जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था आईपीसीसी यानी इंटरगर्वमेंटल पैनल ऑफ क्लाइमेट चेंज की ताज़ा रिपोर्ट लीक हो गई है. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2040 तक दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री तक बढ़ जायेगा. इसके भयानक परिणाम हो सकते हैं. इसे रोकने के लिये सभी देशों को ग्रीन हाउस गैसों और कार्बन इमीशन को कम करना होगा.आईपीसीसी की ये ताजा रिपोर्ट अक्टूबर में आनी थी लेकिन ये पहले ही लीक हो गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते तापमान का मौसम और खेती बाड़ी से लेकर समुद्र स्तर के बढ़ने और ग्लेशियरों के पिघलने पर असर पड़ेगा. जलवायु परिवर्तन के चलते सूखा, बाढ़ और अतिवृष्टि जैसी आपदा बढ़ रही हैं. कार्बन इमीशन को रोकने के लिये सौर और पवन ऊर्जा जैसे रास्तों को अपनाने और कोयले के इस्तेमाल को कम करने की ज़रूरत होगी भारत ने 2022 तक 175 गीगावॉट स्वच्छ ऊर्जा का लक्ष्य रखा है.
गुरूवार को शाम से देर रात तक चांद के दीदार को लेकर असमंजस की स्थिति रही। सबसे पहले ऐलान हुआ कि चांद की तस्दीक नहीं हुई है, लेकिन बाद में हिलाल कमेटी की मीटिंग देवबंद में दोबारा बैठी। कहा जा रहा था कि ईद के चांद का ऐलान हो सकता है। लेकिन मोहतबर शहादत न होने पर चांद की तस्दीक नहीं हुई। ऐलान किया गया कि ईद 16 जून की होगी। अब आज 15 जून को फिर से अलविदा जुमे की नमाज़ होगी। वहीं सुन्नी बरेलवी मसलहक के मुसलमानों ने देवबंदी व अन्य से एक दिन बाद माहे रमज़ान की शुरूआत की थी। कल सुन्नी बरेलवी उलेमाओं ने भी ऐलान किया कि 15 जून की शाम चांद दिखने पर ईद 16 जून को होगी। जबकि चांद न दिखने पर 17 जून इतवार को ईद मनायी जाएगी। सुन्नी बरेलवी मसलहक के मुसलमानों को चांद की तस्दीक आज न होने पर देश में 2 ईद हो सकती हैं। वहीं विदेशों में आज ईद मनायी जा रही है।
तमिलनाडु की राजनीति से जुड़ा आज अहम दिन है। बीते साल एआईएडीएमके की पलानीस्वामी सरकार से समर्थन वापस लेने वाले टी. टी. दिनाकरण गुट के 18 विधायकों की किस्मत पर फैसला आज आएगा। इन सभी विधायकों को विधानसभा स्पीकर ने अयोग्य करार दिया था, जिसके बाद इन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी। कोर्ट का फैसले का सीधा असर राज्य की सरकार पर हो सकता है।
चुनाव नजदीक आते ही सरकारें जनता को लुभाने के लिए लोकलुभावनी घोषणाओं और योजनाओं का ऐलान शुरू कर देती हैं. ऐसी ही कुछ लुभावनी योजनाओं की शुरुआत मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने की है.
साल के अंत में मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान ने गरीबों पर नजरें इनायत करते हुए बिजली के बिल माफ करने का ऐलान किया और हादसे में मारे जाने वाले गरीबों को मुआवजा देने की घोषणा की.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हमारे गरीब भाईयों-बहनों के लिए जुलाई-अगस्त में बिजली कैंप लगाए जाएंगे जिसमें उन लोगों के बिजली बिल भी माफ किए जाएंगे.
साथ ही उन्होंने कहा कि हर महीने के लिए गरीब परिवार को अब महज 200 रुपये बिल के रूप में देने होंगे.
सीएम शिवराज ने एक और लुभावनी घोषणा का ऐलान करते हुए कहा कि अगर किसी गरीब परिवार के मुखिया की मौत 60 साल की उम्र से पहले हो जाती है तो उनके परिजन को मुआवजा के तौर पर 2 लाख रुपये दिए जाएंगे.
