अमरीका ने कहा है कि वो संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार काउंसिल से बाहर हो रहा है.अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और संयुक्त राष्ट्र के लिए अमरीका की दूत निकी हेली ने एक साझा प्रेस वार्ता में इस बात की घोषणा की है.वहीं, काउंसिल के प्रमुख ज़ेद बिन राद अल हुसैन ने कहा है कि अमरीका को मानवाधिकारों की रक्षा से पीछे नहीं हटना चाहिए.निकी हेली ने कहा, ”जब एक तथाकथित मानवाधिकार काउंसिल वेनेज़ुएला और ईरान में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में कुछ नहीं बोल पाती और कॉन्गो जैसे देश का अपने नए सदस्य के तौर पर स्वागत करती है तो फिर यह मानवाधिकार काउंसिल कहलाने का अधिकार खो देती है.”उन्होंने कहा कि असल में ऐसी संस्था मानवाधिकारों को नुक़सान पहुंचाती है.हेली ने कहा कि काउंसिल ‘राजनीतिक पक्षपात’ से प्रेरित है. उन्होंने कहा, ”हालांकि मैं ये साफ करना चाहती हूं कि काउंसिल से बाहर होने का मतलब ये नहीं है कि हम मानवाधिकारों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से मुकर रहे हैं.”
निकी हेली और माइक पोम्पियो साझा प्रेस कॉन्फ़्रेंस में
हेली ने पिछले साल भी यूएनएचआरसी पर ‘इसराइल के ख़िलाफ़ दुर्भावना और भेदभाव से ग्रस्त’ होने का आरोप लगाया था और कहा था कि अमरीका परिषद् में अपनी सदस्यता की समीक्षा करेगा.अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी यूएनएचआरसी के इरादों पर सवाल उठाए और कहा कि ये अपने ही विचारों को बनाए रखने में नाकाम रहा है.उन्होंने कहा, ”हमें इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि एक वक़्त में यूएनएचआरसी का मक़सद नेक था. लेकिन आज हमें ईमानदारी बरतने की ज़रूरत है. ये आज मानवाधिकारों की मजबूती से रक्षा नहीं कर पा रहा है. इससे भी बुरा ये है कि काउंसिल आज बड़ी ही बेशर्मी और पाखंड के साथ दुनिया के तमाम हिस्सों में रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को अनदेखा कर रहा है.”पोम्पियो ने कहा कि दुनिया के कुछ ऐसे देश इसके सदस्य हैं जिन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के सबसे गंभीर आरोप हैं.यूएनएचआरसी की स्थापना 2006 में हुई थी. मानवाधिकारों के उल्लंघन वाले आरोपों से घिरे देशों को सदस्यता देने की वजह से यह आलोचना का केंद्र बना रहा है.
इससे अलग होने का अमरीका का फ़ैसला ऐसे वक़्त में आया है जब प्रवासी बच्चों को उनके माता-पिता से अलग किए जाने की वजह से ट्रंप प्रशासन को जबरदस्त आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.इससे पहले ह्यूमन राइट्स वॉच नाम के मानवाधिकार समूह ने डोनल्ड ट्रंप की नीति को ‘एकतरफ़ा’ बताते हुए इसकी आलोचना की थी. ह्यूमन राइट्स वॉच के डायरेक्टर केनेथ रोथ ने कहा था, “यूएनएचसी ने उत्तर कोरिया, सीरिया, म्यांमारा और दक्षिणी सूडान जैसे देशों में एक अहम भूमिका निभाई है लेकिन डोनल्ड ट्रंप को सिर्फ इसराइल की फ़िक्र है.”
