नई दिल्ली । भारत का निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही यानी अप्रैल से सितंबर तक की अवधि में सालाना आधार पर 4.86 प्रतिशत बढक़र 393.22 अरब डॉलर हो गया है। यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 375 अरब डॉलर था। सरकार द्वारा बुधवार को जारी किए गए डेटा में यह जानकारी सामने आई।
चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने में कुल माल निर्यात की संचयी वैल्यू 213.22 अरब डॉलर रही। वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान यह आंकड़ा 211.08 अरब डॉलर था। इसमें 1.02 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है।
अप्रैल-सितंबर 2024 के दौरान सर्विसेज के निर्यात में 9.81 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक, भारत का निर्यात सितंबर में माल और सर्विसेज को मिलाकर 65.19 अरब डॉलर रहने की उम्मीद है। इसमें सालाना आधार पर 3.76 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि देखी गई है।
बीते महीने भारत के निर्यात में इंजीनियरिंग गुड्स, जैविक और अजैविक रसायन, प्लास्टिक और लिनोलियम, दवाएं और फार्मास्यूटिकल्स और सभी प्रकार के रेडीमेड गारमेंट्स (आरएमजी) आदि प्रमुख थे।
सेक्टर के हिसाब से देखें तो सितंबर में इंजीनियरिंग गुड्स का निर्यात 10.55 प्रतिशत बढक़र 8.89 अरब डॉलर से 9.82 अरब डॉलर हो गया। जैविक और अजैविक रसायनों का निर्यात 11.21 प्रतिशत बढक़र 2.12 अरब डॉलर से 2.36 अरब डॉलर हो गया।
प्लास्टिक और लिनोलियम का निर्यात सितंबर 2024 में 28.32 प्रतिशत बढक़र 0.79 अरब डॉलर हो गया, जो कि सितंबर 2023 में 0.62 अरब डॉलर था। दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स का निर्यात 7.22 प्रतिशत बढक़र 2.39 अरब डॉलर से 2.57 अरब डॉलर हो गया।
कपड़ा निर्यात सितंबर 2024 में 17.30 प्रतिशत बढक़र 1.11 अरब डॉलर हो गया, जो पहले 0.95 अरब डॉलर था।
सितंबर में कुल आयात (माल और सेवाएं संयुक्त) 71.68 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, इसमें 3.79 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
नई दिल्ली । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 2028 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 20 प्रतिशत है।
बुधवार को गूगल की एक नई रिपोर्ट में कहा गया कि एआई देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और एक ग्लोबल लीडर के रूप में उभरने की क्षमता रखता है।
गूगल द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक भारत में एआई को अपनाने से कम से कम 33.8 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक मूल्य प्राप्त किया जा सकता है।
एन एआई ऑपोरचुनिटी एजेंडा फॉर इंडिया शीर्षक वाले नए पेपर के अनुसार, देश अपनी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, आउटस्टैंडिंग तकनीकी प्रतिभा, युवा जनसांख्यिकी और जीवंत स्टार्ट-अप इको सिस्टम के साथ एआई लाभों को प्राप्त करने के लिए तैयार है।
रिपोर्ट में कहा गया है, एआई पहले से ही देश की कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों का समाधान कर रहा है, जिसमें कृषि पद्धतियों में क्रांतिकारी बदलाव से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और परिणामों में सुधार शामिल है।
उदाहरण के लिए, एग्रोस्टार जैसे एआई-संचालित प्लेटफ़ॉर्म किसानों को सशक्त बना रहे हैं, फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा में, एआई निदान को बेहतर बनाने और खास वंचित समुदायों के लिए पहुंच का विस्तार कर रहा है।
