मुंबई । हफ्ते के आखिरी दिन शेयर बाजार एक बार फिर लाल निशान में खुला। शुक्रवार को बाजार में बड़े नुकसान के साथ कारोबार शुरू हुआ। आज बीएसई सेंसेक्स 257.35 अंकों की गिरावट के साथ 80,749.26 अंकों पर खुला तो वहीं दूसरी ओर निफ्टी 50 भी 86.70 अंकों की गिरावट के साथ 24,664.95 अंकों पर शुरू हुआ। जबकि गुरुवार को शेयर बाजार हरे निशान में खुला था लेकिन अंत में ये बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ था। बताते चलें कि ये हफ्ता भी शेयर बाजार और इसके निवेशकों के लिए अच्छा नहीं रहा और नुकसान हावी रहा। भयानक नुकसान से लाल हुआ बीएसई का सेंसेक्स इंडेक्स
आज सुबह 9.20 बजे तक सेंसेक्स की 30 में से 28 कंपनियों के शेयर लाल निशान में थे जबकि सिर्फ 2 कंपनियों के शेयर ही हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। इसी तरह, निफ्टी 50 की भी 50 में से 35 कंपनियों के शेयर नुकसान में थे और सिर्फ 15 कंपनियों के शेयर ही हरे निशान में थे।
इंफोसिस के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट
सुबह 9.20 बजे तक सेंसेक्स की कंपनियों में शामिल इंफोसिस के शेयर सबसे ज्यादा 2.01 प्रतिशत की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे। इसके अलावा, टाइटन 1.80 प्रतिशत, मारुति सुजुकी 1.65 प्रतिशत, इंडसइंड बैंक 1.17 प्रतिशत, टेक महिंद्रा 1.02 प्रतिशत, एचडीएफसी बैंक 1.00, अडाणी पोर्ट्स 0.96 प्रतिशत, बजाज फाइनेंस 0.95 प्रतिशत, महिंद्रा एंड महिंद्रा 0.92 प्रतिशत, नेस्ले इंडिया के शेयर 0.91 प्रतिशत की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे।
इन कंपनियों के शेयर में भी नुकसान
इस समय तक रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारतीय स्टेट बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट, पावरग्रिड, बजाज फिनसर्व, हिंदुस्तान यूनिलीवर, टाटा स्टील, आईटीसी, जेएसडब्लू स्टील, लार्सन एंड टुब्रो, भारती एयरटेल, एशियन पेंट्स, आईसीआईसीआई बैंक, एनटीपीसी, सनफार्मा, टाटा मोटर्स और एचसीएल टेक के शेयर भी लाल निशान में ट्रेड कर रहे थे।
एक्सिस बैंक के शेयर में जोरदार तेजी
वहीं दूसरी ओर, इस बड़ी गिरावट के बीच एक्सिस बैंक के शेयर सबसे ज्यादा 2.58 प्रतिशत की तेजी के साथ कारोबार कर रहे थे। एक्सिस बैंक के साथ-साथ टीसीएस के शेयर में 0.56 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे।
मुंबई ,18 अक्टूबर । टीसीएस के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस ने गुरुवार को अपने वित्तीय नतीजे जारी कर दिए। इंफोसिस ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में उनके नेट प्रॉफिट में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसके बाद ये 6506 करोड़ रुपये हो गया। बताते चलें कि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी को 6212 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ था। 5% बढक़र 40,986 करोड़ रुपये हुआ इंफोसिस का ऑपरेशनल रेवेन्यू
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इंफोसिस का ऑपरेशनल रेवेन्यू भी सालाना आधार पर 5% बढक़र 40,986 करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा, कंपनी ने अपने वित्त वर्ष 2025 के रेवेन्यू गाइडेंस को संशोधित कर 3.75% से 4.5% कर दिया है। इंफोसिस ने चालू वित्त वर्ष में मेगा डील में तेजी को ध्यान में रखते हुए रेवेन्यू गाइडेंस में ये बढ़ोतरी की है। इससे पहले, कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 के लिए 3 से 4% की रेवेन्यू गाइडेंस का दिया था।
