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कमरे में आग लगने से पांच लड़कियों की जलकर मौत
Posted Date : 05-Jan-2019 11:05:57 am

कमरे में आग लगने से पांच लड़कियों की जलकर मौत

वारसॉ ,05 जनवारी । उत्तरी पोलैंड के कोस्ज़ालीन शहर में एक कमरे में आग लगने से पांच किशोरियों की जलकर मौत हो गई और एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। गृहमंत्री जोआचिम ब्रुडजि़ंस्की ने ‘टीवीएन24’ से कहा, ‘‘इस घटना में मारी गई लड़कियों की उम्र 15 वर्ष है, लड़कियां उनमें से एक का जन्मदिन मना रहीं थीं।’’ दमकल विभाग के प्रवक्ता तोमास्ज कुबैक ने महिलाओं के मारे जाने की पुष्टि की और कहा, ‘‘ बुरी तरह झुलस गए एक युवक को आईसीयू में भर्ती कराया गया है।’’ पुलिस और दमकल विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आग लगने का कारण अभी पता नहीं चल पाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगी सितंबर 2018 से अबतक उठाए गए कदमों की जानकारी
Posted Date : 04-Jan-2019 12:52:34 pm

सुप्रीम कोर्ट ने मांगी सितंबर 2018 से अबतक उठाए गए कदमों की जानकारी

0-लोकपाल पर क्या किया? 
नई दिल्ली ,04 जनवरी । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केन्द्र को निर्देश दिया कि वह सितंबर 2018 से अभी तक लोकपाल खोज समिति के संबंध में उठाए गए कदमों पर एक हलफनामा सौंपे। न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से कहा कि वह इस संबंध में 17 जनवरी तक हलफनामा दायर करें। सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस. के. कौल की पीठ ने कहा, ‘हलफनामे में आपको लोकपाल खोज समिति गठित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी सुनिश्चित करनी होगी।’
जब अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सितंबर, 2018 से अभी तक कई कदम उठाए गए हैं, तब पीठ ने उनसे पूछा, ‘आपने अभी तक क्या किया है। बहुत वक्त लिया जा रहा है।’ फिर दोबारा वेणुगोपाल ने दोहराया कि कई कदम उठाए गए हैं। तब पीठ ने नाराज होते हुए कहा, ‘सितंबर 2018 से उठाए गए सभी कदमों को रिकॉर्ड पर लाएं।’ एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने खोज समिति के सदस्यों के नाम तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए हैं।
अन्ना करेंगे भूख हड़ताल! 
इससे पहले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार लोकपाल नियुक्त करने में विफल होती है तो वह 30 जनवरी से दोबारा भूख हड़ताल पर बैठेंगे। अन्ना ने यह भी कहा था कि वह अबतक अनशन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए दिलासों की वजह से टाल रहे थे। उन्होंने कहा था कि पीएम के झूठे वादों पर यकीन करके उन्होंने गलती की।

राम मंदिर विवाद पर 10 जनवरी को 3 जजों की स्पेशल बेंच करेगी सुनवाई
Posted Date : 04-Jan-2019 12:50:22 pm