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी हादसे में गरीब परिवार के मुखिया की मौत होती है तो उसके परिवारवालों को 2 लाख की जगह 4 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा.शिवराज 2005 में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे और तब से लेकर अभी तक सत्ता में बने हुए हैं. पिछले 13 साल से मुख्यमंत्री रहे शिवराज ने अपने दम भारतीय जनता पार्टी को 2 बार (2008 और 2013) विधानसभा चुनाव जीतवा चुके हैं और उनकी कोशिश है कि पार्टी इस बार भी चुनाव जीतकर सत्ता में बनी रही.
चुनाव से पहले पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट में जाता दिख रहा है. पाकिस्तान की मुद्रा रुपया में जारी गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है.
मंगलवार को एक अमरीकी डॉलर की क़ीमत 122 पाकिस्तानी रुपए हो गई. सोमवार को डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपए में 3.8 फ़ीसदी की गिरावट आई.
अगर डॉलर की कसौटी पर भारत से पाकिस्तानी रुपया की तुलना करें को भारत की अठन्नी पाकिस्तान के लगभग एक रुपए के बराबर हो गई है. एक डॉलर अभी लगभग 67 भारतीय रुपए के बराबर है.
पाकिस्तान का सेंट्रल बैंक पिछले सात महीने में तीन बार रुपए का अवमूल्यन कर चुका है, लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक पाकिस्तानी सेंट्रल बैंक भुगतान संतुलन के संकट से बचने की कोशिश कर रहा है, लेकिन कुछ असर होता नहीं दिख रहा.
ईद से पहले पाकिस्तान की माली हालत आम लोगों को निराश करने वाली है. पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव है और चुनाव से पहले कमज़ोर आर्थिक स्थिति को भविष्य के लिए गंभीर चिंता की तरह देखा जा रहा है.
ईद से पहले संकट में पाकिस्तान
रुपए में भारी गिरावट से साफ़ है कि क़रीब 300 अरब डॉलर की पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गंभीर संकट का सामना कर रही है. पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में हो रही लगातार कमी और चालू खाता घाटे का बना रहना पाकिस्तान के लिए ख़तरे की घंटी है और उसे एक बार फिर इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फंड यानी अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष के पास जाना पड़ सकता है.
पाकिस्तान अगर आईएमएफ़ के पास जाता है तो यह पिछले पांच सालों में दूसरी बार होगा. इससे पहले पाकिस्तान 2013 में जा चुका है.
रुपए में जारी गिरावट पर द स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान ने कहा है, ”यह बाज़ार में जारी उठा-पटक का नतीज़ा है. हालात पर हम लोग की नज़र बनी हुई है.”
पाकिस्तान में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एक अर्थशास्त्री अशफ़ाक़ हसन ख़ान ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि अभी पाकिस्तान में अंतरिम सरकार है और चुनाव के वक़्त में वो आईएमफ़ जाने पर मजबूर हो सकती है.
बेबस कार्यवाहक सरकार
ख़ान ने कहा कि पाकिस्तान की अंतरिम सरकार को नीतिगत स्तर पर फ़ैसला लेने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि इसके तहत निर्यात बढ़ाना होगा और आयात को कम करना होगा, लेकिन यहां की कार्यवाहक सरकार पर्याप्त क़दम उठा नहीं रही है.
ख़ान ने कहा, ”अगर हम लोग को लगता है कि केवल रुपए के अवमूल्यन से भुगतान संकट में असंतुलन को ख़त्म किया जा सकता है तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.”
निवर्तमान सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ इस बात का प्रचार कर रही है कि अगर देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है तो उसे फिर से सत्ता में लाना होगा.
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार इस स्तर तक कम हो गया है कि वो सिर्फ़ दो महीने के आयात में ख़त्म हो जाएगा.
डौलर के सामने लाचारी क्यों?
