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रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची वाहनों की खुदरा बिक्री, फाडा ने जारी किए आंकड़े
Posted Date : 06-Dec-2023 3:53:57 pm

रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची वाहनों की खुदरा बिक्री, फाडा ने जारी किए आंकड़े

नईदिल्ली। भारत में मोटर वाहन की खुदरा बिक्री नवंबर में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। इस दौरान यात्री वाहन और दोपहिया खंडों की बिक्री सबसे अधिक रही। वाहन डीलर के निकाय फाडा ने यह बात कही।
कुल खुदरा बिक्री नवंबर में 18 प्रतिशत बढक़र 28,54,242 इकाई रही, जो नवंबर 2022 में 24,09,535 इकाई थी। यात्री वाहन (पीवी) की खुदरा बिक्री सालाना आधार पर 17 प्रतिशत बढक़र 3,60,431 इकाई हो गई, जो एक साल पहले 3,07,550 इकाई थी।
इसी तरह दोपहिया वाहनों का पंजीकरण पिछले महीने 21 प्रतिशत बढक़र 22,47,366 इकाई हो गया, जो पिछले साल नवंबर में 18,56,108 इकाई था।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के अध्यक्ष मनीष राज सिंघानिया ने कहा, ‘‘ नवंबर 2023 में भारतीय मोटर वाहन खुदरा उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक महीना बन गया है। इस महीने 28.54 लाख वाहन बेचे गए। इससे पहले मार्च 2020 में सर्वाधिक 25.69 लाख वाहन बेचे गए थे।’’
उन्होंने कहा कि दोपहिया और यात्री वाहन खंड ने पिछले महीने नए रिकॉर्ड बनाए। सिंघानिया ने कहा कि दोपहिया वाहन खंड में 22.47 लाख वाहनों की बिक्री देखी गई। यह मार्च 2020 के पिछले उच्च स्तर से 1.77 लाख अधिक है। यात्री वाहन श्रेणी में 3.6 लाख इकाइयां बेची गईं, जो अक्टूबर 2022 के पिछले उच्च स्तर से 4,000 इकाइयां अधिक है।
उन्होंने कहा कि पिछले महीने पीवी की बिक्री दीपावली और नए और आकर्षक मॉडल जारी होने से बढ़ी। तिपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री पिछले महीने बढक़र 99,890 इकाई हो गई, जो नवंबर 2022 से 23 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, नवंबर में ट्रैक्टर की बिक्री 21 प्रतिशत घटकर 61,969 इकाई रह गई, जो एक साल पहले समान अवधि में 78,720 इकाई थी।

 

चुनाव परिणामों के अगले ही दिन झूमा शेयर बाजार, निवेशकों की कमाई 4.97 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ी
Posted Date : 05-Dec-2023 3:15:23 pm

चुनाव परिणामों के अगले ही दिन झूमा शेयर बाजार, निवेशकों की कमाई 4.97 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ी

मुंबई  । वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में गिरावट के बीच चार में से तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जबरदस्त प्रदर्शन और आर्थिक विकास के मजबूत आंकड़ों से उत्साहित निवेशकों की चौतरफा लिवाली की बदौलत दो प्रतिशत से अधिक की ऊंची छलांग लगाकर आज सेंसेक्स और निफ्टी अबतक के नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए। शेयर बाजार में आई तेजी की लहर ने निवेशकों को मालामाल कर दिया है। आज सुबह निवेशक की कमाई 4.97 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ गई है।
रविवार को 4 राज्यों में हुए चुनाव के परिणामों की घोषणा हुई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्य में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है। इस बहुमत ने निवेशकों की सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा दिया।
बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1383.93 अंक अर्थात 2.05 प्रतिशत की उड़ान भरकर 68 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार और सार्वकालिक उच्चतम स्तर 68865.12 अंक पर पहुंच गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 418.90 अंक यानी 2.07 प्रतिशत की तेजी लेकर अबतक के रिकॉर्ड स्तर 20686.80 अंक पर रहा। दिग्गज कंपनियों की तरह बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों ने भी जमकर लाभ कमाया। इससे मिडकैप 1.19 प्रतिशत मजबूत होकर 34,999.76 अंक और स्मॉलकैप 1.20 प्रतिशत उछलकर 41 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार 41,051.01 अंक पर पहुंच गया। इस दौरान बीएसई में कुल 4018 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2391 में लिवाली जबकि 1446 में बिकवाली हुई वहीं 181 में कोई बदलाव नहीं हुआ। विश्लेषकों के अनुसार, केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने चार राज्य विधानसभा चुनावों में से तीन में महत्वपूर्ण जीत हासिल की है। राज्य चुनाव नतीजों से केंद्र में भाजपा सरकार की निरंतरता को लेकर निवेशकों में अधिक विश्वास पैदा हुआ, जिससे बाजार में तेजी आई है।
बीएसई के सभी 20 समूहों में तेजी का रुख रहा। इस दौरान कमोडिटीज 1.81, सीडी 0.81, ऊर्जा 2.88, एफएमसीजी 0.74, वित्तीय सेवाएं 2.98, हेल्थकेयर 0.40, इंडस्ट्रियल्स 2.29, आईटी 0.49, दूरसंचार 0.91, यूटिलिटीज 2.94, ऑटो 1.22, बैंकिंग 3.56, कैपिटल गुड्स 2.92, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 0.15, धातु 0.83, तेल एवं गैस 3.77, पावर 2.99, रियल्टी 2.06, टेक 0.49 और सर्विसेज समूह के शेयर 2.76 प्रतिशत मजबूत रहे। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गिरावट का रुख रहा। इस दौरान ब्रिटेन का एफटीएसई 0.40, जापान का निक्केई 0.60, हांगकांग का हैंगसेंग 1.09 और चीन का शंघाई कंपोजिट 0.29 प्रतिशत लुढक़ गया वहीं जर्मनी के डैक्स में 0.03 प्रतिशत की तेजी रही।