गुरुवार को गिरावट के बीच इंफोसिस के शेयरों में आया बड़ा उछाल
शेयर बाजार में इंफोसिस की वित्तीय रिपोर्ट का पॉजिटिव असर देखने को मिला। गुरुवार को जब बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली, ऐसे में इंफोसिस के शेयर 49.60 रुपये (2.58%) की तेजी के साथ 1969.50 रुपये के भाव पर बंद हुए। बताते चलें कि बुधवार को कंपनी के शेयर 1919.90 रुपये के भाव पर बंद हुए थे और गुरुवार को बढ़त के साथ 1930.00 रुपये पर खुले थे, जो इसका इंट्राडे लो था। कल कारोबार के दौरान कंपनी के शेयरों ने 1978.00 रुपये का इंट्राडे हाई टच किया।
52 वीक हाई के काफी करीब पहुंचा इंफोसिस के शेयरों का भाव
इंफोसिस के शेयर का भाव अपने 52 वीक हाई के काफी करीब है। बीएसई के मुताबिक इंफोसिस के शेयरों का 52 वीक हाई 1990.90 रुपये है, जबकि इसका 52 वीक लो 1352.00 रुपये है। बताते चलें कि देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस का मौजूदा मार्केट कैप 8,17,765.32 करोड़ रुपये है।
मुंबई । दुनियाभर के बाजार इस समय ग्लोबल सेल-ऑफ का सामना कर रहे हैं। भारतीय शेयर बाजार पर भी इस ग्लोबल सेल-ऑफ का असर साफ-साफ देखा जा सकता है। भारी गिरावट का सामना कर रहे भारतीय बाजार में आज एक बार फिर बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। इसी बीच चीन के शेयर बाजारों में हालिया उछाल को देखते हुए निवेशकों के मन तरह-तरह की प्लानिंग चल रही है। निवेशक प्रॉफिट कमाने के लिए चीन के बाजार में पैसा लगाने का मन बना रहे हैं।
प्रॉफिट के लिए चीन के शेयर
एक ऑस्ट्रेलियाई ब्रोकरेज ने गुरुवार को कहा कि निवेशक प्रॉफिट कमाने के लिए चीन के बाजार में जा सकते हैं, लेकिन भारत लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट के नजरिए से निवेशकों का फेवरेट डेस्टिनेशन बना हुआ है। एक नोट में मैक्वेरी ने कहा कि इंवेस्टर इस समय दुविधा में हैं, क्योंकि भारत और चीन के बीच चुनाव करना ‘कठिन’ होता जा रहा है। उन्होंने दोनों देश के बाजारों के पॉजिटिव और नेगेटिव पहलुओं का विश्लेषण किया।
लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट के लिए बना रहेगा भारत का दबदबा
मैक्वेरी ने इसमें कहा है कि चीन द्वारा की गई प्रोत्साहन पहल निवेशकों को आकर्षित कर सकती है। इसके साथ ही, ऐसी भी संभावनाएं हैं कि इस तरह की और घोषणाएं चीनी शेयरों को बढ़ावा दे सकती हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट के लिए भारत का दबदबा बना रहेगा।
भारतीय बाजारों में डोमेस्टिक फ्लो के कारण अच्छी बढ़ोतरी
ऑस्ट्रेलियाई ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि भारतीय शेयर बाजार इस समय तीन ‘नकारात्मक’ स्थितियों से जूझ रहे हैं, जिनमें कमजोर इकोनॉमिक ग्रोथ और हाई वैल्यूएशन शामिल हैं। मैक्वेरी के एक नोट में कहा गया है कि भारतीय बाजारों में पिछले कुछ महीनों में डोमेस्टिक फ्लो के कारण अच्छी बढ़ोतरी देखी गई है, लेकिन वे प्रति शेयर उच्च आय की उम्मीदों के भी उलट हैं।
नई दिल्ली । भारत का निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही यानी अप्रैल से सितंबर तक की अवधि में सालाना आधार पर 4.86 प्रतिशत बढक़र 393.22 अरब डॉलर हो गया है। यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 375 अरब डॉलर था। सरकार द्वारा बुधवार को जारी किए गए डेटा में यह जानकारी सामने आई।
चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने में कुल माल निर्यात की संचयी वैल्यू 213.22 अरब डॉलर रही। वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान यह आंकड़ा 211.08 अरब डॉलर था। इसमें 1.02 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है।
अप्रैल-सितंबर 2024 के दौरान सर्विसेज के निर्यात में 9.81 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक, भारत का निर्यात सितंबर में माल और सर्विसेज को मिलाकर 65.19 अरब डॉलर रहने की उम्मीद है। इसमें सालाना आधार पर 3.76 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि देखी गई है।
बीते महीने भारत के निर्यात में इंजीनियरिंग गुड्स, जैविक और अजैविक रसायन, प्लास्टिक और लिनोलियम, दवाएं और फार्मास्यूटिकल्स और सभी प्रकार के रेडीमेड गारमेंट्स (आरएमजी) आदि प्रमुख थे।
सेक्टर के हिसाब से देखें तो सितंबर में इंजीनियरिंग गुड्स का निर्यात 10.55 प्रतिशत बढक़र 8.89 अरब डॉलर से 9.82 अरब डॉलर हो गया। जैविक और अजैविक रसायनों का निर्यात 11.21 प्रतिशत बढक़र 2.12 अरब डॉलर से 2.36 अरब डॉलर हो गया।
प्लास्टिक और लिनोलियम का निर्यात सितंबर 2024 में 28.32 प्रतिशत बढक़र 0.79 अरब डॉलर हो गया, जो कि सितंबर 2023 में 0.62 अरब डॉलर था। दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स का निर्यात 7.22 प्रतिशत बढक़र 2.39 अरब डॉलर से 2.57 अरब डॉलर हो गया।
कपड़ा निर्यात सितंबर 2024 में 17.30 प्रतिशत बढक़र 1.11 अरब डॉलर हो गया, जो पहले 0.95 अरब डॉलर था।
सितंबर में कुल आयात (माल और सेवाएं संयुक्त) 71.68 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, इसमें 3.79 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
नई दिल्ली । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 2028 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 20 प्रतिशत है।
बुधवार को गूगल की एक नई रिपोर्ट में कहा गया कि एआई देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और एक ग्लोबल लीडर के रूप में उभरने की क्षमता रखता है।
गूगल द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक भारत में एआई को अपनाने से कम से कम 33.8 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक मूल्य प्राप्त किया जा सकता है।
एन एआई ऑपोरचुनिटी एजेंडा फॉर इंडिया शीर्षक वाले नए पेपर के अनुसार, देश अपनी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, आउटस्टैंडिंग तकनीकी प्रतिभा, युवा जनसांख्यिकी और जीवंत स्टार्ट-अप इको सिस्टम के साथ एआई लाभों को प्राप्त करने के लिए तैयार है।
रिपोर्ट में कहा गया है, एआई पहले से ही देश की कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों का समाधान कर रहा है, जिसमें कृषि पद्धतियों में क्रांतिकारी बदलाव से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और परिणामों में सुधार शामिल है।
उदाहरण के लिए, एग्रोस्टार जैसे एआई-संचालित प्लेटफ़ॉर्म किसानों को सशक्त बना रहे हैं, फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा में, एआई निदान को बेहतर बनाने और खास वंचित समुदायों के लिए पहुंच का विस्तार कर रहा है।