दिसंबर से लेकर अब तक पाकिस्तानी रुपए में 14 फ़ीसदी की गिरावट आई है.
पाकिस्तान आख़िर इस संकट से क्यों जूझ रहा है? पिछले सात महीने में स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान को रुपए में तीन बार अवमूल्यन क्यों करना पड़ा? क्या इसका कोई असर हुआ?
इन सवालों के जवाब में पाकिस्तान के अर्थशास्त्री क़ैसर बंगाली कहते हैं, ”डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपए में गिरावट की दो वजहें हैं. पहला यह है कि पाकिस्तान के आयात की क़ीमत निर्यात से दोगुनी से ज़्यादा है. हम 100 डॉलर का निर्यात कर रहे हैं तो 200 से ज़्यादा डॉलर का आयात कर रहे हैं. इतना बड़ा फासला है तो इसका असर तो पड़ेगा ही. दूसरा यह है कि पिछले 15 सालों में पाकिस्तान में जो निजीकरण हुआ है उसमें डॉलर तो आया लेकिन अब आमदनी हो रही है तो वो डॉलर अपने मुल्क भेज रहे हैं. मतलब डॉलर बाहर ज़्यादा जा रहा है और आ रहा है कम. डॉलर की मांग ज़्यादा है और जिसकी मांग ज़्यादा होती है वो महंगा हो जाता है.”
रुपए का अवमूल्यन क्यों? क़ैसर कहते हैं, ”अब वो वक़्त चला गया जब डॉलर की क़ीमत स्टेट बैंक तय करता था. अब तो बाज़ार तय करता है. जब सरकार को लगता है कि डॉलर ज़्यादा महंगा हो रहा है तो वो अपने पास के डॉलर को बाज़ार में बेचना शुरू करती है कि क़ीमत को काबू में किया जा सके. लेकिन सरकार के पास असीमित डॉलर तो होता नहीं है कि वो बाज़ार में डॉलर डालती रहे. जब किसी भी चीज़ की सप्लाई से ज़्यादा डिमांड होगी तो उसकी क़ीमत बढ़ेगी ही. पाकिस्तान बहुत सारी चीज़ें बाहर से मंगाता है. पेट्रोलियम, कूकिंग ऑइल, इंडस्ट्री मटीरियल सब पाकिस्तान बाहर से मंगाता है और महंगे होते डॉलर में काफ़ी नुक़सान उठाना पड़
रहा है.”
पाकिस्तान के पास अब विकल्प क्या हैं?
इस सवाल के जवाब में क़ैसर का कहना है, ”आईएमफ़ के पास जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. चीन हमेशा पाकिस्तान को क़र्ज़ नहीं देगा. आईएमएफ़ से भी बहुत आसान नहीं होगा, क्योंकि चीन आईएमएफ़ काउंसिल का एग्जेक्युटिव सदस्य है. पहले पाकिस्तान आईएमएफ़ के पास 10 से 12 सालों में जाता था अब पांच सालों में ही जा रहा है. संकट और गहरा रहा है इसलिए आईएमएफ़ की शरण में जाने का फासला भी कम हो रहा है.”
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने दिसंबर और मार्च में रुपए में पांच-पांच फ़ीसदी का अवमूल्यन किया था. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के बारे में कहा जा रहा था कि इस साल 6 फ़ीसदी की दर से बढ़ेगी, लेकिन आर्थिक मंदी के कारण इस अनुमान के क़रीब पहुंचना आसान नहीं है.
सेंट्रल बैंक ऑफ़ पाकिस्तान के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान समय में चालू खाता घाटा 14 अरब डॉलर का है और यह पाकिस्तान की जीडीपी का क़रीब 5.3 फ़ीसदी है.
पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा महज 10 अरब डॉलर से थोड़ा ही ज़्यादा बची है. पाकिस्तानी के महत्वपूर्ण अख़बार डॉन की एक ख़बर के अनुसार चीन से क़र्ज़ लेने की बात हो रही है.
