नई दिल्ली । भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम समझौते के बाद अब सीमा पर हालात सामान्य हो गए हैं। भारतीय सेना ने आज इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अब तनाव की स्थिति नहीं है। बीती रात जम्मू-कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे अन्य इलाकों में भी शांति बनी रही, जो हाल के दिनों में एक सकारात्मक बदलाव है।
भारतीय सेना ने आज सुबह जारी एक बयान में कहा, सीमा पर सब सामान्य है। पाकिस्तान की ओर से किसी भी तरह के हमले या अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है। सेना के अनुसार, हाल के दिनों में यह पहली ऐसी रात रही जब सीमा पर पूरी तरह से शांति कायम रही।
उधर, जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर से भी सुबह के समय सामान्य जनजीवन की तस्वीरें सामने आई हैं। भारतीय सेना के अनुसार, जम्मू-कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे अन्य इलाकों में रात भर शांति रहने के बाद अब सुबह भी स्थिति सामान्य बनी हुई है और लोग अपने दैनिक कार्यों में जुटे हुए हैं।
हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि भारतीय जवाबी कार्रवाईयों से दबाव में आए पाकिस्तान ने अमेरिका के हस्तक्षेप से संघर्ष विराम करवाया है, लेकिन उसके लिए आगे की राह आसान नहीं होगी। फिलहाल, सीमा पर शांति का माहौल दोनों देशों के सीमावर्ती निवासियों के लिए एक बड़ी राहत है।
कोलकाता/हुगली 12 मई । ‘पाकिस्तान रेंजर्स’ द्वारा हिरासत में लिए गए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कांस्टेबल पूर्णम कुमार साहू की पत्नी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनसे फोन पर बात की और उनके पति की रिहाई के लिए हरसंभव प्रयास करने का आश्वासन दिया है। बीएसएफ जवान की पत्नी रजनी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने रविवार शाम को उन्हें फोन किया। इससे पहले रजनी ने अपने पति की रिहाई की कोशिश में तेजी लाने के लिए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए उनसे मिलने की इच्छा व्यक्त की थी। पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में तैनात साहू (40) 23 अप्रैल को अनजाने में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर गए थे और बाद में उन्हें ‘पाकिस्तान रेंजर्स’ ने हिरासत में ले लिया था। बंगाल के हुगली जिले में रिषड़ा की निवासी रजनी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने मेरे स्वास्थ्य के बारे में भी पूछा और मुझे आश्वासन दिया कि आवश्यकता पडऩे पर वह मेरे ससुराल के बुजुर्ग लोगों के लिए चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करेंगी। उन्होंने मेरे पति की रिहाई के लिए हरसंभव प्रयास करने का भी आश्वासन दिया।’’ रजनी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए बनी सहमति के बाद उन्होंने बीएसएफ अधिकारियों से बात की है लेकिन उन्हें अभी तक कोई ताजा जानकारी नहीं मिली है। बीएसएफ कर्मी की पत्नी ने उम्मीद जतायी कि उनके पति को उस ‘पाकिस्तानी रेंजर’ के साथ संभावित अदला-बदली के जरिए वापस लाया जा सकेगा जिसे तीन मई को राजस्थान में भारतीय बलों ने पकड़ा था। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि उन्होंने साहू की रिहाई के संबंध में बीएसएफ के महानिदेशक से शनिवार शाम को बात की थी।
