टोरंटो। कनाडा में चीन के राजदूत के बयान को लेकर दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद तेज हो गया है जबकि कनाडाई मीडिया में चीनी राजदूत की आलोचना पर बीजिंग ने नाराजगी जाहिर की है।
कनाडा और चीन के बीच आरोप-प्रत्यारोप का यह दौर ऐसे समय में शुरू हुआ है जब दोनों देशों के बीच का संबंध हाल के वर्षों में सबसे निचले स्तर पर है। दरअसल संबंधों में गिरावट की बड़ी वजह कनाडा द्वारा टेलिकॉम कंपनी हुआवी की एक शीर्ष कार्यकारी अधिकारी को हिरासत में लिया जाना और फिर जवाबी कार्रवाई में चीन में कनाडा के दो लोगों की गिरफ्तारी है।
वहीं, यह हालिया नया विवाद कनाडा में चीन के राजदूत कोंग पियू द्वारा हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों को हिंसक अपराधी बताने और यह कहने के बाद शुरू हुआ है कि अगर कनाडा इन लोगों को शरण देता है तो यह चीन के आंतरकि मामलों में हस्तक्षेप करने जैसा होगा।
ओटावा में चीनी दूतावास से एक ऑनलाइन समाचार सम्मेलन में कोंग ने कहा था, ''अगर कनाडा वास्तव में हांगकांग की समृद्धि और स्थिरता तथा हांगकांग में कनाडा का पासपोर्ट रखने वाले 300,000 लोगों और हांगकांग एसएआर में बड़ी संख्या में संचालित कर रहीं कनाडा की कंपनियों के कल्याण और सुरक्षा के बारे में सोचता है तो आपको हिंसा से लडऩे वाले प्रयासों का समर्थन करना होगा।
कोंग से जब यह पूछा गया कि क्या उनकी टिप्पणी धमकी है तो उन्होंने जवाब में कहा, ''यह आपकी व्याख्या है।
कनाडा की उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने सोमवार को संसद में कहा कि राजदूत की टिप्पणी दोनों देशों के बीच उचित राजनयिक संबंधों की भावना को बनाए रखने जैसा नहीं है। उन्होंने कहा कि चीन में मानवाधिकार के लिए कनाडा आवाज उठाता रहेगा और हांगकांग में रहने वाले अपने नागरिकों का समर्थन करता रहेगा और वह इसके लिए कनाडाई नागरिकों को आश्वस्त करती हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी सरकार ने कनाडा में कोंग की आलोचना को लेकर ओटावा से शिकायत की है। फ्रीलैंड का बयान चीनी प्रवक्ता के बयान के घंटों बाद आया है।
लिजियन ने मीडिया में आलोचना के बारे में विशेष उल्लेख तो नहीं किया लेकिन 'टोरंटो सनÓ ने शनिवार को एक संपादकीय में कोंग से माफी मांगने के लिए कहा था।
इसी बीच कनाडा में विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के एरिं ओटूले ने कहा कि कोंग ने हांगकांड में रह रहे कनाडा के लोगों को चेतावनी दी है और इसके लिए या तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए या यहां से चले जाना चाहिए।
ताइपे (ताइवान)। फिजी में हाल ही में ताइवान के राष्ट्रीय दिवस समारोह में चीनी दूतावास के अधिकारियों और ताइवान सरकार के कर्मचारियों के बीच हिंसक झड़प को लेकर दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
चीन और ताइवान दोनों ने आठ अक्टूबर की घटना की पुष्टि की है लेकिन दोनों ने संघर्ष शुरू होने को लेकर एक दूसरे के दावे को खारिज कर दिया। संघर्ष में ताइवान के एक कर्मचारी के सिर में चोट आई और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, वहीं एक चीनी राजनयिक भी घायल हो गये।
ताइवान के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार प्रतिद्वंद्वी देशों की सरकारों के कर्मियों के बीच तनाव का यह विरल उदाहरण है जो उस समय पैदा हुआ जब समारोह में एकत्रित ताइवानी लोगों ने चीन के राजनयिकों को अतिथियों की तस्वीरें लेने से रोका। मंत्रालय की प्रवक्ता जोने ओउ ने ट्वीट किया, ''हम फिजी में हमारे राजदूतों के खिलाफ की गई कार्रवाई के लिए चीन की कड़ी निंदा करते हैं। मंत्रालय ने कहा कि फिजी सरकार के समक्ष ताइवान औपचारिक रूप से विरोध दर्ज कराएगा। वहीं फिजी में चीनी दूतावास ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि ताइवान का दावा तथ्यों से मेल नहीं खाता। उसने बताया कि उसका एक कर्मचारी भी घायल हुआ है। बयान में कहा, '' उसी शाम, फिजी में ताइपे व्यापार कार्यालय के कर्मचारियों ने चीनी दूतावास के कर्मचारियों के खिलाफ हिंसक व्यवहार किया, जो समारोह स्थल के बाहर सार्वजनिक क्षेत्र में अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे, जिससे एक चीनी राजनयिक को चोट आई और वह घायल हो गए।
वाशिंगटन। पेंटागन ने 'मिनटमैन3शस्त्रागार को बदलने के लिए भूमि-आधारित परमाणु मिसाइलों के एक नए बेड़े को बनाने की अनुमानित लागत 95.8 अरब डॉलर तक बढ़ा दी है। यह अनुमानित लागत चार साल पहले की तुलना में 10 अरब डॉलर अधिक है। इन हथियारों को अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल या आईसीबीएम कहा जाता है। अगले कुछ दशकों में अमेरिकी परमाणु बल में इन्हें शामिल किया जाएगा जिसमें 1200 खरब डॉलर का खर्चा आएगा।
पूर्व रक्षा मंत्री विलियम जे. पेरी सहित कुछ का तर्क है कि आईसीबीएम के बिना अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, लेकिन पेंटागन का कहना है कि वे युद्ध को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन ने परमाणु नीति की 2018 की समीक्षा में आईसीबीएम की एक नई पीढ़ी के विस्तार की प्रतिबद्धता दोहराई थी।
नईदिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकारें अपील दायर करने में जान-बूझकर देरी करती हैं, क्योंकि इन्हें अदालतें सैरगाह नजर आती हैं। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने पिछले दिनों मध्य प्रदेश सरकार की एक विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए उस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। न्यायालय ने इस दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकारें अपील दायर करने में जान-बूझकर देरी करती हैं, ताकि उन्हें यह कहने का बहाना मिल जाये कि याचिका खारिज हो गई। खंडपीठ ने कहा कि निर्धारित अवधि (लिमिटेशन पीरियड) की अनदेखी करने वाली राज्य सरकारों के लिए शीर्ष अदालत सैरगाह की जगह नहीं हो सकती कि जब मन में आया, चले आये। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकारों को 'न्यायिक वक्त बर्बाद करने को लेकर खामियाजा भुगतना चाहिएÓ तथा इसकी कीमत जिम्मेदार अधिकारियों से वसूली जानी चाहिए। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से 'भेरू लाल मामलेÓ में 663 दिनों की देरी से अपील दायर की गई थी।
कोरोना की जंग में जल्द मिल सकती है जीत
नईदिल्ली। कोरोना की जंग में जीत हासिल करने के लिए भारत में वैक्सीन का काम जोरों पर चल रहा है और अब जल्द ही इंट्रानैसल वैक्सीन का ट्रायल भी शुरू किया जाएगा। ये जानकारी सरकार की तरफ से दी गई है। इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि रेगुलेटरी मंजूरी मिलते ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक नाक के जरिए दी जाने वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर देंगे। फिलहाल भारत में नेजल वैक्सीन पर कोई ट्रायल नहीं चल रहा है।
खबर के मुताबिक कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर भारत बायोटेक ने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी और सेंट लुइस यूनिवर्सिटी के साथ एक समझौता किया है। डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा, भारत बायोटेक ने वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत कंपनी एसएआरएस-सीओवी-2 के लिए इंट्रानेजल वैक्सीन का ट्रायल, उत्पादन और व्यापार करेगी। उन्होंने बताया कि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक अपने नैजल कोरोना वायरस वैक्सीन का लेट स्टेज ट्रायल भारत में जल्द शुरू करेंगे जिसमें 30,000 से 40,000 तक वॉलंटियर्स शामिल हो सकेंगे।
आपको बता दें कि भारत के डॉक्टर रेड्डीज लैब और रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड को भी भारत में स्पुतनिक-वी वैक्सीन के लेट स्टेज क्लीनिकल ट्रायल करने की अनुमति मिल चुकी है। इससे पहले डीजीसीआई ने ये कहते हुए मंजूरी देने से इंकार कर दिया था कि रूस में इस वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण का ट्रायल बहुत कम लोगों पर किया गया है।
मैसूर विश्वविद्यालय के शताब्दी दीक्षांत समारोह
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि बीते 6 सालों में देश में चौतरफा सुधार हुए हैं और पिछले कुछ महीनों से इसकी गति और दायरे दोनों को बढ़ाया गया है ताकि 21वीं सदी भारत की हो। मैसूर विश्वविद्यालय के शताब्दी दीक्षांत समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमारे देश में चौतरफा सुधार हो रहे हैं, इतने सुधार पहले कभी नहीं हुए। पहले कुछ फैसले होते भी थे तो वह किसी एक क्षेत्र में होते थे और दूसरे क्षेत्र छूट जाते थे। उन्होंने कहा, 'बीते 6 सालों में बहुत सारे सुधार हुए हैं और कई क्षेत्रों में सुधार हुए हैं। कृषि के क्षेत्र में किए गए हालिया सुधारों, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, मजदूरों के लिए लाए गए श्रम सुधार सहित अन्य सुधारों की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि ये सुधार इसलिए किए जा रहे है ताकि यह दशक भारत का दशक बने। उन्होंने कहा, 'पिछले छह-सात महीने से सुधार की गति और दायरा दोनों बढ़ रहा है। खेती हो या अंतरिक्ष, रक्षा का क्षेत्र हो या उड्डयन का क्षेत्र, श्रम हो या फिर कोई और क्षेत्र, हर क्षेत्र में जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अगर राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के एजुकेशन सेक्टर का भविष्य सुनिश्चित कर रही है, तो ये युवाओं को भी सशक्त कर रही है। अगर खेती से जुड़े सुधार किसानों को सशक्त कर रहे हैं, तो श्रम सुधार मजदूरों और उद्योगों दोनों को विकास और सुरक्षा दे रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के फायदों के बारे में छात्रों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा यह प्री नर्सरी से लेकर पीएचडी तक देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था में मौलिक बदलाव लाने वाला एक बहुत बड़ा अभियान है। उन्होंने कहा, 'भारत को उच्च शिक्षा के लिए एक वैश्विक केन्द्र और हमारे युवाओं को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सभी स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कर्नाटक में बाढ़ और भारी बारिश से अस्त व्यस्त हुए जनजीवन और नुकसान की भी चर्चा और पीडि़त परिवार के प्रति संवेदनाएं प्रकट की। उन्होंने कहा कि केन्द्र और कर्नाटक सरकार राज्य में बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है।