यूएनएचसी से जुड़ी कुछ अहम बातें
तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख व पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। जहा एक ओर हर रोज एक नया टकराव उनके दामन से चिपक रहा है वही अब पाक चुनाव आयोग ने मंगलवार को इमरान खान का नामांकन लेटर खारिज कर दिया। पाक में अगले महीने होने वाले चुनावों के लिए सरगर्मिया तेज हो गई है। आयोग ने इससे पहले पूर्व पीएम व पीएमएल एन नेता शाहिद खाकान अब्बासी व पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का नामांकन लेटर भी खारिज कर दिए है।
25 जुलाई को पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं व फिल्हाल वहां कार्यवाहक गवर्नमेंट राष्ट्र को चला रही है। पाक में कुल 10.5 करोड़ मतदाता है जिनमे करीब 6 करोड़ पुरुष .व 4.6 करोड़ महिला वोटर्स है .।
निर्वाचन ऑफिसर ने इस्लामाबाद के एनए-53 के लिए अब्बासी व उनके वैकल्पिक उम्मीदवार सरदार महताब के नामांकन लेटर खारिज कर देने के बाद अब इमरान को भी झटका दिया है । ये समाचार पाक के मुख्य अख़बार डॉन के मुताबिक मिली है । दोनों उम्मीदवार आयोग के सामने महत्वपूर्ण हलफनामा व कर रिटर्न की जानकारी मुहैया नहीं करवा पाए । इमरान खान इन दिनों लगातार विवादों में है । उनकी पूर्व पत्नी रेहम खान की एक किताब ने उनकी जिंदगी में भूचाल लाया हुआ है । वही वे खुद नारीवाद पर विवादित बयान दे कर फ़स चुके है ।
जम्मू-कश्मीर। भाजपा और पीडीपी की तीन साल से चल रही सरकार गिर चुकी है। राज्य में राज्यपाल शासन लागू हो गया है महबूबा मुफ्ती ने सरकार गिरने के बाद राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया है। भाजपा ने कहा कि राज्य में बढ़ते आतंकवाद के चलते सरकार में बने रहना मुश्किल हो गया था राज्य में 1977 के बाद 8 बार राज्यपाल शासन लगा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता कविंद्र गुप्ता ने कहा है कि हम जम्मू-कश्मीर में कुछ कर रहे हैं। आगे परिस्थितियों को देखते हुए निर्णय लिया जाएगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन की मांग को मंजूरी दे दी है। राज्यपाल एनएन वोहरा ने राष्ट्रपति से कल जम्मू कश्मीर के संविधान के सेक्शन 92 के तहत राज्यपाल शासन लगाने की सिफारिश की थी।
बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि ये गठबंधन होना ही नहीं चाहिए था। क्योंकि पीडीपी और बीजेपी दोनों की विचारधारा अलग है। लेकिन अगर गठबंधन हो गया तो इसे बहुत पहले ही अलग हो जाना चाहिए था।अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि बर्बाद करने के बाद बीजेपी कश्मीर में गठबंधन से बाहर हो गई। क्या बीजेपी ने हमसे यह नहीं कहा था कि नोटबंदी से कश्मीर में आतंकवाद की कमर टूट गयी तब क्या हुआ था। जम्मू कश्मीर विधानसभा में कांग्रेस की 12 सीटें हैं। पार्टी ने कहा है कि पीडीपी के साथ गठबंधन करने का सवाल ही नहीं है। राज्य में एक अन्य प्रमुख दल नेशनल कांफ्रेंस के 15 विधायक हैं। उमर अब्दुल्ला ने भी राज्यपाल शासन लगाए जाने की बात कही है।
बिहार के अररिया जिले में एक बड़ा हादसा हुआ है। यहां बच्चों को लेकर जा रही एक गाड़ी तालाब में गिर गई। इस हादसे में छह बच्चों की मौत की खबर है। वहीं रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एक को बचा लिया गया। बताया जा रहा है कि यह दर्दनाक हादसा अररिया के ताराबाड़ी इलाके में हुआ। एक कार में कुछ बच्चे जा रहे थे। इसी दौरान कार ताराबाड़ी इलाके में स्थित एक तालाब में गिर गई। अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि बच्चों की मौत पानी में डूबने से हुई है या कोई और वजह है।
