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भारत ने दिखाया बड़ा दिल, मालदीव को दी 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय मदद
Posted Date : 12-May-2025 9:10:15 pm

भारत ने दिखाया बड़ा दिल, मालदीव को दी 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय मदद

माले  ।  मालदीव के विदेश मंत्री डॉ. अब्दुल्ला खलील ने 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद के लिए भारत सरकार और विदेश मंत्री एस. जयशंकर का आभार जताया। उन्होंने मालदीव और भारत के बीच गहरी दोस्ती का जिक्र करते हुए कहा कि यह सहायता हमारी आर्थिक मजबूती में सहयोग देगी।
मालदीव के विदेश मंत्री डॉ. अब्दुल्ला खलील ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, मैं विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और भारत सरकार के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने मालदीव को 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ट्रेजरी बिल को रोलओवर करके महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान की।
उन्होंने आगे कहा, यह समय पर दी गई सहायता मालदीव और भारत के बीच गहरी दोस्ती को दर्शाती है और आर्थिक मजबूती के लिए सरकार के वित्तीय सुधारों को लागू करने के प्रयासों में सहयोग देगी।
मालदीव में भारतीय उच्चायोग ने बीते साल सितंबर में बताया था कि भारत ने मालदीव सरकार के अनुरोध पर 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ट्रेजरी बिल को एक और साल के लिए बढ़ाकर बजटीय सहायता दी है।
बता दें कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू बीते साल अक्टूबर में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के निमंत्रण पर पांच दिवसीय भारत यात्रा पर आए थे। नवंबर 2023 में पदभार ग्रहण करने के बाद यह उनकी पहली यात्रा थी।
मालदीव के राष्ट्रपति ने भारत की वित्तीय सहायता के लिए आभार जताया था। मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा था, यात्रा का एक महत्वपूर्ण परिणाम ‘व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी के लिए विजन’ को अपनाना था, जो विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन करेगा। दोनों देशों ने वर्चुअल उद्घाटन भी किया और समझौतों का आदान-प्रदान किया।
बयान में कहा गया था, राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत की वित्तीय सहायता के लिए आभार व्यक्त किया, जिसमें इस वर्ष मई और सितंबर में टी-बिलों को मालदीव के लिए बिना ब्याज के एक अतिरिक्त वर्ष के लिए आगे बढ़ाना और द्विपक्षीय मुद्रा स्वैप समझौते के तहत 30 अरब रुपये से 400 मिलियन डॉलर तक का अतिरिक्त समर्थन शामिल है। उन्होंने भारत को उसके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।

 

भूकंप के झटके से दहला पाकिस्तान, 4.6 रही तीव्रता
Posted Date : 12-May-2025 9:09:24 pm

भूकंप के झटके से दहला पाकिस्तान, 4.6 रही तीव्रता

इस्लामाबाद  । पाकिस्तान में सोमवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। इसकी तीव्रता 4.6 मापी गई। हालांकि, इस भूकंप में जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है।
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, पाकिस्तान में सोमवार दोपहर एक बजकर 26 मिनट (स्थानीय समयानुसार) पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। यह भूकंप मध्यम तीव्रता का था और इसका केंद्र बलूचिस्तान में था। इस भूकंप की गहराई 10 किमी नीचे थी, जिसका अक्षांश 29.12 उत्तर तथा देशांतर 67.26 पूर्व था।
हाल के दिनों में पाकिस्तान कई बार भूकंप से कांपा है। इससे पहले, 5 मई को पाकिस्तान में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। भूकंप दोपहर 4:00 बजे के करीब आया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.2 मापी गई थी।
राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के अनुसार, भूकंप का केंद्र पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्र में, 36.60 डिग्री उत्तर अक्षांश और 72.89 डिग्री पूर्व देशांतर पर स्थित था। भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर दर्ज की गई। झटके इतने तेज थे कि लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए।
वहीं, 12 अप्रैल को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 5.8 मापी गई थी। भूकंप के झटके जम्मू-कश्मीर में भी महसूस किए गए थे।
उल्लेखनीय है कि वर्षों पहले पाकिस्तान में भूकंप ने काफी तबाही मचाई थी। 8 अक्टूबर, 2005 को सुबह 8.50 बजे रिक्टर पैमाने पर 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के मुजफ्फराबाद में था। इसमें नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दोनों तरफ 80,000 से अधिक लोग मारे गए थे। अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान, भारत और झिंजियांग क्षेत्र में भी झटके महसूस किए गए थे।
वो दशक की पांचवीं सबसे घातक प्राकृतिक आपदा थी। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान में इस भूकंप में मरने वालों की आधिकारिक संख्या 73,276 से 87,350 के बीच थी, जबकि कुछ अनुमानों के अनुसार मृतकों की संख्या 1,00,000 से भी ज्यादा थी।

