इस्लामाबाद । आतंकवाद के समर्थन के आरोपों का सामना कर रहे पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्वीकार किया है कि पाकिस्तान ने आतंकियों को पाला है। यह बयान जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकवादी हमले के बाद आया है, जिसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक इंटरव्यू के दौरान जब आसिफ से पूछा गया कि क्या वह यह मानते हैं कि आतंकवादी संगठनों को फंड देने और प्रशिक्षण देने का पाकिस्तान का लंबा इतिहास रहा है, तो उन्होंने जवाब दिया, ‘हम यह गंदा काम अमेरिका और ब्रिटेन सहित पश्चिम के लिए तीन दशकों से कर रहे हैं। वह गलती थी और हम इसके कारण भुगत रहे हैं।’
रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि इंटरव्यू के दौरान उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा के अस्तित्व से इनकार किया और द रेजिस्टेंस फ्रंट (ञ्जक्रस्न) के बारे में जानकारी न होने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘लश्कर पुराना नाम है। यह अब नहीं है।’
इस बीच, पाकिस्तान ने गुरुवार को भारत के साथ शिमला समझौते और अन्य द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही सभी प्रकार के व्यापार पर रोक लगा दी गई और भारतीय एयरलाइन के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया। पाकिस्तान ने यह भी कहा कि सिंधु जल संधि के तहत उसके हिस्से के पानी के प्रवाह को रोकने या मोडऩे का कोई भी प्रयास युद्ध के समान माना जाएगा।
पाकिस्तान ने वाघा सीमा चौकी को भी बंद कर दिया है, दक्षेस वीजा छूट योजना (एसवीईएस) के तहत भारतीय नागरिकों को जारी सभी वीजा निलंबित कर दिए हैं और भारतीय उच्चायोग में सैन्य सलाहकारों को वापस जाने को कहा है।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया गया था, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली थी, जिसका संबंध लश्कर-ए-तैयबा से बताया जाता है। इस हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में कई अहम फैसले लिए गए थे, जिनमें सिंधु जल समझौते को स्थगित करना भी शामिल है।
न्यूयॉर्क । जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते सामाजिक व आर्थिक दबाव, महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा मामलों में दर्ज किए जा रहे उछाल की वजह बन रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की ‘स्पॉटलाइट पहल’ द्वारा प्रकाशित एक नए अध्ययन में यह चेतावनी जारी की गई है, जिसके अनुसार इस सदी के अन्त तक, महिलाओं के अंतरंग साथी द्वारा की जाने वाले हिंसा के हर 10 मामलों में से एक, जलवायु परिवर्तन से जुड़ा हो सकता है. रिपोर्ट बताती है कि चरम मौसम, विस्थापन, खाद्य असुरक्षा और आर्थिक अस्थिरता समेत अन्य कारक लिंग-आधारित हिंसा की गम्भीरता और उसमें उछाल के लिए जि़म्मेदार हैं.नाज़ुक हालात से जूझ रहे समुदायों पर इसका गहरा असर होता है, जहाँ महिलाएँ पहले से ही विषमताओं का सामना करने की वजह से हिंसा का शिकार बनने का जोखिम झेलती हैं.अध्ययन के अनुसार, वैश्विक तापमान में 1डिग्री की वृद्धि से, अंतरंग साथी हिंसा मामलों में 4.7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी नजऱ आ सकती है.2डिग्री तापमान बढऩे की स्थिति में, वर्ष 2090 तक कऱीब चार करोड़ लड़कियाँ व महिलाएँ, अंतरंग साथी द्वारा हिंसा मामलों की शिकार बन सकती हैं, जबकि 3.5डिग्री तापमान वृद्धि से यह आँकड़ा दोगुना हो सकता है.‘स्पॉटलाइट पहल’, संयुक्त राष्ट्र और योरोपीय संघ के बीच एक वैश्विक साझेदारी है, जोकि महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा के सभी रूपों के उन्मूलन पर केन्द्रित है.अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है कि जलवायु समाधानों को कारगर व सतत बनाने के लिए यह अहम है कि अधिकारों, सुरक्षा व न्याय पर ध्यान दिया जाए। संघर्षों और अस्थिरता की स्थितियों के परिणाम, महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ उच्च स्तर की लैंगिक हिंसा के रूप में सामने आ सकते हैं. एक बड़ी महामारीरिपोर्ट के अनुसार, लिंग-आधारित हिंसा एक वैश्विक महामारी बन चुकी है. एक अरब से अधिक महिलाओं, यानि कऱीब हर तीन में से एक महिला ने अपने जीवनकाल में शारीरिक, यौन व मनोसामाजिक हिंसा का किसी न किसी रूप में सामना किया है.हालांकि वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है. इन अनुभवों से गुजऱने वाली केवल सात फ़ीसदी पीडि़त ही औपचारिक तौर पर पुलिस या मेडिकल सेवा में इसकी जानकारी देती हैं.‘स्पॉटलाइट पहल’ में स्पष्ट किया गया है कि जलवायु आपदाओं के घटित होने के बाद की स्थिति में ऐसे हिंसा मामलों में अक्सर उछाल दर्ज किया जाता है.वर्ष 2023 में, 9.31 करोड़ लोग मौसम-सम्बन्धी आपदाओं व भूकम्पों से प्रभावित हुए हैं. 42.3 करोड़ महिलाओं ने अपने अंतरंग साथी द्वारा की जाने वाली हिंसा का सामना किया.जैसे-जैसे जलवायु झटकों की आवृत्ति व गहनता बढ़ रही है, लिंग-आधारित हिंसा मामलों में नाटकीय वृद्धि आने की आशंका है. साथ ही, बाढ़, सूखे व मरुस्थलीकरण से उपजे हालात, बाल विवाह, मानव तस्करी, यौन शोषण के मामले बढऩे की वजह बन सकते हैं. पहले से ही नाज़ुक हालात में रहने वाले समुदाय की महिलाओं पर जलवायु व्यवधानों के बाद लिंग-आधारित हिंसा का जोखिम बढ़ता है. हाशिए पर समुदायअध्ययन के अनुसार, इस संकट का बोझ हर किसी पर समान रूप से वितरित नहीं है.सीमान्त किसानों, अनौपचारिक बस्तियों में रहने वाली और निर्धनता में जीवन गुज़ार रही महिलाओं व लड़कियों के इनका शिकार होने की सम्भावना अधिक होती है. आदिवासी, विकलांग, वृद्ध और एलजीबीटीक्यू+ समुदाय भी ये जोखिम झेलते हैं और उनके पास ज़रूरी सेवाओं, आश्रय और संरक्षण की सीमित सुलभता है.सब-सहारा अफ्ऱीका में, 4डिग्री तापमान वृद्धि की स्थिति में अंतरंग साथी हिंसा मामलों में कऱीब तीन गुना उछाल आने की सम्भावना है. वर्ष 2015 में 4.8 करोड़ महिलाओं ने इन घटनाओं का सामना किया था, और 2060 तक यह संख्या बढक़र 14 करोड़ पहुँच सकती है.मगर, तापमान में वृद्धि 1.5डिग्री तक सीमित रह जाने से यह आँकड़ा 2015 में 24 प्रतिशत से घटकर 2060 में 14 प्रतिशत तक सीमित रह सकता है.रिपोर्ट में सचेत किया गया है कि महिला पर्यावरणीय अधिकार कार्यकर्ताओं के विरुद्ध जोखिम बढ़ रहे हैं.भूमि के विध्वंसकारी इस्तेमाल और दोहन करने वाले उद्योगों के विरुद्ध आवाज़ मुखर करने वाली महिला कार्यकर्ताओं को उत्पीडऩ, कथित बदनामी, शारीरिक हमलों व अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के कलेमाई में लिंग आधारित हिंसा से बची एक महिला. समावेशी नीति पर बलबताया गया है कि हालात की गम्भीरता के बावजूद, जलवायु सम्बन्धी विकास सहायता में से केवल 0.4 प्रतिशत मामलों में ही लैंगिक समानता पर मुख्य तौर पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है.रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि यह खाई, यह समझने में बड़ी विफलता है कि लिंग-आधारित हिंसा किस तरह से जलवायु न्याय व सहनसक्षमता प्रयासों को प्रभावित करती है.‘स्पॉटलाइट पहल’ में लिंग-आधारित हिंसा की रोकथाम को, जलवायु नीति के सभी स्तरों में एकीकृत करने पर बल दिया गया है – स्थानीय स्तर पर रणनीतियों से अन्तरराष्ट्रीय सहायता धनराशि ढाँचों तक.मोज़ाम्बीक़, हेती, लाइबेरिया, वानुआतु समेत अन्य देशों के उदाहरणों के ज़रिये दर्शाया गया है कि हिंसा से निपटने और जलवायु सहनसक्षमता निर्माण के लिए कौन से कार्यक्रम अपनाए जा सकते हैं.इनमें जलवायु-स्मार्ट कृषि सैक्टर में रोजग़ार के लिए दाइयों को फिर से प्रशिक्षित करना, और यह सुनिश्चित करना है कि आपदा के बाद राहत कार्रवाई में लिंग-आधारित हिंसा से बचाव के लिए सेवाओं की व्यवस्था की जाएगी और आपदा प्रभावित इलाक़ों में क्लीनिक की व्यवस्था हो.अध्ययन में कहा गया है कि कारगर जलवायु कार्रवाई के लिए यह ज़रूरी है कि सुरक्षा, समता, और महिलाओं व लड़कियों के नेतृत्व को प्राथमिकता दी जाए.