वरिष्ठ बीजेपी नेता और केन्द्र सरकार में वित्त मंत्री अरुण जेटली (फिलहाल स्वास्थ्य लाभ के लिए अवकाश पर) ने एक लेख लिखते हुए दो टूक कहा है कि देश में सस्ता पेट्रोल-डीजल देना सरकार के बस में नहीं है. वित्त मंत्री के मुताबिक मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में यदि सरकार अपने राजस्व को कम करते हुए पेट्रोल-डीजल पर आम आदमी को राहत देने का काम करती है तो उसके सामने कांग्रेस सरकार वाली परिस्थिति पैदा हो जाएगी जहां विकास कार्यों के लिए उसे विदेशी बैंकों से कर्ज का सहारा लेना पड़ेगा.जेटली ने कहा कि बीते चार साल में मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान केन्द्र सरकार के राजस्व और जीडीपी के अनुपात में अच्छा सुधार दर्ज हुआ है. जहां कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में यह औसत 10 फीसदी था वहीं मोदी सरकार में यह 11.5 फीसदी दर्ज हुआ है. जेटली के मुताबिक इस वृद्धि का आधा इजाफा यदि पेट्रोल-डीजल पर टैक्स की कमाई से दर्ज हुआ है तो वहीं दूसरा आधा गैर पेट्रोल-डीजल पर एकत्र हुए राजस्व के कारण है. इनमें इनकम टैक्स और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के जरिए राजस्व में इजाफा अहम है.हालांकि गैर पेट्रोल-डीजल राजस्व केन्द्र सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. बीते चार साल के दौरान देश में राजस्व की स्थिति को देखते हुए यह दावा नहीं किया जा सकता है कि भारत में लोग इमानदारी से अपना टैक्स अदा करते हैं. ऐसा वित्त मंत्री का कहना है. जेटली ने कहा कि देश में सैलरी पाने वाले लोग टैक्स अदा करने में सबसे आगे हैं. इनके अलावा अन्य वर्गों को अब टैक्स अदा करने में इमानदारी दिखाने की जरूरत है.
जेटली ने कहा कि जिस तरह सरकार ने बीते चार साल के दौरान जीडीपी की तुलना में अपने राजस्व में 1.5 फीसदी का इजाफा किया है उसी तर्ज पर वह अगले चार साल में एक बार फिर टैक्स-डीजीपी अनुपात में 1.5 फीसदी का इजाफा करना चाहती है. हालांकि इसके लिए वह गैर पेट्रोल-डीजल राजस्व पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगी. इसका साफ मतलब है कि जेटली संकेत दे रहे हैं कि अगले कुछ वर्षों के दौरान केन्द्र सरकार की कवायद गैर पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से राजस्व में इजाफा करने की है. यह स्वाभाविक भी है कि केन्द्र सरकार के पास पेट्रोल-डीजल पर और टैक्स लगाने की गुंजाइश नहीं बची है.
लिहाजा, अरुण जेटली ने दलील दी कि देश में लोगों को देशभक्ति की भावना के साथ अपना टैक्स अदा करने की जरूरत है. जेटली ने कहा कि फिलहाल देश में कुछ इमानदार लोग ही टैक्स अदा करते हैं. इन इमानदार टैक्स पेयर्स के ऊपर टैक्स की चोरी करने वालों का खामियाजा अदा करने का भी दबाव रहता है. इस सच्चाई का बयान करते हुए जेटली ने देश की सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील की कि वह देश में टैक्स की चोरी को पूरी तरह से खत्म करने में मदद करें जिससे सरकार के राजस्व को बढ़ा जा सके. जेटली ने कहा कि जबतक केन्द्र सरकार के राजस्व में गैर-पेट्रोल-डीजल टैक्स से अच्छी कमाई नहीं होगी, किसी भी केन्द्र सरकार के लिए पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत पहुंचाने का फैसला लेना असंभव है. अपने लेख में अरुण जेटली ने कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने की सलाह को गलत ठहराते हुए कहा कि मोदी सरकार कांग्रेस कार्यकाल की गलतियों को नहीं दोहराएगी.