 

उड़ानों में बार-बार देरी के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने की इंडिगो की आलोचन
Posted Date : 05-Dec-2023 3:14:47 pm

उड़ानों में बार-बार देरी के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने की इंडिगो की आलोचन

नई दिल्ली  । कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने इंडिगो उड़ानों में बार-बार देरी पर निराशा व्यक्त की। पिछले सप्ताह इंडिगो की तीन उड़ानों में सवारी कर चुके तिवारी ने चंडीगढ़ से दिल्ली जाने वाली उड़ान संख्या 6ई2159 की डेढ़ घंटे से अधिक की देरी का जिक्र किया। तिवारी को हाल ही में दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाली इंडिगो की 6ई1855 उड़ान में भी ढाई घंटे से अधिक की देरी का सामना करना पड़ा था।
तिवारी ने एक्स पर लिखा, इंडिगो की यह तीसरी उड़ान है जो मैं इस सप्ताह ले रहा हूं जो 90 मिनट से अधिक की देरी से चल रही है। इस बार यह चंडीगढ़ से दिल्ली के लिए 6ई2159 है। इससे पहले एक अवसर पर दिल्ली से चंडीगढ़ के लिए इंडिगो की 6ई1855 उड़ान में ढाई घंटे से अधिक की देरी हुई थी। उन्होंने कहा, इंडिगो से यात्रा करने का एकमात्र कारण यह था कि वह समय पर आती थी। अन्यथा उसकी सेवाओं के बारे में न कहना ही बेहतर है।
कॉमेडियन कपिल शर्मा ने भी 29 नवंबर को एक सोशल मीडिया पोस्ट में इंडिगो उड़ान 6ई5149 की महत्वपूर्ण देरी पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, प्रिय इंडिगो6ई, पहले आपने हमें बस में 50 मिनट तक इंतजार कराया और अब आपकी टीम कह रही है कि पायलट ट्रैफिक में फंस गया है, क्या? सच में? उन्होंने आगे कहा, हमें रात आठ बजे तक उड़ान भरनी थी, और 9:20 बज चुके हैं; फिर भी, कॉकपिट में कोई पायलट नहीं है। क्या आपको लगता है कि ये 180 यात्री फिर से इंडिगो से उड़ान भरेंगे? कभी नहीं।

 

एलन मस्क को झटका: विज्ञापनदाता बना रहे दूरी, एक्स पर मंडराने लगा दिवालियापन का खतरा
Posted Date : 05-Dec-2023 3:14:16 pm

एलन मस्क को झटका: विज्ञापनदाता बना रहे दूरी, एक्स पर मंडराने लगा दिवालियापन का खतरा

