक में कथित लाइसेंस राज की वापसी के जुमले पर कड़ी आपत्ति जताए जाने के बाद इस फॉर्मूले पर चर्चा की गई। अमेरिकी सरकार ने भी इस कदम का विरोध करते हुए कहा था कि हितधारकों के साथ सलाह-मशविरा किए बगैर आयात पर रोक लगाने का निर्णय किया गया है।
भारत सरकार ने यह भी कहा है कि आपूर्ति श्रृंखला में अचानक किसी तरह की बाधा आती है या इन उत्पादों की जरूरत अनुमान से ज्यादा रहती है तो आयात प्रबंधन व्यवस्था में नियमों की समीक्षा के लिए पर्याप्त उपाय किए जाएंगे। सरकार ने कहा कि कंपनियां इन उत्पादों के आयात के लिए किसी एक देश पर निर्भर रहकर जोखिम उठाने के बजाय विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों से इनके आयात में विविधता लाने की संभावना तलाशे।
हितधारकों ने कहा कि अब यह तय करना होगा कि कंपनियों को पंजीकरण के लिए किस तरह की जानकारी देनी होगी। मंत्रालय ने कहा कि डीजीएफटी की वेबसाइट जल्द ही परीक्षण के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
इस बीच कई आईटी हार्डवेयर कंपनियों ने कहा कि वे घरेलू स्तर पर उत्पादन के विभिन्न चरणों में हो सकती हैं। ऐसे में स्थानीय स्तर पर असेंबल करने की उनकी क्षमता भी अलग होगी और आयात प्रबंधन व्यवस्था के तहत इस पर भी विचार करना चाहिए। इन कंपनियों का तर्क है कि आईटी हार्डवेयर के लिए 2.0 पीएलआई के तहत वे योजना के लिए पहले साल के तौर पर वित्त वर्ष 2024 या वित्त वर्ष 2025 को चुन सकते हैं।
सरकार ने इन कंपनियों को आश्वस्त किया है कि किसी भी तरह की समस्या का निराकरण किया जाएगा।