राम मंदिर विवाद पर 10 जनवरी को 3 जजों की स्पेशल बेंच करेगी सुनवाई

0-जजों के नाम का ऐलान 6 या 7 जनवरी को
नई दिल्ली ,04 जनवरी । सुप्रीम कोर्ट में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दायर अपीलों पर अब सुनवाई दस जनवरी को होगी और यह सुनवाई तीन न्यायाधीशों की नई खंड़पीठ करेगी। 6 या 7 जनवरी को इस बेंच में शामिल जजों के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा। जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद इस मामले में सुनवाई के लिए कोई विशेष पीठ नहीं थी। सीजेआई ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए एक रेग्युलर बेंच बनेगी, जो 10 जनवरी को इस मामले में आगे के आदेश परित करेगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वकील हरिनाथ राम की तरफ से दाखिल की गई उस पीआईएल को भी खारिज कर दिया है, जिसमें अयोध्या विवाद की रोजाना सुनवाई की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस कदर भीड़ थी कि पैर रखने की भी जगह नहीं थी। सीजेआई के सामने जब मामला आया तो उन्होंने कुछ ही सेकंड में 10 जनवरी को सुनवाई की बात कही।
अब तीन जजों की बेंच का गठन होगा। चीफ जस्टिस एडमिनिस्ट्रेटिव साइड में बेंच का गठन करते हैं। पहले अयोध्या मामले की सुनवाई तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच कर रही थी, जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायरमेंट के बाद यह मामला मौजूदा चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच के सामने लिस्ट हुआ था। रिटायरमेंट से पहले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने एक अहम फैसले में कहा था कि मामला जमीन विवाद का है और मामले को संवैधानिक बेंच रेफर करने से मना कर दिया था।
बता दें कि सर्वोच्च अदालत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को कहा था कि यह मामला जनवरी के प्रथम सप्ताह में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा, जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी। इसके बाद 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिनाथ राम ने एक पीआईएल दाखिल करते हुए सर्वोच्च न्यायालय से मांग की थी कि इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द हो। याचिकाकर्ता ने कहा था कि यह करोड़ों हिंदुओं की मान्यता से जुड़ा मामला है। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पिछले कई दशकों से अटका हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जल्दी सुनवाई से इनकार कर दिया था।
गौरतलब है कि इस हफ्ते ही पीएम मोदी ने कहा था कि राम मंदिर के संबंध में अध्यादेश लाया जाए या नहीं, इस पर फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद लिया जाएगा। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं पर इस मामले में कानूनी प्रक्रिया को धीमा करने का आरोप लगाया था। पीएम मोदी ने कहा था, हमने अपने घोषणापत्र में कहा है कि राम मंदिर का समाधान संविधान की पृष्ठभूमि में खोजा जाएगा।
सर्वोच्च अदालत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को कहा था कि यह मामला जनवरी के प्रथम सप्ताह में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा, जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी। बाद में अखिल भारत हिंदू महासभा ने अर्जी दायर कर सुनवाई की तारीख पहले करने का अनुरोध किया था, जिससे कोर्ट ने इनकार कर दिया था। हिंदू महासभा इस मामले में मूल वादियों में से एक एम. सिद्दीक के वारिसों द्वारा दायर अपील में एक प्रतिवादी है।
वहीं 27 सितंबर, 2018 को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2-1 के बहुमत से 1994 के एक फैसले में की गई टिप्पणी पांच जजों की पीठ के पास नए सिरे से विचार के लिए भेजने से इनकार कर दिया था। दरअसल, इस फैसले में टिप्पणी की गई थी कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। 
क्या है पूरा मामला 
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दिवानी मुकदमा भी चला। टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई हाई कोर्ट ने दिए फैसले में कहा था कि तीन गुंबदों में बीच का हिस्सा हिंदुओं का होगा, जहां फिलहाल रामलला की मूर्ति है। निर्मोही अखाड़े को दूसरा हिस्सा दिया गया, इसी में सीता रसोई और राम चबूतरा शामिल हैं, बाकी एक तिहाई हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दिया गया। इस फैसले को तमाम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बहाल कर दिया था। इसके बाद पिछले साल मामले की सुनवाई शुरू हुई थी।

वायु सेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, पांच सैनिकों की मौत
Posted Date : 04-Jan-2019 12:48:30 pm

वायु सेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, पांच सैनिकों की मौत

लागोस ,04 जनवारी । नाइजीरिया के उत्तर पूर्वी राज्य बोरनो में वायु सेना का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से कम से कम पांच सैन्यकर्मियों की मौत हो गई है।वायु सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी है। अधिकारी ने बताया कि यह हेलीकॉप्टर दामास्क क्षेत्र में 145 वीं बटालियन के जवानों को सहायता पहुंचाने के मिशन पर था और इसी दौरान यह क्रैश हो गया। इस हादसे में कम से कम पांच सैन्यकर्मियों की मौत हो गई है। इस बीच नाइजीरियाई सेना ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया है जिनमें कहा गया था बोको हराम संगठन के आतंकवादियों के पास सेना से बेहतर उपकरण और हथियार हैं।
सैन्य प्रवक्ता सानी कुकाशेखा उस्मान ने जारी एक बयान में कहा कि समाज के कुछ भ्रमित लोग सेना के खिलाफ इस तरह का दुष्प्रचार कर रहे हैं ताकि सेना मानसिक दबाव में आ जाए।उन्होंने कहा कि सेना इस आतंकवादी संगठन के खिलाफ अपने सभी अभियान पहले की तरह जारी रखेगी और किसी भी तरह के मानसिक दबाव में नहीं आएगी।

