नई दिल्ली। भारत में मानसून न केवल मौसम से जुड़ा एक महत्वपूर्ण तत्व है, बल्कि यह कृषि, जल प्रबंधन और आर्थिक स्थिरता का भी मुख्य आधार है. 2025 में भारतीय मौसम विभाग (ढ्ढरूष्ठ) ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है कि इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून तय समय से चार दिन पहले, यानी 27 मई को केरल तट पर दस्तक दे सकता है. आमतौर पर मॉनसून 1 जून को केरल में प्रवेश करता है, इसलिए यह बदलाव मौसम वैज्ञानिकों और किसानों दोनों के लिए खास मायने रखता है.
समय से पहले कितनी बार आया मॉनसून?
अगर यह पूर्वानुमान सटीक साबित होता है, तो यह 16 वर्षों में पहली बार होगा जब मानसून इतनी जल्दी भारत में प्रवेश करेगा. इससे पहले 2009 में 23 मई और 2018 में 29 मई को मानसून जल्दी आया था. 2024 में भी यह अपेक्षाकृत जल्दी, यानी 30 मई को केरल पहुंचा था.
हालांकि मौसम विभाग के विशेषज्ञों ने यह भी स्पष्ट किया है कि मानसून की जल्दी या देर से शुरुआत का सीधा संबंध देश भर में होने वाली कुल बारिश से नहीं होता. यह संभव है कि केरल में मानसून जल्दी आए, लेकिन उत्तर भारत तक पहुंचने में अपेक्षित समय ही ले.
क्या हो सकता है इस बार बारिश का पैटर्न?
अर्थ एंड साइंस मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन की मानें तो इस वर्ष मॉनसून के दौरान सामान्य से ज्यादा वर्षा की संभावना है. अनुमान है कि जून से सितंबर के बीच देश में 87 सेंटीमीटर औसत बारिश हो सकती है, जो कि 105 फीसदी के स्तर पर रहेगी. यह आंकड़ा सामान्य से अधिक बारिश की श्रेणी में आता है.
मौसम विभाग के हिसाब से क्या है बारिश का पैमाना
- 96-104 फीसदी = सामान्य वर्षा
- 104-110 फीसदी = सामान्य से अधिक वर्षा
- 110 फीसदी से अधिक = अत्यधिक वर्षा
- 90-95 फीसदी = सामान्य से कम
- 90 फीसदी से कम = अत्यधिक कम वर्षा
13 मई तक अंडमान-निकोबार में मॉनसून की एंट्री
मौसम विभाग ने पहले ही संकेत दे दिया था कि 13 मई तक मानसून अंडमान-निकोबार और बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में पहुंच सकता है. यह मानसून की औपचारिक शुरुआत नहीं मानी जाती, क्योंकि भारत में मानसून के आगमन की आधिकारिक घोषणा केवल केरल में उसके प्रवेश के साथ होती है.
पूर्वानुमान की सटीकता: क्या कहता है पिछला अनुभव?
पिछले 5 वर्षों में आईएमडी और निजी एजेंसी स्काईमेट की ओर से किए गए मॉनसून पूर्वानुमान काफ़ी हद तक सटीक रहे हैं.
- 2024: 108 फीसदी बारिश
- 2023: 94 फीसदी बारिश
- 2022: 106 फीसदी बारिश
बुलंदशहर। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से मानवता को शर्मसार कर देने वाला एक जघन्य अपराध सामने आया है। मेरठ नेशनल हाईवे पर चलती कार में तीन आरोपियों ने एक नाबालिग युवती के साथ गैंगरेप किया, जबकि विरोध करने पर उसकी सहेली को चलती कार से बाहर फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना 6 मई की है। आरोपियों ने दो सहेलियों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर अगवा कर लिया था। इसके बाद, बुलंदशहर में मेरठ नेशनल हाईवे पर चलती कार में एक नाबालिग युवती के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया।
बताया गया है कि जब दूसरी युवती ने इस घटना का विरोध किया और आरोपियों को थप्पड़ मारा, तो उन्होंने उसे चलती कार से लात मारकर नीचे फेंक दिया। पीछे से आ रहे एक अज्ञात वाहन ने युवती को कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। शुरुआती तौर पर जानी पुलिस ने सडक़ पर पड़े युवती के शव को एक सामान्य सडक़ हादसा माना और उसे मोर्चरी में रखवा दिया था, बिना उसकी पहचान सुनिश्चित करने का प्रयास किए।
बाद में खुलासा हुआ कि मृतका बिहार की रहने वाली थी और गौतमबुद्ध नगर के सूरजपुर क्षेत्र में रहती थी, जहां वह एक होटल में काम करती थी। वहीं, जिस नाबालिग पीडि़ता के साथ गैंगरेप हुआ, उसने खुर्जा में कार से कूदकर अपनी जान बचाई। पीडि़ता ने इसके बाद तुरंत पुलिस को सूचना दी और पूरी आपबीती सुनाई।
पीडि़ता, जो प्रतापगढ़ जिले के चिलबिला की निवासी है और गौतमबुद्ध नगर के सूरजपुर क्षेत्र में रहती है, ने पुलिस को बताया कि 6 मई को उसके परिचित अमित नामक युवक ने उसे नौकरी दिलाने का झांसा दिया था। अमित ने उसे अपनी सहेली के साथ बताई गई जगह पर पहुंचने को कहा। वहां अमित अपने दोस्त संदीप के साथ मौजूद था। अमित ने दोनों लड़कियों को कार में बैठा लिया और देर रात एक और साथी को भी कार में साथ ले लिया। पीडि़ता ने आरोप लगाया कि कार में आरोपियों ने उन्हें जबरदस्ती शराब पिलाई, मारपीट की और उसके साथ गैंगरेप किया। जब उसकी सहेली ने विरोध किया, तो आरोपियों ने उसे लात मारकर चलती कार से नीचे फेंक दिया।
