भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज ही दिल्ली में राज्य के सभी बड़े पार्टी नेताओं के साथ बैठक की जिसके बाद बीजेपी ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया है. आज शाम ही जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अपने पद से इस्तीफा देंगी. बीजेपी ने समर्थन वापसी की चिट्ठी राज्यपाल को सौंप दी है.
फैसले के बाद बीजेपी नेता राम माधव ने कहा कि हमने गृह मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर के तीन साल के कामकाज, सभी एजेंसियों से राय लेकर ये फैसला किया है. जिसके बाद ये तय हुआ है कि बीजेपी अपना समर्थन वापस ले रही है. राम माधव ने कहा कि तीन साल पहले जो जनादेश आया था, तब ऐसी परिस्थितियां थी जिसके कारण ये गठबंधन हुआ था. लेकिन जो परिस्थितियां बनती जा रही थीं उससे गठबंधन में आगे चलना मुश्किल हो गया था.
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता को भारत के पहले ट्रांसजेंडर साहित्य सम्मेलन की मेजबानी का मौका मिला है। जुलाई के दूसरे हफ्ते में साहित्य अकैडमी की तरफ से यह सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। साहित्य अकैडमी के सेक्रटरी केएस राव ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया,ट्रांसजेंडर लेखकों के लिए पहली बार इस तरह का साहित्यिक सम्मेलन आयोजित हो रहा है और कोलकाता ऐसा करने वाला पहला शहर होगा।’अकैडमी के पूर्वी क्षेत्र के प्रभारी मिहिर साहू ने जुलाई में सम्मेलन होने की पुष्टि करते हुए कहा, ‘पिछले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हमने नारी चेतना के नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें ट्रांसजेंडर लेखकों ने भी हिस्सा लिया था। जुलाई में आयोजित होने वाला सम्मेलन केवल ट्रांसजेंडर साहित्यकारों के लिए होगा।’
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली सुदीक्षा भाटी को अमेरिका के प्रतिष्ठित बॉबसन कॉलेज में पढ़ाई के लिए फुल स्कॉलरशिप मिली है। 12वीं में सीबीएसई से 98 फीसदी मार्क्स लाकर अपने जिले में टॉप करनेवाली सुदीक्षा का यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली सुदीक्षा के पिता चाय बेचकर परिवार का गुजारा करते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति और सामाजिक रूढ़ियों को तोड़कर सुदीक्षा ने न सिर्फ अपनी पढ़ाई जारी रखी बल्कि अब अमेरिका में पढ़ने का अपना सपना भी पूरा करने जा रही है। अमेरिका की बॉबसन कॉलेज ने सुदीक्षा को 4 साल के कोर्स के लिए 3.8 करोड़ की स्कॉलरशिप दी है। अपनी इस उपलब्धि के बारे में सुदीक्षा कहती हैं, ‘पहले मेरे लिए पढ़ाई कर सकने का सपना पूरा करना आसान नहीं था। 2011 में मुझे विद्याज्ञान लीडरशिप अकैडमी स्कूल में दाखिला मिल गया और इसके बाद मेरे लिए पढ़ाई जारी रखना आसान हो गया। इस स्कूल में बड़ी संख्या में वंचित समुदाय से आने वाले बच्चे पढ़ते हैं और मुझे भी वहां यह मौका मिला। शुरुआत में मेरे परिवार और रिश्तेदारों को आपत्ति थी, लेकिन मेरे पैरंट्स ने मुझे पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।’ अमेरिका जाने के अपने सपने के बारे में सुदीक्षा कहती हैं, ‘मेरी मां स्कॉलरशिप के बारे में जानकर बहुत खुश थीं क्योंकि उन्हें लगा कि भगवान ने उनकी प्रार्थना सुन ली है। मेरे पापा को दूसरे देश जाकर पढ़ाई करने को लेकर थोड़ी शंका जरूर थी। अमेरिका में जाकर पढ़ाई करने से मुझे अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करने का मौका मिलेगा। मुझे खुशी है कि कमजोर आर्थिक स्थिति के बाद भी मैं इस सपने को पूरा कर पा रही हूं।’
अमेरिका के डेमोक्रेट सांसदों ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के मेक्सिको सीमा पर प्रवासी बच्चों को उनके मां-बाप से अलग करने की नीति के खिलाफ अपने अभियान का विस्तार किया।समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, कई रिपब्लिकन नेताओं की चुप्पी के खिलाफ रविवार को डेमोक्रेट सांसदों ने न्यूयॉर्क शहर के बाहरी इलाके में स्थित एक सुधार केंद्र का दौरा किया और टेक्सास जाकर सुधार गृहों में रखे गए बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं का जायजा लिया।
टेक्सास के मैकएलेन में जहां कई डेमोक्रेट सांसदों ने सुधार गृह का दौरा किया, राज्य प्रतिनिधि वीसेंटे गोंजालेज का अनुमान है कि उन्होंने वहां छह साल से कम उम्र के 100 बच्चे देखे।उन्होंने कहा,यह सुव्यवस्थित था, लेकिन यह उस चीज से दूर था, जिसे हम मानवीय कहते हैं।न्यूयॉर्क के प्रतिनिधि एड्रियानो एस्पाइलैट ने कहा,यह अनुचित और असंवैधानिक है।