नई दिल्ली । मणिपाल एजुकेशन एंड मेडिकल ग्रुप के चेयरमैन रंजन पई ने बायजूस की सब्सिडियरी कंपनी आकाश एजुकेशन सर्विसेज लिमिटेड में डेविडसन केम्पनर का मौजूद डेट इन्वेस्टमेंट खरीद लिया है। आर्थिक संकट से जूझ रही बायजूस इसे चुका नहीं पा रही थी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये डील 1,400 करोड़ में हुई है। केम्पनर को पे किए गए 1,400 करोड़ में से 800 करोड़ लोन था और 600 करोड़ ब्याज। केम्पनर के पास आकाश की प्लेज के तौर पर 15-20 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। डील के हिस्से के रूप में अब वो अपनी हिस्सेदारी पई को ट्रांसफर कर देगा। डेविडसन केम्पनर अमेरिका की एसेट मैनेजमेंट कंपनी है।
पई की एक इकाई ने एनएसई सीबीआरआईसीएस प्लेटफॉर्म पर डेविडसन केम्पनर की सभी एनसीडीएस खरीदी। इस डील के साथ ही बायजूस और इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनी डेविडसन केम्पनर के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद खत्म हो गया है।
बायजूस ने साल 2021 में करीब 1 बिलियन डॉलर में आकाश एजुकेशन सर्विसेज लिमिटेड का अधिग्रहण किया था, जो कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को कोचिंग देता है।
पाई को आकाश एजुकेशनल सर्विसेज के बोर्ड में सीट मिलेगी। उन्हें दो और प्रतिनिधियों को नॉमिनेट करने का भी अधिकार होगा। आकाश के बोर्ड में वर्तमान में छह मेंबर हैं, जिनमें केम्पनर के दो प्रतिनिधि शामिल हैं। इस डील के बाद ये बोर्ड से बाहर हो जाएंगे।
बायजूस को 31 मार्च 2022 को खत्म हुए वित्त वर्ष में 2,250 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। जबकि एक साल पहले कंपनी को 2406 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। हालांकि, कंपनी की इनकम 1,552 करोड़ से बढक़र 3,569 करोड़ रही। बायजूस ने शनिवार 4 नवंबर को इसके बारे में जानकारी दी थी। फाइनेंशियल रिजल्ट जारी करने में देरी सहित कई अन्य कारणों से कंपनी रेगुलेटरी जांच के घेरे में है।
बायजू रवींद्रन बोले- फ ाइनेंशियल ईयर 2022 ने हमें बहुत कुछ सिखाया
फाउंडर और सीईओ बायजू रवींद्रन ने वित्त वर्ष 2022 के नतीजे जारी होने के बाद कहा था,’उठापटक से भरे साल ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। इस साल हमने 9 एक्विजिशन किए हैं, जो भारत में एजुकेशन टेक्नोलॉजी के पोटेंशियल को हाइलाइट करता है। कोरोना महामारी के बाद दुनिया में बहुत कुछ बदला है, यह हमें बहुत कुछ सिखा गया है। आने वाले सालों में बायजू सस्टेनेबल और प्रॉफिटेबल ग्रोथ के साथ आगे बढ़ेगा।’
सियोल । दक्षिण कोरिया की शीर्ष बैटरी निर्माता एलजी एनर्जी सॉल्यूशन लिमिटेड (एलजीईएस) ने शनिवार को कहा कि फोर्ड मोटर के साथ तुर्की में बैटरी प्लांट बनाने की उसकी योजना रद्द कर दी गई है, क्योंकि एक तुर्की भागीदार ने परियोजना में अपनी भागीदारी वापस ले ली है। फरवरी में, एलजी एनर्जी सॉल्यूशन ने तुर्की की राजधानी अंकारा के पास एक शहर बास्केंट में ईवी बैटरी बनाने के लिए एक संयुक्त उद्यम पर जोर देने के लिए फोर्ड और तुर्की के कोक होल्डिंग के साथ एक गैर-बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए।
कोक ने ईवी अपनाने पर विचार करने और बैटरी निवेश के लिए अनुचित समय का हवाला देते हुए अपनी भागीदारी रद्द करने का फैसला किया। उनका निर्णय इस बढ़ती चिंता के बीच आया कि आर्थिक मंदी और बढ़ती लागत के बीच ईवी की मांग कम हो सकती है। एलजी एनर्जी सॉल्यूशन ने उस समय कहा था कि कारखाने की शुरुआत में 2026 में 25 गीगावाट घंटे (जीडब्ल्यूएच) की उत्पादन क्षमता होगी, इससे पहले कि इसका वार्षिक उत्पादन 45 गीगावॉट तक विस्तारित हो।