लंदन ।  एलन मस्क ने ट्विटर (जिसे अब एक्स कहा जाता है) को खरीदने के लिए लगभग 13 बिलियन डॉलर का ऋण लिया था और सोशल मीडिया कंपनी को हर साल ब्याज भुगतान में लगभग 1.2 बिलियन डॉलर का भुगतान करना पड़ता है। चूंकि बड़े विज्ञापनदाताओं ने प्लेटफॉर्म छोड़ दिया और एक्स अपने ऋण पर ब्याज का भुगतान नहीं कर सकता या कर्मचारियों को भुगतान नहीं कर सकता, तो यह वास्तव में दिवालिया हो सकता है। लेकिन, यह एक चरम परिदृश्य होगा, जिससे मस्क निश्चित रूप से बचना चाहेंगे। हालांकि, जिस कंपनी को उन्होंने 44 बिलियन डॉलर में खरीदा था, उसके लिए दिवालियापन अकल्पनीय लग सकता है, लेकिन यह संभव है। डिज़्नी और एप्पल अब एक्स पर विज्ञापन नहीं दे रहे हैं।
खुदरा दिग्गज वॉलमार्ट ने पुष्टि की है कि वह एक्स पर विज्ञापन नहीं दे रहा है। रिपोर्ट में वॉलमार्ट के प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है, हम एक्स पर विज्ञापन नहीं कर रहे हैं, क्योंकि हमने अपने ग्राहकों तक बेहतर पहुंच के लिए अन्य प्लेटफॉर्म ढूंढ लिए हैं। पिछले महीने मस्क द्वारा यहूदी विरोधी पोस्ट का समर्थन करने के बाद वॉलमार्ट के जाने से एक्स छोडऩे वाली कंपनियों की सूची में इजाफा हुआ। एप्पल, डिज्नी, आईबीएम, कॉमकास्ट और वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी उन कंपनियों में से हैं जो अब एक्स पर विज्ञापन नहीं दे रही हैं। पिछले साल, एक्स का लगभग 90 प्रतिशत राजस्व विज्ञापन से आया था।
मस्क ने चेतावनी दी है कि बड़े विज्ञापनदाताओं का नुकसान एक्स के अंत का कारण बनेगा। यदि कंपनी विफल हो जाती है, तो यह विज्ञापनदाताओं के बहिष्कार के कारण विफल हो जाएगी और यही कंपनी को दिवालिया बना देगी। 2022 में ट्विटर का विज्ञापन राजस्व लगभग 4 बिलियन डॉलर था। इनसाइडर इंटेलिजेंस का अनुमान है कि इस साल यह घटकर 1.9 बिलियन डॉलर रह जाएगा। बड़े विज्ञापनदाताओं के खिलाफ मस्क की नाराजगी के बाद, एक्स कथित तौर पर बड़ी कंपनियों से विज्ञापन घाटे की भरपाई के लिए छोटे और मध्यम व्यवसायों (एसएमबी) को टैप करने का लक्ष्य बना रहा है।
मस्क द्वारा यहूदी विरोधी सामग्री का समर्थन करके बड़े ब्रांडों को नाराज करने के बाद एक्स अब राजस्व बढ़ाने के लिए एसएमबी की ओर रुख करेगा। कंपनी के एक प्रवक्ता के हवाले से कहा गया, छोटे और मध्यम व्यवसाय एक बहुत ही महत्वपूर्ण इंजन हैं, जिसे हमने निश्चित रूप से लंबे समय तक कम महत्व दिया है। कंपनी ने कहा, यह हमेशा योजना का हिस्सा था, अब हम इसके साथ और भी आगे बढ़ेंगे।

 

क्रेडिट स्कोर बनाए रखना और सुधारना अब और भी जरूरी
Posted Date : 04-Dec-2023 3:47:11 pm