श्रीलंका भी संकट में
दक्षिण एशिया में श्रीलंका के बाद पाकिस्तान दूसरा देश बन गया है जिसकी अर्थव्यवस्था भारी व्यापार घाटे से जूझ रही है.
इसके साथ ही तेल की बढ़ती क़ीमतें और मज़बूत होता डॉलर दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भारी पड़ रहा है. श्रीलंका की मुद्रा रुपया भी डॉलर की तुलना में हर दिन नई गिरावट की तरफ़ बढ़ा रहा है. बुधवार को एक डॉलर की तुलना में श्रीलंकाई रुपया 160 रुपए तक पहुंच गया.
इस वित्तीय वर्ष में पाकिस्तानी मुद्रा रुपए में तीन बार अवमूल्यन किया गया. ऐसे में स्थानीय मुद्रा को लेकर लोगों का भरोसा डगमगया है. इसका नतीज़ा यह हुआ कि कॉर्पोरेट सेक्टर में डॉलर की जमाखोरी बढ़ गई.
स्टेट बैंक की सख़्ती
पाकिस्तान की एक्सचेंज कंपनियों का कहना है कि आम लोग डॉलर नहीं बेच रहे हैं. ज़रूरतमंद लोग ही मज़बूरी में डॉलर के बदले पाकिस्तानी रुपया ले रहे हैं.
कहा जा रहा है कि यह पहली ईद है जब रुपए को कोई पूछ नहीं रहा. इससे पहले पारंपरिक रूप से ये होता था कि विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानी रमज़ान के महीने में खर्च करने के लिए अपनों को वहां की मुद्रा भेजते थे और बाज़ार में रौनक रहता था.
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने बिगड़ती स्थिति को संभालने के लिए डॉलर की ख़रीद और बिक्री करने वालों की पहचान करने के लिए कई नियम बनाए हैं. जो शख़्स खुले बाज़ार में 500 डॉलर से ज़्यादा ख़रीदना चाहता है या बेचना चाहता है उसे कंप्यूटराइज राष्ट्रीय पहचान पत्र दिखाना होगा.
नई दिल्ली : केन्द्र सरकार ने शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत सब्सिडी के दायरे वाले सस्ते आवास के लिए निर्मित क्षेत्र (कार्पेट एरिया) में बढ़ोत्तरी करने का फैसला किया है। अगर आपकी सालाना आय 18 लाख रुपये तक है, और आप तीन या चार बेडरूम वाला 2,100 वर्ग फीट तक का फ्लैट या घर खरीदना चाहते हैं तो अब आप भी 2.3 लाख रुपये की ब्याज सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं।
सरकार का यह फैसला 1 जनवरी 2017 से प्रभावी होगा। मतलब यह कि अगर आपने 1 जनवरी 2017 के बाद मकान खरीदा है और बढ़े हुए कार्पेट एरिया में खरीदा है तो आपको प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी का भी फायदा मिलेगा। सरकार ने यह भी जानकारी दी है कि 11 जून तक 736 करोड़ रुपए की सब्सिडी लोगों दी जा चुकी है।
इन बदलावों से मिडिल क्लास को अब सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। गौरतलब है कि एमआईजी-I में 6-12 लाख रुपए कमाई वालों को लोन पात्रता होती है। वहीं, एमआईजी-II में 12-18 लाख रुपए कमाई वालों को लोन पात्रता होती है। एमआईजी-I में ग्राहक को 4 फीसदी की लोन सब्सिडी मिलती है। एमआईजी-II में ग्राहक को 3 फीसदी की लोन सब्सिडी मिलती है। एमआईजी-I में ग्राहक को 235068 का सीधा फायदा मिलेगा। वहीं, एमआईजी-II में ग्राहक को 2,30,156 रुपए का सीधा फायदा मिलेगा।
सरकार की योजना के तहत गरीबों को घर देने का मकसद प्रधानमंत्री आवास योजना को ग्रामीण इलाकों तक लेकर जाना है। पहले इन्हीं इलाकों में घर दिए जाएंगे। गरीबों को घर मिलने से एक बड़ा बदलाव आएगा और न्यू इंडिया का निर्माण होगा।