नई दिल्ली । जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिए गए निर्णयों के क्रम में सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए तत्काल प्रभाव से वीजा सेवाएं निलंबित करने का निर्णय लिया है।
भारत द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए सभी मौजूदा वैध वीजा 27 अप्रैल 2025 से रद्द कर दिए जाएंगे। पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए मेडिकल वीजा केवल 29 अप्रैल 2025 तक वैध होंगे। वर्तमान में भारत में मौजूद सभी पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा की संशोधित अवधि समाप्त होने से पहले भारत छोड़ देना होगा। वहीं, भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान की यात्रा करने से बचने की सख्त सलाह दी गई है। साथ ही, वर्तमान में पाकिस्तान में मौजूद भारतीय नागरिकों को भी जल्द से जल्द स्वदेश लौटने की सलाह दी गई है। पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने पंजाब में वाघा-अटारी सीमा पर चेक पोस्ट बंद करने और सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) को रद्द करने का फैसला किया है, जिससे पाकिस्तानी नागरिकों के लिए प्रवेश के रास्ते बंद हो गए हैं।
वैध प्रमाण-पत्र के साथ अटारी सीमा से प्रवेश करने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को वापस लौटने के लिए 1 मई तक का समय दिया गया है, जबकि एसवीईएस वीजा वाले लोगों को 48 घंटे से कम समय में वापस लौटना होगा। हालांकि, तनाव बढऩे के बावजूद पंजाब के गुरदासपुर जिले में स्थित करतारपुर कॉरिडोर को पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए खुला रखा गया है। दोनों देशों के बीच एकमात्र भूमि सीमा पार करने वाली वाघा-अटारी सीमा के बंद होने से न केवल लोगों की आवाजाही प्रभावित होगी, बल्कि द्विपक्षीय व्यापार भी प्रभावित होगा। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी शामिल हुए। बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक हुई। सीसीएस को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारा गया था। कई अन्य लोग घायल हैं। सीसीएस ने हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और पीडि़तों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
नई दिल्ली । जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के 48 घंटे के भीतर भारत ने दुश्मनों को कड़ा संदेश देते हुए गुरुवार को जंगी जहाज आईएनएस सूरत से मिसाइल परीक्षण किया। नौसेना ने मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल दागी है।
नौसेना के मुताबिक, इस दौरान भारत के स्वदेशी मिसाइल विध्वंसक जहाज आईएनएस सूरत ने समुद्र में लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदने में कामयाबी हासिल की है। परीक्षण के दौरान भारतीय नौसेना के नवीनतम स्वदेश निर्मित निर्देशित मिसाइल विध्वंसक आईएनएस सूरत ने समुद्र में स्थित एक लक्ष्य पर सटीक हमला किया। यह देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह उपलब्धि स्वदेशी युद्धपोत डिजाइन, विकास और संचालन में देश की बढ़ती ताकत को दर्शाती है। इसके साथ ही यह रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता को रेखांकित भी करती है। यह देश के समुद्री हितों की रक्षा के लिए भारतीय नौसेना की अटूट प्रतिबद्धता और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रति समर्पण का प्रमाण है।