हुआवेई की मुख्य वित्तीय अधिकारी मेंग वानझाउ की गिरफ्तारी के बाद हिरासत में लिए गए 13 कनाडाई
Posted Date : 04-Jan-2019 12:47:53 pm

हुआवेई की मुख्य वित्तीय अधिकारी मेंग वानझाउ की गिरफ्तारी के बाद हिरासत में लिए गए 13 कनाडाई

ओटावा ,04 जनवारी । चीन की दूरसंचार उपकरण निर्माता कंपनी हुआवेई की मुख्य वित्तीय अधिकारी मेंग वानझाउ की एक दिसंबर को हुई गिरफ्तारी के बाद से चीन में कनाडा के 13 नागरिकों को हिरासत में लिया जा चुका है। हालांकि उनमें से आठ को छोड़ दिया गया। कनाडा के विदेश मामलों के प्रवक्ता जी. बेरूबे ने नागरिकों को हिरासत में लेने की पुष्टि की है। उनका कहना है कि इसमें हांगकांग में हिरासत में लिए गए लोग शामिल नहीं हैं। हिरासत में लिए गए 13 कनाडाई नागरिकों में पूर्व राजनयिक माइकल कोवरिग और कंसल्टेंट माइकल स्पावोर में शामिल हैं। इन्हें 10 दिसंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए हिरासत में लिया गया था। साथ ही चीन ने कनाडा की शिक्षिका सारा मैकल्वेर को भी हिरासत में लिया था लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। वह कनाडा लौट आयी हैं। चीन ने करीब 200 कनाडाई नागरिकों को विभिन्न आरोपों और कारणों से हिरासत में लिया है। यदि तुलनात्मक तौर पर देखें तो अमेरिका में करीब 900 कनाडाई नागरिक ऐसी स्थिति में हैं। कहा जा रहा है कि आवेई की मुख्य वित्तीय अधिकारी मेंग वानझाउ की एक दिसंबर को हुई गिरफ्तारी के बाद कनाडा के नागरिकों को हिरासत में लिया जाना प्रतिशोध की कार्रवाई है।

केरल में हिंदूवादी संगठनों की हड़ताल, हिंसा में 1 की मौत
Posted Date : 03-Jan-2019 1:05:20 pm