 

जीत ऐसी ही दिखती है’, रावलपिंडी से लेकर जैकोबाबाद तक भारत ने ग्यारह एयरबेस ‘90 मिनट’ में किए तबाह
Posted Date : 11-May-2025 7:55:32 pm

जीत ऐसी ही दिखती है’, रावलपिंडी से लेकर जैकोबाबाद तक भारत ने ग्यारह एयरबेस ‘90 मिनट’ में किए तबाह

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर’ को सफलता के नए सोपान तक पहुंचाने का काम भारतीय सेना के संयुक्त प्रयास से संभव हुआ। एक दो नहीं बल्कि पाकिस्तान की सरजमीं पर मौजूद 11 एयरबेस को महज 90 मिनट में तबाह-ओ-बर्बाद कर दिया गया। ये सब कुछ बेहद सोची समझी रणनीति का हिस्सा था। भारत की दहाड़ दुनिया ने सुनी। बड़ी सहजता, बुद्धिमता और चपलता से सेना ने जो किया उसे भाजपा ने सैल्यूट किया है।
भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने 90 मिनट में पाकिस्तानी एयरफोर्स की कमर तोड़ कर रख दी। एक्स पोस्ट पर भारतीय सेना को सलाम करते हुए मालवीय ने सिलसिलेवार तरीके से एयरबेस तबाही की कहानी बयां की है।
पोस्ट में लिखा है- ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने प्रमुख पाकिस्तानी एयरबेस पर 90 मिनट तक टारगेट अटैक किया। इन हमलों ने पाकिस्तान की श्रेष्ठता के दावे को मटियामेट कर दिया। इन सटीक हमलों ने पाकिस्तान की हवाई श्रेष्ठता बनाए रखने, राष्ट्रीय सुरक्षा का समन्वय करने और किसी भी सटीक जवाबी कार्रवाई को अंजाम देने की क्षमता को नष्ट कर दिया। प्रत्येक बेस ने एक महत्वपूर्ण कार्य किया, और इसके विनाश ने पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक क्षति पहुंचाई।
इस हमले में नूर खान/चकलाला एयरबेस (रावलपिंडी), पीएएफ बेस रफीकी (शोरकोट), मुरीद एयरबेस (पंजाब), सुक्कुर एयरबेस (सिंध), सियालकोट एयरबेस (पूर्वी पंजाब), पसरूर एयरस्ट्रिप (पंजाब), चुनियन (रडार/सहायता स्थापना), सरगोधा एयरबेस (मुशफ बेस), स्कार्दू एयरबेस (गिलगित-बाल्टिस्तान), भोलारी एयरबेस (कराची के पास) और जैकोबाबाद एयरबेस (सिंध-बलूचिस्तान) को बड़ा नुकसान पहुंचाया गया।
पोस्ट में इन 11 स्थानों की अहमियत और पाकिस्तान को पहुंचे बड़े नुकसान का जिक्र है। नूर खान/चकलाला एयरबेस (रावलपिंडी)- नूर खान पर भारत के हमले ने पाकिस्तान के हवाई रसद और उच्च-स्तरीय सैन्य समन्वय के केंद्र को बाधित कर दिया। ये इस्लामाबाद का सबसे नजदीकी बेस था, जिसका उपयोग अक्सर वीआईपी मूवमेंट और सैन्य रसद के लिए किया जाता है, इसके निष्प्रभावी होने से संघर्ष के दौरान पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) और इसकी ऑपरेशनल यूनिट्स के बीच महत्वपूर्ण संबंध टूट गए।