पटना ।भारत माता की जयघोष एंव शहीद ईम्तेयाज अमर रहें के साथ सारण के लाल शहीद मोहम्मद इम्तियाज को दफनाया गया जो जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर मे पाक गोलीबारी मे 10/05/2025 को शहीद हुए। उनके अंतिम यात्रा मे बिहार सरकार के मंत्री कृष्ण कुमार सिंह मंटु जी उनके पैत्रिक आवास गरखा प्रखंड के नारायण पुर गाँव मे सामिल हुए। मंत्री महोदय ने शहीद के परिजन को बिहार सरकार द्वारा देय राशी इक्कीस लाख(21 लाख की घोषणा की)। तथा परिजन द्वारा स्मारक, शैक्षणिक संस्थान एंव चिकित्सालय शहीद के नाम पर करने की माँग रखी जिसे मंत्री महोदय ने स्वीकार कर माँग को जल्द पुरा कराने का घोषणा किया। मंत्री जी के साथ प्रियदर्शी चौरसीया जदयु नेता,सांसद प्रतिनिधि सह भाजपा नेता राकेश सिंह ,भाजपा नेता राहुल पासवान, भाजपा नेता संजय सिंह ,संतोष सिंह ,दीपु सिंह, मनोज पटेल, सुभाष राम, भाजपा नेता नजरे ईमाम, स्थानीय मुखिया गुलाम गौस, मो असलम,मो मुस्तफा,मु मनान मिंया आदि सामिल हुए।
नई दिल्ली । घर के बाहर या अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर अक्सर होने वाले विवाद अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए हैं। देश की सर्वोच्च अदालत ने इस संबंध में एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि परिवार के सभी सदस्यों की सहमति के बिना घर में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए जा सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के इस फैसले से सहमति जताई है कि बिना अनुमति के सीसीटीवी कैमरे लगाना निजता के अधिकार का उल्लंघन है। यह फैसला दो भाइयों के बीच चल रहे एक विवाद को निपटाते हुए सुनाया गया, जिसमें कैमरे लगाने को लेकर तकरार थी।
इस फैसले के बाद अब किसी भी घर में सीसीटीवी कैमरे लगाने से पहले वहां रहने वाले सभी लोगों की सहमति लेना अनिवार्य होगा। यह निर्णय निजता के अधिकार के महत्व को रेखांकित करता है और इसे एक व्यक्तिगत स्वतंत्रता के रूप में स्थापित करता है, जिस पर किसी की मनमानी नहीं चल सकती।
जयपुर । राजस्थान के जयपुर शहर के प्रतिष्ठित सवाई मानसिंह (स्रूस्) स्टेडियम को एक बार फिर बम से उड़ाने की धमकी मिली है। सोमवार को खेल परिषद के ईमेल पर एक संदिग्ध संदेश प्राप्त हुआ, जिसमें लिखा था कि ऑपरेशन सिंदूर के सफल होने के बाद अब सवाई मानसिंह स्टेडियम को बम से उड़ाया जाएगा। यह धमकी एक ऐसी स्थिति में आई है जब देशभर में सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंता का माहौल है, और विशेष रूप से जयपुर में सुरक्षा एजेंसियां किसी भी प्रकार के खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। धमकी के बाद त्वरित कार्रवाई
धमकी प्राप्त होते ही खेल परिषद के अधिकारियों ने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को सूचित किया। इसके बाद पुलिस, क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम), बम निरोधक दस्ते और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की टीमों ने स्रूस् स्टेडियम की ओर रुख किया। स्टेडियम को पूरी तरह से खाली कर दिया गया और उसकी गहन तलाशी ली गई। पुलिस ने स्टेडियम के आसपास के इलाके और बिल्डिंग की भी सर्चिंग की, लेकिन अभी तक कोई संदिग्ध वस्तु नहीं पाई गई है।
सुरक्षा के दृष्टिकोण से, स्रूस् स्टेडियम को पूरी तरह से सील कर दिया गया है, और एंट्री पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। पुलिस विभाग इस धमकी के पीछे की शख्सियत की पहचान करने में जुटा है। साइबर टीम को भी इस मामले में अलर्ट किया गया है, ताकि ईमेल भेजने वाले के बारे में जल्द से जल्द जानकारी जुटाई जा सके।
पिछले कुछ दिनों में कई धमकियां
यह पहली बार नहीं है जब स्रूस् स्टेडियम को धमकी मिली है। 8 मई को भी खेल परिषद के अधिकारियों को एक ऐसे ही ईमेल के जरिए धमकी मिली थी, जिसमें कहा गया था कि ऑपरेशन सिंदूर के सफल होने के बाद अब स्रूस् स्टेडियम को बम से उड़ाया जाएगा। उस दिन भी स्टेडियम और उसके आसपास के इलाकों की तलाशी ली गई थी, लेकिन कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली थी।