क्रेडिट स्कोर बनाए रखना और सुधारना अब और भी जरूरी

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले पखवाड़े में एक सर्कुलर के जरिये वाणिज्यिक बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के उपभोक्ता ऋणों पर जोखिम भार यानी रिस्क वेट बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया, जो पहले 100 फीसदी था।
क्रेडिट कार्ड के बिल पर अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए रिस्क वेट 125 फीसदी से बढ़ाकर 150 फीसदी और एनबीएफसी के लिए 100 फीसदी से बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया गया। एनबीएफसी को बैंकों से दिए जाने वाले कर्ज पर भी रिस्क वेट बढ़ा दिया गया। केंद्रीय बैंक ने बैंकों और एनबीएफसी से उपभोक्ता कर्ज और उसकी उपश्रेणियों के लिए सीमा तय करने को भी कहा।
आरबीआई के इस कदम के बाद बैंकों और कर्ज देने वाली संस्थाओं को गिरवी के बगैर यानी असुरक्षित कर्ज के लिए अधिक पूंजी रखनी होगी। पैसाबाजार के सह-संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) नवीन कुकरेजा के हिसाब से इसके बाद असुरक्षित कर्ज पर ब्याज बढ़ सकता है।
एंड्रोमेडा सेल्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन के को-सीईओ राउल कपूर कहते हैं, ‘इस बदलाव के बाद पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड और कंज्यूमर ड्यूरेबल के लिए कर्ज महंगा होना तय है। लेकिन आवास ऋण, शिक्षा ऋण, वाहन ऋण और गोल्ड लोन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’
ये कर्ज मिलना मुश्किल हो सकता है। कुकरेजा कहते हैं, ‘इन उपायों की वजह से एनबीएफसी से असुरक्षित ऋण और क्रेडिट कार्ड मिलना कम हो सकता है।’ कपूर को लगता है कि इन श्रेणियों के लिए कर्ज के नियम पहले से सख्त हो सकते हैं।
उपभोक्ताओं को भी नई व्यवस्था में उधारी लेते समय ज्यादा समझदारी दिखानी चाहिए। बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी की राय है, ‘कर्ज उतना ही लीजिए, जितना आप हर महीने आराम से चुका सकें। क्रेडिट कार्ड की कुल लिमिट के 25-30 फीसदी से ज्यादा खर्च करने से भी बचना चाहिए।’
जब कर्ज देने वाले सख्ती बरतें तो आपको भी कर्ज के लिए अर्जी देने से पहले ढंग से पड़ताल कर लेनी चाहिए। देखिए कि आपके क्रेडिट प्रोफाइल के हिसाब से कौन आपको आसानी से कर्ज दे सकता है। जगह-जगह अर्जी डालने से आपको कई जगह से इनकार भी मिल सकता है, जिससे आपका क्रेडिट स्कोर कम हो जाएगा। बहुत आवेदन करेंगे तो मान लिया जाएगा कि आप हर समय उधार मांगते रहते हैं, जिससे ऋणदाता संस्थाएं आपसे किनारा कर सकती हैं।
कर्ज देने वाली संस्थाएं आवेदकों के क्रेडिट प्रोफाइल देखकर ही तय करती हैं कि उन्हें कर्ज देना है या नहीं और ब्याज कितना वसूलना है। हर संस्था क्रेडिट तय करने के लिए अलग-अलग तरीका अपनाती है, इसलिए कर्ज मंजूर होने की संभावना और ब्याज, प्रोसेसिंग शुल्क आदि भी अलग-अलग होते हैं। कुकरेजा सलाह देते हैं, ‘पर्सनल लोन लेने की सोच रहे लोगों को अर्जी डालने से पहले अधिक से अधिक बैंकों, एनबीएफसी के पास से ब्याज दर लेनी चाहिए और उनकी तुलना करनी चाहिए।’
सबसे पहले उन संस्थाओं से बात कीजिए, जिनमें पहले से ही आपने रकम जमा कर रखी है या कर्ज अथवा क्रेडिट कार्ड लिए हैं। कुकरेजा बताते हैं, ‘कई बैंक और संस्थाएं उन लोगों को बेहतर और कम ब्याज पर कर्ज देते हैं, जो पहले से उनके ग्राहक होते हैं। उसके बाद ऑनलाइन वित्तीय प्लेटफॉर्म पर जाकर तमाम ऋणदाताओं की ब्याज दरों की तुलना कीजिए।’ उनकी सलाह है कि ब्याज दर, प्रोसेसिंग शुल्क, कर्ज की अवधि और कर्ज मिलने में लग रहा समय जहां माफिक हो उसी संस्था से ऋण लेना चाहिए।
स्थिर आमदनी, 750 या उससे ऊपर क्रेडिट स्कोर और समय पर कर्ज चुकाते रहने वाले लोगों को कर्ज आसानी से मिल जाएंगे। जिनका प्रोफाइल ऐसा नहीं है, उन्हें क्रेडिट कार्ड के बकाये तथा मासिक किस्त का समय पर भुगतान पक्का कर अपना प्रोफाइल सुधारने की कोशिश में जुट जाना चाहिए।
पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड पाना मुश्किल लग रहा है तो कुछ गिरवी रख दीजिए। शेट्टी कहते हैं, ‘सावधि जमा (एफडी) या सोने जैसा कुछ गिरवी रखकर पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड पाने की कोशिश कीजिए। इससे आप कर्ज पाने के लायक तो हो ही जाएंगे, बैंक आपके लिए ब्याज दर भी कम रख सकता है।’
क्रेडिट स्कोर बढऩे के साथ ही आप अपने कार्ड पर क्रेडिट लिमिट बढ़ाने को भी कह सकते हैं। शेट्टी समझाते हैं कि पैसे की अचानक जरूरत पडऩे पर बढ़ी लिमिट काम आ सकती है और पर्सनल लोन लेने के बजाय क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर बकाये को ईएमआई में बांटा जा सकता है। लेकिन पहले यह देख लीजिए कि ब्याज कितना लिया जा रहा है।

 