केरल में हिंदूवादी संगठनों की हड़ताल, हिंसा में 1 की मौत

0-सबरीमाला विवाद
तिरुवनंतपुरम ,03 जनवरी । सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को दो महिलाओं ने सुबह मंदिर के गर्भग्रह तक पहुंचकर भगवान अयप्पा के दर्शन कर सालों से चली आ रही प्रथा को तोड़ डाला। इस एंट्री के खिलाफ कई संगठनों की राज्यव्यापी हड़ताल का जबरदस्त असर दिख रहा है। सडक़ों पर सन्नाटा है और बसें ठप हैं। मंदिर में दो महिलाओं की एंट्री को लेकर बुधवार को विरोध-प्रदर्शन के दौरान एक शख्स जख्मी हो गया था, आज उसने दम तोड़ दिया। विभिन्न हिंदूवादी संगठनों के समूह सबरीमाला कर्म समिति ने हड़ताल बुलाई है। बीजेपी भी हड़ताल का समर्थन कर रही है, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ काला दिवस मना रहा है।
बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र वर्ग के महिलाओं की एंट्री की इजाजत दे दी थी। हालांकि, इस फैसले के बाद अभी तक कोई प्रतिबंधित उम्र की महिलाएं मंदिर में अयप्पा के दर्शन नहीं कर पाई थीं। बुधवार को कनकदुर्गा और बिंदू ने दावा किया कि वे अयप्पा के दर्शन करने में सफल रहीं। इस खबर के बाद राज्य में जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया। 
पुलिस ने 2 लोगों को हिरासत में लिया 
उधर, बुधवार को सीपीआई (एम) और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प में घायल हुए 55 साल के सबरीमाला कर्म समिति (एसकेएस) कार्यकर्ता की पंडलम में मौत हो गई। पुलिस मामले की जांच कर रही है। हिंसा के आरोप में पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया है। 
हड़ताल के चलते कर्नाटक राज्य सडक़ परिवहन निगम ने केरल के लिए बस सर्विस रोक दी है। बस सेवा प्रभावित होने की वजह से तिरुवनंतपुरम सेंट्रल में फंसे यात्रियों को ऐंबुलेंस से भेजा जा रहा है। केरल बीजेपी के अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने कहा, हम अपना प्रदर्शन शांतिपूर्वक तरीके से करेंगे और कानून का पालन करेंगे। 
सरकार ने संवैधानिक जिम्मेदारी पूरी की
सबरीमाला विवाद पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, यह सरकार की जिम्मेदारी है कि महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की जाए। सरकार ने यह संवैधानिक जिम्मेदारी पूरी की है। संघ परिवार सबरीमाला को युद्ध स्थल बनाने में तुला है। 
वहीं शाही पंडलम परिवार के सदस्य पीजीएस वर्मा ने महिलाओं की एंट्री पर कहा, केरल सरकार हर दिन किसी न किसी को वहां भेजकर रिवाजों के साथ छेड़छाड़ कर रही है। यह त्योहार का समय है जब हर दिन मंदिर में 1 से 2 लाख लोग श्रद्धालु आते थे लेकिन सरकार की कार्रवाई के कारण यह संख्या घटकर 10 से 15 हजार रह गई है।
भक्त नहीं, माओवादी थीं महिलाएं 
बीजेपी के वी. मुरलीधरन ने कहा, 2 महिलाएं सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर गईं। वे भक्त नहीं थीं, वे तो माओवादी थीं। सीपीएम ने चुनिंदा पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर एक योजना बनाई और महिलाओं को मंदिर में घुसने दिया। यह केरल सरकार और सीपीएम के साथ मिलकर माओवादियों द्वारा एक सुनियोजित साजिश है। 
बता दें कि केरल की दो महिलाओं ने बुधवार तडक़े सबरीमाला मंदिर में दर्शन-पूजन किए थे, जिसके बाद से एसकेएस ने विरोध करते हुए पूरे राज्य में हड़ताल का आह्वान किया। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन द्वारा इस बात की पुष्टि किए जाने के बाद कि बिंदू और कनक दुर्गा नामक दो महिलाओं ने तडक़े साढ़े तीन बजे दर्शन किए हैं, मंदिर को ‘शुद्धिकरण अनुष्ठान’ के लिए एक घंटे तक बंद कर दिया गया था।
पहले भी मंदिर में प्रवेश की कर चुकी हैं कोशिश 
इससे पहले दोनों ने 24 दिसंबर को दर्शन की कोशिश की थी, लेकिन पुरुष भक्तों के विरोध के कारण वे दर्शन नहीं कर पाई थीं। मंदिर को एक घंटे बाद फिर से खोल दिया गया। एसकेएस के कार्यकर्ताओं ने तब तक चैन से नहीं बैठने का संकल्प लिया है, जब तक कि विजयन पद से हट नहीं जाते और गुरुवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक बंद का आह्वान किया है। फोन पर मीडिया से बातचीत में बिंदू ने कहा कि वह दुर्गा के साथ मंगलवार देर रात करीब डेढ़ बजे पंबा आधार शिविर पहुंचीं और कुछ पुलिस अधिकारियों के साथ सादे कपड़ों में मंदिर मार्ग पर ऊपर गईं।
बुधवार को राज्यभर में हुई थी हिंसा 
यह खबर फैलते ही, संघ परिवार से जुड़े संगठन राज्यभर में सडक़ों पर उतर आए और मुख्य सडक़ों पर ट्रैफिक जाम कर दिया, टायर जला दिए और बसों पर पत्थर फेंककर निशाना बनाया। तिरुवनंतपुरम में सीपीआई (एम) और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प को रोकने और उन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने पानी की बौछारें की और आंसू गैस के गोले छोड़े। 
केरल के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन ‘केरल व्यापारी व्यवसायी एकोपना समिति’ (केवीवीईएस) ने घोषणा की थी कि वह गुरुवार को अपनी दुकानें बंद नहीं करेगा, क्योंकि लगातार बंद से भारी नुकसान हुआ। कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने वामपंथी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘विजयन को इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।’ एक अन्य कांग्रेस नेता के. सुधाकरन ने विजयन को ‘फासीवादी’ बताते हुए कहा कि मंदिर में प्रवेश करने वाली दोनों महिलाएं उनकी ‘कठपुतलियां’ थीं।