नई दिल्ली । सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर में महंगाई दर (-) 0.26 फीसदी रहा। इस साल अगस्त में यह (-) 0.52 प्रतिशत था। सितंबर में महंगाई दर के नीचले स्तर पर पहुंचने के पीछे की वजह है कि इस महीने रासायनिक और रासायनिक उत्पादों, खनिज तेल, कपड़ा, बुनियादी धातुओं और खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट आई है। पिछले साल इसी महीने यानी सितंबर में यह सामान काफी महंगा था।
इसी के साथ वहीं, सितंबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 3.35 प्रतिशत हो गई जो कि अगस्त में यह 10.60 फीसदी थी। आपको बता दें कि लगातार 6 महीने से ङ्खक्कढ्ढ डेटा में नकारात्मक रुझान देखने को मिल रहा है। जुलाई में तोक महंगाई दर -1.36 फीसदी थी।
महंगाई दर में क्यों आई कमी
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि सितंबर 2023 में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में रासायनिक और रसायन उत्पादों, खनिज तेल, कपड़ा, बुनियादी धातुओं और खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण महंगाई दर में गिरावट है।
इन चीजों की कीमतों में आई कमी
सितंबर में ईंधन और बिजली बास्केट की मुद्रास्फीति (-)3.35 प्रतिशत थी, जो अगस्त में (-)6.03 प्रतिशत थी। वहीं, विनिर्मित उत्पादों में महंगाई दर (-)1.34 फीसदी रही, जबकि अगस्त में यह (-)2.37 फीसदी थी.
पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों से पता चला कि वार्षिक खुदरा या उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति सितंबर में 5.02 प्रतिशत थी, जो 3 महीने का निचला स्तर है।
सैन फ्रांसिस्को । इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला ने थर्ड-पार्टी ऐप्स को सपोर्ट करने के लिए ऑफिशियल एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) दस्तावेज जारी किया है। इलेक्ट्रेक की रिपोर्ट के अनुसार, इस समय एपीआई केवल उस कमांड को कवर करता है जिसे आप टेस्ला ऐप के माध्यम से अपनी कार पर भेज सकते हैं, और यह आपकी कार से ऐप पर जाने वाले डेटा को पिंग कर सकता है।
यह बदलाव सभी थर्ड-पार्टी फ्लीट मैनेजमेंट ऐप्स और स्मार्टवॉच इंटीग्रेशन ऐप्स आदि को ऑफिशियल बनाने जा रहा है।
एलन मस्क द्वारा संचालित कंपनी ने पहले अपने वाहनों के लिए फुल थर्ड-पार्टी ऐप इकोसिस्टम बनाने के लिए एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट (एसडीके) के बारे में बात की है।
ऑटोमेकर ने अब ऑफिशियल तौर पर एपीआई दस्तावेज जारी किया है, जो उनकी कारों के आसपास थर्ड-पार्टी ऐप कम्युनिटी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
टेस्ला के अनुसार, सभी थर्ड-पार्टी ऐप्स को अगले साल से नए एपीआई से गुजरना होगा।
इसमें कहा गया है, 2024 से शुरू होकर, अधिकांश वाहनों को टेस्ला व्हीकल कमांड एसडीके के माध्यम से कमांड भेजने की आवश्यकता होगी।
अगस्त में, टेस्ला के ऐप को ऐप्पल शॉर्टकट्स के साथ ऑटोमेशन के लिए समर्थन प्राप्त हुआ।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईफोन रखने वाले टेस्ला कार ओनर टेसी जैसे थर्ड-पार्टी के ऐप का इस्तेमाल किए बिना एप्पल शॉर्टकट ऑटोमेशन को सक्रिय करने के लिए सिरी का उपयोग कर सकते हैं।
इस बीच, टेस्ला ने 2023 की तीसरी तिमाही में 430,488 वाहनों का उत्पादन किया, जो पिछली तिमाही से 10 प्रतिशत कम है।
तीसरी तिमाही में, कंपनी ने 430,000 से अधिक वाहनों का उत्पादन किया था और 435,000 से अधिक वाहनों की डिलीवरी की।
कंपनी ने तीसरी तिमाही में 435,059 वाहनों की डिलीवरी की, जो पिछली तिमाही की तुलना में 6.6 प्रतिशत कम है लेकिन साल दर साल 26.5 प्रतिशत की वृद्धि है। टेस्ला आधिकारिक तौर पर 18 अक्टूबर को अपनी तीसरी तिमाही की आय की रिपोर्ट देगी।