गौरतलब है कि इससे कुछ दिन पहले ही डीआरडीओ और भारतीय नौसेना ने स्वदेशी रूप से विकसित वर्टिकल-लॉन्च्ड शॉर्ट-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (वीएलएसआरएसएएम) का सफल परीक्षण किया था। ओडिशा तट पर चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से 26 मार्च को दोपहर लगभग 12:00 बजे यह परीक्षण पूरा हुआ था। इस दौरान मिसाइल ने भूमि-आधारित वर्टिकल लॉन्चर से एक उच्च गति वाले हवाई लक्ष्य को बहुत नजदीकी रेंज और कम ऊंचाई पर नष्ट किया था। इस उड़ान परीक्षण के दौरान, मिसाइल ने लक्ष्य को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए आवश्यक उच्च गति का प्रदर्शन किया था। वहीं, सैन्य शक्ति में जबरदस्त इजाफा करते हुए इसी माह भारत ने लड़ाकू विमान से दागे जाने वाले लंबी दूरी के ग्लाइड बम (एलआरजीबी) ‘गौरव’ का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 8 से 10 अप्रैल के बीच ‘गौरव’ लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम के सफल रिलीज ट्रायल्स को अंजाम दिया था। परीक्षण सुखोई-30 एमके-1 विमान से किए गए, जिसमें हथियार को विभिन्न वॉरहेड कॉन्फिगरेशन के साथ कई स्टेशनों पर एकीकृत किया गया था। इस प्रणाली के विकास में ‘डेवलपमेंट-कम-प्रोडक्शन’ पार्टनर्स अदाणी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज का भी सहयोग रहा। परीक्षणों के दौरान इस बम ने लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तक अत्यंत सटीक निशाना लगाया।
नई दिल्ली । पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के कड़े फैसले से बिलबिलाए पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार खत्म करने का ऐलान किया है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक बुलाई। भारत ने जवाब में कड़े कदम उठाते हुए सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया। वहीं, भारत के इस एक्शन के बाद पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइनों के लिए हवाई क्षेत्र बंद कर दिया, साथ ही वाघा सीमा क्रॉसिंग भी बंद कर दी। इसके अलावा पाकिस्तान ने शिमला समझौते को भी रद्द करने की चेतावनी दी है।
इस बैठक में भारत सरकार के सख्त फैसलों पर करीब दो घंटे तक चर्चा की गई। बैठक में पाकिस्तान सरकार ने भारत के साथ व्यापारिक संबंध खत्म करने की घोषणा की। इसके साथ ही भारतीय विमानों के लिए पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया है। भारत के सिंधु जल समझौते को निलंबित किए जाने पर पाकिस्तान ने कहा कि पानी रोकना युद्ध जैसी कार्रवाई है। पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) ने भारत के आरोपों को खारिज करते हुए निराधार और मनगढ़ंत बताया है। एनएससी का कहना है कि पहलगाम हमले को लेकर नई दिल्ली की ओर से पाकिस्तान को निशाना बनाने का अभियान पूरी तरह झूठ पर आधारित है। इस सिलसिले में एनएससी ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में तैनात भारतीय रक्षा, नौसेना और वायु सेना के सलाहकारों को निष्कासित करने का फैसला किया है और उन्हें तथा उनके सहायक कर्मचारियों को 30 अप्रैल तक पाकिस्तान छोडऩे का आदेश दिया गया है।