प्लांट से उत्पादन फोर्ड को उसके वाणिज्यिक वाहनों, ज्यादातर ट्रांजिट वैन के इलेक्ट्रिक संस्करण के लिए आपूर्ति किया जाना था। फोर्ड और कोक का तुर्की में एक संयुक्त उद्यम है, जो सालाना 450,000 वाणिज्यिक कारों का उत्पादन करता है, और उनमें से अधिकांश यूरोप में बेची जा रही हैं। एलजी एनर्जी सॉल्यूशन ने कहा कि तुर्की ईवी बैटरी परियोजना के रद्द के बाद फोर्ड को बैटरी की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बैटरी निर्माता एलजीईएस की वैश्विक उत्पादन क्षमता 200 गीगावॉट प्रति वर्ष है, इसके वैश्विक उत्पादन स्थल छह देशों में चल रहे हैं। 2022 के अंत तक, इसका ऑर्डर बैकलॉग 385 ट्रिलियन वॉन (294.8 बिलियन डॉलर) था।
नई दिल्ली । माइक्रोसॉफ्ट के स्वामित्व वाले एआई-पावर्ड प्लेटफॉर्म गिटहब के भारत में 13.2 मिलियन डेवलपर्स हैं। जिसमें से 3.5 मिलियन इस साल इस प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं। भारत में डेवलपर्स वैश्विक स्तर पर गिटहब जेनरेटिव एआई परियोजनाओं में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता हैं।
इस निरंतर और महत्वपूर्ण वृद्धि के साथ गिटहब का अनुमान है कि भारत 2027 तक कुल डेवलपर आबादी में अमेरिका से आगे निकल जाएगा।
गिटहब में एपीएसी के उपाध्यक्ष शैरिन नेपियर ने कहा, भारत का बढ़ता डेवलपर समुदाय एक नवाचार पावरहाउस के रूप में देश की स्थिति के केंद्र में है। भारतीय डेवलपर्स को गिटहब पर जेनेरिक एआई परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देखना रोमांचक है, जो एआई परिदृश्य में भारत के बढ़ते महत्व को उजागर करता है, साथ ही देश के डेवलपर्स सीधे दुनिया भर में एआई नवाचार के भविष्य को आकार दे रहे हैं।
गिटहब की स्टेट ऑफ द ऑक्टोवर्स रिपोर्ट के 2023 संस्करण से पता चला है कि जेनरेटिव एआई 148 प्रतिशत साल-दर-साल वृद्धि के साथ जेनरेटर एआई परियोजनाओं में व्यक्तिगत योगदानकर्ताओं में एक महत्वपूर्ण और वैश्विक वृद्धि ला रहा है।
विशेष रूप से, अमेरिका, भारत और जर्मनी डेवलपर समुदायों के बीच अग्रणी हैं, जबकि यूके, जापान, हांगकांग और फ्रांस सहित अन्य क्षेत्र इसके बाद हैं।
भारत के डेवलपर समुदाय ने साल-दर-साल लगातार वृद्धि का अनुभव किया है, जिसमें 2023 में 36 प्रतिशत की वृद्धि भी शामिल है।
भारत अपने और अन्य देशों के लिए डिजिटल भुगतान और ईकॉमर्स सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए सॉफ्टवेयर कोड से लेकर एआई मॉडल तक खुली सामग्रियों के साथ अपने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है।
मुंबई । आज धनतरेस है और रविवार को दिवाली है। त्योहारों के लिए बाजार सजे हुए हैं। इस बार चीनी उत्पादों की कम और स्थानीय उत्पादों की धूम अधिक मची हुई है। दिल्ली सहित देश भर के व्यापारियों के लिए माल की बिक्री का एक बड़ा दिन है जिसकी लेकर देश भर में बड़ी तैयारियाँ व्यापारियों ने की हुई है।
कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की आज और कल धनतेरस के मौक़े पर देशभर में करीब 50 हज़ार करोड़ रुपये के रिटेल व्यापार का अनुमान है। दूसरी तरफ़ इस दिवाली पर वोकल फॉर लोकल का असर पूरी तरह से बाजारों में दिख रहा है। ज्यारदातर लोग भारत में बने हुए सामान की खरीददारी करना पसंद कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार दिवाली से जुड़े चीनी सामानों की बिक्री अब न होने से चीन को लगभग 1 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
धनतेरस पर अमूमन लोग बर्तन और दूसरे सामानों की खरीदारी करते हैं, सभी जगह बाजारों में बर्तनों की दुकानों पर भारी भीड़ उमड़ रही है। इस त्योहार को लेकर व्यापारियों ने लम्बे समय से तैयारी करके रखी हुई है। वहीं, लोग धनतेरस पर चम्मच, गिलास, कटोरी, थाली सहित कई बर्तनों के सेट व अन्य बर्तनों की खरीदारी करने में व्यस्त हैं।
नई दिल्ली । 2021 में बीबीसी इंवेस्टिगेशन के बाद विवादों में आए लाइव वीडियो चैट प्लेटफॉर्म ओमेगल बंद हो गया है। बीबीसी की इंवेस्टिगेशन में पाया गया था कि बच्चे वेबसाइट पर अजनबियों के सामने खुद को एक्सपोज कर रहे हैं। वेबसाइट की स्थापना 2009 में 18 वर्षीय प्रोग्रामर और हाई स्कूल के छात्र लीफ़ के-ब्रूक्स ने की थी। महामारी के दौरान यह वेबसाइट अमेरिका, मैक्सिको और यूके के अलावा भारत में भी लोकप्रिय हो गई।