टेक्नोलॉजी सेक्टर की इस दिग्गज कंपनी ने स्वास्थ्य सूचना कार्यक्रम से बाहर होने के जोखिम वाली महिलाओं की पहचान करने के लिए एआई का उपयोग करने के लिए एआरएमएमएएन के साथ साझेदारी की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘भारत के लिए एआई अवसर’ को बढ़ाने के लिए, सरकार, उद्योग और नागरिक समाज के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को तीन प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता देनी चाहिए: बुनियादी ढांचे और नवाचार में निवेश, मानव पूंजी और एआई-सशक्त कार्यबल का निर्माण, और व्यापक रूप से अपनाने और सार्वभौमिक पहुंच को बढ़ावा देना।
भारत में गूगल का लक्ष्य 10 मिलियन लोगों को एआई डिजिटल साक्षरता से सशक्त बनाना है, जिसमें छात्र, नौकरी चाहने वाले, शिक्षक, स्टार्टअप और डेवलपर्स और सिविल अधिकारी शामिल हैं।
स्टेनलो । ईईटी फ्यूल्स के नाम से कारोबार करने वाली एस्सार ऑयल (यूके) ने नरेश नैय्यर को गैर-कार्यकारी निदेशक के तौर पर एक बार फिर कंपनी के निदेशकमंडल में शामिल किया है।
उनकी नियुक्ति पर 2 अक्टूबर 2024 को सहमति बनी।
अरबों डॉलर की परियोजनाओं के संचालन और बदलाव के शिल्पकार के रूप में ख्याति प्राप्त नैय्यर तेल एवं गैस बाजार के विकास के एक अनुभवी विशेषज्ञ हैं। अपने करियर के दौरान नैय्यर एस्सार ऑयल लिमिटेड (तब भारत की दूसरी सबसे बड़ी निजी तेल कंपनी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक, तथा एस्सार एनर्जी पीएलसी यूके (तब एक एफटीएसई 100 ऊर्जा कंपनी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा चुके हैं।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी और कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में एस्सार ऑयल यूके लिमिटेड यूके का नेतृत्व करते हुए नैय्यर ने एक प्रमुख तेल शोधन और विपणन कंपनी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी पिछली भूमिकाओं में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में निदेशक (योजना और व्यवसाय विकास), ओएनजीसी मित्तल एनर्जी लिमिटेड यूके के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय ऊर्जा कंपनियों में गैर-स्वतंत्र निदेशक की भूमिकाएं भी शामिल हैं।
पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान (अहमदाबाद) के पूर्व छात्र नैय्यर का उद्योग कौशल विशेष शिक्षा से और निखरा है, जिसमें अमेरिका के डलास स्थित टेक्सास विश्वविद्यालय से तेल एवं गैस में उन्नत वित्तीय प्रबंधन कार्यक्रम भी शामिल है।
ईईटी फ्यूल्स के अध्यक्ष प्रशांत रुइया ने कहा : हमारे व्यवसाय के लिए इस महत्वपूर्ण समय में ईईटी फ्यूल्स में नरेश का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। हम उत्सर्जन में 95 प्रतिशत की कटौती के साथ स्टेनलो को दुनिया की पहली डीकार्बोनाइज्ड प्रोसेस रिफाइनरी बनाने की राह पर हैं और मैं इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए नरेश के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।
ईईटी फ्यूल्स के गैर-कार्यकारी निदेशक, नैय्यर ने कहा : ईईटी फ्यूल्स में वापस आना और कंपनी को चलाने में मदद करना बहुत अच्छा है क्योंकि हम ब्रिटेन में एक अग्रणी ऊर्जा संक्रमण केंद्र बना रहे हैं। मैं कंपनी के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं क्योंकि हम औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन के लिए एक वैश्विक बेंचमार्क स्थापित कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं कि ब्रिटेन के जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों और बढ़ी हुई ऊर्जा सुरक्षा को पूरा करते हुए ईंधन के लिए एक मजबूत, सुरक्षित विनिर्माण आधार बनाए रखें।
नई दिल्ली । इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनी जिप इलेक्ट्रिक का नुकसान वित्त वर्ष 24 में 2.2 गुना बढक़र 91 करोड़ रुपये हो गया है, जो कि इससे पहले के वित्त वर्ष में 40 करोड़ रुपये था।