नई दिल्ली । केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक होने वाली है। सूत्रों के मुताबिक 23 अक्टूबर को सरकारी स्वामित्व वाली मेटल्स एंड मिनरल्स ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एमएमटीसी), स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (एसटीसी) और प्रोजेक्ट एंड इक्विपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीईसी) को बंद करने पर फैसला होने की संभावना है।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के पिछले साल आयात-निर्यात के लिए कैनालाइजिंग एजेंसियों के रूप में डिनोटिफाई करने का निर्णय लेने के बाद से तीन कंपनियों को बंद करने की तलवार लटक गई है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) से संबंधित एक मामले में अवैध युग्मित अनुबंधों में शामिल होने के लिए अगस्त में स्टॉक ब्रोकर के रूप में एमएमटीसी लिमिटेड का लाइसेंस रद्द कर दिया था।
एमएमटीसी ने युग्मित अनुबंध (पेयर्ड कॉन्ट्रैक्ट) में कारोबार किया, जिसके पास विनियामक अनुमोदन नहीं था।
मंत्रालय ने कहा है कि तीन केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की व्यापारिक कंपनियों की उपयोगिता की जांच की गई। उसका विचार था कि वाणिज्य विभाग में किसी भी कैनालाइजिंग एजेंसी की कोई आवश्यकता नहीं है।
तीन केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बंद करने से संबंधित मुद्दे की भी नीति आयोग ने जांच की है।
मंत्रालय ने यह भी कहा था, गैर-रणनीतिक क्षेत्र में सीपीएसई के लिए नई उद्यम नीति पर सार्वजनिक उद्यम विभाग के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए, एमएमटीसी, एसटीसी और पीईसी को बंद करने का प्रस्ताव विचाराधीन है।
एमएमटीसी उच्च श्रेणी के लौह अयस्क, मैंगनीज, क्रोम अयस्क, खोपरा और कीमती धातुओं के आयात और निर्यात के लिए एक कैनालाइजिंग एजेंसी थी।
एसटीसी गेहूं, दालें, चीनी और खाद्य तेल जैसे बड़े पैमाने पर उपभोग की आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए एक कैनालाइजिंग एजेंसी थी। जबकि, पीईसी मशीनरी और रेलवे उपकरणों के निर्यात और आयात के लिए एजेंसी थी।
एमएमटीसी और एसटीसी की स्थापना क्रमश: 1963 और 1956 और पीईसी लिमिटेड का गठन 1971- 72 में हुआ था।
नई दिल्ली । सितंबर में शुरू हुई एफपीआई की बिकवाली अक्टूबर में भी जारी है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने ये बात कही है।
एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने 13 अक्टूबर तक स्टॉक एक्सचेंजों के जरिए 13,652 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची।
लेकिन उन्होंने इसी अवधि के दौरान प्राथमिक बाजार और अन्य के माध्यम से 3,868 करोड़ रुपये का निवेश भी किया, जिससे शुद्ध बिक्री का आंकड़ा 9,784 करोड़ रुपये हो गया।
अमेरिकी बांड यील्ड में निरंतर वृद्धि एफपीआई की बिकवाली का प्रमुख कारण है।
उन्होंने कहा कि एफपीआई ने वित्तीय, बिजली और आईटी में बिकवाली जारी रखी और पूंजीगत वस्तुओं और ऑटोमोबाइल में खरीदारी की।
भारतीय बाजार कई चुनौतियों के बीच भी मजबूती से खड़ा है और इसलिए, एफपीआई के बीच यह चिंता बढ़ रही है कि अगर वे बिकवाली जारी रखते हैं, तो वे भारतीय बाजार में संभावित रैली से चूक जाएंगे। उन्होंने कहा, इससे एफपीआई आने वाले दिनों में भारी बिकवाली करने से रुक सकता है।
हालांकि, अगर इजऱाइल-हमास संघर्ष बढ़ता है और कच्चे तेल में उछाल आता है, तो वे बेचना जारी रख सकते हैं। उन्होंने कहा, अनिश्चितता का स्तर ऊंचा है।