ओमेगल वर्चुअल वीडियो और टेक्स्ट चैट के लिए लोगों को लिंक करता था, और मॉडरेटर होने का दावा करता था। हजारों उपयोगकर्ता भारत से भी थे। एक ब्लॉग पोस्ट में, के-ब्रूक्स ने कहा कि वर्षों से, लोगों ने विदेशी संस्कृतियों का पता लगाने, निष्पक्ष तीसरे पक्षों से अपने जीवन के बारे में सलाह लेने और अकेलेपन को कम करने के लिए ओमेगल का उपयोग किया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि ओमेगल ये लड़ाई हार गया है, लेकिन इंटरनेट के खिलाफ युद्ध जारी है।
के-ब्रूक्स ने लिखा, जितना मैं चाहता हूं कि परिस्थितियां अलग होतीं, उतनी ही ये बढ़ती गई। ओमेगल का संचालन अब न तो आर्थिक रूप से और न ही मनोवैज्ञानिक रूप से टिकाऊ है। सच कहूं तो, मैं 30 की उम्र में दिल का दौरा नहीं चाहता। कई देशों में स्कूलों और कानून अधिकारियों ने वेबसाइट के बारे में चेतावनी जारी की थी।
द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट में कहा गया, वेबसाइट के अस्वीकरण के बावजूद कि उपयोगकर्ताओं की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए, और 13 से 18 वर्ष के यूजर्स को माता-पिता की अनुमति के साथ साइट का उपयोग करना चाहिए, साइट पर ऐज वेरिफिकेशन नहीं है।
नई दिल्ली । हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) आंध्र प्रदेश में अपनी विशाखापत्तनम रिफाइनरी का विस्तार पूरा करने और अगले वित्त वर्ष में राजस्थान में एक नई रिफाइनरी स्थापित करने के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और नायरा एनर्जी जैसी कंपनियों से डीजल खरीदना बंद कर देगी। कंपनी के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। देश में करीब एक-चौथाई पेट्रोल पंप एचपीसीएल के हैं लेकिन उसके पास पेट्रोल तथा डीजल का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त तेल शोधन क्षमता नहीं है। इसलिए इसकी भरपाई के लिए वह मेंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल), गुजरात में रिलायंस इंडस्ट्रीज की जामानगर इकाइयों और नायरा की वाडिनार रिफाइनरी से उत्पाद खरीदती है।
एचपीसीएल के चेयरमैन पुष्प कुमार जोशी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में परिसंपत्तियों की गुणवत्ता तथा क्षमता को मजबूत करने में पूंजीगत व्यय पर कंपनी के ध्यान देने के अब नतीजे आने शुरू हो गए हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी पहले ही अपनी मुंबई रिफाइनरी की क्षमता को 75 लाख टन से बढ़ाकर 95 लाख टन प्रति वर्ष कर चुकी है। विशाखापत्तनम इकाई का विस्तार करके उसकी क्षमता अगले साल तक 1.5 करोड़ टन तक की जाएगी। उत्पाद ‘सोर्सिंग मिश्रण के बारे में पूछे जाने पर एचपीसीएल के निदेशक (वित्त) रजनीश नारंग ने कहा कि कंपनी की मुंबई तथा विशाखापत्तनम रिफाइनरियां वर्तमान में कंपनी द्वारा बेचे जाने वाले पेट्रोल का 43 प्रतिशत और डीजल का 47 प्रतिशत प्रदान करती है।
एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड उद्योगपति लक्ष्मी निवास मित्तल के साथ एक संयुक्त उद्यम वाली कंपनी और यह 24 प्रतिशत पेट्रोल तथा 31 प्रतिशत डीजल प्रदान करती है। बाकी 34 प्रतिशत पेट्रोल और 21 प्रतिशत डीजल दूसरी कंपनियों से आता है। उन्होंने कहा कि एक बार जब विशाखापत्तनम का विस्तार अगले साल पूरा हो जाएगा, तो एचपीसीएल की अपनी रिफाइनरियां 61 प्रतिशत डीजल की मांग पूरी करेंगी। एचएमईएल 16 प्रतिशत देगी और 23 प्रतिशत बाहरी कंपनियों से लिया जाएगा।
नारंग ने कहा, ‘‘एक बार जब राजस्थान रिफाइनरी स्थापित हो जाएगी, तो डीजल की पूरी आवश्यकता एचपीसीएल की अपनी तथा संयुक्त उद्यम रिफाइनरियों से पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पेट्रोल की मांग में से 49 प्रतिशत एचपीसीएल की मौजूदा दो रिफाइनरियों से, 10 प्रतिशत एचएमईएल से, 12 प्रतिशत राजस्थान रिफाइनरी से और शेष 29 प्रतिशत एमआरपीएल, रिलायंस और नायरा जैसी अन्य रिफाइनरियों से पूरी की जाएगी।