वित्त वर्ष 24 के फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स के मुताबिक, जिप इलेक्ट्रिक का ईबीआईटीडीए मार्जिन नकारात्मक 19.47 प्रतिशत रहा है।
वित्त वर्ष 24 में कंपनी का खर्च 2.6 गुना बढक़र 394 करोड़ रुपये हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 23 में 152 करोड़ रुपये था।
वित्त वर्ष 24 में कंपनी की संचालन से आय 293 करोड़ रुपये रही। वित्त वर्ष 23 में कंपनी की संचालन से आय करीब 109 करोड़ रुपये थी।
जिप इलेक्ट्रिक की स्थापना 2017 में हुई थी। कंपनी के मुताबिक, उसके पास 22,000 वाहनों की एक एक्टिव फ्लीट है। वाहनों से किराया और डिलीवरी सर्विसेज कंपनी की आय का मुख्य जरिया है।
इस साल मई में जिप इलेक्ट्रिक की ओर से 15 मिलियन डॉलर का फंड जुटाया गया था। कंपनी की योजना 2026 तक इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की फ्लीट को बढ़ाकर 2,00,000 करना और अपने ऑपरेशन का विस्तार 15 शहरों तक करना था।
इस फंडिंग राउंड का नेतृत्व जापानी निवेशक कंपनी ईएनईओएस की ओर से किया गया था। इसके अलावा 9यूनिकॉर्न, आईएएन फंड और अन्य निवेशकों ने इस फंडिंग राउंड में भाग लिया था।
जिप इलेक्ट्रिक की ओर से हाल ही में मुंबई और हैदराबाद में ऑपरेशन लॉन्च किए गए हैं। कंपनी द्वारा जनवरी 2023 से लेकर मार्च 2023 के बीच 50 मिलियन से ज्यादा डिलीवरी की गई हैं।
जिप इलेक्ट्रिक ने अब तक 80 मिलियन डॉलर से अधिक जुटाए हैं, जिसमें फरवरी 2023 में ताइवानी ईवी निर्माता गोगोरो के नेतृत्व में जुटाए गए 25 मिलियन डॉलर भी शामिल हैं। इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी वर्तमान में जोमैटो, स्विगी, अमेजन, फ्लिपकार्ट सहित 50 से अधिक दिग्गज कंपियों के लिए डिलीवरी और राइड-शेयरिंग सेवाओं का प्रबंधन करती है।
नई दिल्ली । भारत को एक युवा राष्ट्र माना जाता है। देश की 377 मिलियन आबादी जनरेशन जेड से आती है। जनरेशन जेड देश की कंजप्शन ग्रोथ को लेकर एक बड़े योगदानकर्ता होंगे। बुधवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, जेन जेड 2025 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष खर्च लाने में सक्षम होंगे।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) के साथ साझेदारी में स्नैप इंक की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में, जनरेशन जेड का प्रत्यक्ष खर्च 250 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। इस समय तक हर दूसरा जनरेशन जेड कमाई कर रहा होगा।
जेन जेड की सामूहिक व्यय क्षमता 860 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, जो 2035 तक 2 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगी। जनरेशन जेड, मिलेनियल्स के बराबर ही खरीदारी करता है। वे अपने खर्च पर 1.5 गुना ज्यादा रिसर्च करते हैं।
स्नैप इंक के भारत में प्रबंध निदेशक पुलकित त्रिवेदी ने कहा, भारत एक युवा राष्ट्र है, जिसकी 377 मिलियन जनरेशन जेड आबादी है, जो अगले दो दशकों में भारत के विकास के भविष्य को आकार देगी। जेन जेड को सेवा देने वाले प्लेटफॉर्म के रूप में हम ब्रांड और बिजनेस के साथ काम करने को तैयार हैं।
लगभग 45 प्रतिशत व्यवसाय जनरेशन जेड की क्षमता को पहचानते हैं, लेकिन केवल 15 प्रतिशत ही सक्रिय रूप से उन्हें संबोधित करने के लिए कार्रवाई करते हैं, जो एक बड़े अवसर का संकेत देता है।
स्नैपचैट के डेली एक्टिव यूजर्स में 90 प्रतिशत की आयु 13-34 वर्ष है, जिससे पता चलता है कि यह प्लेटफॉर्म भारत में युवाओं का लोकप्रिय मंच बन गया है।
बीसीजी इंडिया की सीनियर पार्टनर और मैनेजिंग डायरेक्टर निमिषा जैन ने कहा, जनरेशन जेड पहले से ही भारत के उपभोक्ता खर्च का 43 प्रतिशत हिस्सा चला रही है।