टेक्नोलॉजी सेक्टर की इस दिग्गज कंपनी ने स्वास्थ्य सूचना कार्यक्रम से बाहर होने के जोखिम वाली महिलाओं की पहचान करने के लिए एआई का उपयोग करने के लिए एआरएमएमएएन के साथ साझेदारी की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘भारत के लिए एआई अवसर’ को बढ़ाने के लिए, सरकार, उद्योग और नागरिक समाज के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को तीन प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता देनी चाहिए: बुनियादी ढांचे और नवाचार में निवेश, मानव पूंजी और एआई-सशक्त कार्यबल का निर्माण, और व्यापक रूप से अपनाने और सार्वभौमिक पहुंच को बढ़ावा देना।
भारत में गूगल का लक्ष्य 10 मिलियन लोगों को एआई डिजिटल साक्षरता से सशक्त बनाना है, जिसमें छात्र, नौकरी चाहने वाले, शिक्षक, स्टार्टअप और डेवलपर्स और सिविल अधिकारी शामिल हैं।
स्टेनलो । ईईटी फ्यूल्स के नाम से कारोबार करने वाली एस्सार ऑयल (यूके) ने नरेश नैय्यर को गैर-कार्यकारी निदेशक के तौर पर एक बार फिर कंपनी के निदेशकमंडल में शामिल किया है।
उनकी नियुक्ति पर 2 अक्टूबर 2024 को सहमति बनी।
अरबों डॉलर की परियोजनाओं के संचालन और बदलाव के शिल्पकार के रूप में ख्याति प्राप्त नैय्यर तेल एवं गैस बाजार के विकास के एक अनुभवी विशेषज्ञ हैं। अपने करियर के दौरान नैय्यर एस्सार ऑयल लिमिटेड (तब भारत की दूसरी सबसे बड़ी निजी तेल कंपनी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक, तथा एस्सार एनर्जी पीएलसी यूके (तब एक एफटीएसई 100 ऊर्जा कंपनी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा चुके हैं।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी और कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में एस्सार ऑयल यूके लिमिटेड यूके का नेतृत्व करते हुए नैय्यर ने एक प्रमुख तेल शोधन और विपणन कंपनी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी पिछली भूमिकाओं में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में निदेशक (योजना और व्यवसाय विकास), ओएनजीसी मित्तल एनर्जी लिमिटेड यूके के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय ऊर्जा कंपनियों में गैर-स्वतंत्र निदेशक की भूमिकाएं भी शामिल हैं।
पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान (अहमदाबाद) के पूर्व छात्र नैय्यर का उद्योग कौशल विशेष शिक्षा से और निखरा है, जिसमें अमेरिका के डलास स्थित टेक्सास विश्वविद्यालय से तेल एवं गैस में उन्नत वित्तीय प्रबंधन कार्यक्रम भी शामिल है।
ईईटी फ्यूल्स के अध्यक्ष प्रशांत रुइया ने कहा : हमारे व्यवसाय के लिए इस महत्वपूर्ण समय में ईईटी फ्यूल्स में नरेश का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। हम उत्सर्जन में 95 प्रतिशत की कटौती के साथ स्टेनलो को दुनिया की पहली डीकार्बोनाइज्ड प्रोसेस रिफाइनरी बनाने की राह पर हैं और मैं इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए नरेश के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।
ईईटी फ्यूल्स के गैर-कार्यकारी निदेशक, नैय्यर ने कहा : ईईटी फ्यूल्स में वापस आना और कंपनी को चलाने में मदद करना बहुत अच्छा है क्योंकि हम ब्रिटेन में एक अग्रणी ऊर्जा संक्रमण केंद्र बना रहे हैं। मैं कंपनी के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं क्योंकि हम औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन के लिए एक वैश्विक बेंचमार्क स्थापित कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं कि ब्रिटेन के जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों और बढ़ी हुई ऊर्जा सुरक्षा को पूरा करते हुए ईंधन के लिए एक मजबूत, सुरक्षित विनिर्माण आधार बनाए रखें।