पीएएफ बेस रफीकी (शोरकोट)- रफीकी, प्रमुख लड़ाकू विमानों का बेस है, जो फ्रंटलाइन लड़ाकू स्क्वाड्रनों को होस्ट करता था, इसे भी हमारी सेना ने निष्क्रिय कर दिया। इसका असर ये पड़ा कि अपने विमान आश्रयों और रनवे के बुनियादी ढांचे के विनाश ने पाकिस्तान की जवाबी हवाई कार्रवाई शुरू करने की क्षमता को काफी कमजोर कर दिया, खासकर मध्य पंजाब में उसके हमलों को कुंद कर दिया। इस कदम ने प्रभावी रूप से पीएएफ के सबसे तेज आक्रामक उपकरणों में से एक को मिटा दिया।
मुरीद एयरबेस (पंजाब)- मुरीद को निशाना बनाकर, भारत ने एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण और संभावित मिसाइल भंडारण केंद्र को नुकसान पहुंचाया। इस हमले ने पाकिस्तान के वायु सेना की तत्परता को कम कर दिया। इसका नुकसान आने वाले कई साल तक झेलेगा। भारत ने पायलट प्रशिक्षण पाइपलाइन को ही काट दिया।
सुक्कुर एयरबेस (सिंध)- सुक्कुर एयरबेस को नष्ट करने से पाकिस्तान का दक्षिणी हवाई गलियारा कट गया। सुक्कुर सिंध और बलूचिस्तान में सेना और उपकरणों की आवाजाही के लिए आवश्यक था। इसके नुकसान ने प्रमुख रसद धमनियों को काट दिया और दक्षिण में पाकिस्तान की परिचालन सीमा को कम कर दिया।
सियालकोट एयरबेस (पूर्वी पंजाब)- भारतीय सीमा के करीब स्थित सियालकोट को संघर्ष के आरंभ में ही बेअसर कर दिया गया था। यह बेस जम्मू और पंजाब की ओर उड़ान भरने के लिए एक फॉरवर्ड ऑपरेटिंग प्लेटफॉर्म (अग्रिम परिचालन मंच) के रूप में काम करता था। इसके नष्ट होने से पूर्वी सीमा पर एक महत्वपूर्ण ब्लाइंड स्पॉट बन गया, जिससे पाकिस्तानी जमीनी सेना को भारतीय हवाई प्रभुत्व के लिए चुनौती नहीं मिल सकी।
पसरूर एयरस्ट्रिप (पंजाब)- ये छोटा ही है लेकिन पसरूर फैसिलिटी आपातकालीन विमान संचालन में अहम भूमिका निभाता है। इसे नष्ट करके, भारत ने पाकिस्तान की सामरिक स्थिति को कमजोर कर दिया और विमानों को अधिक संवेदनशील स्थानों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर किया।
चुनियन (रडार/सहायता स्थापना)- चुनियन पर हमलों ने मध्य पंजाब के हवाई क्षेत्र की निगरानी के लिए महत्वपूर्ण रडार कवरेज और संचार बुनियादी ढांचे को बाधित कर दिया। इससे पाकिस्तान की प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में एक अंतर पैदा हो गया, जिससे भारतीय विमानों को कम जोखिम के साथ प्रवेश करने में मदद मिली।