पांचवीं बार नीतिगत दरों में बदलाव से परहेज कर सकता है आरबीआई
Posted Date : 04-Dec-2023 3:46:56 pm

पांचवीं बार नीतिगत दरों में बदलाव से परहेज कर सकता है आरबीआई

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) मौद्रिक समीक्षा के दौरान नीतिगत दरों में बदलाव से लगातार पांचवीं बार परहेज कर सकती है। इस बारे में बिजऩेस स्टैंडर्ड के सर्वेक्षण में सभी 10 प्रतिभागियों ने यही कहा। केंद्रीय बैंक मौद्रिक समीक्षा के निर्णय की घोषणा 8 दिसंबर को करेगा।
मौद्रिक नीति समिति ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर में 250 आधार अंक का इजाफा कर दिया, जिससे यह 6.5 फीसदी पर पहुंच गई। उसके बाद से ही दर जस की तस बनी हुई है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘मुद्रास्फीति अब भी तय लक्ष्य से ऊपर है और वृद्धि दर भी बढ़ रही है। इसलिए केंद्रीय बैंक का ध्यान मुद्रास्फीति को 4 फीसदी या उसके नीचे लाने पर होगा। मौद्रिक नीति समिति ने तरलता पर अंकुश लगाने की कोशिश की है और आगे भी वह ऐसा ही चाहेगी।’
बैंकिंग तंत्र में तरलता नवंबर में और भी घट गई है। यही वजह है कि आरबीआई ने पिछले गुरुवार को बैंकिंग तंत्र में 48,754 करोड़ रुपये डाले हैं। वस्तु एवं सेवा कर के मासिक भुगतान के कारण 21 नवंबर को तरलता में अंतर 5 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। केंद्रीय बैंक ने उस दिन भी 1.74 लाख करोड़ रुपये डाले थे।
पीएनबी गिल्ट्स को छोडक़र बिजऩेस स्टैंडर्ड के सर्वेक्षण में शामिल सभी प्रतिभागियों ने अनुमान लगाया कि एमपीसी के सदस्य उदारता खत्म करने के रुख पर कायम रहेंगे क्योंकि मुद्रास्फीति बढऩे का जोखिम अब भी बना हुआ है।
एचडीएफसी बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘आरबीआई का रुख समायोजन वापस लेने का ही रहेगा क्योंकि मुद्रास्फीति बढऩे का जोखिम अब भी बना हुआ है। वृद्धि भी मजबूत बनी हुई है। इसलिए उनके पास मौद्रिक नीति में सख्ती बनाए रखने की गुंजाइश है।’
अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति घटकर 4.87 फीसदी रह गई थी, जो जून के बाद सबसे कम है। सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 5.02 फीसदी थी। मुद्रास्फीति में नरमी के बावजूद अक्टूबर में खाद्य पदार्थों की कीमत का सूचकांक चढ़ा है, जो पिछले दो महीने से घट रहा था। प्याज की कीमतें 15.5 फीसदी बढऩे की वजह से सब्जियों का मूल्य सूचकांक 3.4 फीसदी बढ़ गया था।
पीएनबी गिल्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विकास गोयल मानते हैं कि फेडरल रिजर्व जो कदम उठाएगा, उसके हिसाब से केंद्रीय बैंक का रुख भी बदल सकता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने दर वृद्धि का विकल्प खुला रखा है मगर बाजार को यही लगता है कि दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला खत्म हो गया है।
अधिकांश प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अपने अनुमान को थोड़ा बढ़ा सकता है। दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का आंकड़ा 7.6 फीसदी यानी आरबीआई के अनुमान से ज्यादा रहने के बाद अनुमान बढ़ाए जाने की उम्मीद जगी है।
आरबीआई ने पूरे वित्त वर्ष के लिए 6.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया है। पंजाब नैशनल बैंक को छोडक़र सभी प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के लिए 5.4 फीसदी मुद्रास्फीति के अपने अनुमान में कोई बदलाव नहीं करेगा।
येस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान ने कहा, ‘पिछले महीने कम आधार प्रभाव के कारण मुद्रास्फीति कम रही थी। आधार प्रभाव का असर खत्म होने के बाद मुद्रास्फीति इस महीने 5.4 से 5.5 फीसदी रह सकती है। ऐसे में आरबीआई के लिए अपने रुख में किसी तरह का बदलाव करना कठिन होगा।’
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर आरबीआई की रिपोर्ट भी कहती है कि मुद्रास्फीति को 4 फीसदी पर लाने का आरबीआई का लक्ष्य पूरा होने की राह में खाद्य मुद्रास्फीति रोड़ बनकर खड़ी है।