नई दिल्ली। सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों ने देश भर में 25,000 नए पेट्रोल पंप खोलने की योजना बनाई है। पेट्रोलियम मिनिस्ट्री ने पेट्रोल पंप डीलरों की नियुक्ति पर सरकारी पॉलिसी को भी रद्द कर दिया है। इससे सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों- इंडियन ऑइल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम को पेट्रोल पंप खोलने के लिए अपने नियम बनाने की छूट मिलेगी। मिनिस्ट्री ने नए पेट्रोल पंप डीलरों की नियुक्ति के लिए पिछले महीने कंपनियों को अपनी गाइडलाइंस तैयार करने की अनुमति दी थी। इन कंपनियों ने सरकार से कहा था कि पेट्रोल और डीजल के रिटेल प्राइस पर सरकारी नियंत्रण हटने के बाद डीलरों की नियुक्ति के लिए सरकार की गाइडलाइन की जरूरत नहीं रह गई। इन कंपनियों ने अपनी गाइडलाइंस तैयार कर ली हैं और इन्हीं के अनुसार नए डीलर नियुक्त किए जाएंगे। ये तीनों कंपनियां एक महीने में विज्ञापन देकर 25,000 स्थानों पर पेट्रोल पंप खोलने के लिए आवेदन मंगाएगी। इनमें से अधिकतर पेट्रोल पंप ग्रामीण इलाकों में होंगे। सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां अभी लगभग 57,000 और प्राइवेट कंपनियां करीब 6,000 पेट्रोल पंप चलाती हैं। यह तय नहीं है कि विज्ञापन में दिए गए सभी स्थानों के लिए आवेदन मिलेंगे या वहां पेट्रोल पंप खुलेगा। लेकिन इसमें सफलता की दर 50 पर्सेंट रहने पर भी फ्यूल रिटेलिंग बिजनस में हजारों करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट होगा, हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और फ्यूल रिटेलिंग में सरकारी कंपनियों का दबदबा बढ़ेगा। अभी इस बिजनेस के 90 पर्सेंट से अधिक हिस्से पर इन कंपनियों का नियंत्रण है। नए पेट्रोल पंप खुलने से इक्विपमेंट सप्लायर्स, ट्रांसपोर्टर्स और टैंकर मैन्युफैक्चरर्स का कारोबार भी बढ़ेगा। पिछले कुछ समय से रिलायंस-बीपी, शेल और रोजनेफ्ट के इनवेस्टमेंट वाली नयारा एनर्जी भी अपना रिटेल नेटवर्क बढ़ा रही हैं।
नियम हुए आसान
सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां लगभग चार वर्ष के बाद नए डीलरों की नियुक्ति कर रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि नई गाइडलाइंस में समाज के पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के नियमों का पालन किया जाएगा, लेकिन पेट्रोलियम कंपनियों को डीलरों की नियुक्ति में छूट मिलेगी। नई गाइडलाइंस में आवेनदकर्ता के पास फंड की जरूरत को समाप्त किया गया है और जमीन के मालिकाना हक को लेकर नियमों में छूट दी गई है। पिछली पॉलिसी में रेगुलर फ्यूल आउटलेट खोलने के लिए आवेदनकर्ता के पास बैंक डिपॉजिट या अन्य फाइनैंशल इंस्ट्रूमेंट्स में 25 लाख रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में आउटलेट के लिए 12 लाख रुपये होना जरूरी था। अब जमीन पर मालिकाना हक न रखने वाले लोग भी जमीन मालिक के साथ टाई-अप कर डीलरशिप के लिए आवेदन कर सकेंगे। पेट्रोल पंप डीलर चुनने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। आवेदनकर्ताओं में से विजेताओं को ऑनलाइन ड्रॉ के जरिए चुना जाएगा।