इसके अलावा, 9 मई को जयपुर मेट्रो स्टेशन और उसकी ट्रेनों को भी बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। मेट्रो की ईमेल आईडी पर एक संदेश प्राप्त हुआ, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर के सफल होने के बाद मेट्रो को निशाना बनाने की बात की गई थी। इस धमकी के बाद मेट्रो स्टेशन और ट्रेन सेवाओं की सुरक्षा को भी बढ़ा दिया गया था, लेकिन जांच में भी कुछ नहीं पाया गया था।
आतंकी गतिविधियों के संदर्भ में चिंताएं
हालांकि, इन धमकियों के अधिकांश मामलों में कुछ भी संदिग्ध नहीं पाया गया, फिर भी इन घटनाओं से यह साफ हो गया है कि आतंकी और असमाजिक तत्वों द्वारा समाज में भय और असुरक्षा फैलाने की कोशिशें की जा रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और फिर इसके बाद की धमकियां किसी बड़े आतंकी नेटवर्क की सक्रियता का संकेत हो सकती हैं। सुरक्षा बलों को इस प्रकार के खतरों से निपटने के लिए और भी अधिक सतर्क रहना होगा।
जयपुर के स्रूस् स्टेडियम और अन्य प्रमुख स्थानों पर लगातार मिल रही धमकियों के कारण स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां अब और भी अधिक सतर्क हो गई हैं। आगामी दिनों में इन घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए सुरक्षा उपायों को और भी कड़ा किया जा सकता है।
सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरतने की जरूरत
इस तरह की धमकियों के बावजूद, अब तक की जांच में कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन यह घटना यह दिखाती है कि देश में सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताएं और निरंतर संभावित खतरे के संकेत मिल रहे हैं। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां जल्द से जल्द इन धमकियों के स्रोत की पहचान कर इस पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
सभी संबंधित अधिकारियों और नागरिकों से यह अपील की जाती है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि के बारे में तुरंत सूचित करें और सुरक्षा के दृष्टिकोण से सतर्क रहें।
न्यूयॉर्क । अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर अब खत्म होने की कगार पर है। दोनों देशों ने जेनेवा में दो दिनों की लंबी बैठक के बाद इस समौझते पर मुहर लगाई। दुनिया की दो आर्थिक शक्तियों की तरफ से जारी साझा बयान में बताया गया है कि वर्तमान टैरिफ पर 90 दिनों का ब्रेक लगाया गया है। यूएस ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा कि दोनों देशों ने सिर्फ वर्तमा टैरिफ को रोकने पर सहमति जताई है बल्कि इसे घटाने पर भी सहमति बनी है।
बेसेंट के मुताबिक, दोनों देशों के एक दूसरे पर लगाए जाने वाले टैरिफ में करीब 115 फीसदी की कटौती की गई है। इन 90 दिनों में चीनी सामानों के ऊपर अमेरिकी टैरिफ को घटाकर 145 प्रतिशत को 30 प्रतिशत किया जाएगा। दूसरी तरफ से चीन भी इसी तरह अमेरिकी सामानों पर टैरिफ को 125 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करेगा। बेसेंट ने कहा कि चीन के अधिकारियों के साथ बातचीत को बेहद साकारात्मक बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों ने एक दूसरे को सम्मान दिया है। यूएस ट्रेड रिप्रजेंटेटिव जेमिसन ग्रीर का कहना है कि ये समझना महत्वपूर्ण है कि हमने कैसे इतनी जल्दी समझौते को अमलीजामा को आखिरी रुप दे दिया। ये इस बात को जाहिर करता है कि हमारे बीच मतभेद शायद बहुत ज्यादा नहीं थे। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन का मुख्य लक्ष्य चीन के साथ अपने व्यापार घाटे को कम करना है, जो पिछले साल बढक़र रिकॉर्ड 263 बिलियन डॉलर हो गया था। ग्रीर ने आगे कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि जो चीनी साझेदार के साथ समझौते हुए हैं, उससे उन्हें मदद मिलेगी और राष्ट्रीय आपातकाल से उबरने में मदद मिलेगी।