इसके साथ ही निर्णय लिया गया है कि भारतीय उच्चायोग में राजनयिक कर्मचारियों की संख्या 30 अधिकारियों तक सीमित रहेगी और यही नियम भारत में स्थित पाकिस्तान उच्चायोग पर भी समान रूप से लागू होगा। एनएससी ने भारत के सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को एकतरफा रूप से निलंबित करने के निर्णय का कड़ा विरोध किया है और इस मुद्दे को विश्व बैंक तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की घोषणा की है। समिति का कहना है कि विश्व बैंक इस संधि का एक पक्ष है, इसीलिए भारत को इस पर कोई भी एकतरफा निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा एनएससी ने भारत द्वारा सीमा बंद करने के जवाब में वाघा-अटारी बॉर्डर को बंद करने का फैसला भी किया है। समिति ने पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाओं की तैयारियों पर संतोष जताते हुए कहा है कि यदि भारत कोई दुस्साहस करता है तो उसे सख्त जवाब दिया जाएगा। पाकिस्तान ने भारत पर पलटवार करते हुए उस पर देश में अशांति फैलाने का आरोप लगाया है और कहा है कि भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव पाकिस्तान में पकड़ा गया था। उसने भारत के निर्देश पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की बात स्वीकार की थी। एनएससी ने भारत के हालिया निर्णयों को मोदी सरकार के पाकिस्तान विरोधी एजेंडे का हिस्सा बताया है।
पाक प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान के अनुसार, एनएससी की हालिया बैठक में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों की मौत पर दुख जताया गया। इसके साथ ही 23 अप्रैल को भारत द्वारा उठाए गए कदमों को एकतरफा, अन्यायपूर्ण, राजनीतिक रूप से प्रेरित, गैर-जिम्मेदाराना और कानूनी आधार से रहित बताया गया। वहीं, समिति ने एक बार फिर कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच एक ‘अनसुलझा अंतरराष्ट्रीय विवाद’ बताया।
अनंतनाग । जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हमला करने वाले तीन आतंकवादियों के पोस्टर जारी किए हैं और सूचना देने वालों के लिए हर आतंकवादी पर 20-20 लाख रुपए के इनाम की घोषणा की है।
अनंतनाग पुलिस ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में तीन आतंकवादियों के पोस्टर जारी करते हुए कहा है कि आदिल हुसैन ठोकर, हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली भाई उर्फ तल्हा भाई के बारे में जानकारी देने वाले को 20-20 लाख रुपए का इनाम मिलेगा। तीनों को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का आतंकवादी बताया गया है और सभी तीनों पर 20-20 लाख रुपए का अलग-अलग इनाम रखा गया है। पुलिस ने आतंकवादियों के बारे में सूचना देने वाले की पहचान गोपनीय रखने का आश्वासन भी दिया है। जानकारी देने के लिए पुलिस ने संपर्क नंबर 9596777666 (एसएसपी अनंतनाग) और 9596777669 (पीसी अनंतनाग) जारी किए हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जनता से अपील की है कि यदि किसी को तीनों आतंकवादियों के बारे में कोई जानकारी मिले, तो वे तुरंत पुलिस से संपर्क करें।
बता दें कि पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के एक दिन बाद बुधवार को सुरक्षा बलों ने कुछ संदिग्ध आतंकियों की तस्वीरें और स्केच जारी किए थे। आतंकी हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई थी और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। पहलगाम हमले के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना विदेश दौरा बीच में ही छोडक़र भारत लौट आए थे। बुधवार शाम उन्होंने सुरक्षा को लेकर कैबिनेट समिति (सीसीएस) की अध्यक्षता की जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया था कि भारत ने सिंधु जल समझौते को फिलहाल रोकने का निर्णय लिया है। यह कदम भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ते तनाव के मद्देनजर उठाया गया है।