नई दिल्ली । भारत के कृषि क्षेत्र को दक्षिण-पश्चिम मानसून से काफी नुकसान हुआ है। खड़ी फसले इससे काफी प्रभावित हुई हैं, साथ ही इस साल दलहन और तिलहन जैसी प्रमुख फसलों के तहत बोए गए क्षेत्र में भी कमी आई है।
देश का आधे से अधिक कृषि क्षेत्र फसल उगाने के लिए बारिश पर निर्भर करता है। इससे आगे और अधिक परेशानी हो सकती है क्योंकि अंतर को भरने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए अब महंगे आयात का सहारा लेना पड़ सकता है।
कम बारिश के कारण दालों की खेती का रकबा करीब 9 फीसदी कम हो गया है, जबकि सूरजमुखी का रकबा 65 फीसदी तक गिर गया है। उड़द, मूंग और अरहर जैसी दालों का रकबा पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 5.41 लाख हेक्टेयर कम हो गया है। इसी तरह तिलहन का रकबा 3.16 लाख हेक्टेयर कम हो गया है।
इस साल राज्यों में लगभग 8.68 लाख हेक्टेयर फसल क्षेत्र बाढ़ या भारी वर्षा से प्रभावित होने की सूचना है। खरीफ फसलों की कटाई शुरू हो गई है और आने वाले हफ्तों में कुल उत्पादन में नुकसान की सीमा स्पष्ट हो जाएगी।
जून में मानसून देरी से शुरू हुआ, जिसके बाद जुलाई में अधिक बारिश हुई, उसके बाद अगस्त में कमी हुई और फिर सितंबर में पंजाब और हरियाणा जैसे देश के कुछ हिस्सों में फिर से अधिक बारिश हुई, जिससे खड़ी फसल पर असर पड़ा। इसके चलते सब्जियों, खासकर टमाटर और प्याज की कीमतों में भारी वृद्धि हुई, जिससे मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई और घरेलू बजट बढ़ गया।
किसानों की आय में गिरावट का उद्योग पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा, क्योंकि महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले ट्रैक्टरों और हीरो मोटोकॉर्प और बजाज जैसी ऑटो प्रमुखों द्वारा विपणन किए जाने वाले दोपहिया वाहनों की मांग में कमी आई है, जो हाल के महीनों में मासिक बिक्री संख्या में गिरावट से परिलक्षित होता है।
खरीदे जाने वाले ट्रैक्टरों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। सरकार के वाहन पोर्टल में संकलित आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2023 में फार्म ट्रैक्टरों के केवल 49,007 पंजीकरण हुए, जो अगस्त में 68,431 और जुलाई में 84,473 थे।
चावल, गेहूं, दालों और मसालों की बढ़ती कीमतें चिंता का कारण बनकर उभरी हैं। खुदरा मुद्रास्फीति के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि सब्जियों और खाना पकाने के तेल की कीमतों में गिरावट के कारण सितंबर में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 6.56 प्रतिशत हो गई है, लेकिन दालों की कीमतें 16.38 प्रतिशत बढ़ गईं, जबकि मसालों की कीमतें 23.06 प्रतिशत बढ़ गईं। अनाज की कीमतें 10.95 फीसदी बढ़ गईं।
सरकार ने गेहूं और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए भी हस्तक्षेप किया। प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है जिससे किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है क्योंकि उनकी कमाई में गिरावट देखी गई है। इन दुर्लभ वस्तुओं की कीमतों को कम करने के लिए खाद्य तेल और दालों पर आयात शुल्क भी कम किया गया है।
कृषि क्षेत्र के भविष्य पर प्रभाव डालने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण कारक पानी की मात्रा है जो वर्तमान में देश के विभिन्न राज्यों के जलाशयों में उपलब्ध है। भारत की लगभग 80 प्रतिशत बारिश दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान होती है जिससे देश के जलाशय भी भर जाते हैं। इनका उपयोग अगले कृषि मौसम के दौरान सिंचाई के लिए किया जाता है।