पीडि़ता ने बताया कि वह खुर्जा में किसी तरह आरोपियों के चंगुल से बचकर भाग निकली। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। तीनों आरोपियों के खिलाफ खुर्जा कोतवाली में अपहरण, हत्या और गैंगरेप की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। मृतका का पोस्टमार्टम भी कराया गया है, जिसमें उसके चेहरे, माथे, हाथ और पैर पर चोटों के 12 निशान मिले हैं। मामले की विस्तृत जांच जारी है।
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का अभियान तेज हो गया है। इसी कड़ी में राज्य जांच एजेंसी (स्ढ्ढ्र) पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने दक्षिणी कश्मीर के 20 स्थानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी कर एक बड़े आतंकी स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। इस दौरान भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई है, साथ ही कुछ संदिग्धों को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया गया है।
राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी सहयोगियों और ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ह्रत्रङ्ख) पर लगातार नजर रख रही है। तकनीकी खुफिया जानकारी से पता चला था कि कश्मीर में कई स्लीपर सेल सीधे पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में थे। ये सेल सुरक्षा बलों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के बारे में संवेदनशील और रणनीतिक जानकारी को व्हाट्सएप, टेलीग्राम और सिग्नल जैसे मैसेजिंग ऐप के जरिए पाकिस्तान पहुंचाने में शामिल थे।
एसआईए ने बताया कि ये आतंकी सहयोगी लश्कर-ए-तैयबा (रुद्गञ्ज) और जैश-ए-मोहम्मद (छ्वद्गरू) के आतंकी कमांडरों के इशारे पर ऑनलाइन कट्टरपंथी प्रचार में भी लिप्त थे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता को गंभीर खतरा पैदा हो रहा था।
एसआईए ने पुष्टि की कि दक्षिणी कश्मीर के सभी जिलों में लगभग 20 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की गई। छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई है और कई संदिग्धों को हिरासत में लेकर उनसे गहन पूछताछ की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि ये संगठन आतंकवादी साजिश में सक्रिय रूप से शामिल हैं और भारत विरोधी गतिविधियों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इनका मकसद न केवल भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देना है, बल्कि असंतोष, सार्वजनिक अव्यवस्था और सांप्रदायिक घृणा को भडक़ाना भी है। सुरक्षा एजेंसियां इस नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने के लिए आगे की जांच कर रही हैं।
पुंछ। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और सीमा पर गोलाबारी के बाद दोनों देशों सीजफायर पर सहमत हो गए है। इस फैसले ने जम्मू-कश्मीर के मेंढर क्षेत्र में शांति की उम्मीद जगाई है। सीमा पर गोलाबारी के कारण डर और अनिश्चितता के साये में जी रहे स्थानीय लोग अब राहत की सांस ले रहे हैं। बाजारों में रौनक लौटने लगी है और दुकानें फिर से खुल रही हैं। लोग भी बाजारों में जाने लगे हैं।
स्थानीय निवासियों ने इस सीजफायर का स्वागत करते हुए इसे दोनों देशों द्वारा उठाया गया उचित कदम बताया है। मेंढर के निवासी शाहनवाज खान ने कहा, हम इस सीजफायर का स्वागत करते हैं। दोनों मुल्कों ने बहुत अच्छा फैसला लिया है। गोलाबारी से नागरिकों और प्रशासन को भारी नुकसान हुआ था। अब यह शांति बरकरार रहनी चाहिए। हम सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग हैं, अपने घर छोडक़र कहीं जा नहीं सकते।
पिछले कुछ वर्षों में सीमा पर बार-बार होने वाली गोलाबारी ने मेंढर के लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया था। कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया, मकान और दुकानें तबाह हुईं, और व्यापार ठप हो गया था। व्यापारी कफील खान ने बताया, पहले डर के माहौल में लोग घरों से बाहर नहीं निकलते थे। कुछ लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गए थे। लेकिन अब बाजार में चहल-पहल शुरू हो गई है। पांच दिन बाद बाजार का माहौल सामान्य होने लगा है। हम चाहते हैं कि यह अमन बरकरार रहे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि गोलाबारी के कारण न केवल जान-माल का नुकसान हुआ, बल्कि बच्चों की पढ़ाई और युवाओं के रोजगार पर भी बुरा असर पड़ा। कफील खान ने 1947, 1965 और 1971 के युद्धों का जिक्र करते हुए कहा, हमने कई बार गोलाबारी देखी है। इससे सिर्फ नुकसान हुआ है। मेंढर और पुंछ में कम से कम 12 लोग शहीद हो चुके हैं। सरकार को पीडि़त परिवारों को मुआवजा और सहायता देनी चाहिए।