सरगोधा एयरबेस (मुशफ बेस)- सरगोधा का विनाश एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक था। पाकिस्तान में सबसे महत्वपूर्ण बेस के रूप में - कॉम्बैट कमांडर्स स्कूल, परमाणु वितरण प्लेटफ़ॉर्म और कुलीन स्क्वाड्रनों का घर - इसके विनाश ने पाकिस्तान के कमांड-एंड-कंट्रोल ढांचे को पंगु बना दिया। यह झटका परिचालन और प्रतीकात्मक दोनों था, जिसने एक अजेय ‘पीएएफ’ के मिथक को चकनाचूर कर दिया।
स्कार्दू एयरबेस (गिलगित-बाल्टिस्तान)- स्कार्दू को बेअसर करने से वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान की उत्तरी निगरानी और हवाई संचालन में कमी आई। इसने उन रसद लिंक को भी बाधित किया जो चीनी-पाकिस्तानी समन्वय को बढ़ा सकती थीं। अब उत्तरी क्षेत्र में रणनीतिक लाभ पूरी तरह से भारत का है।
भोलारी एयरबेस (कराची के पास)- दोहरी-उपयोग वाली नौसेना और हवाई भूमिकाओं वाले पाकिस्तान के सबसे नए एयरबेस में से एक के रूप में, भोलारी- दक्षिणी बल प्रक्षेपण की महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक था। इसकी बर्बादी ने उन आकांक्षाओं पर प्रहार किया जो तटीय रक्षा समन्वय की कोशिशों पर केंद्रित था और इस तरह कराची को भविष्य के हमलों के लिए असुरक्षित बना दिया।
जैकोबाबाद एयरबेस (सिंध-बलूचिस्तान)- जैकोबाबाद के नष्ट होने से पश्चिमी पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया। इसका इस्तेमाल सैन्य तैनाती के लिए किया जाता था। आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना ने भी इसका प्रयोग किया। हमने इसे नष्ट कर आंतरिक गतिशीलता, आपूर्ति श्रृंखला और पाकिस्तान की पश्चिमी हवाई निगरानी को ठेस पहुंचा दी।
मालवीय की ये पोस्ट आखिर में इन एयरबेस को बर्बाद करने से होने वाले भारत के लाभ की बात करती है। स्पष्ट करती है कि भारत के तेज और समन्वित हमलों ने पाकिस्तान की हवाई क्षमताओं को रणनीतिक रूप से खत्म कर दिया। रडार नेटवर्क, कमांड हब और स्ट्राइक प्लेटफॉर्म को नष्ट करने से पीएएफ अंधा, जमीन पर भ्रमित हो गया। युद्ध के मैदान में जीत से कहीं अधिक, ये संरचनात्मक विध्वंस थे - जिसका उद्देश्य पाकिस्तान की आज लडऩे की क्षमता को अक्षम करना और भविष्य में आक्रमण के बारे में सोचने से रोकना था।
इस ऑपरेशन ने न केवल भारत की तकनीकी और सामरिक श्रेष्ठता को प्रदर्शित किया, बल्कि दक्षिण एशिया में जुड़ाव के नियमों को भी फिर से परिभाषित किया। पाकिस्तान के एयरबेस के विनाश ने एक स्पष्ट संदेश दिया: अब भारत पहल करने से पीछे नहीं हटेगा, और उकसावे की कीमत विनाशकारी होगी।

 

मानसून 2025 : मॉनसून इस बार जल्दी कर सकता है एंट्री, ये है आईएमडी का अलर्ट
Posted Date : 11-May-2025 7:55:13 pm

मानसून 2025 : मॉनसून इस बार जल्दी कर सकता है एंट्री, ये है आईएमडी का अलर्ट

नई दिल्ली। भारत में मानसून न केवल मौसम से जुड़ा एक महत्वपूर्ण तत्व है, बल्कि यह कृषि, जल प्रबंधन और आर्थिक स्थिरता का भी मुख्य आधार है. 2025 में भारतीय मौसम विभाग (ढ्ढरूष्ठ) ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है कि इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून तय समय से चार दिन पहले, यानी 27 मई को केरल तट पर दस्तक दे सकता है. आमतौर पर मॉनसून 1 जून को केरल में प्रवेश करता है, इसलिए यह बदलाव मौसम वैज्ञानिकों और किसानों दोनों के लिए खास मायने रखता है.
समय से पहले  कितनी बार आया मॉनसून?
अगर यह पूर्वानुमान सटीक साबित होता है, तो यह 16 वर्षों में पहली बार होगा जब मानसून इतनी जल्दी भारत में प्रवेश करेगा. इससे पहले 2009 में 23 मई और 2018 में 29 मई को मानसून जल्दी आया था. 2024 में भी यह अपेक्षाकृत जल्दी, यानी 30 मई को केरल पहुंचा था.
हालांकि मौसम विभाग के विशेषज्ञों ने यह भी स्पष्ट किया है कि मानसून की जल्दी या देर से शुरुआत का सीधा संबंध देश भर में होने वाली कुल बारिश से नहीं होता. यह संभव है कि केरल में मानसून जल्दी आए, लेकिन उत्तर भारत तक पहुंचने में अपेक्षित समय ही ले.
क्या हो सकता है इस बार बारिश का पैटर्न?
अर्थ एंड साइंस मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन की मानें तो  इस वर्ष मॉनसून के दौरान सामान्य से ज्यादा वर्षा की संभावना है. अनुमान है कि जून से सितंबर के बीच देश में 87 सेंटीमीटर औसत बारिश हो सकती है, जो कि 105 फीसदी के स्तर पर रहेगी. यह आंकड़ा सामान्य से अधिक बारिश की श्रेणी में आता है.
मौसम विभाग के हिसाब से क्या है बारिश का पैमाना 
- 96-104 फीसदी = सामान्य वर्षा
- 104-110 फीसदी = सामान्य से अधिक वर्षा
- 110 फीसदी से अधिक = अत्यधिक वर्षा
- 90-95 फीसदी = सामान्य से कम
- 90 फीसदी से कम = अत्यधिक कम वर्षा
13 मई तक अंडमान-निकोबार में मॉनसून की एंट्री 
मौसम विभाग ने पहले ही संकेत दे दिया था कि 13 मई तक मानसून अंडमान-निकोबार और बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में पहुंच सकता है. यह मानसून की औपचारिक शुरुआत नहीं मानी जाती, क्योंकि भारत में मानसून के आगमन की आधिकारिक घोषणा केवल केरल में उसके प्रवेश के साथ होती है.
पूर्वानुमान की सटीकता: क्या कहता है पिछला अनुभव?
पिछले 5 वर्षों में आईएमडी और निजी एजेंसी स्काईमेट की ओर से किए गए मॉनसून पूर्वानुमान काफ़ी हद तक सटीक रहे हैं.
- 2024: 108 फीसदी बारिश
- 2023: 94 फीसदी बारिश 
- 2022: 106 फीसदी बारिश 

 

सडक़ पर दौड़ाते रहे कार, नोचते रहे शरीर, विरोध करने पर सहेली को फेंका बाहर; मौत
Posted Date : 11-May-2025 7:55:01 pm