उनका प्रभाव चुनिंदा श्रेणियों तक सीमित नहीं है - यह फैशन, खाने-पीने से लेकर ऑटोमोबाइल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स तक की श्रेणियों में फैला हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह गतिशील समूह अलग-अलग कैटेगरी में व्यय को प्रभावित कर रहा है। जैसे कि कुल व्यय का 50 प्रतिशत फुटवियर पर, 48 प्रतिशत भोजन पर, 48 प्रतिशत आउट-ऑफ-होम मनोरंजन पर और 47 प्रतिशत फैशन और जीवनशैली पर खर्च किया जा रहा है।
खर्च के वितरण का तरीका यह दर्शाता है कि वर्तमान में, जनरेशन जेड की कुल व्यय क्षमता 860 बिलियन डॉलर है। इसमें लगभग 200 बिलियन डॉलर प्रत्यक्ष व्यय (जो पैसा वे खुद कमाते हैं और खर्च करते हैं) से आता है। बाकी के 660 बिलियन डॉलर वे दूसरों के सुझाव या पसंद के आधार पर खर्च करते हैं।
नई दिल्ली 16 अक्टूबर । टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की राह में नई नौकरियों को लाए जाने की बात कही है।
चंद्रशेखरन ने जोर देकर कहा है कि भारत विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है और देश को बढ़ते कार्यबल की रोजगार जरूरतों को पूरा करने के लिए 10 करोड़ नौकरियों का सृजन करने की जरूरत है।
टाटा समूह देश में अधिक से अधिक विनिर्माण नौकरियां बनाने पर भी ध्यान दे रहा है, क्योंकि पूरा इकोसिस्टम भारतीय कंपनियों, विशेषकर 500,000 छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए कई अवसरों से भरा हुआ है।
चंद्रशेखरन के अनुसार, टाटा समूह सेमीकंडक्टर, प्रिसिशन मैन्युफैक्चरिंग, असेंबली, इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी और संबंधित उद्योगों में निवेश कर रहा है, इसलिए वह अगले पांच वर्षों में पांच लाख विनिर्माण नौकरियां पैदा कर सकता है।
सेमीकंडक्टर विनिर्माण जैसे क्षेत्र कई अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा कर सकते हैं। भारतीय गुणवत्ता प्रबंधन फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, हमें विकसित राष्ट्र बनने के लिए 100 मिलियन नौकरियां पैदा करने की जरूरत है।
देश में हर महीने लगभग दस लाख लोग कार्यबल में शामिल होते हैं, जिससे देश के भविष्य के विकास के लिए विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन आवश्यक हो जाता है।
पिछले महीने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाटा संस और ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कारपोरेशन (पीएसएमसी) की नेतृत्व टीम से मुलाकात की, जो गुजरात के धोलेरा में 91,000 करोड़ रुपये की लागत से मेगा सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन फैसिलिटी का निर्माण कर रहे हैं।
मार्च में, प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में टाटा-पीएसएमसी चिप प्लांट की आधारशिला रखी थी। फैब निर्माण से क्षेत्र में 20,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कुशल नौकरियां पैदा होंगी।
असम में टाटा समूह का सेमीकंडक्टर प्लांट प्रतिदिन 4.83 करोड़ सेमीकंडक्टर चिप्स का उत्पादन करेगा, साथ ही चालू होने पर 15,000 प्रत्यक्ष और 13,000 तक अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा करेगा।
टाटा समूह देश में एक नए आईफोन असेंबली प्लांट के लिए तैयार है, जिसके जल्द ही चालू होने की संभावना है।
वित्त वर्ष 2024 में नौकरियों में वृद्धि हुई है, भारत के विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिसमें 1.3 मिलियन नई नौकरियां पैदा हुईं - जो वित्त वर्ष 2022 में 1.1 मिलियन थीं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में वित्त वर्ष 23 में विनिर्माण क्षेत्र की नौकरियों और श्रमिकों के वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि का श्रेय पीएम मोदी को दिया, जहां इनमें क्रमश: 7.6 प्रतिशत और 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।