युवा व्यापारी सोनू शर्मा ने भी शांति की वकालत की। उन्होंने कहा, जंग से कुछ हासिल नहीं होता। जिनके परिवार के लोग मारे गए, उनके लिए तो जंग पहले ही हो चुकी है। अब सीजफायर से दोनों देशों को फायदा होगा। यह शांति बरकरार रहनी चाहिए।
स्थानीय लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस सीजफायर को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी सुविधाएं जैसे स्कूल, अस्पताल, और रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं। लोगों का मानना है कि शांति के साथ-साथ विकास भी जरूरी है ताकि सीमा पर रहने वाले लोग सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
वहीं व्यापारियों का कहना है कि पिछले कुछ समय से बाजार पूरी तरह ठप पड़े थे, लेकिन अब ग्राहकों की आवाजाही बढ़ गई है और कारोबार में सुधार आ रहा है। क्षेत्र के बुजुर्गों और युवाओं ने भी एक स्वर में शांति की मांग की और कहा कि सीमा पर रहने वाले लोगों का जीवन तबाह हो जाता है जब गोलियों और गोलों की आवाजें गूंजती हैं।
कोलंबो । श्रीलंका के सेंट्रल प्रोविंस प्रांत के कोटमाले क्षेत्र में रविवार को एक भीषण सडक़ हादसा हुआ है। एक यात्री बस के गहरी खाई में गिर जाने से कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 से अधिक यात्री घायल हो गए। स्थानीय पुलिस ने इस दुर्घटना की पुष्टि की है।
पुलिस के अनुसार, यह दर्दनाक हादसा उस समय हुआ जब राज्य परिवहन निकाय के स्वामित्व वाली बस एक पहाड़ी रास्ते पर बाएं मुडऩे की कोशिश कर रही थी। इसी दौरान बस अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरी। दुर्घटना के बाद तत्काल मौके पर पहुंची पुलिस और बचाव दल ने कई लोगों को खाई से निकालकर नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया।
पुलिस ने बताया कि बस में कुल 75 यात्री सवार थे। यह बस दक्षिणी तीर्थस्थल कटारगामा से उत्तर-पश्चिमी शहर कुरुनेगाला की ओर जा रही थी। हादसे के पीछे की सटीक वजह का अभी पता नहीं चल पाया है, और पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है।
श्रीलंका के परिवहन एवं राजमार्ग उपमंत्री प्रसन्ना गुनासेना ने दुर्घटना में 21 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि 30 से अधिक घायल यात्रियों को उपचार के लिए विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
खार्तूम । सूडान के पश्चिमी हिस्से नॉर्थ कोर्दोफान राज्य के एल ओबैद शहर में स्थित केंद्रीय जेल पर शनिवार को ड्रोन हमले हुए। इसमें कम से कम 19 कैदियों की मौत हो गई और 45 से अधिक घायल हो गए। यह जानकारी एक चिकित्सा सूत्र और चश्मदीदों ने दी। एल ओबैद अस्पताल के एक चिकित्सा सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में 19 शव और 45 घायल लाए गए हैं। उसने कहा कि मृतकों की संख्या बढऩे की आशंका है।
जेल भवन के पास मौजूद एक चश्मदीद ने बताया, तीन ड्रोन ने पांच मिसाइलें दागीं, जिनमें से तीन सीधे जेल भवन और कैदियों के रहने वाले हिस्से पर गिरीं। एक अन्य चश्मदीद ने कहा, जेल के अंदर राहत और बचाव कार्य अब भी जारी है और मृतकों और घायलों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से अधिक हो सकती है।
अब तक इस घटना को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) ने हाल ही में सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में सैन्य ठिकानों और प्रमुख सुविधाओं पर ड्रोन हमले तेज कर दिए हैं, जिनमें एल ओबैद भी शामिल है।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, आरएसएफ ने पोर्ट सूडान पर सातवें दिन भी ड्रोन हमला जारी रखा। यह शहर मई 2023 से देश की प्रशासनिक राजधानी बन चुका है। हालांकि, आरएसएफ ने इस हमले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
गौरतलब है कि अप्रैल 2023 के मध्य से सूडान में एसएएफ और आरएसएफ के बीच भीषण संघर्ष चल रहा है, जिसमें अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं। सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन के अनुसार, इस संघर्ष के चलते अब तक 1.5 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं।