मुजफ्फरपुर-बांद्रा अवध एक्सप्रेस ट्रेन से जीआरपी और आरपीएफ ने 26 नाबालिग लड़कियों को बचाया है. इस बारे में एक यात्री ने एक ट्वीट कर उन्हें सूचना दी थी. पांच जुलाई को एक यात्री ने ट्वीट करके बताया कि वह ट्रेन के एस-5 कोच में यात्रा कर रहा है और उसने देखा है कि करीब 25 लड़कियां रो रही हैं और परेशान हैं. रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया कि ट्वीट के बाद वाराणसी और लखनऊ के अधिकारी हरकत में आ गए. सोशल मीडिया पर सूचना मिलने के आधे घंटे के अंदर ही मामले की जांच शुरू हो गई.
गोरखपुर पर राजकीय रेलवे पुलिस ने चाइल्ड लाइन एवं पुलिस की मानव तस्करी रोधी इकाई के साथ समन्वय किया. कप्तानगंज से सादी वर्दी में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के दो जवान ट्रेन में चढ़े और उन्हें गोरखपुर तक लाए. प्रवक्ता ने बताया कि 22 साल और 55 साल की उम्र के दो व्यक्तियों के साथ 26 लड़कियां मिलीं. वे सभी बिहार के पश्चिम चम्पारण की रहने वाली हैं. लड़कियों को नरकटियागंज से ईदगाह ले जाया जा रहा था. लड़कियों से सवाल किया गया तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सकीं. इसलिए उन्हें बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया. लड़कियों की उम्र 10 से 14 साल के बीच मानी जाती है. आरपीएफ ने एक बयान में बताया कि उनके माता-पिता को सूचित कर दिया गया है और व्यक्तियों को हिरासत में ले लिया गया है.
पिछले कुछ समय लंदन भ्रष्टाचारियों की पनाहगार बना हुआ है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जिस पौश एवनफील्ड हाउस के फ्लैट के लिए सजा हुई है वह लंदन में ही है और नवाज शरीफ फिलहाल लंदन में ही मौजूद हैं. वो और उनकी बेटी मरियम लंदन में नवाज शरीफ की पत्नी कुलसुम नवाज के इलाज के लिए गए हैं. उन्हें कुछ दिनों पहले गले का कैंसर बताया गया था.
नेपाल के पर्वतीय सिमीकोट क्षेत्र से 1,200 से अधिक भारतीय तीर्थयात्रियों को सुरक्षित जगहों पर भेजा गया. यह जानकारी यहां भारतीय दूतावास ने दी. इसके साथ ही तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर की यात्रा से लौटते समय खराब मौसम के चलते हिल्सा क्षेत्र में फंसे तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकालने के प्रयास जारी हैं. सिमीकोट से सुरक्षित निकाले गए तीर्थयात्रियों को नेपालगंज और सुरखेट पहुंचाया गया है. ये दोनों नगर भारतीय सीमा के नजदीक हैं और दोनों जगह बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और अवसंरचना सुविधाएं हैं. भारतीय दूतावास ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘ आज तक, ठोस प्रयासों के जरिए 1,225 फंसे हुए तीर्थयात्रियों को सिमीकोट से हेलीकॉप्टर के जरिए सुरक्षित निकालकर नेपालगंज और सुरखेट पहुंचाया गया है.
हेलीकॉप्टर के जरिए सुरखेट पहुंचाए गए तीर्थयात्रियों को नेपालगंज ले जाने के लिए बस सेवा भी लगाई गई है.’’ इसने कहा, ‘‘दूतावास ने हिल्सा में फंसे 675 तीर्थयात्रियों को हेलीकॉप्टर से सिमीकोट ले जाने और फिर आगे नेपालगंज पहुंचाने के लिए टूर ऑपरेटरों के साथ भी काम किया.’’ बयान के अनुसार तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकालने की प्रक्रिया के दौरान 74 व्यावसायिक उड़ानें संचालित की गईं और इसके अतिरिक्त दूतावास ने नेपाल सेना के हेलीकॉप्टरों के साथ निजी हेलीकॉप्टरों – एमआई -16 की भी सेवा ली जिन्होंने हिल्सा – सिमीकोट – नेपालगंज के दुरूह क्षेत्रों में 142 से अधिक उड़ानें भरीं. इससे पहले आज भारतीय दूतावास के एक अधिकारी ने सिमीकोट में पीटीआई को बताया कि तिब्बत सीमा के नजदीक हिल्सा में फंसे तीर्थयात्रियों की संख्या अब ‘‘लगभग ना के बराबर है.’’ अधिकारी ने कहा कि सुरखेट और नेपालगंज भेजे गए अनेक तीर्थयात्री पहले ही भारत के लिए अपनी आगे की यात्रा शुरू कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी राज्य परिवहन बसों की तैनाती कर प्रक्रिया में मदद की है.
भारतीय दूतावास ने कहा था कि 275 तीर्थयात्रियों को कल हिल्सा से सुरक्षित निकाला गया था जिससे पिछले तीन दिनों में सुरक्षित स्थानों पर भेजे गए तीर्थयात्रियों की संख्या 675 हो गई. दूतावास ने आज के तीर्थयात्रियों के लिए कल एक संशोधित परामर्श भी जारी किया था और कहा था कि वे यात्रा पर बढ़ने से पहले चिकित्सा जांच करा लें. सोमवार को खराब मौसम के चलते हिल्सा और सिमीकोट में 1,500 से अधिक तीर्थयात्रियों के फंसने के बाद दूतावास ने राहत अभियान शुरू किया था. इसने कहा, ‘‘राहत अभियान के तहत दूतावास ने अपने अधिकारियों और प्रतिनिधियों को हिल्सा, सिमीकोट, नेपालगंज और सुरखेट प्रभावित क्षेत्रों में बुजुर्ग और बीमार तीर्थयात्रियों को मदद तथा चिकित्सा जांच उपलब्ध कराने के लिए दवाओं के साथ भेजा और तैनात किया. ’’
दूतावास ने तीर्थयात्रियों और उनके परिजनों के लिए एक हॉटलाइन भी स्थापित की थी जिसमें तमिल , तेलुगू , कन्नड़ और मलयालम भाषा बोलने वाला स्टाफ भी शामिल है. चीन के अधीन तिब्बत क्षेत्र में स्थित कैलाश मानसरोवर हिन्दुओं , बौद्धों और जैनों के लिए पवित्र तीर्थस्थल है और हर साल सैकड़ों भारतीय प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों में इस यात्रा पर जाते हैं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके विरोधियों से कोई खौफ नहीं है, उनके लिए सबसे बड़ा खतरा देश के बुद्धिजीवियों की खतरनाक चुप्पी है जो उन्हें चुनाव में हरा सकते हैं. आगरा में भारतीय जनता पार्टी की ओर से आयोजित प्रबुद्ध जन सम्मेलन कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि अगर देश का बुद्धिजीवी वर्ग यह जिम्मेदारी अपने ऊपर लेता है और चुप्पी तोड़ते हुए देश को बताए कि मोदी सरकार ने पिछले 4 सालों में क्या-क्या किया तब नरेंद्र मोदी को अगले आम चुनाव में जीत मिल सकती है. उन्होंने कहा, ‘बीजेपी देश के कई क्षेत्रों में प्रबुद्ध जन सम्मेलन का आयोजन कर रही है जिसके जरिए प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन के लिए बुद्दिजीवियों को संगठित किया जा सके.’
सीएम योगी ने कहा, ‘ कांग्रेस और देश की अन्य विपक्षी पार्टियों ने धर्मनिरपेक्षकता के नाम पर लोगों को जमकर बेवकूफ बनाया, देश को जाति और धर्म के नाम पर बांटा, जबकि प्रधानमंत्री मोदी चुपचाप देश को आगे ले जाने में लगे हुए हैं. वह देश को विकसित और भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहते हैं. मोदी सरकार ने देश की तरक्की के लिए कई योजनाओं को लॉन्च किया है, अगर 2019 के चुनाव में मोदी को फिर से चुनाव जीतना है तो यह सिर्फ बुद्धिजीवियों के समर्थन से ही होगा.’
प्रबुद्ध जन सम्मेलन में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, ‘2014 में केंद्र में मोदी सरकार के गठन में उत्तर प्रदेश ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी, यूपी ने बीजेपी के पक्ष में जमकर मतदान किया. अगर बीजेपी को यूपी में 73 सीट हासिल नहीं हुई होती तो सरकार का पूर्ण बहुमत के साथ बन पाना संभव नहीं होता.’
अमित शाह ने आगे कहा, ‘अब 2019 के लिए विपक्षी दल एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे में यूपी के लोगों का कर्तव्य बनता है कि वे भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली शक्तियों को सत्ता में आने से रोकें. इन दलों का एकमात्र मकसद है कि ‘मोदी भगाओ और सरकार बनाओ’ जबकि मोदी का सिद्धांत है कि ‘भ्रष्टाचार मिटाओ और देश को बचाओ’.’
वाशिंगटन: अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस पर बुधवार को एक महिला स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी के बेस पर चढ़ गई और करीब 3 घंटे तक वहां बैठी रही। उसकी मांग थी कि जब तक शरणार्थी शिविर में बंद सभी बच्चे छोड़ नहीं दिए जाते और उन्हें उनके परिवार वालों से मिला नहीं दिया जाता, तब तक वह स्टेच्यू से नहीं उतरेगी। पुलिस अफसरों ने महिला को काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी। फिर अफसर रस्सी के सहारे ऊपर चढ़े और महिला को जबरन उतारा। बाद में उसे हिरासत में ले लिया गया।
स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई 305.6 फीट है। महिला 200 फीट तक चढऩे में कामयाब हो गई थी। इस महिला का नाम थेरेसा पैट्रिका ओकोमो है। थेरेसा राइज एंड रेसिस्ट ग्रुप से जुड़ी है। ये ग्रुप ट्रम्प सरकार की इमिग्रेशन पॉलिसी का विरोध कर रहा है। बुधवार को इसने एक रैली का आयोजन किया था। इसी दौरान थेरेसा स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी पर चढ़ गई। न्यूयॉर्क पुलिस ने बताया कि महिला को नीचे उतारने के लिए 16 अफसरों को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
शुरुआत में उसने हमारी मदद नहीं की, लेकिन हम लगातार महिला की बातों को सुनते रहे। पहले उसने कूद जाने की धमकी भी दी, लेकिन बाद में वह हमारी बात मान गई। लेडी लिबर्टी के बेस पर महिला के चढऩे की घटना के बाद साइट से करीब 3000 पर्यटकों को लौटा दिया गया। बताया जा रहा है कि 4 जुलाई (स्वतंत्रता दिवस) साल का सबसे ज्यादा व्यस्त दिन होता है। इस दिन यहां करीब 22 हजार पर्यटक आते हैं।
अमरीका में एक 92 साल की मां ने अपने 72 साल के बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी है.
पुलिस के मुताबिक़ बेटा उन्हें वृद्धाश्रम भेजना चाहता था. मां को बेटे का यह रुख़ इतना नागावार गुज़रा कि ग़ुस्से में गोली मार दी.
यह घटना अमरीका के मैरीकोपा काउंटी के फाउंटेन हिल्स शहर में दो जुलाई की सुबह हुई.
वारदात के बाद एना मे ब्लेसिंग ने कहा, “तुमने मेरी ज़िंदगी छीन ली, मैं तुम्हारी छीन रही हूं.”
एना अपने बेटे और उनकी गर्लफ्रेंड के साथ रहती थीं. उन्होंने पुलिस को बताया कि वो हत्या करने के बाद ख़ुद को भी ख़त्म कर लेना चाहती थीं.
ब्लेसिंग के बेटे, जिनका नाम फ़िलहाल जारी नहीं किया गया है, वो चाहते थे कि ब्लेसिंग घर छोड़कर वृद्धाश्रम चली जाएं, क्योंकि “अब उनके साथ रहना मुश्किल हो गया था”.
पुलिस ने बताया कि मां ब्लेसिंग अपने बेटे के कमरे में घुसीं. उनकी जेब में पिस्तौल की दो गोलियां थीं.
बहस के दौरान एना मे ब्लेसिंग ने 1970 में ख़रीदी अपनी पिस्तौल निकाली और दो गोलियां बेटे पर दाग दीं.
पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची तो उनका बेटा मर चुका था, गोली उनके गले और जबड़े में लगी थी.
बेटे को मारने के बाद ब्लेसिंग ने उनकी 57 वर्षीय गर्लफ्रेंड पर बंदूक तान दी, लेकिन वो ख़ुद को बचाने में कामयाब रहीं.
दोनों के बीच हाथापाई में पिस्तौल कमरे के एक कोने में जा गिरी.
इसके बाद ब्लेसिंग ने अपनी दूसरी पिस्तौल निकाल ली, जिसके बारे में उन्होंने बाद में पुलिस को बताया कि 1970 में उनके पति ने दी थी.
लेकिन उनके बेटे की गर्लफ्रेंड इस बार भी ख़ुद को बचाने में कामयाब रही. वो वहां से भाग निकली और पुलिस को फ़ोन कर सब कुछ बताया.
पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची तो ब्लेसिंग अपने कमरे में एक कुर्सी पर बैठी हई थीं. उन्होंने पुलिस से कहा कि उन्हें इस अपराध के लिए मौत की सज़ा मिलनी चाहिए.
उन पर हत्या और अपहरण का मामला दर्ज किया गया है, बेल के लिए कोर्ट ने पांच लाख डॉलर की रक़म तय की है.