सडक़ पर दौड़ाते रहे कार, नोचते रहे शरीर, विरोध करने पर सहेली को फेंका बाहर; मौत

बुलंदशहर। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से मानवता को शर्मसार कर देने वाला एक जघन्य अपराध सामने आया है। मेरठ नेशनल हाईवे पर चलती कार में तीन आरोपियों ने एक नाबालिग युवती के साथ गैंगरेप किया, जबकि विरोध करने पर उसकी सहेली को चलती कार से बाहर फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना 6 मई की है। आरोपियों ने दो सहेलियों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर अगवा कर लिया था। इसके बाद, बुलंदशहर में मेरठ नेशनल हाईवे पर चलती कार में एक नाबालिग युवती के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया।
बताया गया है कि जब दूसरी युवती ने इस घटना का विरोध किया और आरोपियों को थप्पड़ मारा, तो उन्होंने उसे चलती कार से लात मारकर नीचे फेंक दिया। पीछे से आ रहे एक अज्ञात वाहन ने युवती को कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। शुरुआती तौर पर जानी पुलिस ने सडक़ पर पड़े युवती के शव को एक सामान्य सडक़ हादसा माना और उसे मोर्चरी में रखवा दिया था, बिना उसकी पहचान सुनिश्चित करने का प्रयास किए।
बाद में खुलासा हुआ कि मृतका बिहार की रहने वाली थी और गौतमबुद्ध नगर के सूरजपुर क्षेत्र में रहती थी, जहां वह एक होटल में काम करती थी। वहीं, जिस नाबालिग पीडि़ता के साथ गैंगरेप हुआ, उसने खुर्जा में कार से कूदकर अपनी जान बचाई। पीडि़ता ने इसके बाद तुरंत पुलिस को सूचना दी और पूरी आपबीती सुनाई।
पीडि़ता, जो प्रतापगढ़ जिले के चिलबिला की निवासी है और गौतमबुद्ध नगर के सूरजपुर क्षेत्र में रहती है, ने पुलिस को बताया कि 6 मई को उसके परिचित अमित नामक युवक ने उसे नौकरी दिलाने का झांसा दिया था। अमित ने उसे अपनी सहेली के साथ बताई गई जगह पर पहुंचने को कहा। वहां अमित अपने दोस्त संदीप के साथ मौजूद था। अमित ने दोनों लड़कियों को कार में बैठा लिया और देर रात एक और साथी को भी कार में साथ ले लिया। पीडि़ता ने आरोप लगाया कि कार में आरोपियों ने उन्हें जबरदस्ती शराब पिलाई, मारपीट की और उसके साथ गैंगरेप किया। जब उसकी सहेली ने विरोध किया, तो आरोपियों ने उसे लात मारकर चलती कार से नीचे फेंक दिया।
पीडि़ता ने बताया कि वह खुर्जा में किसी तरह आरोपियों के चंगुल से बचकर भाग निकली। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। तीनों आरोपियों के खिलाफ खुर्जा कोतवाली में अपहरण, हत्या और गैंगरेप की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। मृतका का पोस्टमार्टम भी कराया गया है, जिसमें उसके चेहरे, माथे, हाथ और पैर पर चोटों के 12 निशान मिले हैं। मामले की विस्तृत जांच जारी है।

 

जम्मू-कश्मीर में पहलगाम हमले के बाद अभियान तेज, स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़; 20 जगहों पर हुई छापेमारी
Posted Date : 11-May-2025 7:54:36 pm

जम्मू-कश्मीर में पहलगाम हमले के बाद अभियान तेज, स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़; 20 जगहों पर हुई छापेमारी

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का अभियान तेज हो गया है। इसी कड़ी में राज्य जांच एजेंसी (स्ढ्ढ्र) पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने दक्षिणी कश्मीर के 20 स्थानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी कर एक बड़े आतंकी स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। इस दौरान भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई है, साथ ही कुछ संदिग्धों को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया गया है।
राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी सहयोगियों और ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ह्रत्रङ्ख) पर लगातार नजर रख रही है। तकनीकी खुफिया जानकारी से पता चला था कि कश्मीर में कई स्लीपर सेल सीधे पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में थे। ये सेल सुरक्षा बलों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के बारे में संवेदनशील और रणनीतिक जानकारी को व्हाट्सएप, टेलीग्राम और सिग्नल जैसे मैसेजिंग ऐप के जरिए पाकिस्तान पहुंचाने में शामिल थे।
एसआईए ने बताया कि ये आतंकी सहयोगी लश्कर-ए-तैयबा (रुद्गञ्ज) और जैश-ए-मोहम्मद (छ्वद्गरू) के आतंकी कमांडरों के इशारे पर ऑनलाइन कट्टरपंथी प्रचार में भी लिप्त थे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता को गंभीर खतरा पैदा हो रहा था।
एसआईए ने पुष्टि की कि दक्षिणी कश्मीर के सभी जिलों में लगभग 20 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की गई। छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई है और कई संदिग्धों को हिरासत में लेकर उनसे गहन पूछताछ की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि ये संगठन आतंकवादी साजिश में सक्रिय रूप से शामिल हैं और भारत विरोधी गतिविधियों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इनका मकसद न केवल भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देना है, बल्कि असंतोष, सार्वजनिक अव्यवस्था और सांप्रदायिक घृणा को भडक़ाना भी है। सुरक्षा एजेंसियां इस नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने के लिए आगे की जांच कर रही हैं।